RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी की आँखों से नींद तो जैसे गायब ही हो गयी थी। बिस्तर पर लेटे हुए कार में हुई बातो कको याद कर रही थी।
सुहानी:- उफ्फ्फ अभी तक अपनी चूची पे पापा के हाथ का अहसास हो रहा है...पापा की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी...मम्मी बाजु में थी फिर भी मेरे साथ ये सब कर रहे थे...अगर और थोड़ी देर हम कार में होते तो क्या पता क्या क्या करते...शायद मेरी चूत को भी छु लेते...और मैं मना भी नही करती...उस दिन भी तो कैसे मेरी चूत पे लंड रगड़ रहे थे....सुहानी ये सब सोचते हुए उत्तेजित हो रही थी...उसने अपनी चूत सहलाना शुरू कर दिया था और थोड़ी देर में ही झड़ गयी ।
अविनाश भी आज बहोत खुश था...आखिर उसने आज सुहानी की नंगी चूची को छु जो लिया था।
अविनाश:- आज तो मजा आ गया...और सबसे बड़ी बात की सुहानी ने मना भी नही किया...रोज तो किसी ना किसी बहाने से छुट जाती थी...पपर आज चुपचाप सब करवा रही थी....वो भी मजे ले रही है...चलो अच्छा है ऐसेही चलता रहा तो जल्द ही उसे चोद दूंगा स्सस्सस्सस सच कहु तो ऐसे उसके बदन से खेलने का मौका मिलता रहे ये भी बहोत है...पर अगर वो भी राजी है मुझसे चुदने को तो फिर मजे मजे है....
अविनाश भी अपना लंड हिला रहा था...थोड़ी ही देर में वो भी झड़ के शांत हो गया और सो गया।
दो दिन सब ने वहा बहोत एन्जॉय किया...सब लोग बहोत खुश थे। अविनाश को कुछ खास मौका नहीं मिला था ये दो दिन ...लेकिन दूसरे दिन रात को जब सब लोग खाना खा के अपने अपने कमरे में जाने लगे तब सुहानी ने सबको कहा की चलो घूम के आते है लेकिन सब ने कहा की वो बहोत थक गए है ...तो सुहानी ने कहा की वो अकेली ही जा रही है ...अविनाश भी बहोत थक गया था...उसका भी मुड़ नही था लेकिन जब उसने देखा की सुहानि सच में अकेले ही घूमने निकल पड़ी तो वो भी उसके पीछे पीछे चला गया...उसने नीता से कहा की रात को उसे ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकते...
सुहानी ने देखा की अविनाश उसके पीछे पीछे आ गया तो वो मन ही मन मुस्कुराई...
होटल के सामने बहोत बड़ा गार्डन था...रात के 10.30 बज चुके थे ... धीमे लाइट की रौशनी थी...बाहर बहोत ठण्ड थी तो बस केकुछ ही लोग थे जो घूम रहे थे...सुहानी और अविनाश बाते करते हुए ठंडी हवा का मजा लेते हुए टहलने लगे...
टहलते हुए वो गार्डन के आखरी कोने में आ गए...वहा उन्होंने देखा की एक कपल बैठा हुआ था....वो किस कर रहे थे...अविनाश और सुहानी ने उनको देखा तो उनके कदम वही रुक गए और वो दोनों पलट गए...दुबारा जब दोनों चक्कर लगा के वापस आये तो सुहानी ने देखा वो लोग अभी किस कर रहे थे...और लड़का उसकी चुचिया दबा रहा था...सुहानी को बड़ा अजीब लगा वो फिर से पलट गए...अविनाश ने देखा सुहानी उन दोनों को वो सब करते देख अजीब सा फील कर रही थी...वो जब दुबारा घूम के उस और जाने लगे तो सुहानी ने मना कर दिया....
सुहानी:- नही पापा उस और नही जाते...
अविनाश:- क्यू क्या हो गया??
सुहानी:+ पापा वो लोग बैठे हुए होंगे वहा...और वो...
अविनाश को लगा की यही सही मौका है सुहानी से खुल के बात करने का...
अविनाश:- अरे बेटा वो लोग तो मजे कर रहे थे...यहाँ कपल इसीलिए तो आते है की साथ में वक़्त गुजार सके...
सुहानी:- हा तो रूम में जाके करे जो करना है...ऐसे खुले में अच्छा लगता है क्या??*
सुहानी ग़ुस्से में बोल गयी।
अविनाश:- बात तुम्हारी सही है...पर खुली ठंडी हवा में ही कुछ ऐसा होता है की आदमी बहक् जाता है। और वो क्या कर रहे थे सिर्फ किसिंग ही तो कर रहे थे
सुहानी किसिंग की बात सुन के शरमा जाती है।
अविनाश:- अब अगर मेरी जगह तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड होता ना तो तुम्हे समझ आता...अगर अभी तुम्हारे जगह नीता होती तो मेरा भी कण्ट्रोल नही रहता...
सुहानी:- कुछ भी बोलते हो आप...इक तो मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...और मैं मम्मी नहीं हु...
