RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
एक बार फिर से शनिवार की एक नई सुबह आ गयी, और एक बार फिर से मैं अपनी बहन प्रीती के साथ जो कल रात हमने रंगरेलियाँ मनायीं थीं उनकी सुखद ताजातरीन यादों के साथ सुबह उठा। क्या सच में हम दोनों ने एक दूसरे को चोद के अपना कौमार्य भंग किया था? मेरा दिमाग घूम रहा था, और फिर लेटे लेटे स्वतः ही मेरा लण्ड खड़ा होने लगा, मैं मन ही मन सोचने लगा कि किस तरह मैंने और प्रीती ने कल रात चुदाई की थी, और फिर कुछ देर बाद किसी ने मेरे रूम के डोर को खटखटाया, हांलाकि मेरे रूम का डोर पहले से ही खुला हुआ था।
जब मैंने डोर की तरफ देखा तो वहाँ प्रीती को खड़ा हुअा पाया, प्रीती ने अागे से खुला हुअा नाईट गाउन पहना हुअा था, जिसके नीचे प्रीती ने सिर्फ ब्रा और पैण्टी पहनी हुई थी। शायद प्रीती ने सुबह उठकर कपड़े पहने होंगें क्योंकि मैं अभी भी कम्बल के नीचे नंगा ही था। रात को प्रीती के रूम से आने के बाद अपने कपड़े फंककर मैं सीधा बैड पर कूदकर सो गया था।
प्रीती चुपचाप मेरे बैड के पास आकर सिरहाने पर मेरे लैफ्ट की तरफ बैठ गयी, उसने मुस्कुराते हुए बोला, “कल रात को हम दोनों क्या कर बैठे, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा।”
“ठीक है, अब जो हो गया उसको भूल जाओ,” मैंने प्रीती को समझाते हुए कहा। हम दोनों फुसफुसाकर धीमे धीमे बातें कर रहे थे, क्योंकि रात में मम्मी घर पर आ गयीं थीं, और बगल वाले रूम में सो रहीं थीं।
“मुझे तो अभी भी वहाँ कुछ कुछ हो रहा है,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, और फिर मेरी छाती पर एक हाथ रखकर मेरे ऊपर झुकते हुए बोली, “लेकिन हम फिर कभी ऐसा नहीं करेंगें।”
“ओके, ठीक है,” मैंने उस पर से नजर हटाते हुए कहा।
“बस चुदाई नहीं करेंगे,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, “बाकी सब कुछ करने में मुझे कोई आपत्ती नहीं है,” और फिर ब्लैंकेट के ऊपर से ही मेरे लण्ड के उभार को अपने हाथ से दबाते हुए बोली, “लगता है, तुमको भी वहाँ कुछ कुछ हो रहा है।”
प्रीती ने फिर बैड पर से उठते हुए अपने आगे से खुले हुए गाउन के बटन बंद किये, ओर फिर बाहर जाते हुए मुझसे बोली “बाहर आकर जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो,” और फिर वो किचन में चली गयी। मैंने बैड से उठकर अपना पाजामा पहना, और फिर अपने रूम से बाहर निकल आया।
हर सण्डे मोर्निंग की तरह उस दिन भी हमने साथ साथ टीवी देखते हुएर ब्रेकफास्ट किया और साथ साथ इधर उधर की बातें कीं। ब्रेकफास्ट करने के तुरंत बाद प्रीती अपने रूम में गयी और अपने बैड की बैड शीट उतारकर वाशिंग मशीन में डाल दी। जब वो अपने रूम से बाहर निकल रही थी तो मेरी तरफ देखते हुए रहस्यमयी मुस्कान के साथ बोली, “सारे सबूत मिटाने में ही भलाई है।”
वो वीकएण्ड भी हमेशा की तरह बीत गया, मेरे और प्रीती के बीच फ्राईडे नाईट की फिर और कोई बात नहीं हुई, और सोमवार की सुबह मैं तैयार होकर कॉलेज चला गया। लन्च के दौरान मैनें अपने एक मित्र को उस पॉर्न डीवीडी के बारे में बताया, हाँलांकि मैंने वो कुछ नहीं बताया कि उस डीवीडी के देखने के बाद क्या कुछ हुआ था, उस दोस्त ने मुझसे वो डीवीडी कुछ दिनों के लिये माँगी, मैंने कहा ठीक है, लेकिन मैंने उससे जल्द ही वापस करने की हिदायत दे दी।
