bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 01:02 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वो कुछ पल ऐसे होते हैं जिन्हे सहन करना हर लड़की के जीवन का एक खास हिस्सा होते हैं. उन कुछ पलों मे वो अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दर्द झेलती है. इस दर्द के लिए वो अपनी जवानी मे तड़पती रहती है और जब वो पल आता है तो उस दर्द मे लिप्त वो अपने साथी की ज़िंदगी की ना जाने कितनी दुआएँ माँग लेती है.

जैसे ही गुड़िया के बदन मे थरथराहट कम हुई, वीर ने अपने हाथ झट से गुड़िया के उभारों पर रख दिए और उन्हे मसल्ने लगा. कुछ देर बाद गुड़िया की कमर मे हुई हलचल को भाँप कर वीर ने गुड़िया के निपल्स को अपने होंठो मे ले लिया और उसे जीभ से चुभलने लगा. 

वीरेंदर की इस हरकत से आशना की योनि मे नमी आने लगी और आशना के दर्द मे कुछ राहत हुई. वीरेंदर ने मोका देखते हुए अपनी कमर का दबाव बढ़ाया, करीब आधा इंच ही लिंग और अंदर गया था कि आशना ने वीरेंदर की कमर पर अपने हाथ रखकर उसे रुकने का इशारा किया. आशना: अयाया, ब्बबाअस्स्स भैया, होल्ड ओन्न्णाणन्. 

वीरेंदर एक दम रुक गया और अपने चेहरे को उठाकर आशना के चेहरे की तरफ देखने लगा. आशना के चेहरे पर आए पीड़ा के भाव देखकर वीरेंदर ने उसके गाल को चूम लिया. आशना की आँखो की नमी उसके गालों तक आ चुकी थी. वीरेंदर ने बारी बारी दोनो गालों को चूमा और पूछा बहुत दर्द हो रहा है. 

आशना ने अपनी आँखें छत की तरफ कर रखी थी. वीरेंदर की तरफ बिना देखे ही उसने गर्दन हिलाकर हां मे जवाब दिया. 

वीरेंदर: निकल लू. 

आशना ने इस बार कस कर अपनी बाहें वीरेंदर की कमर से बाँध ली. 

वीरेंदर(मुस्कुराते हुए): अच्छा छोड़ो, बाकी का जो बचा है वो भी तो डालने दो. 

इस बार आशना बोली(सूखे गले से): इस पॉइंट से ठीक आगे आपके लिए एक गिफ्ट है भैया और यह गिफ्ट मैं आपको इस लिए दे रही हूँ क्यूंकी मैं आपसे हद से ज़्यादा प्यार करती हूँ और आपके बिना जी नहीं पाउन्गी. ले लेजिए अपना गिफ्ट और अपनी गुड़िया को अपनी आशना बना लीजिए. 

वीरेंदर ने अपने वज़न को अपनी कोहनियों और घुटनों पर रखा और आशना की आँखो मे देखा. इस वक्त आशना की नज़रें वीरेंदर के चेहरे पर थी. वो अपने देवता के चेहरे पर अपने तोहफे की खुशी देखना चाहती थी. 

वीरेंदर ने कमर को थोड़ा पीछे ले जाते हुए एक ज़ोरदार प्रहार किया और वीरेंदर का ख़ूँख़ार लिंग आशना की योनि के नाज़ुक पर्दे को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा उसमें समा गया. प्रहार होते ही आशना की रूह से एक ठंडक भरी आह निकली और उसके गले से एक ज़ोरदार चीख जो इस बात के प्रमाण के लिए काफ़ी थी कि गुड़िया ने अपना कोमार्य अपने भैया को प्रदान कर दिया है. 

इस बार की चीख इतनी ख़तरनाक थी कि उसकी आवाज़ सारे घर मे गूँज उठी. वीरेंदर ने इस बार उसे चीखने से नहीं रोका बल्कि एक और ज़ोरदार प्रहार कर डाला. इस बार के धक्के से आशना की साँस ही अटक गयी और साथ ही उसकी चीख भी गले मे ही दब गयी. एक और धक्के के साथ वीरेंदर जड तक आशना की योनि मे समा चुका था. आशना की योनि के निचले भाग से जैसे ही वीरेंदर के आंडों का जादुई चुंबन हुआ उसके दिल से एक हुंकार निकली और उसकी साँसों की गति एक बार फिर से सुचारू रूप से चलने लगी. आशना की आँखो से मोती झर झर कर बह रहे थे और उसके गले से घुटि घुटि चीखें निकलने का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया. वीरेंदर ने आशना की चीखों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया. वो जानता था कि चारो दिशाओ मे उनके प्रेम मिलन का कोई गवाह नहीं है. 


