RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना जब तक यह बात समझ पाती, वीरेंदर उठकर कॅबिन के साथ अटॅच वॉशरूम की तरफ चल दिया और बोला "हॅंड वॉश करके आता हूँ". आशना को जैसे ही बात समझ मे आई वो शरम से पानी पानी हो गई.
आशना(दिल में): लफंगा कहीं का, दूसरे मर्दो से बिल्कुल अलग मगर शौक बिल्कुल बाकी मर्दो जैसे ही.
आशना ने मुस्कुराते हुए खाना लगाया और फिर दोनो ने मिलकर लंच किया.
आशना: वीरेंदर, मैं अपनी वाली गाड़ी ले जा रही हूँ, मैं अभी टॅक्सी में आई थी.
वीरेंदर: इतनी हॉट बनकर टॅक्सी मे घुमोगी तो टॅक्सी वाले तो आपस में ही लड़ मरेंगे.
आशना: लेकिन मैने तो पहले से ही एक ड्रेस पसंद कर लिया है.
वीरेंदर: मेम साहिब, शाम को जल्दी आ जाउन्गा, रात का खाना भी जल्दी बना लेना. जल्दी से डिन्नर करके फिर रात को........... इस से पहले के वीरेंदर अपनी लाइन पूरी करता, आशना ने लंच बॉक्स लिया और कॅबिन से बाहर निकल गई.
वीरेंदर: हाई यार यह लड़की पूरी बात क्यूँ नहीं सुनती.
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वहीं रागिनी पूरा दिन पीछे सर्वेंट क्वॉर्टर्स में छुपी रही. बिहारी एक बार भी वहाँ नहीं गया. रागिनी का दिल बार बार घबरा रहा था.
रागिनी: विराट ने तो कहा था कि वीरेंदर से बात करके वो मुझे घर मे ही एक कमरा दिला देगा लेकिन सुबह से ही विराट की कोई खबर नहीं, कहीं विराट किसी मुसीबत मे तो नहीं.
हुआ यह था कि जब बीना की मौत की खबर सुनकर वीरेंदर घर से बाहर निकला ठीक उसी वक्त बिहारी भी घर से निकल के बीना के हॉस्पिटल पहुँचा. उस वक्त वहाँ का सारा स्टाफ बीना के घर मे था. बिहारी के पास बीना के कॅबिन की एक चाबी थी. उस चाबी से कॅबिन का दरवाज़ा खोल कर आगे बिहारी को पता था कि कॉन सा समान कहाँ रखा है जिसकी अब उसे ज़रूरत है. बिहारी ने आशना के सारे डॅयेक्यूमेंट्स और सारी आइडेंटिटीस का एक बॅग वहाँ से उठाया और धीरे से अलमारी बंद करके अलमारी की चाबी अपनी जगाह रख दी और फिर कॅबिन लॉक करके वापिस घर की तरफ आ गया.
बिहारी जैसे ही घर पहुँचा, उसके कुछ मिनट्स बाद ही वीरेंदर भी आशना को घर छोड़ कर बीना के घर की तरफ चल दिया. बिहारी ने बड़ी सफाई से और बड़ी चालाकी से अपना काम कर दिया था. उसके बाद बिहारी ने आशना को लंच बनाने मे मदद की और उसी दौरान बिहारी ने आशना को बताया कि उसके मौसेरे भाई की बेटी अपनी पढ़ाई पूरी करके देल्ही में नौकरी ढूँडने आने वाली है और शाम तक वो देल्ही पहुँच जाएगी. वो देल्ही जैसे बड़े शहर मे बिल्कुल नई है तो क्या वो उसे कुछ दिन यहीं बुला ले, जब तक वो किसी अच्छी जगह नौकरी ना ढूंड ले. आशना ने काका को आश्वासन दिया कि आप शाम को उसे यहीं घर पर ले आयें, मैं वीरेंदर को मना लूँगी.
शाम को वीरेंदर 6:00 बजे ही घर वापिस आ गया.
आशना: बड़ी जल्दी आ गये आप.
वीरेंदर: इस वक्त तक तो हमेशा ही आ जाता हूँ.
आशना: ओके, तो आप बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ.
वीरेंदर: अरे वाह, तुम तो बीवी होने के सारे कर्तव्य निभा रही हो, बस एक को छोड़ कर.
आशना वीरेंदर की इस बात से शरमा दी और किचन की तरफ चल दी.
वीरेंदर(थोड़ी उँची आवाज़ में):सोच रहा हूँ कि आज रात से मैं भी पति होने के फ़र्ज़ निभाना शुरू कर दूं. आशना के शरीर में एक सिरहन दौड़ गई यह सुनकर और उसने पीछे मूड कर वीरेंदर को बिहारी के कमरे की तरफ इशारा करते हुए चुप रहने का इशारा किया. वीरेंदर ने धीरे से होंठ हिलाकर सॉरी कहा और अपने कान पकड़ लिए.