मंगलवार को सुबह मम्मी जब काम पर चली गयीं, फिर जब मैं और प्रीती नाश्ता कर रहे थे, तब मुझे उस डीवीडी के बारे में याद आया।
“उस दिन कॉलेज में मैंने अपने एक दोस्त को उस डीवीडी के बारे में बताया,” मैंने प्रीती को बताया।
“उसको हमारे में तो कुछ नहीं बताया ना,” प्रीती ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
“तुमको मैं पागल नजर आता हूँ क्या?” मैंने पूछा, और फिर कहा, “मैने सिर्फ बताया कि वो डीवीडी तुमको पूनम ने दी थी, और मैंने देख ली है, बहुत जबरदस्त पॉर्न मुवी है, उसने कुछ दिनों के लिये वो डीवीडी मुझसे देखने के लिये माँगी है।”
“हो तो तुम पागल ही,” प्रीती ने कहा और अपने रूम में चली गयी। एक मिनट बाद जब वो वापस आयी तो उसने वो डीवीडी डाईनिंग टेबल पर लाकर रख दी, मैं उसको और वो मुझे देखकर मुस्कुरा दी।
और फिर जल्दी जल्दी हम दोनों तैयार होकर कॉलेज के लिये निकल पड़े, कॉलेज पहुँचकर जब मेरे दोस्त ने वो डीवीडी मुझसे माँगी, तब मुझे याद आया कि वो तो मैं डाईंनिंग टबल पर ही छोड़ आया। मैंने मन ही मन सोचा कि घर पहुँचकर, इससे पहले कि मम्मी काम पर से वापस आयें, सबसे पहले उस डीवीडी को वहाँ से उठाकर छुपाना होगा।
लेकिन मेरी बदकिस्मती, उस दिन जब मैं घर पहुँचा, मम्मी घर पर पहले ही वापस आ चुकी थीं, उन्होने बताया कि रसोई गैस की पाईप लाईन वाले फिटिंग के लिये घर पर आने वाले थे इस वजह से वो ऑफिस से थोड़ा जल्दी आ गयीं। हब मैंने डाईनिंग टेबल पर देखा तो वो डीवीडी वहाँ पर नहीं थी। मुझे लगा कि मम्मी ने वो डीवीडी देख ली होगी और कहीं और छुपा कर रख दी होगी, मैं मम्मी की डांट सुनने के लिये मानसिक रूप से तैयार हो गया। लेकिन मम्मी ने मुझसे उस बारे में कुछ नहीं कहा, और प्रीती को भी कुछ नहीं बताया, शायद मम्मी ने सोचा होगा कि वो डिवीडी मेरी होगी, और प्रीती का उस से कोई लेना देना नहीं है।
हमारी मम्मी काफी ब्रॉड माईन्डेड थीं, और मुझे उस डीवीडी को लेकर ज्यादा ड्रामा होने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन फिर भी मुझे लग रहा था कि वो मुझसे ये तो जरूर कहेंगी कि इस तरह की चीजों को यूँ ही इधर उधर छोड़ कर ना जाया करूँ क्योंकि वो चीजें प्रीती के हाथ भी लग सकती हैं।
प्रीती जब घर वापस आयी तो उसने जल्दी से अपने कपड़े चेन्ज किये, और फिर पूनम के घर चली गयी, फिर मैं और मम्मी घर पर अकेले रह गये। मुझे लगा कि अब एकान्त मिलने पर मम्मी शायद मुझसे उस गन्दी पॉर्न डीवीडी के बारे में कुछ पूछेंगी, लेकिन मम्मी ने उस बारे में कुछ भी बात नहीं की। मम्मी किचन में खाना बना रहीं थीं, खाना बनाते हुए उन्होने मुझसे बताया कि चंदर मामाजी किसी काम से बाहर गये हुए थे और वो उस दिन देर रात ट्रेन से लौटने वाले थे, उस रात वो हमारे घर ही डिनर करके रूकने वाले थे, मम्मी उनके लिये भी डिनर तैयार कर रहीं थीं। मम्मी ने मुझसे कहा, “तुम्हारे मामा कि ट्रेन रात को बारह बजे आयेगी, तुम और प्रीती खाना खाकर सो जाना, मैं तो तुम्हारे चंदर मामा को खाना खिलाने के बाद ही सोउँगी, तुम थोड़ी देर बाद जाकर प्रीती को पूनम के घर से बुला लाना, और खाना खा के टाईम से सो जाना।”