वीरेंदर ने अपने होंठ आशना के उभारों पर रख दिए और उसके निपल्स को मुँह मे लेकर एक छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा. आशना तड़प उठी, उसके हाथ अनायास ही वीरेंदर की पीठ पर अपने नाख़ून गढ़ाने लगे. वीरेंदर पागलों की तरह आशना के शिखरों से दूध निकालने की असफल कोशिश करता रहा और आशना पागलों की तरह उसकी पीठ नोचती रही. 

बिस्तर पर पड़ी बेडशीट खून के रिसाव सेलाल रंग मे रंगने लगी और दो प्रेमियों के मिलन की गवाही देने लगी. कुछ देर बाद आशना के हाथ सिथिल पड़ गये और उसकी आँखों मे छलकती पीड़ा एक खुमारी का रूप लेने लगी. आशना की कमर मे एक हलचल हुई तो वीरेंदर ने चेहरा उठा कर आशना की तरफ देखा. आशना के चेहरे पर आए नूवर को देख कर वीरेंदर अपनी मर्दानगी पर फूला नहीं समा रहा था. 

आशना की आँखो मे आई खुमारी को देख कर वीरेंदर ने अपनी कमर को थोड़ा पीछे करके एक झटका दिया तो आशना का मुँह "ओह" करते हुए खुल गया. वीरेंदर ने एक बार फिर से कमर चलाई तो इस बार आशना के मुँह से "आह" निकला. आशना की आँखो मे देखते हुए वीरेंदर ने पूछा: अब ठीक हो???

आशना ने हां मे गर्दन हिलाई.

वीरेंदर: दर्द तो नहीं है अब??

आशना ने हां मे सिर हिलाया और धीरे से होंठ खोल कर कहा:थोड़ा थोड़ा है. 

वीरेंदर: तो क्या उठ जाऊ???

आशना ने शरमा कर "ना" मे गर्दन हिलाई. वीरेंदर ने एक बार फिर से कमर हिलाई तो जवाब मे आशना की कमर मे भी हरकत हुई. 

वीरेंदर(आशना की आँखो मे देखते हुए): अब क्या करूँ??

आशना की आँखें शरम से बंद हो गयी पर होंठ मुस्कुरा उठे. 

वीरेंदर: अब तो बोलो यार, आइ हॅव टू सम एक्सपेक्टेशन्स फ्रॉम यू. 

आशना ने धीरे से आँखें खोली और अपनी कमर को हिलाकर बोली: फक मी वीर, फक युवर गुड़िया. 

वीरेंदर के पूरे शरीर मे बिजली का संचार हुआ और उसके चेहरे से खुशी झलक उठी. वीरेंदर के चेहरे पर आई नूरानी खुशी को देख कर आशना भी उत्साहित हुई और बोली: फक मी ऐज यू लाइक माइ वीर, माइ जान, माइ हब्बी आंड ऐबव ऑल माइ भैया. युवर गुड़िया ईज़ लॉंगिंग फॉर युवर स्ट्रोक्स. मेक देम हार्ड आंड फास्ट फॉर मी. आइ वॉंट टू मेल्ट इन युवर आर्म्स माइ लव. 

आशना की मदहोश बातें सुनकर वीरेंदर ने अपनी कमर को धीरे धीरे चलाना शुरू कर दिया. हर धक्के के साथ आशना की दर्द भरी आह निकल जाती. धीरे धीरे आशना की दर्द भरी आहें सुकून भरी आह उफ्फ मे बदलने लगी. आशना की कमर मे भी गति आने लगी. आशना की खुमारी बढ़ते ही उसके मुँह से वीरेंदर को उत्साहित करने के लिए शब्दों की भरमार निकलने लगी. वीरेंदर ने आशना की खुमारी को देख कर तेज़ी से कमर चलाना शुरू कर दिया. 

बिस्तर पर तूफान धीरे धीरे उग्र रूप ले रहा था.जिस्मों के टकराने का मधुर संगीत कमरे मे गूँज रहा था.ठप तह्प की आवाज़ के साथ आशना के गले से बीच बीच मे निकलती घुटि घुटि चीखे इस संगीत को और भी मधुर बना रही थी. 

तूफान शुरू हुआ तो अंजाम तक भी पहुँचा. आशना की टाँगे वीरेंदर की कमर से इस कदर लिपटी कि जैसे वो उसमे समा जाना चाहती हो. आशना का जिस्म जैसे ही आकड़ा ठीक उसी वक्त वीरेंदर की बेकरारी भी सैलाब तोड़ती हुई अपनी मंज़िल की ओर बढ़ चली. दो नदियों का संगम समुंदर मे होना शुरू हो गया. संगम इतना कामुक और प्यारा था कि आशना के जिस्म की हर नदी छलक गयी और समुंदर मे आकर मिलने लगी. 

