RE: bahan ki chudai भाई बहन की करतूतें
जिस तरह कुछ देर पहले उन दोनों की चुदाई देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था, उसी तरह जब मेरे मन में ये विचार आया कि मम्मी की चूत अभी भी चंदर मामा के वीर्य से भरी हुई होगी, और अभी भी चंदर मामा का लण्ड और टट्टे अभी भी मम्मी की चूत के रस से सने हुए होंगे, तो ये सोचकर ना जाने क्यों मेरे बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गयी।
मम्मी के चाल अभी भी किसी कँवारी कमसिन लड़की की तरह शर्मीली थी, वो जब चलतीं तो उनकी मैक्सी उनकी टाँगों से इस कदर लिपट जाती, और उनकी मटकती हुई गाँड़, उनकी चाल को और भी मस्त बना देती। मम्मी और चंदर मामा आँगन से उठकर अंदर आ गये, मामा ने मेन गेट से बाहर निकलने से पहले एक बार फिर से मम्मी को होंठो को हौले से प्यार से चूम लिया, और दूर होने से पहले एक बार मम्मी को आँखों में आँखें डालकर देखा। उन दोनों के इस तरह देखकर ऐसा लग रहा था कि उनके बीच सिर्फ हवस पुर्ति के लिये शारीरिक सम्बंध नहीं थे बल्कि वो सचमुच एक दूसरे को दिल से प्यार करते थे, मम्मी को खुश देखकर मुझे भी मन ही मन खुशी हुई। मामा के जाने के बाद मम्मी ने मेन डोर बंद किया और अपने कमरे में जाकर सो गयीं।
जब से मैंने और प्रीती ने मम्मी के रूम के दरवाजे की झिर्री में से झाँक कर अंदर होती कामक्रीड़ा को देखना शुरू किया था, तब से अब तक हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई थी। मुझे लगा था कि मम्मी और मामा ने ड्रॉईंगरूम में लगे टीवी पर वो पॉर्न मूवी देखना शुरू किया होगा, और जब मामा का लण्ड टनटना हो गया होगा, और मम्मी चुदासी हो गयीं होंगी तो वो मम्मी के रूम के अंदर जाकर वो पॉर्न मूवी देखने लगे होंगे। “देखा तुमने उन दोनों को?” प्रीती ने कहा, “और चुदने के बाद मम्मी की चाल देखी!”
“हाँ, मुझे तो कोई बदलाव नजर नहीं आया,” मैंने कहा। मम्मी को चंदर मामा से चुदते हुए देखकर मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था, और पाजामे में तम्बू बना रहा था।
“मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है, ऊँगली डालकर पानी निकालने का बहुत ज्यादा मन कर रहा है,” प्रीती ने कहा, हाँलांकि मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था, लेकिन जिस अंदाज में प्रीती ने कहा, बरबस मेरी हँसी छूट गयी। “लगता है, अकेले बस मेरा ही मन नहीं कर रहा,” प्रीती ने अपना बचाव करते हुए कहा, और मेरे लण्ड जिसने पाजामे में तम्बू बना रखा था, उसके ऊपर अपना हाथ रख दिया।
प्रीती ने बिना कुछ बोले मेरी आँखों में आँखें डालकर एक पल देखा, और फिर बोली, “मुझे एक आईडिय़ा आया है,” फिर मेरी अँधेरे में मेरी तरफ घुमकर बोली, “चलो बैड पर चलते हैं, वहाँ चिपककर एक दूसरे को करेंगे।” उसने मेरी तरफ देखा, मानो मेरी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही हो।
“लेकिन अगर तुम मेरे करने से नहीं झड़ी तो?” मैंने पूछा। मैं तो तैयार था, लेकिन मुझे डर इस बात का था कि मेरे प्रीती की चूत में उँगली करने से वो झड़गी या नहीं।
“मुझे तो पूरा विश्वास है कि मैं तुम्हारा लण्ड हिला हिला के उसका पानी निकाल दूँगी,” प्रीती स्टाईल में बोली, “और अगर तुम्हारे मेरी चूत में ऊँगली करने से भी मेरी चूत ने पानी नहीं छोड़ा, तो मैं अपने आप हो जाऊँगी,” मानो ऐसा करना तो नॉर्मल सी बात हो। प्रीती मे मेरे गले में अपनी बाँहें डाल दीं, और अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास ले आयी, और फिर मेरी आँखों में आँखें डालकार बोली, “तैयार हो? तो फिर चालू करें?”
