bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:52 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर, बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और आशना भी वीरेंदर की बगल में वीरेंदर की छाती पर सर रखकर लेट गयी. आशना ने धीरे से अपना हाथ वीरेंदर के मुरझाए हुए लिंग पर रख दिया. 

वीरेंदर: आह, अब कोई शरारत मत करना, नहीं तो बहुत दर्द करेगा. 

आशना: डॉन'ट वरी, आइ विल टेक केयर ऑफ दट. 

यह कहकर आशना,बेड से उठी और अपने बॅग से एक पेन किल्लर निकाल कर उसे खाने को दे दी. 

वीरेंदर: यह क्या है???

आशना: पेन किल्लर है, सुबह तक दर्द में काफ़ी आराम मिल जाएगा. 

वीरेंदर: तुम तो पूरी तैयारी से आई थी. 

आशना: हां, यह पेन किल्लर मैं अपने लिए लाई थी मगर यहाँ तो सारा खेल ही उल्टा हो गया. 

वीरेंदर: तेरी तो!! और जैसे ही आशना को पकड़ने के लिए बेड से उठने लगा, दर्द से दोहरा होते हुए वो दोबारा बेड पर गिर गया. 

आशना उसकी हालत देखकर हँसने लगी और बोली: मॅन यू जस्ट लॉस्ट युवर वर्जिनिटी, यू मस्ट टेक रेस्ट फॉर सम टाइम, अदरवाइज़, इट विल पेन आ लॉट. 

वीरेंदर: बस कुछ दिन रुक जा, पेन किसे कहते हैं सब पता लग जाएगा. 

आशना, वीरेंदर के पास बेड पर बैठ जाती है और वीरेंदर की आँखो में देख कर बोलती है"आप के लिए कुछ भी करूँगी और कुछ भी सहूंगी वीरेंदर", आइ लव यू. 

आशना ने वीरेंदर को पीछे धकेल कर लिटा दिया और खुद उस से चिपक कर लाइट गयी. 

आशना: चलो अब सो जाओ, गुड नाइट. 

वीरेंदर: मुझे तो नींद आ जाएगी मगर क्या तुम सो पाओगी. 

आशना: आपका मेरे बारे मे इतना सोचना ही बहुत है, आइ विल मॅनेज. 

सच तो यह था कि आशना का बदन जल रहा था पुरूष मिलन के लिए मगर वो अपने पहले मिलन को यादगार बनाना चाहती थी. थोड़ी ही देर मे आशना नींद की आगोश मे चली गयी मगर वीरेंदर की आँखो से नींद कोसो दूर थी.

वो सब घटनाओ को जोड़ने की कोशिश कर रहा था. कुछ तो ऐसा था जो उसके दिमाग़ मे चल रही कड़ियों को एक साथ जोड़ता था. उसके पास वक्त बहुत कम था और उसे इस बारे में बहुत कुछ करना था लेकिन वो आशना को इन सब परेशानियों से दूर रखना चाहता था. उसे पता लग चुका था कि आशना और वो दोनो ही एक साजिश का शिकार हुए हैं. वो किसी भी हाल में आशना के साथ बने रिश्ते से पीछे नहीं हटना चाहता था मगर वो यह भी नहीं समझ पा रहा था कि आशना को अपना बनाए रखने के लिए उसे क्या क्या करना होगा. वो आशना को बहुत चाहने लगा था और यह भी जानता था कि आशना भी उस से दूर नहीं रह पाएगी. 