समुंदर के भरते ही सैलाब महासागर तक पहुँचा और आशना की वीरान कोख के महासागर मे एक बार फिर से सन्गमित रस एकत्रित होने लगा. सैलाब इस कदर उफानित था कि उसके छींटे दोनो अपने जिस्म के बाहर भी महसूस कर रहे थे. काफ़ी देर तक नदियाँ बहती रही और जैसे ही बिस्तर पर आया "निस्चल प्रेम" का तूफान थमा, आशना और वीरेंदर का एक जिस्म स्थिल होकर बिस्तर पर सुषुप्त अवस्था मे गिर पड़ा.

पसीने से लथपथ दो बदन एक दूसरे से लिपट कर अपने अपने चरमसुख को भोग रहे थे. इस वक्त वीरेंदर की विशाल देह आशना की नाज़ुक देह को पूरी तरह से अपने आगोश मे लिए हुए थी. अगर आशना की टाँगे वीरेंदर की कमर से लिपटी ना होती तो उसे वीरेंदर के नीचे ढूँढ पाना बहुत मुश्किल होता. उसका सारा जिस्म वीरेंदर के नीचे दबा पड़ा था.

रह रह कर वीरेंदर के नितंबों मे कंपन हो रही थी और वो अपने वीर्य की हर बूँद आशना की प्यासी कोख मे उतार रहा था. जैसे ही वीरेंदर के नितंबों मे सिकुड़न होती, आशना के जिस्म मे एक कंपन उजागर होती और गरम वीर्य का एहसास उसके कोमल बदन को झिकजोड देता. 

साँसों की गति थमते ही आशना ने वीरेंदर के चेहरे को अपने हाथों मे लेकर चूमना शुरू कर दिया. प्रेमावेश मे आकर आशना ने वीरेंदर के गाल को काट लिया. वीरेंदर की भी तंद्रा टूटी. 

वीरेंदर: सस्स्स्स्सिईईईई, जंगली बिल्ली कहीं की. 

आशना ने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे चूमना जारी रखा.. वीरेंदर ने आशना का साथ देने के लिए अपनी कोहनियों के बल होकर अपने चेहरे को उठाया. आशना बंद आँखो से वीरेंदर को लगातार चूमे जा रही थी. वीरेंदर की नज़र आशना के दमकते चेहरे पर पड़ी तो उसे यकीन ही नही हुआ कि यह उसकी गुड़िया है जिसे उसने अभी कुछ देर पहले ही आशना मे परिवर्तित किया है. 

आशना का चेहरा किसी अद्वितीए तेज सा चमक रहा था. आशना के गुलाबी चेहरे पर इस वक्त जो सुकून था वोही सुकून वीरेंदर अपने दिल मे महसूस कर रहा था. कुछ वक्त तक आशना की हरकतों मे उसका साथ देते हुए वीरेंदर ने कोई हरकत नहीं की और फिर धीरे से आशना को पुकारा.
वीरेंदर: आशना. 

आशना ने सर हिलाकर उस से सवाल किया. 

वीरेंदर(बड़ी आत्मीयता से): अपनी आँखें खोलो ना गुड़िया. 

आशना ने शरमा कर ना मे गर्दन हिलाई. 

वीरेंदर: मैं तुम्हारी आँखो मे सुकून देखना चाहता हूँ गुड़िया. तुम्हारी आँखों मे देखता हूँ तो एक अलग ही खुशी मिलती है मुझे. 

आशना( गुड़िया से आशना बनने के बाद पहली बार बोलते हुए): आआहह, वीर, आइ लव यू, आइ लव यू और यह कहते ही आशना ने एक बार फिर से वीरेंदर के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. 

वीरेंदर: खुश हो ना????

आशना ने होंठ खिल उठे. 

आशना ने आँखें खोली और शरमाते हुए बोली: "मेरी आँखो मे झाँक कर खुद ही देख लीजिए". 

आशना की आँखो की चमक देख कर वीरेंदर के पूरे शरीर मे खुशी की एक अजब सी लहर दौड़ गयी. आशना की आँखे ऐसे मुस्कुरा रही थी जैसे उसे दुनिया की सबसे नायाब चीज़ मिल गयी हो. 

वीरेंदर: आइ आम सो हॅपी फॉर अस गुड़िया. 

आशना: मी टू भैया. वैसे आपको गिफ्ट कैसा लगा????

वीरेंदर( आशना की आँखों मे देखते हुए): माइंडब्लोयिंग और बहुत ही प्यारा गिफ्ट था तुम्हारा. बहुत मज़ा आया मुझे उसका रपर फाड़ने मे. लेकिन दुख है कि अब दोबारा उसे फाड़ नहीं पाउन्गा. यह बात वीरेंदर ने शरारती मुस्कान के साथ कही.
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