मैंने प्रीती को होंठो पर किस करते हुए कहा, “अच्छा प्लान है, चलो, ट्राई करते हैं, मजा आयेगा।”
अंधेरे में प्रीती अपने बैड पर चढ कर बैठ गयी, और उसने अपनी चप्पल उतार दीं, और अपने पैर बैड के ऊपर कर लिये। बाहर आंगन में जले बल्ब की रोशनी जितनी खिड़की से अंदर आ रही थी, कमरे में बस उतना ही उजाला था। प्रीती मुस्कुराई और फिर बैड के राईट साईड में लेट गयी, उसने अपनी टाँगें घुटनों से मोड़ लीं, और अपने गाऊन को ऊपर कर लिया, जिससे उसकी नीचे पहनी हुई सफेद कॉटन की पैण्टी साफ नजर आने लगी। मेरे अंदर कामाग्नि की ज्वाला जलने लगी, मैंने उसके बैड के पास जाकर अपनी चप्पल उतारीं और उसके पास जाकर लेट गया। मैंने अपनी बाँयी तरफ करवट लेकर अपना चेहरा प्रीती के चेहरे के सामने कर लिया। प्रीती ने मेरे होंठो को चुम लिया, मैंने भी बिना कोई वक्त गँवाये अपना एक हाथ उसकी बाँयी जाँघ पर रखकर उसको सहलाते हुए, उसकी कोमल मखमली त्वचा का स्पर्ष सुख लेने लगा, मेरे पूरे बदन में आग लगने लगी थी। मैंने अपना राईट हैण़्ड उसके गाऊन के अंदर घुसाकर उसकी मस्त गाँड़ की गोलाइयों को कॉटन पैण्टी के ऊपर से ही सहलाते हुए मसलने लगा। मेरा उसके चूतड़ों को सहलाना था कि प्रीती ने धीरे से मेरे पाजामे और बॉक्सर की इलास्टिक में अपना हाथ डालकर मेरे लण्ड को अपने हाथ में ले लिया।
जब मैं प्रीती के चूतड़ों को मसल रहा था, तब हम दोनों ने एक दूसरे को फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया, हमारी जीभ एक दूसरे की जीभ के साथ अठखेलियाँ करने लगीं, जब प्रीती मेरे लण्ड को पकड़ कर उसकी लम्बाई और मोटाई को मेहसूस कर रही थी, तभी मैंने पीछे से उसकी पैण्टी के अंदर हाथ घुसाकर उसके नितम्बों को बिना किसी अवरोध के सहलाना और मसलना शुरू कर दिया। मेरे होंठो को चूमते हुए प्रीती ने मेरे बॉक्सर के अंदर अपने हाथ के अंगुठे से मेरे लण्ड के सुपाड़े को घिसना शुरू कर दिया, और लण्ड के शिश्न से लीक कर रहे प्रीकम को पूरे सुपाड़े पर फैलाकर उसको चिकना करने लगी। अपने होंठो को मेरे होंठो से दूर ले जाते हुए वो फुसफुसाते हुए बोली, “तुम्हारा लण्ड तो चोदने को एकदम बेकरार हो रहा है, विशाल।”
“तुम्हारा भी तो मन कर रहा है ना?” मैंने कहा, और फिर उसके पिछवाड़े से पैण्टी में से हाथ निकालकर मैंने आगे की तरफ उसकी दोनों जाँघों के बीच ले आया, जिससे उसके चूत के उभार को छू कर सहला सकूँ। कॉटन पैण्टी के ऊपर से ही हाथ को जब मैंने उसकी चूत के ऊपर सहलाना शुरू किया, तो मुझे पता चला कि उसकी चूत ने पनिया कर किस कदर उसकी पैण्टी को गीला कर रखा था, उसकी चूत कुछ ज्यादा ही लिसलिसा पानी छोड़ रही थी, और मैंने कहा, “तम्हारी चूत तो बहुत ज्यादा पनिया रही है, ये तो मेरे से भी ज्यादा बेकरार हो रही है।”
प्रीती के चेहरे पर एक अलग ही तरह के भाव प्रतीत हुए, शायद वो किसी चीज के होने का इन्तजार कर रही थी, या वो चाहती थी कि मुझे कुछ पता चले, पता नहीं, लेकिन वो क्या सोच रही थी, उसने इस बारे में कुछ नहीं कहा। कॉटन पैण्टी के ऊपर से ही मैं उसकी चूत को सहला रहा था, और ना जाने क्यों मुझे वो कुछ ज्यादा पनियाती हुई प्रतीत हो रही थी, पैण्टी के अन्दर उसकी चूत की दोनों फाँकें पूरी तरह पानी में भिग चुकी थीं, जैसे ही पैण्टी के साईड से मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत को छूने के लिये अंदर घुसाई, तो मुझे झाँट का एक भी बाल मेहसूस नहीं हुआ।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, मैंने उसको मुस्कुराते हुए पाय़ा, मैंने उसके होंठो को एक बार फिर से चूम लिया, और फिर अपना हाथ उसकी कमर पर लाते हुए सामने की तरफ उसकी पैण्टी की इलास्टिक पर ले आया, और फिर पैण्टी के अंदर हाथ घुसा दिया। मुझे वहाँ झाँटो का नामोनिशान तक नहीं मिला, और मेरी ऊँगलियां सीधे उसकी चूत के ऊपरी चिकने हिस्से जहाँ से फाँके शुरू होती हैं, वहाँ तक पहुँच गयीं, क्या मस्त चिकनी चूत पर हाथ फिराने में मजा आ रहा था।
मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “लगता है तुमने अपनी झांटे साफ की हैं?” प्रीती ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हाँ, आज ही मैंने और पूनम ने एक साथ की थीं।”
“दोनों ने एक साथ?” मैंने पूछा।
“हाँ,” प्रीती ने शैतानी भरे अंदाज में कहा, “हम दोनों उसके पापा की छुपाई हुई पॉर्न मैगजीन को देख रहे थे तो उसमें हर लड़की ने अपनी झाँटें साफ कर रखी थीं, तो हमने भी सोचा कि हम भी कर लेते हैं। उसके घर में और कोई नहीं था, इसलिये हम दोनों ने उसके बैडरूम में ही झाँटों की शेविंग कर ली।”
मैंने हँसते हुए कहा, “अपने भाई को नहीं दिखाओगी अपनी चिकनी चूत?”
