bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 05:54 PM,
#40
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बिहारी ने घड़ी पर टाइम देखा तो सुबह के 5:00 बजने वाले थे.

बिहारी: अब साला सोना भी बेकार है. आज सुबह सुबह साहबज़ादे को उठाना भी है. फिर उठते ही अगर चाइ का कप ना मिला तो सुबह सुबह लेक्चर भी सुनना पड़ सकता है. अब कुछ है भी नहीं करने को, क्या किया जाए. तभी बिहारी के दिमाग़ मे एक बात आई "चल उपर चलकर देख ज़रा क्या आज भी आशना नंगी सोई है क्या". बिहारी ने अपना फोन स्विच ऑफ किया और उसे अपनी अलमारी में रखकर उपर की ओर चल दिया. बिहारी(मन मे सोचते हुए): साली ने बहुत तडपाया है आज पूरा दिन, इसको तो मैं ऐसे घुमा घुमा कर चोदने वाला हूँ कि साली को चक्कर आ जाएँ. यही सोचते हुए बिहारी उपर पहुँचा और सबसे पहले वीरेंदर का दरवाज़ा चेक किया जो कि अंदर से लॉक था. बिहारी दबे पावं आशना के कमरे के पास पहुँचा. दरवाज़े को धक्का देकर देखा तो वो खुलता चला गया. 

अंदर का नज़ारा देखते ही बिहारी की आँखें चमक उठी. रूम मे फैली रोशनी से वो आशना को सोए हुए देख सकता था. आशना का पूरा शरीर रज़ाई के अंदर था. बिहारी आगे बढ़ा तो उसकी नज़र ज़मीन पर पड़ी आशना की वाइट पैंटी और ब्रा पर पड़ी. 

बिहारी: यह साली रोज़ ऐसे ही नंगी होकर दरवाज़ा खोलकर सोएगी तो मेरा तो दिमाग़ ही सटाक जाएगा. बिहारी ने आहिस्ता से आशना की पैंटी उठाई और उसे सूँघा. कुँवारी चूत की महक से ही बिहारी के लौडे ने बग़ावत कर दी और पाजामे मे तन्कर बाहर आने की ज़िद करने लगा. बिहारी ने अपने पाजामे का नाडा ढीला किया और पाजामे को उतार दिया, अंडरवेर तो वो पहनता ही नहीं था. इस वक्त बिहारी के शरीर का सारा खून उसके लंड मे बह रह था. इतना अकड़ गया था कि उसे पकड़ कर कोई झूल भी जाता तो वो झुकता नहीं. आशना जैसी हसीन लड़की के सामने नंगा होना ही बिहारी के लिए बहुत बड़ी बात थी फिर चाहे वो सोई हुई क्यूँ ना हो. बिहारी ने आशना की पैंटी अपने लौडे पर लपेटी और उसके चेहरे को देखते हुए मूठ मारने लगा.


बिहारी ने काफ़ी कोशिश की कि वो आशना के नंगे शरीर को देख सके मगर उसे रज़ाई हटा कर देखने की हिम्मत ना हुई. अपने ख़यालो में ही उसके नंगे शरीर की कल्पना कर बिहारी मूठ मारे जा रहा था. बिहारी जैसा ताकतवर और तजुर्बेकार मर्द भी कुछ ही मिंटो मे आशना ने नंगे जिस्म की कल्पना से अपने अंदर उबाल महसूस करने लगा और झड कर अपने लावा को आशना की पैंटी मे उडेलने लगा. पैंटी को अच्छी तरह अपने वीर्य से तर करके उसने आशना की ब्रा और पैंटी एक टेबल पर अच्छे से रख दी और खुद अपना पाजामा लेकर आशना के रूम का दरवाज़ा बंद कर नंगा ही नीचे आ गया. नीचे आते ही वो धडाम से अपने बेड पे गिर गया और आशना के चेहरे को याद करने लगा. 


करीब 6:00 बजे आशना के मोबाइल का अलार्म बजा. आशना ने अलसाए हुए अलार्म बंद किया और एक अंगड़ाई ली. बीच अंगड़ाई में ही वो झटके से उठी और सीधा फर्श पर नज़र डाली. आशना के चेहरे पर हैरानी और मुस्कुराहट दोनो का मिश्रण देखते ही बनते था. अपनी पैंटी वहाँ ना पाकर वो काफ़ी खुश थी और हैरान थी कि वीरेंदर कब रूम मे आया उसे तो पता ही नहीं लगा. बड़ी गहरी नींद ने दबोच लिया था उसे. इस बार उसका वीरेंदर को रंगे हाथो पकड़ने का प्लान फैल हो गया था. आशना ने उठ कर सबसे पहले दरवाज़ा लॉक किया और रूम की लाइट ऑन कर दी. लाइट ऑन करके जैसे ही वो मूडी उसकी आँखे फटी की फटी रह गई. एक टेबल पर रखी उसकी ब्रा और पैंटी देख कर उसकी तो सांस हे अटक गई. वो समझ गई के भैया ने रात को उसके कमरे मे ही मास्टरबेट करके इन्हें यहाँ रख दिया. आशना इस ख़याल से ही शरमा गई कि उसके भैया ने उसके सामने ही मास्टरबेट कर दिया. आशना को यकीन ना हुआ कि उसके भैया ने उसे देख कर मास्टरबेट किया है. आशना ने जल्दी से पैंटी उठाई तो वीर्य की कुछ बूंदे पैंटी से टपक कर एक लंबा सा धागा बना कर नीचे की ओर गिर पड़ी. 

