bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 04:35 PM,
#18
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बिहारी: बैठो बिटिया मैं तुम्हारे लिए पानी लाता हूँ. 

आशना: नहीं काका अभी पीकर ही आई हूँ. 

बिहारी: बहुत लेट हो गई तुम, मुझे लगा शायद सो गई होगी. मैं भी सोने ही वाला था कि तुम आ गई. 

आशना: नहीं काका वो डॉक्टर. बीना का फोन आया था, वीरेंदर के ट्रीटमेंट के बारे मे समझा रही थी.. आशना ने बड़ी सफाई से झूठ बोल दिया जबकि वो यही सोचे जा रही थी कि बिहारी काका ने उसे अपने कमरे मे क्यूँ बुलाया है. 

बिहारी: कोई बात नहीं, बैठो. 

आशना बेड के पास लगे सोफे पर बैठ गई. उसके आगे मेज़ पर एक शराब की बोतल और खाली ग्लास रखा था. शराब काफ़ी महँगी लगती थी और ग्लास में कुछ शराब होने के कारण आशना समझ चुकी थी कि काका शराब पी रहे थे. आशना बड़ा अनकंफर्टबल फील कर रही थी काका के आगे. वो डर रही थी कि अगर काका ने कोई ग़लत हरकत की तो वो कैसे अपने आप को सच्चा साबित कर पाएगी क्यूंकी वीरेंदर तो उस से यही पूछेगा इतनी रात को आशना उसके कमरे मे क्या कर रही थी. 

बिहारी: वो माफ़ करना बिटिया कभी कभी पी लेता हूँ जब बहुत ज़्यादा खुश होता हूँ या बहुत ज़्यादा उदास. आज तो मेरी लिए खुशी का दिन है, मालिक ठीक होकर घर पर आ चुके हैं. 

आशना: कोई बात नहीं काका. 

बिहारी उसके लेफ्ट साइड पर आके सोफे के साथ लगे बेड पर बैठ गया. आशना ने वोही दोपहर वाली पिंक टी-शर्ट पहनी थी और जॅकेट वो उपर ही भूल आई थी. बिहारी उसके लेफ्ट साइड पर बैठा था जिस से बिहारी की नज़र आशना के क्लीवेज पर पड़ी जो कि आशना के बैठने से बाहर की तरफ उभर आई थी. आशना ने झट से काका की नज़रें पढ़ ली पर वो इसी वक्त कुछ रियेक्शन करती तो उसे खुद भी ज़िल्लत उठानी पड़ती और काका भी झेन्प जाते. 

आशना: बोलिए काका, क्या कम था आपको मुझसे. 

बिहारी उसकी आवाज़ सुनकर एक दम अपना ध्यान आशना के बूब्स से हटाता है और बोलता है. 


बिहारी: अब तुम्हें ही कुछ करना होगा मालिक के लिए. 

आशना: मैं समझी नहीं. 

बिहारी: देखो मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं पर जितना डॉक्टर. ने मुझे बताया उससे मैं यह अंदाज़ा तो लगा ही सकता हूँ कि वीरेंदर बाबू को कोई बीमारी नहीं है. बस उनकी कुछ ज़रूरतें हैं जो पूरी नही हो रही. 

आशना ने सिर झुका कर कहा: लेकिन काका मैं इस बारे मे उनकी क्या मदद कर सकती हूँ. 