काफ़ी देर तक अपने दिमाग़ पर ज़ोर डालने के बाद वीरेंदर ने एक सेफ प्लान पर काम करने का मन बनाया और आशना को आगोश मे लेकर सोने की कोशिश करने लगा. वीरेंदर के आगोश में आते ही आशना थोड़ा सा कसमसाई और फिर चैन से उसकी बाज़ू पर सर रखकर सो गई. आशना के मासूम चेहरे को देखते देखते वीरेंदर भी सपनों की दुनिया में खो गया.
अगले दिन:

आज शरमा निवास में निवास कर रही दोनो लड़कियों के चेहरे खिले हुए थे. उनके चहरे देख कर लग रहा था कि उन्हे दुनिया की सबसे कीमती चीज़ मिल गयी हो. जहाँ रागिनी, बिहारी से पूरी रात चुद कर खिली हुई थी वहीं आशना, वीरेंदर के साथ कुछ अंतरंग पल बिताकर गुलाब की तरह खिली हुई थी. सनडे की सुबह सुबह दोनो चहक रही थी. 

वहीं बिहारी और वीरेंदर अभी तक अपने अपने रूम में सो रहे थे. आशना सुबह अपने कमरे में जाकर नहा धोकर तैयार हो चुकी थी. वो वीरेंदर के लिए नाश्ता बनाने नीचे किचन मे आई तो रागिनी भी ठीक उसी वक्त अपने कमरे से तैयार होकर निकली. रागिनी(आशना को देखते हुए): गुड मॉर्निंग दीदी.

आशना ने झूठी हँसी चेहरे पर लाते हुए रागिनी को विश किया. रागिनी ने देखा कि आशना का चेहरे काफ़ी खिला हुआ है लेकिन उसकी चाल देख कर वो समझ गयी कि आशना अभी तक वीरेंदर से चुदि नहीं है. आशना रागिनी को अवाय्ड कर नाश्ता बनाने लगी.
रागिनी: दीदी रात कैसी रही????

रागिनी का सवाल सुनकर आशना का पारा एक दम चढ़ गया मगर अपने गुस्से पर काबू पाकर और फिर मुस्कुरा कर आशना बोली. 

आशना: माइंड ब्लोयिंग. मैं कल की रात ज़िंदगी भर नहीं भूल पाउन्गी. 

रागिनी(मन में): कैसी लड़की है, अपने भाई के साथ एक ही कमरे में रात गुज़ार कर इतनी खुश है जैसे इसे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी मिल गयी हो. 

(बिहारी ने रागिनी को यही बताया था कि आशना उसकी (बिहारी) की मौसेरी बेहन है, जबकि रागिनी को यही लगता है कि वीरेंदर ही उसका भाई है)

रागिनी: क्या किया सर ने आपके साथ???

आशना(शर्मकार): तू बहुत शैतान हो गई है रागिनी, चल जल्दी से नाश्ता बनाने में मेरी मदद कर. 

आशना ने बात को टालना चाहा मगर रागिनी भला सच जाने बिना कहाँ मानने वाली थी. 

रागिनी: यह क्या बात हुई दीदी, मैने आपको अपने बारे मे सब सच सच बता दिया और आप मुझसे ही छुपा रही हैं. 

आशना: मैं कुछ नहीं छुपा रही हूँ. हां मैं उनके साथ उनके रूम में थी मगर मैने उन्हे कुछ भी करने नहीं दिया. 

इतना सुनते ही रागिनी का दिल एक दम बल्लियों उछल्ने लगा. वो जानती थी कि फ्रस्ट्रेशन में वीरेंदर उसके पास ज़रूर आएगा. 

रागिनी: लेकिन ऐसा क्यूँ दीदी???आप तो बहुत जल्द शादी करने वाले हो ना????

आशना: शादी हुई तो नहीं ना???जैसे ही तुम्हारे सर मुझसे शादी करेंगे हम दोनो एक हो जाएँगे. 

रागिनी के पास इस से आगे बोलने को कुछ नहीं था. वो आशना के रूखे पन से यह अंदाज़ा लगा बैठी कि शायद सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन के कारण आशना ऐसा बिहेव कर रही है. उसने भी चुपचाप आशना की हेल्प करना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद आशना ने ही चुप्पी तोड़ी और बोली: काका कहीं दिखाई नहीं दे रहे, कहीं बाहर गये हैं क्या???

