bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 12:58 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना ने शरम से अपनी आँखें बंद कर ली. सारे कमरे में बस उसे अपने दिल की धड़कने और वीरेंदर के कपड़ों का शोर सुनाई दे रहा था. थोड़ी देर बाद उसे वीरेंदर के कपड़ों का शोर आना बंद हो गया. आशना के दिल की धड़कन एक दम बढ़ गयी. आँख बंद रख पाना उसके लिए बहुत मुश्किल हो रहा था मगर उसकी आँख खोलने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी. 

वीरेंदर के कदमों की आहट धीरे धीरे बढ़ रही थी जिस से वो अनुमान लगा सकती थी कि वीरेंदर उसके करीब आ रहा है. आशना ने चद्दर को अपने बदन के नीचे दबा रखा था. 

लाल चूड़े से सजी गोरी बाहें चद्दर से बाहर चद्दर को कस कर पकड़े हुए थी. आशना के जिस्म में तरंगे उठने लगी. इस वक्त वीरेंदर आशना के बिल्कुल पास पहुँच चुका था. जैसे ही आशना को बिस्तर के हिलने का एहसास हुआ, गुलाबी रंग उसके चेहरे से लेकर उसके पाँव तक बिखर गया. 

बिस्तर पर बैठने के बाद वीरेंदर बोला: तो फिर कहाँ से शुरू करूँ मैं अपनी गुड़िया को अपनी क्वालिटीस जताना. 

आशना के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गयी लेकिन उसके लबों से कोई शब्द नहीं निकल पाया. 

वीरेंदर: लगता है मुझे खुद ही पहल करनी पड़ेगी, मेरी गुड़िया तो डर के मारे दुब्कि पड़ी है. 

यह कहते ही वीरेंदर ने आशना के हाथों से चद्दर का एक सिरा पकड़ लिया. आशना ने घबरा कर एक दम आँखें खोली और वीरेंदर की तरफ मदहोश आँखो से देखते हुए बोली: प्लीज़. 

वीरेंदर: डॉन'ट वरी, आइ विल डेफनेट्ली प्लीज़ यू. 

आशना ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे खोलकर वीरेंदर की तरफ देखा और जैसे ही उसे वीरेंदर की बात का मतलब समझ आया, झट से बोली: जी नहीं, मेरा कहने का मतलब है कि प्लीज़ ऐसा मत करो. 

वीरेंदर: भाई वाह!!! सुहाग रात है और बेगम साहिबा बोल रही हैं कि कुछ मत करो. चलो जो बेगम साहिबा की मर्ज़ी, अब ज़्यादा ज़ोर ज़बरदस्ती भी की तो शायद कल से एक कमरे में सोना भी दुश्वार हो जाए. हम तो चले सोने. 

यह कहकर वीरेंदर जैसे ही बस्तर से उठने को हुआ, आशना ने झट से वीरेंदर का हाथ पकड़ लिया और बोली: हाई राम, आप तो सच में बड़े भोले हो. 

वीरेंदर(आशना की तरफ देखते हुए): तो और क्या करूँ, तुम्हे दुखी थोड़े कर सकता हूँ. 

आशना ने वीरेंदर के हाथ को खींच कर उसे अपने पास लिटा दिया और अपनी गोरी बाहें वीरेंदर के गले में डाल कर अपने से सटाते हुए बोली: मेरे शोना भैया, अपनी गुड़िया को दुखी देख भी नहीं सकते और उसे खुश करते भी नहीं. 

वीरेंदर ने झट से अपना चेहरा उठाकर आशना की नज़रों में देखा और भोला सा चेहरा बना कर बोला: रहने दो जान, तुम शायद मेरी गुस्ताखियाँ बर्दाश्त ना कर पाओ. मैं तुम्हे दर्द नहीं देना चाहता. 

आशना ने मदहोशी में आँखें मूंदते हुए कहा: अब इस दर्द की ख्वाहिश बस आप से ही है वीर. ठुकराइए मत और हक से अपने अरमान पूरे कीजिए. 

वीरेंदर: अरमान???? बस मेरे ही अरमान हैं, तुम्हारे कोई अरमान नहीं हैं इस रात तो लेकर गुड़िया. 

आशना: बहुत से अरमान हैं वीर और मेरा सबसे बड़ा अरमान इस वक्त मेरी बाहों में है. 

आशना के पूरे समर्पित रूप को देख कर वीरेंदर ने उसे और तड़पाना ठीक नहीं समझा. वो जानता था कि आशना उसके लिए कुछ भी कर गुज़रेगी. वीरेंदर ने अपनी बाज़ू उठाकर आशना की कमर पर रखी और उसे अपनी तरफ पलट कर अपने से सटा लिया. 

वीरेंदर: लव यू गुड़िया, लव यू मोर दॅन एनितिंग इन दिस वर्ल्ड. 

आशना: मी टू वीर, आप के सिवा मेरा और है ही कॉन इस दुनिया में. मेरा तन और मेरा मन बस आपके लिए ही है. 
वीरेंदर ने अपनी एक टाँग उठाकर उसका घुटना आशना के हिप्स पर रखा और उस से चिपक गया जिस से उसका जागृत अवस्था में आया हुआ लिंग आशना की नाभि में चुभने लगा. 

आशना ने शरमा कर वीरेंदर की तरफ देखा और बोली: यह शैतान क्यूँ मुँह उठाए खड़ा है??? 

वीरेंदर: शायद यह किसी को ढूँढ रहा है. 

वीरेंदर ने अपने हाथ के दबाब से आशना को अपने साथ सटाया तो आशना आह कर उठी. 

आशना: अया, समझा दीजिए इसे अभी मंज़िल बहुत दूर है. बहुत से बंधन हैं अभी इसकी राह में. 

वीरेंदर: चिंता की कोई बात नहीं, आज सारे बंधन तोड़ कर यह अपनी मंज़िल में समा जाएगा. 

आशना के होंठो से एक हुक सी निकली. वीरेंदर का हाथ आशना की कमर से लेकर कुल्हों तक मर्दन कर रहा था. आशना मदहोशी की दुनिया में खो चुकी थी. मदहोशी में आकर उसने वीरेंदर के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और ज़ोर लगा कर उन्हे चूसने लगी.

प्यार के इस उफान में किसने किसके होंठो को कितनी बार काटा यह उन्हे होश नहीं था बस दोनो एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश में ऐसे हो गये थे जैसे बहुत दूर से भाग कर आए हो. जैसे ही आशना ने साँस लेने के लिए अपने आपको पीठ के बल किया, वीरेंदर ने अपना हाथ आशना के दाए उभार पर रख कर ज़ोर से दबा दिया. 

आशना अभी अपनी सांस काबू भी नहीं कर पाई थी कि वीरेंदर की इस हरकत ने उसकी साँसों की रवानगी ही रोक दी. आशना का बदन एक दम अकड़ गया और उसका बदन असीम आनंद में गोते खाने लगा. वीरेंदर ने अपने मर्दाना हाथों से चद्दर के उपर से ही आशना के दुग्ध कलश का मर्दन शुरू कर दिया. आशना, आनंद के गोते खाकर जैसे ही धरती पर वापिस लौटी तो हक़ीकत जान कर वो शरम-ओ-हया से दोहरी हो उठी. 
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