bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:54 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
तभी पर्दे पर ऐंटी ड्रग मूव्मेंट को सपोर्ट करने वाली एक अड्वर्टाइज़्मेंट स्टार्ट हुई और उसके बाद मूवी शुरू हो गयी. सब लोग आराम से मूवी का मज़ा लेने लगे. बीच बीच मे आशना चोर नज़रों से त्रिवेणी-विजय की तरफ देख लेती कि कहीं त्रिवेणी ने कोई हरकत करना तो शुरू नहीं कर दी. वीरेंदर ने आशना के हाथ पर अपना हाथ रखा तो आशना सिहर उठी. उसने झट से त्रिवेणी की तरफ देखा और फिर चारो और नज़र घुमाई. सभी मूवी में खोए हुए थे. 

आशना(वीरेंदर की तरफ सरककर): वीर, यह क्या कर रहे हैं आप, मुझे शरम आती है. 

वीरेंदर ने कुछ नहीं कहा बस आशना के हाथ को दबा दिया. आशना की साँस फूलने लगी. वीरेंदर ने आशना के हाथ को खींच कर अपनी टाँग पर रखा तो आशना के दिल की धड़कन बढ़ गयी. आशना ने वीरेंदर की तरफ देखा. हालाँकि हाल में काफ़ी अंधेरा था मगर उन दोनो की नज़रें एक दूसरे को देख सकती थी. आशना ने नज़रें मिलाकर धीरे से गर्दन ना में हिलाई. वीरेंदर बस मुस्कुरा दिया. 

वीरेंदर(आशना के कान में): आइ आम सो एग्ज़ाइटेड आशना. 

आशना: मी टू वीर बट हम अकेले नहीं हैं. 

वीरेंदर: डॉन'ट वरी अब यहाँ हम चारों के अलावा कोई नहीं आएगा. 

आशना ने हैरानी से वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: मैने यह दोनो रोस की बुकिंग करवा दी थी. मैं नहीं चाहता था कि कोई हमे डिस्टर्ब करे. 

आशना ने हैरानी और प्यार भरी नज़रों से वीरेंदर की तरफ देखा. 

आशना: लव यू वीर.

वीरेंदर: मी टू. 

वीरेंदर ने विजय को भी यह बात बता दी थी कि पिछली दोनो रोस उसने बुक करवा दी है. 

विजय ने अपना हाथ उठाकेर त्रिवेणी की जाँघ पर रख दिया. त्रिवेणी के दम सिहर उठी. 

त्रिवेणी(धीमे से): क्या हुआ डॉक्टर. साहब. 

विजय: पास आओ ना. 

त्रिवेणी(शॉक्ड सी): क्या हो गया आपको मिस्टर. सबर करिए, शाम को आपके फ्लॅट पर चल रही हूँ ना. 

विजय: वहाँ जाकर भी ऐसा क्या करने दोगि जो हम यहाँ नहीं कर सकते. 

त्रिवेणी: यह आज क्या हो गया आपको, कैस बातें कर रहे हैं आप. 

हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड लड़की थी मगर यह उसकी नेचर में था. उसका और विजय का रीलेशन 3 साल से ज़्यादा समय से चल रहा था मगर उन दोनो ने आज तक बहक कर हद पार नहीं की थी. जब कभी विजय बहका उसे त्रिवेणी ने संभाला और जब कभी त्रिवेणी बहकी उसे विजय ने संभाला. शायद यही वजह थी कि दोनो का प्यार वक्त के साथ साथ और भी गहरा होता चला गया. 

विजय: अब क्या हुआ, आज तो दोपहर से ही बोल्ड बन रही हो. 

त्रिवेणी ने अपना सर विजय के कंधे पर रख दिया और बोली: आप तो जानते हैं ना मुझे, मैं ऐसे ही हूँ मगर आप यह भी जानते हैं कि हम दोनो के लिए क्या बेहतर है. 

विजय: डॉन'ट वरी वेणी, मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब तुम दुल्हन के लिबास में मेरे बिस्तर पर होगी और हम दोनो उस रात जी भर कर प्यार करेंगे. 

त्रिवेणी: आमीन. 

विजय: लेकिन तुम ही तो कहती थी कि तुम्हे एक बार पब्लिक प्लेस पर प्यार करने का रोमांच फील करना है. 

त्रिवेणी: मेरे जानू, अगर यहाँ कोई आ गया तो???

विजय ने उसे वीरेंदर द्वारा सीट्स की बुकिंग के बारे में बता दिया. 

त्रिवेणी: लेकिन यार आशना और जीजू भी तो हैं, मुझे बहुत शरम आएगी.

वहीं वीरेंदर की भी यही डिमॅंड थी और आशना भी इसी पशोपेश में थी. दोनो मर्दो ने अपनी अपनी डिमॅंड्स रख दी थी और फ़ैसला उन दोनो पर छोड़ दिया था. दोनो लड़कियाँ काफ़ी डर भी महसूस कर रही थी और काफ़ी एग्ज़ाइट्मेंट भी. दोनो ही अपने अपने प्रेमी के लिए यह सब करना चाहती थी आख़िर जवानी इसी को तो कहते हैं. जवानी में इंसान वो सब कर गुज़र जाता है जो उसने कभी सोचा भी ना हो मगर उन दोनो सहेलियों के बीच इस बात की काफ़ी झिजक थी. हालाँकि त्रिवेणी काफ़ी बोल्ड थी बट किसी के सामने यह सब करना उसके लिए भी बड़े शरम वाली बात थी.

इसी उधेड़ बुन में इंटर्वल हो गया और हॉल की लाइट्स ऑन हो गयी.