रागिनी: चाचू शायद अभी तक सो रहे हैं. 

आशना: उनकी तबीयत तो ठीक है ना??? 

रागिनी: जी दीदी, कह रहे थे कि आज सनडे है तो नाश्ता तुम बना दो, मैं आज थोड़ा आराम करना चाहता हूँ. 

आशना: ठीक किया, बेचारे सारा दिन काम मे ही लगे रहते हैं. 

रागिनी(मन में): सारा दिन इस काम में लगे रहें तो और क्या चाहिए दीदी मगर सच तो यह है कि कुछ देर काम करने के बाद उनका तो काम ही तमाम हो जाता है. 

आशना: तुम काका को जगा दो, मैं भी वीरेंदर को फ्रेश होने के लिए बोल देती हूँ. 


आशना वीरेंदर के रूम के पास पहुँच कर डोर नॉक करती है. 

वीरेंदर: कम इन आशना, आइ आम रेडी. 

आशना ने दरवाज़े की नॉब घूमाकर डोर खोला तो सामने वीरेंदर को एक दम फ्रेश खड़े देख कर मुस्कुरा उठी. 

आशना: आप कब उठे????

वीरेंदर: अरे मैं तो दर्द के मारे सारी रात सो नहीं पाया.

आशना: मतलब??? 

वीरेंदर: आशना तुम कितनी भोली हो मैं जानता हूँ, मेरी वर्जिनिटी ख़तम करके मुझसे "मतलब"पूछती हो, साला रात से दुख रहा है. 

आशना की हँसी छूट गयी. 

वीरेंदर: हंस लो, जितना हँसना है हंस लो. उस दिन देखूँगा जब तुम्हारी....... ..........

इससे पहले कि वीरेंदर पूरा सेंटेन्स बोल पाता, आशना ने आगे बढ़कर अपना हाथ वीरेंदर के होंठो पर रख दिया. 

आशना: उस दिन का उस दिन देखेंगे, अभी चलिए नीचे चलकर नाश्ता कर लीजिए. 

वीरेंदर: नीचे नहीं जा पाउन्गा मैं. 

आशना: क्यूँ, क्या हुआ??????. 

वीरेंदर: चलने से इसे रगड़ लग रही है और दर्द होता है. 

आशना(शरमाते हुए): सब ठीक हो जाएगा, बस थोड़े दिनों में यह एक दम तैयार हो जाएगा. 

वीरेंदर: तब तक मेरा काम हो जाएगा, आआहह यार यह अंडरवेर भी नहीं पहना जा रहा. 

आशना: तो अंडरवेर उतार कर एक ढीला सा पायजामा पहन लीजिए और नाश्ता करके थोड़ी देर आराम कर लीजिए. आज लंच पर भी तो जाना है. 

वीरेंदर: हां याद आया, अच्छा सुनो तुम अपनी फ्रेंड को बोल दो कि ठीक 1:00 बजे हमें होटेल............ की पार्किंग में मिले. 

आशना: वो अकेली नहीं आ रही है, उसका फियान्से भी साथ होगा. 

वीरेंदर: अच्छा तो आज दो सहेलिओं ने अपने अपने फियांसियों के साथ घूमने का प्रोग्राम बनाया है. 

आशना: इरादा तो कुछ ऐसा ही है. 

वीरेंदर: देन लेट मी प्लान सम्तिंग एग्ज़ाइटेड फॉर दा ईव्निंग. 

आशना(एग्ज़ाइटेड हो जाती है):आइ लव यू वीरेंदर. 

वीरेंदर: सिर्फ़ बोलती हो, करने कुछ भी नहीं देती. 

आशना की आँखें एकदम शरम से झुक गयी. वीरेंदर ने उसकी चिन को पकड़ कर उसके चेहरे को उपेर उठा कर कहा: थॅंक्स फॉर दा नाइट ट्रीट मेरी "पगली गुड़िया".
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