bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 06:16 PM,
#99
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना(मन मे सोचते हुए):तुम्हारे सपनो की खातिर ही तो मैने अपना वजूद बदला है लेकिन मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि तुम्हारी मोहब्बत सच्ची है या झूठी. 

आशना अपने ख़यालो से बाहर आई जब दरवाज़े पर नॉक हुई. आशना साइड मे रखी एक चेयर पर बैठ गई और बोली "कम इन". दरवाज़ा खुलते ही सामने खड़े इंसान को देख कर आशना का कलेजा मुँह को आ गया.

सामने मोनू खड़ा था. मोनू ने आशना के चेहरे का उड़ता हुआ रंग देखा तो बोला"क्या हुआ दीदी??" 

आशना: कककुच नहीं, आओ मोनू भैया. 

मोनू अपनी सदाबहार स्माइल के साथ कमरे मे आया और बोला" दीदी प्रिया दीदी ने आपका समान और कल दोपहर की प्लेन टिकेट्स भेजी हैं और खाना भी लाया हुन्न आप दोनो केलिए"

वीरेंदर: अरे वाह, मोनू बॉस मुझे तो काफ़ी भूख लगी है, अच्छा किया तुम खाना लेकर आ गये. लेकिन खाने के पैसे तो तुम्हे कल हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर ही दे पाउन्गा. 

मोनू: क्या भैया, आप तो शर्मिंदा कर रहे हैं. यह तो मैं अपनी खुशी से लाया हूँ और इसके पैसे थोड़े ही लूँगा.

आशना: लेकिन तुमने समान लाने की तकलीफ़ क्यूँ की, हम कल आकर खुद ही ले जाते.

मोनू: वो दीदी, बाबा के सामने कोई तो बहाना मारना ही था वरना इस वक्त काम के टाइम वो मुझे थोड़े ही आने देते. मैने जब उनसे कहा कि आपको चेंज करने के लिए कपड़ो की ज़रूरत है तो उन्होने एक दम हां कर दी आपके लिए खाना भी भेज दिया. 

वीरेंदर: आशना, जल्दी से खाना लगा दो, मुझे बहुत भूख लगी है. 

आशना: वीरेंदर आपकी डॉक्टोरीप अभी शाम को ही उतारी गयी है और डॉक्टर. ने सिर्फ़ लाइट फुड खाने को ही कहा है. 

वीरेंदर: डॉक्टर. की ऐसी की तैसी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ अब. मुझे खाना नहीं मिला तो मैं बूख से पागल हो जाउन्गा. 

मोनू: आप चिंता ना करें दीदी मैं खाने मे पतली खिचड़ी ही लाया हूँ जो बाबू जी के लिए बिल्कुल ठीक रहेगी. 

वीरेंदर: हे भगवान, यह भाई बेहन तो मिलकर मेरे अरमानो का खून करके रहेंगे. 

आशना, वीरेंदर की बात का मतलब समझ गई लेकिन मोनू ना समझते हुए भी हँसने लगा. आशना चाहती थी कि मोनू जल्द से जल्द यहाँ से चला जाए ताकि कोई ऐसा बात ना हो जाए कि वीरेंदर को उसपर फिर से शक हो जाए. बड़ी मुश्किल से उसने पहले सिचुयेशन संभाली थी. 

आशना: मोनू भैया, हम सुबह आकर आपके बर्तन दे देंगे, अभी आप जाइए, देखो बाहर ठंड भी काफ़ी हो गई है और आपको तो सुबह स्कूल भी जाना है. 

वीरेंदर: अरे उसे थोड़ी देर बैठने तो दो, क्या इतनी जल्दी उसे निकाल रही हो. 

आशना कुछ ना बोल पाई. 

मोनू: नहीं भैया मुझे चलना चाहिए नहीं तो पिता जी की डाँट सुननी पड़ेगी. 

वीरेंदर: मोनू एक मिनट ज़रा तो इधर आना. 

आशना की सांस ही रुक गई यह सुनकर. 

मोनू वीरेंदर के पास गया. 

वीरेंदर: यह भी तुम्हारी दीदी है क्या? 

मोनू(हैरानी से): हां, क्यूँ??

वीरेंदर: बहुत अच्छा होगा अगर यह दीदी बोलने की आदत जल्द ही छोड़ दो वरना बहुत पछताओगे और यह कह कर वीरेंदर हंस दिया. 

आसना जल्दी से उठी और बोली: मोनू भैया आप जाइए नहीं तो यह ऐसे ही आपका मज़ाक उड़ाते रहेंगे.हम सुबह आपके पास बर्तन दे जाएँगे. 

मोनू वीरेंदर को हैरानी से देखता हुआ कमरे से बाहर निकल गया. आशना ने दरवाज़ा बंद करके राहत की सांस ली और वीरेंदर की तरफ पलटी. 

वीरेंदर: इतनी जल्दी भेज दिया उसे अभी कुछ देर और बैठने देती. 

आशना: ताकि आप उसकी और खिचाई कर सको, है ना??

वीरेंदर: यार इस लड़के ने तो मुझे बहुत बड़ी टेन्षन मे डाल दिया था, तभी तो मैं इसका पोपट बना रहा था. 

आशना(अंजान बनते हुए): वो कैसे???

वीरेंदर: इस साले ने, मेरा मतलब मेरे होने वाले साले ने मुझे यह कहा कि तुम वोही आशना हो जो कि मेरी चहेरी बेहन है, मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया था यह सुनकर. 

आशना: क्यूँ???

वीरेंदर: क्यूँ क्या, अरे मैं तुमसे शादी के सपने देख रहा था और यह मुझे ग़लत जानकारी देकर धरम संकट मे डाल गया. 

आशना: उसने तो सच ही कहा था. 

वीरेंदर(एक दम आँखें बाहर निकालते हुए: क्या?????

आशना: कूल डाउन, मिस्टर. वीरेंदर. मोनू ने तो आपसे सच ही कहा था कि उस फ्लॅट मे जो दो लड़कियाँ रहती हैं उन मे से एक आशना यानी कि आपकी बेहन है और दूसरी प्रिया, आपकी बेहन की दोस्त. 
हो सकता है उस दिन जब मैं प्रिया के साथ उसके फ्लॅट मे गई तो मोनू ने मुझे वो वाली आशना समझ लिया हो. उस वक्त तो काफ़ी अंधेरा हो गया था ना, तो हो सकता है वो पहचान ना पाया हो.आपने ही ग़लत समझ लिया. 

वीरेंदर:हां ऐसा ही होगा और मैं काफ़ी खुश हूँ कि मैं ग़लत था.

आशना: क्यूँ????

वीरेंदर: क्यूँ से क्या मतलब??अगर तुम वो वाली आशना निकलती तो मैं तो गया था काम से. 

आशना: अच्छा चलो मान लो कि मैं वो वाली आशना ही होती तो????

वीरेंदर उसे काफ़ी देर तक देखता रहा और फिर बोला: तो क्या???

आशना: तो फिर तुम क्या करते????

वीरेंदर: करना क्या है, बस सुहागरात के वक्त तुम्हारे चेहरे को कवर करना पड़ता. 

आशना(चौंकते हुए वीरेंदर को आँखें दिखाते हुए): क्याअ?? और यह कह कर वो वीरेंदर की तरफ झपट पड़ी. 
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