RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी ने देखा की अविनाश चला गया है तो वो उठी और खिड़की बंद करके सोचते हुए सो गयी....अविनाश का हाल बुरा था....उसने नीता को देखा वो सो रही थी....उसका। लंड लोहे की रोड जैसा कड़क था...उसने नीता को जगाने की कोशिस की लेकिन नीता ने "उसे सोने दो ना"
कह के मुह फेर के सो गयी। वो उठा और बाथरूम में घुस गया....वहा अपना लंड निकाला और आँखे। बंद करके सुहानी के। बारे। *में सोच के मुठ मारने लगा...2 *min में ही उसका लैंड ने वीर्य उगल दिया...न जाने कितने दिनों से जमा था....आज आखिर में उसे राहत मिल गयी...लेकिन ये तो सिर्फ शुरवात थी क्यू की उसने एक नया दरवाजा खोल दिया था...इतने दिनों से भले ही वो सुहानी को बुरी नजरो से देख रहा था या छु रहा था पर उसके नाम की मुठ नहीं मारी थी....और उसके लंड ने एक। नया स्वाद चख लिया था अब उसे कण्ट्रोल करना अविनाश के लिए बहोत मुश्किल होने वाला था।
अगले दिन जब सुबह सुहानी और अविनाश आमने सामने आये तो *एक दूसरे से नजरे चुरा रहे थे। जो उनके बिच का व्यव्हार सामान्य हो रहा था अब उसमे थोड़ी झिजक सी आ गयी थी। नीता को ये नजर आ गया...उसे लगा की फिरसे अविनाश सुहानी के प्रति अपना पुराण रवैया अपना ना ले...
नीता:- क्या हुआ आपको आज?? सुहानी से ठीक से बात क्यू नहीं कर रहे??
ये सुन के सुहानी और अविनाश दोनों चौके उनको अपनी गलती का। अहसास हुआ...उन्हें ये समाज आ गया की चाहे कुछ। भी। हो उनका व्यवहार सामान्य ही लगना चाहिए।
अविनाश:- * कहा कुछ हुआ?? वो तो मैं पेपर पढ़ रहा था...
नीता:- मुझे लगा की...
अविनाश:- तुम्हे तो कुछ भी लगता है...मुझे मेरी गलती। का अहसास। है...बार बार उसे यद् मत दिलाओ...
वो उठ के सुहानी। के पास गए। और उसे। कंधे। से पकड़। के अपनी और खीचा...मैं अब अपनी बेटी से बहोत प्यार करता हु...
नीता ये। देख के मुस्कुराई और अपना काम। करने लगी।
सुहानी और अविनाश अपने ऑफिस के लिए निकल गए।
उस रात को खाना खाने के बाद सब टीवी देख रहे थे...सोहन पढाई कर रहा था अपने रूम में क्यू की। उसके एग्जाम आने वाले थे। टीवी पे हम साथ साथ है मूवी चल। रही थी। नीता और अविनाश सोफे पे बैठे थे...सुहानी निचे नीता के पैरो के पास फर्श पर बैठी हुई थी। थोड़ी देर में। नीता उठी और टीवी बंद करने लगी लेकिन सुहानी। ने। कहा की आप। लोग जाओ मैं मूवी पूरी देखनी है...वो उसकी पसंदीदा फ़िल्म थी।
नीता चली गयी...अविनाश वही बैठा रहा....उसने सुहानी को देखा उसने आज एक टाइट टॉप और। घुटने तक लंबा स्कर्ट पहन रखा था। सुहानी पैर लंबे करके सोफे को टेक के बैठी थी...अविनाश को टॉप के गले उसकी चुचिया की झलक मिल रही थी...वो तो हमेशा बस इसी ताक में रहता था।
सुहानी ने पलट के एक बार उसकी एयर देखा तो पाया की वो टीवी नही उसे देख रहा है....सुहानी मन ही मन मुस्कुराई...आज पहली बार था की वो अविनाश के साथ अकेली थी।
अविनाश का लंड अंगड़ाई लेने लगा था। उसने देखा की फ़िल्म में एक एमूतिनल सिन चल रहा था नीलम और आलोक नाथ का...वो देख के उसका भी मन भर आया...वो सरक के सुहानी के पास आया और उसके सर पप हाथ रखा...सुहानी ने पलट के देखा...अविनाश की आँखों में आंसू थे...सुहानी झट से उठी और सोफे पे बैठ गयी...
सुहानी:- पापा क्या हुआ आपको??
अविनाश:- कुछ नहीं बेटा...वो सिन देख के इमोशनल हो गया...मैं तुमसे माफ़ी चाहता हु। बेटा की मैंने तुमको कभी वो प्यार नहीं दिया जिसकी तुम हक़दार थी...मैं बस अपने ही गुरुर में था...
सुहानी:- जाने दीजिये पापा..भूल जाइए...
अविनाश:- नही सुहानी...अब मैं उन सालो की भरपाई करूँगा...मैं तुम्हे वो प्यार दूंगा जिसकी तुम हक़दार थी...