“ठीक है, मम्मी प्रीती को आठ बजे बुला लाऊँगा,” मैंने मम्मी से कहा।
मम्मी जब किचन में खाना बना रहीं थीं, तो मैं उनसे कुछ देर तक बातें करता रहा, और उनको किचन में किचन में इधर उधर काम करते हुए देखता रहा। हमारी मम्मी की उम्र ४५ वर्ष के आसपास होगी, लेकिन उन्होने अपने आप को अच्छे से मेनटेन कर रखा था, इस वजह से वो ४० से ज्यादा की नहीं लगतीं थीं। उनकी फिगर जबरदस्त थी, और वो कुछ कुछ अर्शी खान की तरह नजर आती थीं, वो प्रीती का एक बड़ा रूप थीं। मम्मी ने उस दिन सिल्क की मैक्सी पहन रखा थी, जो उनके घुटनों से बास थोड़ा नीचे तक थी। मैक्सी का गला थोड़ा बड़ा होने के कारण उनकी काली ब्रा के सट्रेप्स उनके कन्धे पर साफ नजर आ रहे थे।
बचपन से ही मम्मी को हर वीकेण्ड पर नानी मामा के घर जाते देख रहा था, लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा होता जा रहा था, मुझे मम्मी और मामा का आपस में बर्ताव थोड़ा अटपटा लगने लगा था, वो भाई बहन की तरह तो बिल्कुल बिहेव नहीं करते थे। वो आपस में जिस तरह से चुहलबाजी करते मानो वो दोनों कोई टीनेज दोस्त हों। हर विकेण्ड पर मम्मी का मामा के घर जाना और रात भर वहीं पर रूकना, मेरे मन में थोड़ा संषय तो जरूर पैदा करता था, और जब मामा हमारे घर रुकते तो वो मम्मी के रूम में ही सोते थे। मुझे थोड़ा थोड़ा यकीन होने लगा था कि मम्मी और मामा के शारीरिक सम्बंध थे, लेकिन इस बात का कोई पुख्ता सबूत मेरे पास नहीं था। जहाँ तक मेरा और प्रीती का प्रश्न था, तो बचपन में हम दोनों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मम्मी किस के साथ सो रही हैं, और रूम का दरवाजा बंद होने के बाद मम्मी और मामा रूम के अंदर क्या कुछ करते हैं।
चंदर मामा हमारी मम्मी से एक दो साल बड़े थे, लेकिन उन्होने भी अपने आप को फिट रखा हुआ था, सरकारी ठेकेदार होने के कारण उनका बाहार आना जाना लगा रहता था। लकिन मामी के देहान्त के बाद वो मम्मी के कुछ ज्यादा ही करीब हो गये थे। शायद एक विधवा ही एक विधुर का दुख दर्द बेहतर समझ सकती थी। लेकिन अब जैसे जैसे मैं और प्रीती बड़े होते जा रहे थे, तो मम्मी जब भी मामा के साथ रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेतीं, तो हम मन ही मन रूम के अंदर शायद जो खेल चल रहा होगा उसकी कल्पना करने लगते।
किचन में मम्मी को खाना बनाते देखते हुए मैं मम्मी को निहार रहा था, और सोच रहा था कि मम्मी का गठीला बदन किसी भी मर्द का लण्ड खड़ा होने पर मजबूर कर सकता था। मम्मी ने जो सिल्क की मैक्सी पहन रखी थी, उस में से उनके शरीर के सारे उभार साफ नजर आ रहे थे, उनकी उभरी हुई गाँड़, लम्बी गोरी टाँगें, और मस्त बड़े बड़े मम्मे। मम्मी के मम्मे उम्र बढने के साथ साथ थोड़ा लटकने लगे थे, लेकिन फिर भी मम्मी का बदन बेहद आकर्षक था, जो किसी भी मर्द को अपनी एक झलक दिखलाकर अपना गुलाम बना सकता था।
कुछ देर मम्मी के बदन को निहारने के बाद मैंने कहा, “चलो अब मैं प्रीती को पूनम के घर से ले आता हूँ,” ये सुनकर मम्मी ने प्रत्युत्तर में कहा, “हाँ, चलो, जल्दी करो, कल सुबह तुम दोनों को कॉलेज भी जाना है, टाईम से सो जाना।”