बिहारी: देखो आशना, इतनी नासमझ तो तुम हो नहीं कि मेरी बात का मतलब ना समझो पर खैर कोई बात नहीं मैं तुम्हे समझाता हूँ. आशना एक दम हैरान होकर बिहारी काका की तरफ देखने लगी क्यूंकी दिन भर बिटिया-बिटिया बुलाने वाले काका एकदम उसका नाम लेकर बात कर रहे थे.
आशना डर के मारे काँपने लगी. बिहारी उसकी हालत समझते हुए बोला: डरो नहीं, मैं तुमसे कोई भी काम ज़बरदस्ती नहीं करवाउंगा पर अगर तुम वीरेंदर बाबू को पूरी तरह ठीक करने मे मेरी मदद करो तो मैं वादा करता हूँ कि तुम्हें ज़िंदगी भर काम करने की ज़रूरत ही नहीं रहेगी. आशना मूह फाडे बिहारी की बातें सुन रही थी, उसके गले से शब्द ही नही निकल पा रहे थे. वो काका की बातों का मतलब भली भाँति समझ रही थी. उसके दिल के किसी कोने में यह ख़याल तो कुछ दिनों से घर कर ही गया था पर वो इसे नकार रही थी, आख़िर वीरेंदर भाई था उसका. पता नहीं काका क्या क्या बोले जा रहे थे पर उनकी आख़िरी बात ने उसे चौंका दिया "आशना अगर तुमने मेरी बात मान ली तो मैं वादा करता हूँ कि वीरेंदर बाबू तुम्हे अपनाए या ना अपनाए पर मैं तुम्हें समाज मे इज़्ज़त दिलवाउन्गा और ज़रूरत पड़ने पर तुम्हारे बच्चो को मैं अपना नाम देने को तैयार हूँ. आशना का पहले तो मन किया कि खैंच के एक ज़ोरदार थप्पड़ बिहारी के गाल पर मारे पर उसने अपने आप को रोक लिया, क्यूंकी अगर बात बिगड़ गई तो फिर आशना को अपनी सफाई देनी मुश्किल हो जाएगी कि वो इतनी रात को बिहारी के कमरे में बिहारी काका से साथ क्या कर रही थी जब कि बिहारी इस समय शराब पी कर धुत था. 

बिहारी अपनीी बात बोलकर चुप हो गया और आशना की तरफ देखने लगा. आशना की साँसे तेज़ चल रही थी जिससे उसके उन्नत वक्ष उसकी टी-शर्ट मे हिल रहे थे. बिहारी बड़े ही ध्यान से उन्हे एकटक देखे जा रहा था. आशना ज़्यादा देर तक वहाँ बैठ ना सकी क्यूंकी अब उसे बिहारी काका की हवस भरी नज़रो मे उतावलापन नज़र आ रहा था. वो उठकर जैसे ही जाने को हुई. बिहारी बोला: कोई जल्दी नहीं है, तुम सोच समझ कर फ़ैसले लो. लेकिन इतना याद रखना कि तुम्हे मालामाल कर देंगे और तुम्हे अपनाने के लिए मैं तो हूँ ही ना अगर वीरेंदर बाबू ने तुम्हे बाद मे ठुकरा भी दिया तो. एक एक शब्द आशना की आत्मा को छल्नि कर रहा था. आशना दौड़ कर सीडीयाँ चढ़ने लगी तो बिहारी ने आवाज़ लगा कर कहा कि उपर आपके रूम मे दूध भी रखा है. अगर पिया नहीं तो अब पीकर सो जाना, नींद अच्छी आ जाएगी. आशना ने कोई जवाब नहीं दिया और भाग कर अपने कमरे मे आई और अंदर आते ही आशना धडाम से बेड पर पेट के बल गिरी और सिसक उठी. 