आशना और त्रिवेणी की नज़रें मिली तो दोनो ही एक दूसरे की हालत से अंजान ना रह सकीं. त्रिवेणी ने बात पलटने के लिए वीरेंदर की तरफ देख कर कहा : जीजू मान गयी आपको, क्या चाल चली आपने. सारी सीट्स ही बुक करवा ली. वीरेंदर त्रिवेणी की बात से एकदम चौंक गया और बात बदलने के लिए झट से अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ.

वीरेंदर: आओ यार विजय बाहर घूम कर आते हैं और कुछ खाने पीने को भी ले आते हैं. 

वीरेंदर और विजय दोनो बाहर की तरफ चल दिए. आशना और त्रिवेणी दोनो खामोशी से वहीं बैठे रहे. दोनो में से किसी को भी कोई भी बात नहीं सूझ रही थी. वो दोनो बार बार एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देती लेकिन बात करने की हिम्मत किसी की नहीं हो रही थी. यह पहली बार ऐसा हुआ था कि त्रिवेणी बोलने से झिजक रही थी. 

हिम्मत करके त्रिवेणी बोली: क्या हुआ तुम मूज़े देख कर बार बार मुस्कुरा क्यूँ रही हो????

आशना: यही सवाल मैं तुमसे पूछूँ तो???

त्रिवेणी: मैं तो ऐसे ही हूँ. हमेशा खुश रहती हूँ. 

आशना: मैं भी तो ऐसी ही हूँ. मुझे भी खुश रहना अच्छा लगता है. 

इस बात के बाद दोनो फिर से खामोश हो गयी. करीब 5 मिनिट के बाद वीरेंदर और विजय हाल में दाखिल हुए. आशना और त्रिवेणी ने उन दोनो की तरफ देखा और फिर एक दूसरे की तरफ. वीरेंदर और विजय चलते चलते उन दोनो से बस 8-9 सीट्स ही दूर रह गये थे. त्रिवेणी और आशना के दिल कोई धड़कन बढ़ चुकी थी. 

तभी अचानक से त्रिवेणी बोली: मुझे लगता है खुद खुश होने के साथ साथ हमे इन्हे भी खुश कर देना चाहिए और उसी वक्त त्रिवेणी की बात काटते हुए आशना बोली: हमारी तरफ मत देखना. 

दोनो ने यह बात एक ही समय में बोली और जैसे ही दोनो की नज़रें मिली दोनो के होंठो पर एक मुस्कान आ गयी और दोनो खिल खिला कर हंस दी. तब तक वीरेंदर और विजय भी उनके करीब पहुँच गये थे. 

विजय और वीरेंदर(साथ साथ बोलते हुए): क्या हुआ हमे भी तो बताओ. 

उन दोनो का एकसाथ एक समय पर एक ही सवाल सुनकर वो दोनो फिर से खिलखिलाकर हंस पड़ी. सब ने अपनी अपनी सीट्स ली और सॉफ्ट ड्रिंक के साथ साथ पॉपकॉर्न शेयर करने लगे. 

आशना ने वीरेंदर की तरफ और त्रिवेणी ने विजय की तरफ अपना रुख़ किया. दोनो दोस्तो ने हैरानी से अपनी अपनी गर्लफ्रेंड की तरफ देखा और फिर दोनो दोस्तों की नज़रें मिली. आशना और त्रिवेणी एक दूसरे की तरफ पीठ करके बैठी थी. 

वीरेंदर(आँखूं के इशारे से): व्हाट???? 

आशना: कुछ नहीं बस ऐसे ही देख रही हूँ. 

वीरेंदर: क्यूँ????

आशना: मेरी मर्ज़ी, हक है मेरा आप पर. 

वीरेंदर ने अपनी राइट बाज़ू आशना के शोल्डर पर रखी तो आशना की सिसकी निकल गयी. 

वीरेंदर: हक तो मेरा भी पूरा है. 

आशना: मेरे सरताज, मैं तो पूरी आपकी हूँ. जैसे चाहे दिल बेहलाइए. 

वीरेंदर(आशना की आँखों में देखते हुए): सच!!!!. 

आशना: मुच.

वीरेंदर ने अपनी बाज़ू का दवाब बढ़ाकर आशना को अपने पास खींचा और दोनो के होंठ जुड़ गये. उनके क़ानून में पुच पुच की आवाज़ आने लगी. आशना ने महसूस किया कि सेम आवाज़ उसके पीछे से भी आ रही थी. स्मूच करते हुए वीरेंदर ने अपना दूसरा हाथ आशना के गले पर रखकर आशना को मदहोश करना शुरू कर दिया. आशना के गले से एक घुटि हुई चीख निकली और आशना ने झट से वीरेंदर के हाथ पर अपना हाथ रख दिया. वीरेंदर ने मज़बूती से अपने हाथ को आशना के गले से नीचे करना शुरू कर दिया. आशना ने ज़्यादा विरोध नहीं दिखाया मगर उसकी गर्दन ना में घूमती रही. वीरेंदर का हाथ जैसे ही आशना के गले से नीचे उसकी क्लीवेज के पास पहुँचा, आशना एक दम सिहर उठी और वो ज़ोर से वीरेंदर के लब चूसने लगी. 

वीरेंदर ने धीरे से टी-शर्ट के उपेर से ही आशना के एक वक्ष को पकड़ लिया. आशना ने अपने हाथ वीरेंदर के सर के पीछे लेजा कर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोरदार तरीके से वीरेंदर की स्मूच का जवाब देने लगी. वीरेंदर ने अपनी जीभ खोलकर आशना की जीभ को आमंत्रण दिया जिसे आशना ने झट से स्वीकार किया और दोनो की जीभ एक दूसरे की जीभ से टकराती हुई एक दूसरे के मूह का रास्ता तय करने लगी. 
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