जब मैं पूनम के घर जा रहा था, तो सारे रास्ते मेरे मन में उधेड़ बुन चलती रही। जब मैं पूनम के घर पहुँचा, तो दरवाजा खुला हुआ था, प्रीती और पूनम दोनों बैडरूम में थीं, घर पर कोई और नहीं था। हम तीनों ने कुछ देर इधर उधर की बातें कीं, फिर कुछ देर टीवी देखने लगे। पूनम मेरी हमउम्र थी, और मैं जब सिर्फ आठ साल का था, तब वो हमारे मोहल्ले में रहने आयी थी, और तभी प्राईमरी स्कूल से मैं उसको जानता था, और हम दोनों अच्छे दोस्त बन गये थे। बचपन से ही वो मेरे से ज्यादा होशियार थी, और सैक्स के बारे में मेरे कहीं ज्यादा जानती थी, जब हम प्राईमरी स्कूल में थे तभी वो मुझको गन्दे गन्दे जोक्स सुनाती, जो कई बार उस समय मेरे समझ में भी नहीं आते थे। मेरी बहन प्रीती के सिवा सिर्फ वो ही दुनिया में दूसरी लड़की थी जिसको मैंने किस किया था, ये शायद उस वक्त की बात है जब हम आठवीं क्लास में होंगे। अब तो पूनम मेरे और प्रीती के साथ खुलकर सैक्स के बारे में बातें करती थीं, पता नहीं उसको सैक्स की बातें करने में इतना मजा क्यों आता था। जब भी वो और प्रीती अकेले में बातें करतीं तो बस कॉलेज के किस लड़के के साथ किस पोजीशन में चुदवाने में कितना मजा आयेगा बस इसी तरह की बातें होतीं। अब पिछले कुछ दिनों से हम तीनों इस तरह की गन्दी गन्दी बातें एक दूसरे के साथ खुले रूप से करने लगे थे, और हम तीनों को ही ऐसी बातें करने में बहुत मजा आता था, और चूत लण्ड जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए हम तीनों खूब हँसा करते थे।
प्रीती और पूनम एक दूसरे को चैलेन्ज किया करतीं कि किस लड़के के साथ वो किस हद तक जा सकती हैं, किस लड़के का वो बस लण्ड चूसेंगीं और किस लड़के के लण्ड को देखते ही उनकी चूत पनिया जायेगी, और किस लड़के के लण्ड पर बैठकर सवारी करने का मन करता है, किस के लण्ड को चूत में घुसाने के लिये वो बेकरार रहतीं हैं, और भी कई इस तरह की गन्दी गन्दी बातें हम तीनों आपस में किया करते। कभी कभी वो मुझसे पूछा करतीं कि क्या मैं किसी फलानी लड़की को चोदना चाहूँगा, लेकिन कभी भी ये नहीं पूछतीं कि क्या मैं उनको चोदना चाहूँगा या नहीं। अपनी सगी बहन के सामने इस तरह की गन्दी बातें करके मेरा लण्ड खड़ा हो जाता, और मैं मन ही मन कभी प्रीती को तो कभी पूनम को चोदने या उनसे अपना लण्ड चुसवाने की कल्पना करने लगता। कुछ देर बाद पूनम के मम्मी पापा और उसका छोटा भाई बाजार से वापस आ गये, और फिर मैं और प्रीती उन सभी से विदा लेकर वापस अपने घर की तरफ चल दिये।
जब हम दोनों पैदल चलकर अपने घर वापस आ रहे थे, तब मैंने अपने मन में चल रहे अन्तरद्वन्द और उथल पुथल को कम करने के लिये प्रीती को बताया कि आज रात मामा कहीं बाहर से ट्रेन से आ रहे हैं, और उस रात वो हमारे घर ही रुकने वाले थे। मैंने प्रीती से पूछा, “क्या तुमको नहीं लगता कि मम्मी और मामा के बीच जरूर कुछ दाल में काला है, जब भी मामा हमारे घर में रुकते हैं तो वो मम्मी के साथ उनके रूम में ही सोते हैं, और मम्मी दरवाजा भी अंदर से बन्द कर लेती हैं, क्या तुमको ये अजीब नहीं लगता?”