सुहानी के आँखों। में भी आंसू आ गए...अविनाश ने हथेली में उसका चेहरा पकड़ा और आंसू पोंछे....और बैठे बैठे ही उसे बाहो में भर लिया....सुहानी ने भी अविनाश को गले लगा लिया...सुहानी का चेहरा उसकी छाती पे था और सुहानी के शरीर का भार अविनाश पे आने के कारण अविनाश थोडा पीछे की और चला गया और सुहानी की चुचिया पेट के निचले हिस्से पे थोडा लंड के ऊपर वाले हिस्से पे दब गयी...जब अविनाश को इस बात का अहसास हुआ तो वो इमोशनल मूवमेंट अगले ही पल बदल गयी...अविनाश जिसने सुहानी को बेटी समझ के बाहो में लिया था अब वो उसके लिए सिर्फ एक मादक जवान जिस्म था। उसका लंड खड़ा होने लगा....उसने सुहानी की पीठ पे हाथ घुमाए और उसे थोडा और कसके गले लगा लिया....सुहानी को भी अहसास हुआ की अब वो अपने पापा की बाहो में नही थी वो एक कामुक मर्द की बाहो में थी....उसका दिमाग कहता की उसे दूर हो जाए पर उसका दिल कुछ और ही चाहता था...वो भी थोडा जादा लिपट गयी...सुहानी को अपने पेट पे अविनाश का लंड खड़ा होते हुए महसूस हो रहा था...जैसे ही उसे अविनाश के लंड का टाइटनेस फील हुआ उसकी चूत गीली होने लगी...सुहानी और अविनाश अलग हुए...ये सब सिर्फ 2 min के लिए हुआ था पर दोनों की हालत ख़राब होने के लिए इतना वक़्त काफी था।
दोनों थोड़ी देर कुछ नहीं बोले...ऐसेही टीवी देखते रहे...
सुहानी:- पापा चलिए अब सो जाते है...मुझे नींद आ रही है...
अविनाश:- हा चलो...
दोनों एक दूसरे को गुड नाइट विश किया और अपने अपने कमरे में चले गए।
सुहानी अपने कमरे में आते ही खिड़की थोड़ी खोल दी और पर्दा भिबथोड़ा सरका दिया...और लाइट बंद करके लेट गयी।
सुहानी:- उफ्फ्फ आज तो *पापा ने हद्द ही कर दी...कैसे मुझे कसके बाहो में ले लिया...और लंड भी तो खड़ा हो गया था...और कैसे उचका रहे थे उसे स्सस्सस्स
तभी उसे खिड़की के पास कुछ हलचल दिखाई दी....सुहानी समझ गयी की अविनाश है...वो चुपचाप लेटी रही....उसने सोते वक़्त ही अपना स्कर्ट थोडा ऊपर ककर लिया था....उसे मजा आने लगा था की अविनाश रोज उसे क्खिड़की से देख रहा है...और आज वो अविनाश को थोडा और जादा अपना जिस्म दिखाना चाहती थी।
अविनाश ने देखा सुहानी सो रही है उसने एक पेअर घुटने से मोड़ के साइड में रखा हुआ था...स्कर्ट जांघो तक ऊपर खिसका हुआ था....नील रंग की रोशननि में सुहानी की सावली जांघे कुछ अलग ही दिखाई दे रही थी....थोड़ी देर सुहानी वैसे ही सोती रही....फिर उसने अपना पैर उठाया और थोडा फैला के सो गयी....पैर उठाने की वजह से स्कर्ट पूरा ऊपर की और चला गया और उसककी सफ़ेद पॅंटी दिखाई देने लगी.....उसने अपनी आखो को थोडा खोल के देखा अविनाश वही खड़ा था....सुहानी की चूत गीली होने लगी थी....उसे ये सब करते हुए बहोत मजा आ रहा था....चूत गीली होने के कारन अब थोड़ी खुजली सी होने लगी थी...सुहानी अपनी चूत खुजाना चाहती थी पर उसे शरम आ रही थी....उसे पपता था अविनाश उसे देख रहा है...पर अब उसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था....उसने अपना हाथ चूत पे रखा औरदोनों घुटनो को मोड़ा और बिच की ऊँगली से चूत को खुजाने लगी....कुछ सेकंड तक खुजाती रही और फिर अपना हाथ हटा लिया....खुजाने की वजह से पॅंटी थोड़ी चूत के अंदर ही रह गयी.... उसने अपने पैर मिड हुए हालत में ही फैला दिए...जैसे की किसी को कह रही हो " लो आ जाओ डालदो अपना लंड मेरी चूत में"
सुहानी की सांसे तेज चल।रही थी...वो चाहती थी की अभी अपनि चूत में ऊँगली डाल के उसे चोद दे....ऐसाही हाल अविनाश का था....
ये सब देख के वो अपना लंड पैंट से बाहर निकाल चूका था.....सुहानी के फैलाये हुए पैर और चूत के अंदर धसी हुई पॅंटी को देख के अपना लंड जोर जोर से आगे पीछे कर रहा था....साइड की दीवारे काफी ऊँची थी और वहा अँधेरा था तो कोई उसे देख नहीं सकता था....
अविनाश:-उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स्स् अघ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् कैसे पैर फैला के सोई है उम्म्म्म्म्म ऐसा लग रहा है जैसे बस इंतजार कर रही है कोई आये और पॅंटी को हटा के लंड अंदर घुसा दे स्सस्सस्सस
अविनाश जोर जोर से लंड हिला रहा था...कुछ ही पल में वो झड़ गया।
सुहानी अपनी आँखे थोड़ी खोल के देख रही थी अविनाश कब जाएगा....क्यू की आज उसे भी अपनी चूत में *ऊँगली करके उसे शांत करना था.....जैसे ही उसे लगा की अविनाश चला गया है वो उठी और उसने कन्फर्म किया और खिड़की बंद करके अपने सारे कपडे उतार फेके और अपनी चुचिया मसलती हुई चूत को सहलाने लगी....चूत में ऊँगली डाल के अंदर बाहर करने लगी....वो इतनी जादा उत्तेजित थी की ...थोड़ी ही देर में वो भी ढेर हो गयी...हफ्ते हुए उसने आँखे बंद कर ली...और वैसेही कब उसे नींद लगी उसे भी पता नहीं चला..,
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