आशना: इसका मतलब भैया अभी सुबह ही आए होंगे, तभी तो यह इतनी गीली है. एक तरह से देखा जाए तो वो काफ़ी खुश थी कि वीरेंदर अब नॉर्मल ज़िंदगी की राह पर चल पड़ा है. चाहे वो अपनी बेहन के कारण हो पर उसकी बीमारी का इलाज तो हो ही रहा है और दूसरी तरफ आशना यह सोच रही थी कि वीरेंदर को यह बताना बहुत ज़रूरी हो गया है कि वो उसकी बेहन है. कहीं ऐसा ना हो जाए कि बहुत देर होज़ाये. अभी तक आशना खुद भी डिसाइड नहीं कर पाई थी कि वो वीरेंदर की मदद किस हद तक करेगी. उसने बस यही सोचा था कि वीरेंदर को एग्ज़ाइटेड किया जाए ताकि वो अपने स्पर्ंस रिलीस करने पर मजबूर हो जाए लेकिन उसके आगे बढ़ने के लिए वो शायद सोच भी नहीं सकती थी. वो जानती थी कि वीरेंदर उस से प्यार करने लगा है, लेकिन वो यह नहीं जानता था कि जिस लड़की से वो प्यार कर बैठा है वो उसकी बेहन है. इस लिए आशना चाहती थी कि उनका रीलेशन बस यहाँ तक ही रहे, इस से आगे बढ़े तो वो अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाएगी. 

उसने डिसाइड कर लिया कि जैसे हे वीरेंदर भैया ठीक हो जाएँगे, वो उनके लिए कोई अच्छी सी लड़की देख कर उनकी शादी करवा देगी और उनकी ज़िंदगी से ऐसे निकल जाएगी जैसे वो अब तक थी. उसने मन मे ठान लिया कि जब तक हो उसे वीरेंदर की दोस्त बनकर रहना होगा और अगर वीरेंदर आगे बढ़ने की कोशिश करेगा तो कोई भी बहाना बना कर उसकी ज़िंदगी से हमेशा के लिए चली जाएगी. वो अब इस कदर फस गई थी कि वीरेंदर को नहीं बता सकती थी कि वो उसकी बेहन है. अपने दिमाग़ मे सारी प्लॅनिंग करने के बाद उसने अपनी पैंटी उठाई और उसे भी वहाँ रख दिया जहाँ दूसरी पैंटी को रखा था. वो अपने दिमाग़ मे उठे इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रही थी कि जब उसे यहाँ से जाना ही है तो वो क्यूँ यह पॅंटीस संभाल कर रख रही है. 

उसने इस सवाल को अपने दिमाग़ से झटका और बाथरूम मे घुस गई. करीब 6:30 बजे तक वो बिल्कुल तैयार थी. उसने पिंक ब्रा और वोही पुरानी वाली पैंटी अपनी ड्रेस के अंदर पहन ली थी. आज आशना ने लोंग येल्लो स्वेटर-शर्ट पहनी थी जिस पर वाइट कलर्स का फ्लवर पॅटर्न था और नीचे गरम कपड़े की फ्लेक्सिबल वाइट कलर की चूड़ीदार पजेयमी पहनी थी. शर्ट उसके घुटनो के उपर तक थी और साइड्स से बिल्कुल बंद थी. शर्ट उसके वक्षों और नितंबो पर काफ़ी कसी हुई थी और उसकी फिगर को और भी अट्रॅक्टिव बना रही थी. नीचे पहनी पजेयमी भी उसकी जाँघो पर काफ़ी टाइट थी पर फ्लेक्सिबल होने के कारण उसके जिस्म से ऐसी चिपक गई थी जैसे कि उसकी स्किन. ठीक 6:30 बजे आशना तैयार होकर रूम से बाहर निकली तो देखा के बिहारी हाथ मैं तेरी लिए दो कप चाइ लेकर उपर आ रहा है. 

आशना के कदम वहीं ठिठक गये और फिर उसने सारे ख्यालों को झटकते हुए बिहारी को आवाज़ लगाई.

आशना: काका यह ट्रे मुझे देदो और जिम का लॉक खोल दो, वीरेंदर जी को मैं चाइ दे देती हूँ. 

बिहारी उसकी आवाज़ सुनकर एक दम उपर की तरफ देखने लगा जहाँ आशना खड़ी थी. सुबह सुबह उसे इतना फ्रेश देख कर तो एक पल के लिए बिहारी के मन ही डोल गया. कर्ली बाल उसपर पानी की बूँदें और फिर उसपर एकदम उजली हुई ड्रेस देख कर बिहारी सोचने लगा के अगर कोई स्वर्ग की अप्सरा भी यहाँ आ जाए तो आशना से जलने लगे.

बिहारी: हां, हां बिटिया, यह लो. 

आशना: थॅंक यू काका. बिहारी का मन प्रसन्न होगया. 

बिहारी: लगता है इसने मुझे माफ़ कर दिया है. आख़िर करती क्यूँ ना?. दौलत का लालच तो अच्छे अच्छों को हो जाता है. पैसे चीज़ ही ऐसा है. बिहारी मन मे अपनी जीत की खुशी लेकर पीछे बने जिम का लॉक खोलने चल देता है. 

आशना भी हैरान थी कि आज बिहारी की नज़रो में उसे गंदगी नहीं दिखी. क्यूंकी अक्सर बिहारी की नज़र उसपर पड़ते ही वो जान जाती कि बिहारी उसके कॉन से हिस्से को देख रहा है पर आज तो बिहारी ने उसके चेहरे से नीचे देखा ही नहीं और ना मेरे मुड़ने का इंतज़ार किया ताकि वो मुझे पीछे से घूर सके. 
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