अविनाश:- ह्म्म्म। जनता हु...पर होती तो पता नहीं क्या करता??
सुहानी:- क्या करते??
सुहानी के मुह से। अचानक निकल गया...जब उसे पता चला की उसने क्या पूछ लिया है तो शरमा गयी।
अविनाश:- वही जो वो लोग कर रहे थे...या उससे जादा भी। कुछ हो सकता था...
सुहानी:- कुछ भी...मम्मी आपको दो थप्पड़ लगा देती ही ही ही
अविनाश:-ऐसे कैसे लगा देती...
बाते करते हुए वो लोग घूम के वापस उसी जगह आ गए थे...अब वो कपल किस नहीं कर रहा था...वो लड़की लड़के के गोद में सर रखी हुई थी...
सुहानी:- थैंक गॉड...
अविनाश:-क्यू??*
सुहानी:- दोनों अब नार्मल है..
अविनाश:- किसने कहा?? तुम्हे यहाँ से ऐसा लग रहा है...पर वहा कुछ और ही खेल चल रहा है...
अविनाश जानबुज के ये सब बोल रहा था।
सुहानी:- क्या खेल?? मुझे तो सब ठीक ही लग रहा है...
अविनाश:- जाने दो तुम नही समझोगी...
सुहानी:- बताईये तो....सुहानी को समझ नहीं आ रहा था...वो कुछ जादा ही क्यूरियस हो रही थी।
अविनाश:- नहीं रहने दो...
सुहानी:- बताईये तो सही...
अविनाश:- देखो वो लड़की उस लड़के के गोद में सर किस तरह राखी हुई है...
सुहानी ने ठीक से देखा...वो लड़की लड़के गोद में सर राखी हुई थी और उसका मुह पेट किबतर्फ था...उसका मुह बिलकुल लड़के के लंड पे था...ये देख के सुहानी झट से पीछे हट गयी और मुद के वापस चलने लगी...
अविनाश:- समझ आया कुछ??
सुहानी:- छी पापा कुछ भी बोलते हो आप...सुहानी शरमा रही थी।
अविनाश:- अरे तुमने ही पूछा इसलिए ममैने बताया...
सुहानी:- लेकिन मुझसे ऐसे बात करते हो आप...आपको शर्म नहीं आती??
अविनाश:- देखो तुमने पूछा मैंने बताया...और शरम की क्या बात?? कहते की जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसका दोस्त बन के रहना चाहिए....और दोस्तों के बिच इतना तो चलता है और हम आज के ज़माने के है...
सुहानी:- ओह्ह्ह तो ऐसी बात है...
अविनाश:- हा बिलकुल...
सुहानी:- ठीक है...चलिए अब सोने चलते है...
अविनाश:- हा चलो...ठण्ड बहोत बढ़ गयी है...और ऐसे ठण्ड में यहाँ रहना है तो उनके जैसा कुछ करना पड़ेगा...
सुहानी:- पापा....सुहानी हस्ते हुए आँखे बड़ी करती हुई अविनाश को देखा।
अविनाश:- हा नहीं तो क्या...उनको देख के तो मुझे मेरा हनीमून याद आ गया...
सुहानी:- ओह्ह्ह तो आप क्या हनीमून पे ऐसेही कहि पे भी शुरू हो जाते थे क्या??
सुहानी भी खुलने लगी थी।
अविनाश:- हा तो हनीमून होता ही इसलिए है...
सुहानी:- ह्म्म्म आपका ये रूप तो मुझे पता ही नही था...
अविनाश:- तुमने अभी देखा ही क्या है...
सुहानी:- मुझे देखना भी नही है...मुझे मेरे पापा इस रूप में ही पसंद है...
अविनाश:- देख लो एक बार...क्या पता अलग वाला रूप जादा पसंद आये...
सुहानी:- नही देखना मुझे...
अविनाश:- पर मुझे देखना है...
सुहानी अविनाश की इस बात पे हैरानी से उसकी और देखा।
सुहानी:- क्या देखना है???
अविनाश:- मतलब की तुम्हारा हर पैलू मुझे जानना है...तुम्हारा हर रूप मुझे देखना है..
सुहानी:- ओके दिखा दूंगी...
अविनाश:- कब दिखाओगी??
सुहानी अविनाश के इस सवाल पे थोडा चौकी क्यू की उसे अब समझा था की अविनाश डबल मीनिंग वाली बाते कर रहा है...वो शरम से पानी पानी हो गयी।
सुहानी:- क्या??आप की बाते मेरी समझ के बाहर है...चलिए...
सुहानी। बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी...इसलिए उसने उसका हाथ पकड़ा और लगबघ खिवहते हुए वो होटल के अंदर जाने लगी।
अविनाश:-( ह्म्म्म्म सब समझ आता है पर नाटक कर रही हो...चलो कोई नही धीरे धीरे सब समझने भी लगोगी और....)