“कितनी बार तो देख चुके हो, लो आज बिना झाँटो के भी देख लो,” प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा, और फिर पींठ के बल होकर उसने झुककर अपना एक हाथ से बैडसाइड लाइट जला दी। मैं प्रीती कि टाँगों के बीच आ गया, और उसने पहले अपने गाउन को ऊपर किया, और फिर मेरी तरफ देखा, मानो कह रही हो, लो उतार दो मेरी पैण्टी, और देख लो मेरी चिकनी चूत। उसकी चूत बेहद पनिया रही थी, और पैण्टी भीगकर उससे चिपक गयी थी। मैंने केले के छिलके की मानिंद उसकी पैण्टी को नीचे कर उतार दिया, चूत के छेद में से निकल रहे लिसलिसे चिकने पानी ने उसकी कॉटन पैण्टी को अपने से चिपका लिया था।
प्रीती की चूत पूरी तरह से शेव की हुई चिकनी हो रखी थी, और पिछली बार जहाँ मैंने झाँटों का त्रिकोण देखा था, वहाँ इस समय उसकी एकदम चिकनी स्किन दिखाई दे रही थी, यहाम तक की उसकी चूत की दोनों फाँके पर भी एक भी बाल नहीं था। “बड़ी अच्छी शेविंग की है तुमने तो,” मैंने उसकी चिकनी चूत को निहारते हुए मुस्कुरा कर कहा।
“पूनम ने हैल्प की थी मेरी,” प्रीती ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, “हम दोनों ने क दूसरे को हैल्प किया।” जब वो दोनों एक दूसरे की झाँटे साफ कर रही होंगी, उसका एक काल्पनिक चित्र मेरे दिमाग में कौंध गया, और मैंने उसके चेहरे की तरफ देखकर, ठण्डी आह भरते हुए कहा, “काश उस वक्त मैं भी वहाँ पर होता।”
“पता नहीं पूनम तुमको ऐसा करते हुए देखने देती या नहीं,” प्रीती ने मुझे चिढाते हुए जवाब दिया, “और उसको तो ये भी नहीं पता कि तुम मेरी चूत देख चुके हो, पर वो शायद ही तैयार होती।”
प्रीती की शेव की हुई चूत बेहद खूबसूरत लग रही थी, मैंने झुककर उसकी चूत के झांटरहित चिकने उभार को चूम लिया, और उसकी चूत की गंध को सूंघने लगा, हांलांकि जब वहाँ पर झाँटे थीं, तो वो उस गंध अपने अंदर बेहतर ढंग से समाये रखती थीं। पता नहीं प्रीती की उस शेव की हुई चिकनी चूत में क्या कशिश थी कि जब मैं उस चूत की दरार को निहार रहा था तो बरबस मेरा मन उसको चोदने का कर रहा था, बस मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी टाईट चूत के मुखाने को खोलते हुए अंदर घुसकर, हल्के हल्के झटके मारते हुए, उसकी चूत की फाँकों को बस सुपाड़े से घिसते हुए, चूत के मुँह पर ना कि चूत के अंदर वीर्य निकालने का मन कर रहा था, लेकिन जिस तरह पिछले शनिवार को ही प्रीती ने कहा था कि अब हम चुदाई नहीं करेंगे, तो मैंने मन ही मन सोचा कि शायद ऐसा कभी ना हो पायेगा। ये सब सोच कर ही मैं उत्तेजित हो गया, और मुझे लगा शायद प्रीती मुझे ऐसा करने दे, इस मंशा से चूत के बाहरी मोटी फाँको प्यार से चाटने के लिये मैं अपना मुँह नीचे ले आया। और फिर किसी आईसक्रीम की तरह कुछ देर प्रीती की चूत के बाहरी हिस्से को जीभ के नुकीले अग्रभाग से चाटने लगा।
प्रीती की चूत के वो अंदरूनी हिस्से जो हमेशा झाँटो से ढककर छुपे रहते थे, उनको चाटने के बाद उसकी चूत के दाने और चूत के अंदरूनी होंठो के बीच रिस रहे चिकने पानी को चाटने के लिये मैं थोड़ा आगे बढा। जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी चूत के दाने को छुआ, प्रीती कसमसाते हुए बोली, “थोड़ा ध्यान से विशाल, छिल ना जाये।”
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