यह उसके साथ क्या हो रहा है. क्यूँ वो इस जगह आई, वो तो बहुत खुश थी अपनी उस छोटी सी दुनिया मे. वहाँ उसे कोई पाबंदी नहीं थी, वो वहाँ पर एक आज़ाद ज़िंदगी जी रही थी मगर यहाँ आते ही उसकी ज़िंदगी ने एक अलगा ही रुख़ ले लिया था. पहले उसे अपने ही भाई के घर मे झूठ बोलकर घुसना पड़ा और फिर अब वो अपनी नौकरी भी छोड़ चुकी थी. हालाँकि आशना के लिए नयी नौकरी ढूँढना कोई बड़ा मुश्किल काम नहीं था. अभी भी एक एरलाइन्स का ऑफर उसके पास था मगर वो यहाँ से जा भी तो नहीं सकती थी वीरेंदर को इस हालत मे छोड़कर. वो यह भी जानती थी कि यहाँ रुकना भी उसके लिए ठीक नहीं रहेगा. आख़िर वो कब तक वीरेंदर से सच छुपाकर रखेगी. उसे वीरेंदर से सच बोलने मे भी अब कोई प्राब्लम नहीं थी पर वो परेशान थी तो बिहारी की बातों से. कैसे उस इंसान ने सॉफ शब्दों मे आशना को समझा दिया कि उसे वीरेंदर की रखैल बनकर इस घर में रहना पड़ेगा और अगर वीरेंदर ने आशना से बेवफ़ाई की और इस सौदे मे वो प्रेग्नेंट हो गई तो बिहारी उससे शादी करके उसके बच्चों को अपना नाम दे देगा आशना काफ़ी देर तक सोचती रही और घुट घुट कर रोती रही. फिर उसे नीचे मैन दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. आशना ने सोचा बुड्ढ़ा शराब पीकर कहीं जा रहा होगा. आशना जो कि बिहारी की इज़्ज़त करती थी उसकी इस हरकत से बिहारी उसकी नज़रो से गिर चुका था. वो जान चुकी थी बिहारी की गंदी नज़र उसके जिस्म पर है. उसने बिहारी की आँखों मे हवस के लाल डोरे तैरते देखे थे जब वो उससे बात कर रहा था. आशना मन मैं सोचने लगी कि हवस इंसान को कितना अँधा बना देती है. वो इंसान यह भी नही सोचता कि सामने उसकी बेटी है या बेटी जैसी कोई और. 

काफ़ी देर यूँही अपना मन हल्का करने के बाद आशना उठी और मूह धोने के लिए बातरूम मे चली गई. वॉशरूम मे मूह धोते हुए उसकी नज़र अपने चेहरे पर पड़ी. उसने अपने आप को ध्यान से देखा और सोचने लगी : क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ कि एक बूढ़ा इंसान भी मेरी तरफ आकर्षित हो सकता है. ऐसा सोचते सोचते आशना रूम मे आई और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आप को देखने लगी. अपने जिस्म को प्यासी नज़रो से देखते हुए उसके गाल लाल होने लगे और उसकी साँसे भारी होने लगी. आज कितने दिन हो गये थे उसे अपने आप से प्यार किए हुए. यह सोचते ही आशना के शरीर मे एक बिजली की लहर सी दौड़ गई और अनायास ही उसके हाथ अपनी टी-शर्ट के सिरो को पकड़ कर उपर उठाते चले गये.