प्रीती ने कहा, “हाँ, वो तो है, लेकिन मैंने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। चलो, आज हम उन दोनों की जासूसी करते हैं, हम दोनों आज सोने का नाटक करेंगे और जब मम्मी और मामा रुम में घुसकर दरवाजा बन्द कर लेंगे तो दरवाजे की झिर्री में से झाँककर देखेंगे कि वो दोनों क्या करते हैं।”
मैंने प्रीती से पूछा, “तुमको कैसे पता कि मम्मी के रूम के दरवाजे में कोई झिर्री है?”
प्रीती ने हँसते हुए कहा, “जैसे तुमको नहीं पता, कितनी बार तो तुम मुझे कपड़े बदलते हुए उस झिर्री में से नंगा देख चुके हो।”
मैं प्रीती की बात सुनकर अचकचा गया, मैं समझ नहीं पाया कि प्रीती को कैसे पता कि मैं उसको उस झिर्री से कपड़े बदलते हुए देखा करता हूँ। हम सबके कपड़े मम्मी के रूम में रखी वार्डरोब में ही रखे होते थे, और जब मम्मी ऑफिस चली जातीं तब कॉलेज जाने से पहले जब प्रीती अपने कपड़े बदला करती थी, तो मैं उसको उसी झिर्री से नंगा देखा करता था। लेकिन मुझे इस बात का जरा भी भान नहीं था कि प्रीती को इस बात का पता था कि जब वो कपड़े बदल रही होती है तब उसका भाई उसके नंगे बदन को निहारा करता है।
मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए कहा, “अच्छा, अब समझ आया कि तुझे कपड़े बदलने में इतना टाईम क्यों लगता था, तभी तू नहाने के टाईम ब्रा पैण्टी बदलने की जगह, कॉलेज जाने से पहले क्यों अपनी ब्रा पैण्टी बदला करती थी। तू भी मन ही मन चाहती थी ना कि तेरा भाई तेरे नंगे बदन को निहार के मुट्ठ मारा करे, बड़ा मजा आता होगा तुझे मेरा लण्ड खड़ा करके, क्यों?”
मेरी बात सुनकर प्रीती हँस पड़ी और बोली, “हर लड़की अपने हुस्न से मर्दों को घायल करना चाहती है, अब अगर मेरा भाई ही मेरे हुस्न का दीवाना हो रहा हो तो मेरी क्या गलती। अच्छा, एक बात बता, तू क्या रोज मुट्ठ मारता था, मेरे को नंगा देखकर?”
