bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 05:54 PM,
#42
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना ने एक बार बिहारी की बात पर गौर किया और फिर सिर झटक कर उसकी बात कान से निकाल दी. 

आशना: देसी घी में बनाना वीरेंदर के लिए परान्ठे. इतनी कसरत करते हैं तो शरीर को घी भी तो चाहिए और वैसे भी बीमारी की वजह से काफ़ी कमज़ोर भी हो गये हैं. 

बिहारी: बहुत घी है उनके अंदर, तभी तो इतनी कसरत करनी पड़ती है उन्हे. 

आशना बिहारी की बात सुनकर सोच में पड़ जाती है. उसे लगता है शायद बिहारी जानता नहीं कि किसी के साथ कैसी बात की जाती है, वो उसे गँवार समझ कर उस की डबल मीनिंग बातों को लाइट्ली लेने लगती है. 

काका: वीरेंदर ने शादी क्यूँ नहीं की, अब तो उनकी उमर भी काफ़ी हो गई है. 

बिहारी: पता नहीं बिटिया, पर जब से छोटे मालिक के परिवार के साथ वो हादसा हुआ है वो काफ़ी टूट गये हैं. पहले तो फिर भी मेरी बात सुनते थे पर जब मैने उनको शादी के लिए ज़ोर देना शुरू किया तो वो मुझसे भी कम ही बात करते है. अब तो ऐसा है कि वीरेंदर बाबू सिर्फ़ कम होने पर ही मुझसे बात करते हैं. 

आशना: लेकिन इस से तो कोई हल नहीं निकलेगा. 

बिहारी: मैं जानता हूँ बिटिया. इसी लिए उस दिन परेशान होकर नशे मे तुमसे ऐसी बात कर बैठा. मालिक की यह हालत अब मुझसे देखी नहीं जाती. मुझे तो यह लगता है कि वीरेंदर बाबू शायद ही कभी शादी करेंगे. 

आशना: ऐसा क्यूँ??. 

बिहारी: सुना है कि वीरेंदर बाबू किसी लड़की से प्यार करते थे, उस लड़की ने इन्हे धोखा दे दिया तब से वीरेंदर बाबू अकेले ही जिए जा रहे हैं और अंदर ही अंदर घुटे जा रहे हैं. 

आशना: काका, क्या अपने उस लड़की को देखा था? 

बिहारी: अब इतना याद तो नहीं लेकिन यहीं पास में ही रहती थी. काफ़ी छोटी थी जब मैने उसे देखा था. फिर वो अपनी पढ़ाई करने कहीं चली गयी और उसके बाद तो कहीं मिली भी होगी तो मैं नहीं जानता. आशना बिहारी की बातें सुनकर अंदाज़ा लगाती है कि बिहारी को इस मामले में ज़्यादा पता नहीं होगा. 

आशना: लेकिन कभी ना कभी तो उन्हे शादी करनी ही पड़ेगी ना. आज नहीं तो कल उन्हे सहारे की ज़रूरत तो पड़ेगी ना. 

बिहारी: मैने लाख समझाया पर वीरेंदर बाबू है कि टस से मस नहीं होते. इसी लिए उस दिन वीरेंदर बाबू को तुमसे अच्छी तरह से बात करते देखा तो मैं रह नहीं पाया और तुम्हारे सामने इस तरह का प्रस्ताव रखा. मैं जानता हूँ कि किसी भी लड़की के लिए इस तरह का प्रस्ताव मानना बहुत मुश्किल है. मगर मैं समझता हूँ कि एक औरत को चाहिए ही क्या. दो वक़्त की रोटी और रहने को छत. मुझे पता है कि तुम बहुत महत्वाकान्छि लड़की हो मगर मैं यह भी जानता हूँ कि वीरेंदर बाबू का ख़याल तुमसे ज़्यादा और कोई नहीं रख सकता. 

आशना, बिहारी की इस बात से चौंक जाती है. आशना: वो कैसे?. 

बिहारी ने बात संभालते हुए कहा डॉक्टर. जी ने बताया के तुमने खुद ज़िद करके वीरेंदर बाबू की देख-भाल करने के लिए अपना नाम उन्हे सुझाया है. भगवान करे तुम एक बहुत अच्छी डॉक्टर. बनो.

आशना सोचती है कि डॉक्टर. बीना को शायद बिहारी से झूठ बोलना पड़ा होगा ताकि बिहारी को कोई शक़ ना हो. 

आशना: वो तो ठीक है काका पर हमे कुछ तो करना ही होगा. 

बिहारी: देखो बिटिया, इतने सालो मे वीरेंदर बाबू की ज़िंदगी में कोई लड़की नहीं आई तो इतना तो तय है कि वीरेंदर बाबू किसी भी लड़की को अपने पास फटकने भी नहीं देंगे.तुम इस घर में इसलिए हो क्यूंकी तुम एक डॉक्टर. हो, तो फिर बताओ भला वीरेंदर बाबू की ज़िंदगी मे तुम्हारे सिवा कोई लड़की कैसे आ सकती है. 

आशना को भी बिहारी की बातों मे सच्चाई लगी. 

बिहारी: बेटी मेरी बात ग़लत ज़रूर है पर इसके अलावा मुझे कोई और रास्ता नज़र नहीं आता. हो सके तो मेरी बातों को अब ठंडे दिमाग़ से सोचना. 

तभी वीरेंदर घर में एंटर होता है. वीरेंदर: काका ऑरेंज जूस लाओ, बहुत पसीना निकल रहा है. 

आशना ने किचन से ऑरेंज जूस ग्लास मे डाल कर हाल मे बैठे वीरेंदर की तरफ बढ़ाया जो की आँखें बंद करके चेर पर टेक लगाए बैठा था. आशना के प्रफ्यूम की खुश्बू से उसने आँखें खोली तो सामने आशना को खड़ा पा कर मुस्कुराते हुए बोला. लगता है आप ने मेरी आदतें बिगाड़ने की ठान ही ली है. 

आशना: मैं कुछ समझी नहीं. 

वीरेंदर: डॉक्टर. आप भूल रही हैं कि आप बस कुछ दिन ही मेरी देखभाल के लिए आई हैं, सोचिए जब आप चली जाएँगी तो मेरा क्या होगा. यह सुनकर आशना को वास्तविकता का आभास हुआ. वो तो वाकई यहाँ कुछ दिनो के लिए ही आई है. 

आशना: अच्छा तो अब आप मुझे जल्दी से यहाँ से भेजना चाहते हैं. 

वीरेंदर:क्यूँ, आप नहीं जाना चाहती क्या?

वीरेंदर के इस सवाल से आशना के दिल की धड़कनें बढ़ गई और उसे कुछ जवाब देते ना बना.

आशना ने बात बदलते हुए कहा. बाद की बात बाद मे करेंगे मिस्टर. वीरेंदर, आप जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जाइए, काका ने आपका नाश्ते की तैयारी पूरी कर दी है. जल्दी से जाइए और जल्दी से आकर गरम गरम नाश्ता कर लीजिए. 

वीरेंदर: आज तो हमे आपके हाथ के परान्ठे ही खाने हैं. बना दोगि तो पेट भर कर खा लेंगे वरना आज तो पूरा दिन उपवास और इतना कह कर वीरेंदर सीडीयाँ चढ़ने लगा. 
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