कमरे में बैठे हुए बिहारी के कानो में जब यह आवाज़ पड़ी तो उसके लंड ने एक झटका लिया.
बिहारी(मन में): वीरेंदर बाबू, इस चूत को इतनी जल्दी तुमसे नहीं चुदने दूँगा, सबसे पहले तो यह लोड्ा रागिनी की चूत में जाएगा और फिर रागिनी तुम्हे अपना गुलाम बनाएगी. उसके बाद आशना की सच्चाई तुम्हारे सामने लाउन्गा और फिर जब तुम आशना को धक्के देकर घर से बाहर निकालोगे, तब मैं उसे इसी घर में चोरी से शरण देकर उसके शरीर में सेक्स भरकर इतना मदहोश कर दूँगा कि वो अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त मुझसे लुटवाएगी और मैं उसे अपने बच्चों की माँ बनाउन्गा, यह मेरा वादा है अपने आप से. बीना की कुर्बानी को मैं व्यर्थ नहीं जाने दूँगा. तुम्हारी प्रॉपर्टी तो मैं किसी भी कीमत पर पा ही लूँगा, मगर आशना जैसे माल को तो हरगिज़ नहीं चुदने दूँगा तुम्हारे लोड्े से. उसकी सारी सीलो पर सिर्फ़ मेरे लोड्े का हक है.
चाइ पीते पीते, वीरेंदर ने पूछा: बिहारी काका ठीक तो है???
आशना: हां, लेकिन बीना जी की मौत की खबर सुनकर वो काफ़ी परेशान हैं. सुबह से खोए खोए हैं.
वीरेंदर: हां, बीना आंटी का इतना आना जाना जो था इस घर में तो बिहारी काका से भी काफ़ी घुल मिल गई थी.
आशना: हां याद आया, वो बिहारी काका के मौसेरे भाई की बेटी आज शाम को देल्ही आने वाली है अपनी पढ़ाई पूरी करके. वो देल्ही में जॉब के सिलसिले में आने वाली है.
मैने तो काका को कह दिया कि, जब तक उसे कोई अच्छी सी जॉब ना मिल जाए, वो यहीं रह सकती है, आप क्या कहता हैं???
वीरेंदर: वाह, तुमने अपना फ़ैसला भी सुना दिया और मेरी राय भी माँग रही हो.
आशना: अब हमारा इतना फ़र्ज़ तो बनता ही है उनकी फॅमिली के लिए.
वीरेंदर: कितने बजे आने वाली है वो????
आशना(उँची आवाज़ में): काका, ज़रा हाल में आना.
बिहारी जो कि दरवाज़े पर खड़ा उनकी बातें ही सुन रहा था, दौड़ता हुआ कमरे से बाहर आया और बोला: जी बिटिया.
आशना: काका, आपकी भतीजी आने वाली है ना, कब तक पहुँचेगी????
बिहारी: बिटिया 7:30 बजे ट्रेन देल्ही पहुँच जाएगी.
आशना: क्या???? अरे 6:30 तो हो गये हैं, आप जल्दी से जाकर उसे यही ले आइए और नीचे ही किसी कमरे में उसका समान रखवा दें. अब वो यहीं हमारे साथ रहेगी.
बिहारी: बहुत अच्छा बिटिया, मैं आपका यह एहसान ज़िंदगी भर नहीं भूलूंगा.
आशना: अरे काका कैसी बातें करते हो, यह घर आपका भी तो है. आप जल्दी से जाकर उसे ले आइए, मैं खाना तैयार कर लूँगी.
वीरेंदर: आइए काका, मैं आपको स्टेशन तक छोड़ दूँगा और थोड़ी देर डॉक्टूर. अभय के साथ वक्त भी बिता लूँगा, बेचारे वो काफ़ी अकेले महसूस कर रहे होंगे.
बिहारी: मालिक आप चले जाइए, मैं टॅक्सी से चला जाउन्गा, वैसे भी अभी एक घंटा है, जल्दी पहुँच कर क्या करूँगा.
वीरेंदर: तो ठीक है, जैसा कि आशना ने कहा है, आप उसका अपने साथ वाले कमरे मे ही रुकने का प्रबंध कर लें और यह कहकर वीरेंदर चला गया. जाते हुए वीरेंदर आशना को बता गया कि वो रात को 9:00 से पहले आ जाएगा और साथ ही डिन्नर करेंगे.
बिहारी: बिटिया तुमने मुझपर जो एहसान किया है, तुम सोच भी नहीं सकती कि मुझे कितनी खुशी है.
आशना: अच्छा काका रहने दीजिए यह सब और चलिए मैं आपको वो कमरा दुरुस्त करने मे मदद करती हूँ. दोनो ने मिलकर कमरे को झाड़ा और अच्छी तरह से सॉफ करके उसे रहने के लिए तैयार कर दिया.
आशना: काका: अब आप जल्दी से जाइए और उसे लेकर आ जाइए, मैं खाना बना लेती हूँ.
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