अब जब भेद खुल ही गया था, तो मैंने भी बेशर्म होकर बोल दिया, “और क्या, जब मेरी बहन ही अपने भाई के लिये अपने नंगे जिस्म की नुमाईश कर रही हो, तो बेचारे भाई की क्या गलती, तेरी मुलायम झाँटों से ढकी चूत और चूँचियों को देखकर कौन लड़का मुट्ठ मारे बिना रह सकता है।”
इस तरह बातें करते हुए मैं और प्रीती कब घर पहुँच गये पता ही नहीं चला। घर पहुँचते ही मम्मी ने हमारा खाना डाईनिँग टेबल पर रख दिया, और खाना खाने के बाद मम्मी ने हम दोनों को अगले दिन कॉलेज जाने के लिेए जल्दी सोने का फरमान जारी कर दिया। मैं और प्रीती दोनों ही एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे, और अपनी साजिश को अंजाम देने के लिये मम्मी की चालों को नजरअंदाज कर रहे थे।हम दोनों रात के दस बजे अपने अपने कमरों में सोने के लिये चले गये।
रात को करीब एक बजे डोरबैल बजी, मम्मी ने दरवाजा खोला, कुछ देर बात करने के बाद और फिर मामा के खाना खाने के बाद, मम्मी और मामा कुछ देर ड्रॉईंग रूम में टीवी देखने के बाद, रात के करीब ढाई बजे मुझे मम्मी के रूम का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई दी। मैं पहले प्रीती के रूम में गया, और फिर उसको साथ लेकर, जब हम दोनों ड्रॉईंग रूम से होते हुए मम्मी के रूम के दरवाजे की झिर्री में से अंदर झाँकने लगे। मम्मी और मामा ने रूम की लाईट जला रखी थी, और दोनों बैड पर लेटकर टीवी देख रहे थे। टीवी दरवाजे के सामने दूसरे छोर पर लगा हुआ था, इसलिये हमको डीवीडी प्लेयर द्वारा टीवी पर चलती हुई पॉर्न मूवी साफ दिखाई दे रही थी। ये वो ही पॉर्न मूवी की डीवीडी थी जो मैंने प्रीती से अपने दोस्त को देने के लिये माँगी थी, और डाईनिंग टेबल पर रखी छोड़ गया था। उस समय जो सीन चल रहा था, उसमें एक जवान लड़की, लड़के के लण्ड को अपनी चूत में घुसाकर उसकी सवारी कर रही थी, और जोर जोर से चीखकर बोल रही थी, “चोद दे मुझे, डाल दे अपना लण्ड मेरी चुत में, फाड़ दे मेरी चूत को, जोर से चोद!! और जोर से, हाँ ऐसे ही!!"
और वो लड़का उस लड़की को चोदते हुए गुर्राते हुए बड़बडाये जा रहा था, “ओह, क्या मस्त टाईट चुत है मेरी जान की, इसको चोद चोद के इसका भोसड़ा बना दूँगा, अंदर तक घुसवा मेरे लण्ड को____” और फिर चूत में अंदर बाहर होते लण्ड पर कैमरा जूम हो गया, लेकिन मम्मी के बैडरूम में उस पॉर्न मुवी के एक्शन के सिवा भी बहुत कुछ हो रहा था।
मम्मी बैड पर घुटनों के बल अपना सिर झुकाकर घोड़ी बनी हुई थी, उनका चेहरा टीवी की तरफ था, मम्मी ने सिर्फ ब्रा पहन रखी थी, मैक्सी और पैण्टी उतार कर बैड पर रखी हुई थी। मामा ने मम्मी के पीछे पोजीशन ले रखी थी, और वो मम्मी को डॉगी स्टाईल में चोद रहे थे।जो कुछ मामा उस समय हमारी मम्मी के साथ कर रहे थे, उसके लिये शायद सिर्फ “चोदना” शब्द काफी नहीं होगा।मामा मम्मी की चूत पर अपने लण्ड से इस तरह ताबड़तोड़ प्रहार कर रहे थे, मानो दुनिया खत्म होने वाली हो। मामा का लण्ड मम्मी की चूत में किसी पिस्टन की माफिक अंदर बाहर हो रहा था। मामा ने मम्मी के दोनों चूतड़ अपनी हथेलियों में जकड़ रखे थे, ऐसा लग रहा था मानो मामा मम्मी को अपने चंगुल से निकलना ना देना चाहते हों, लेकिन मम्मी जिस तरह की आवाजें निकाल रही थीं, और जो कुछ बोल रहीं थीं, उस से साफ लग रहा था कि मम्मी जो कुछ हो रहा था उसका पूरा मजा ले रहीं थीं, और मामा ने सिर्फ अपनी पकड़ बनाये रखने के लिये उनको जकड़ रखा था।
“ओह चंदर,” मैंने मम्मी को कहते हुए सुना, “बहुत मजा आ रहा है,” मम्मी गहरी गहरी साँसे भरते हुेए बोले जा रही थीं, “तुम तो बहुत मस्त चोदते हो मेरी जान, चंदर ऐसे ही चोदते रहो, मेरी तो तुम जान निकाल देते हो, दो बार तो मैं झड़ ही चुकी हूँ, और एक बार फिर से झड़ने वाली हूँ!” मम्मी मस्ती में कराहते हुए बोले जा रही थीं, “इस बार लगता है, बहुत अच्छी तरह से झड़ने वाली हूँ।”
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