*दोनों अपने अपने कमरे में चले गए।
सुहानी:- ये पापा भी ना...पहले तो बस हरकते करते थे अब बाते भी करनी शुरू कर दी है...बहोत बदमाशी करने लगे है...सुहानी शरमा रही थी।*
अजीब खेल होता है टाइम का...कल तक सुहानी अविनाश से ठीक से बात भी नही कर पाती थी...आज उसके साथ ऐसे मजाक भी करने लगी थी...अविनाश जो सुहानी को नजर भर देखता नही था...आज सिर्फ उसको देखना चाहता था...या यु कहो की सिर्फ उसका मादक जिस्म...अविनाश का तो समझ आता है...पर सुहानी?? वो क्यू इतना अविनाश के साथ ये सब कर रही थी??
जवाब साफ़ था...सुहानी को इतनी अटेंशन आज तक किसी मर्द ने नही दी थी...शायद वो अब बहने लगी थी...उसके जिस्म से होती हुई छेड़छाड़ ने उसे उनके बिच के रिश्ते को भुला देने पे मजबूर कर दिया था...वो सिर्फ समीर की बातो में आ गयी थी...ये सब उसे नॉर्मल लगने लगा था.......
अगले दिन दोपहर में वो लोग वापसी के सफ़र में लग गए थे...दिन का समय था और नीता भी दोनों के बिच होने के कारण वापसी के समय कुछ नही हुआ।
रात को वापस अपने शहर पहोच के उन्होंने बाहर ही खाना खाया और थकेहारे घर पहोंच कर सो गए।
अगले दो तिन दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ....सुहानी छुट्टी लेने के कारण बहोत काम पेंडिंग था। अविनाश को भी कोई बहाना नहीं मिल रहा था...और ऊपर से नीता की तबियत भी थोड़ी ख़राब हो गयी थी।
अगले दिन नीता की तबियत थोड़ी जादा ही ख़राब हो गयी...हालांकि उसे डॉ को दिखा दिया था पर उसका बुखार कम नहीं हो रहा था।
सुहानी जब ऑफिस से लौटी तो उसने देखा की *नीता की तबियत कुछ जादा ही ख़राब होने लगी है तो वो उसे लेकर हॉस्पिटल गयी...वहा डॉ ने उसे एडमिट कर लिया। सुहानी ने फ़ोन करके अविनाश को बताया तो भी तुरंत हॉस्पिटल पहोंच गया...सोहन भी आ गया था। नीता की ट्रीटमेंट शुरू हो गयी थी...उसे बहोत कमजोरी आ गयी थी। डॉ ने बताया की उसे तिन दिन तक यही रहना पड़ेगा...और अगर तिन दिन के बाद भी कुछ लगा तो और रुकने का काम पड़ सकता है।
सुहानी घर गयी और सब जरुरी सामान और सोहन और अविनाश के लिए खाना ले आयी....सुहानी ने अविनाश और सोहन से कहा की वो घर चले जाय...वैसे भी दूसरे दिन सन्डे था तो उसे कोई प्रॉब्लम नहीं थी...और रूम में सिर्फ एक आदमी के सोने की व्यवस्था थी...लेकिन अविनाश ने कहा की वो रुक जाएगा सोहन और सुहानी को घर जाने को कहा...लेकिन सुहानी ने मना कर दिया...आखिर में ये तय हुआ की सुहानी और अविनाश दोनों वही रहेंगे और सोहन घर पे चला जाएगा।
करीब 11 बजे डॉ का राउंड हुआ...अब नीता को बुखार नहीं था...लेकिन कमजोरी बहोत थी...और दवाइया जो उसे सलाइन में से दी जा रही थी उसके वजह से उसे बहोत नींद आ रही थी।*
डॉ के जाने के बाद....
सुहानी:- पापा आप यहाँ सोफे पे सो जाइये मैं निचे सो जाउंगी...लेकिन मैं ब्लैंकेट सिर्फ एक ही लायी हु...
अविनाश:- कोई बात नहीं तुम यहाँ सोफे पे। सो जाओ...मैं बैठे बैठे सो जाऊँगा...मुझे आदत है...ऑफिस में ऐसेही आराम कर लेता हु...
सुहानी:- ह्म्म्म क्या पापा आप भी न...
अविनाश:- अरे मजाक कर रहा था...तुम सो जाओ...मैं यहाँ निचे सोफे को टेक के बैठता हु...और किसी एक को जागना पड़ेगा...क्यू की अगर नीता को कुछ लगा तो या कुछ प्रॉब्लम हुई तो...
सुहानी:- हा ये भी है...तो मैं भी नहीं सोती...और वैसे भी नींद नहीं आएगी इतने जल्दी। चलिए चेंज तो कर लीजिये...मैं आपके कपडे लायी हु...
अविनाश और सुहानी। ने चेंज कर लिया। अविनाश ने टी शर्ट और नाईट पैंट पहन हुआ था...सुहानी ने वही ढीला नाईट ड्रेस पहना था जो ट्रेवलिंग में पहना था।
*दोनों बैठ के इधर उधर की बाते करने लगे।
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