आशना ने टी-शर्ट सिर से निकाल कर उसे एक तरफ़ उछाल दिया और फिर अपनी पॅंट के बटन खोलने लगी. आशना का दिल काफ़ी ज़ोरों से धड़क रहा था, उसने पॅंट भी टी-शर्ट के पास उछाल दी और टेबल पर रखे दूध को एक ही घूँट मे पीकर रज़ाई मे घुस गई. आशना ने जैसे ही आँखे बंद की उसके हाथ अपने आप ही उसके अन्छुए कुंवारे बदन पर हर जगह छाप छोड़ने लगे. आशना की एग्ज़ाइट्मेंट बढ़ती ही जा रही थी. अपने ब्रा कप अपने बूब्स से हटा कर उसने अपने गुलाबी निपल्स को अपनी उंगलियो मे कस लिया जिससे वो और भी तन कर खड़े हो गये जैसे चीख चीख कर बोल रहे हों कि आओ और घोंट दो हमारा गला. जैसे ही आशना ने निपल्स पर अपनी गिरफ़्त बढ़ाई उसके गले से एक आह निकली जो कि एक घुटि चीख का रूप लेकर उसके होंठों तक आ पहुँची. आशना बहुत ही ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो चुकी थी. वो सेक्स के नशे मे अपने बूब्स को लगातार मरोड़ रही थी. आशना ने हाथ पीछे लेजाते हुए अपने ब्रा के हुक्स खोल दिए और ब्रा को अपने कंधे से निकाल कर एक ओर उछाल दिया. अब आशना केवल एक पैंटी मे रज़ाई के अंदर रह गई थी. आशना ने अपने पैर के पंजो पर वेट डाल कर अपनी आस को हवा मे उठाया और धीरे धीरे से अपनी पैंटी भी उतार दी. जैसे जैसे पैंटी उसके बदन का साथ छोड़ रही थी आशना की साँसें तेज़ होने लगी. पैंटी को एक साइड पर फैंकते ही उसने अपनी दोनो टाँगे ज़ोरे से भींच ली जैसे कोई उसकी इस हरकत को देख रहा हो.वो इस वक्त ऐसा महसूस कर रही थी कि वो इस कमरे मे अकेली नहीं कोई और भी उसके साथ है. इस सोच ने उसे और भी रोमांचित कर दिया. उसका चेहरा एक दम आग उगल रहा था और निपल्स तन कर डाइमंड की तरह हार्ड हो गये थे. आशना जानती थी कि अब वो नहीं रुक पाएगी. धीरे धीरे आशना के थाइस का फासला बढ़ता गया और एक वक्त ऐसा आया कि आशना की दोनो टाँगो के बीच काफ़ी जगह बन गई. आशना ने अपने बाएँ हाथ की छोटी उंगली अपनी पुसी की दर्रार मे चलानी शुरू कर दी. लेकिन उसकी पुसी के बाल उसे पूरी तरह उलझाए हुए थे. धीरे धीरे उसने बालों को एक साइड करके अपनी उंगली के लिए जगह बनाई और जैसे ही उसने दरार मे उंगली उतारने की कोशिश की वो दर्द से कराह उठी. एग्ज़ाइट्मेंट मे उसने उंगली ज़्यादा अंदर घुसा दी थी. आशना ने फॉरन उंगली बाहर निकाली और उंगली की तरफ देखने लगी. आशना मन मे सोचते हुए: यह छोटी सी उंगली अंदर घुसने मे इतनी तकलीफ़ करती है तो तब क्या होगा जब इस मे कोई अपना पेनिस डालेगा. यह ख़याल आते ही उसे वीरेंदर की याद आ गई. आज तक आशना ने सिर्फ़ अपने आप को ही प्यार किया था पर आज उसे एक दम वीरेंदर की याद आ जाने से उसके तन बदन मे आग बढ़ने लगी. आशना ने लाख कोशिश की कि वो वीरेंदर के बारे मे ना सोचे पर इस वक्त दिल- दिमाग़ पर हावी हो रहा था. वीरेंदर का ख़याल आते ही उसकी हथेली अपनी पुसी पर चलने लगी. जैसे ही आशना ने अपनी आँखें बंद की उसे वीरेंदर का चेहरा दिखाई दिया और बस इतना काफ़ी था उसे उसके अंजाम तक पहुँचाने के लिए. उसकी आस हवा मे 5-6 बार उठी और फिर धीरे धीरे उसका शरीर ठंडा पड़ने लगा. जैसे ही आख़िरी धार उसकी पुसी ने छोड़ी आशना की आँखों के आगे बिहारी का चेहरा घूम गया. आशना ने डर कर एकदम आँखे खोल दी. धीरे धीरे उसने अपनी सांसो पर काबू पाया और फिर अच्छे से रज़ाई लेकर नींद की आगोश मे चली गई. 

अपने ही घर मे आशना का अपने साथ यह पहला प्यार था. वो जानती थी कि ऐसे कई दिन आएँगे जब उसे अपना सहारा बनना पड़ेगा क्यूंकी आशना जब भी फ्री होती उसे मास्टरबेशन करने का मन करता. उसे देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि इतनी भोली भली सी दिखने वाली लड़की सेक्स मे इतना इंटेरेस्ट रखती होगी.
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