RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी का। मन नहीं मान रहा था लेकिन उसे दूसरा रास्ता नजर नही आ रहा था...और उसे लगा की शायद अविनाश कोई ऐसी हरकत नहीं करेगा क्यू की वो हॉस्पिटल में थे।
अविनाश सोफे पे लेट गया...सुहानी उसके बगल में लेट गयी...सुहानी ने टीपॉय को नजदीक खीच लिया था ताकि वो नींद में निचे ना गिरे...और सोफे पे जगह भी तो कम थी। अविनाश ने ब्लैंकेट दोनों के ऊपर ले लिया और सुहानी की तरफ पीठ कर दी। सुहानी ने राहत की सांस ली वो भी उसकी और पीठ कर दी। दोनों की गांड एक दूसरे के गांड से टकरा रही थी। अविनाश को उसकी गांड का स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था। नरम मांसल गांड की गर्माहट उसे भलीभांति महसूस हो रहीं थी। थोड़ी देर ऐसेही गुजरा...लेकिन कोई भी एक पोजीशन में कितनी देर तक सोता रह सकता है...ये चीज दोनों को जल्द ही समझ आ गयी। अविनाश थोडा हिला...सुहानी का दिल जोर से धककक किया...उसे लगा की अविनाश अब कुछ करेगा लेकिन वो शांत हो गया। सुहानी कुछ समझ नही प् रही थी उसका दिल क्या चाहता था उसे भी नहीं पता था। एक तो वो डर रही थी की अविनाश कुछ हरकत ना करे...और दूसरी और इंतजार कर रही थी की अविनाश कुछ करे...कुछ टाइम ऐसेही बिता।
अविनाश से रहा नहीं गया...सुहानी उसके इतने नजदीक थी...उसने अपना उप्प्पर वाला हाथ जो उसने अपनी जांघो पे रखा हुआ था...उसे थोडा फिसला दिया और वैसेही रखा। वो सुहानी की गांड को टच हो रहा था...सुहानी को एक झटका सा लगा क्यू। की वो अभीतक सोई नही थी।
उसका दिल जोर जोर से धड़कने लगा...
सुहानी:-ओह्ह्ह तो पापा शुरू हो गए...अब क्या करू..???
लेकिन अगले कुछ वक़्त तक कोई हरकत नहीं की थी। अविनाश ने...तो सुहानी को लगा की अविनाश सो गया है और हाथ गलती से लग गया होगा।
लेकिन अगले ही पल अविनाश ने अपने हाथ के पिछले हिस्से से सुहानी की गांड को एक दो धीरे से सहलाया...सुहानी समझ गयी की ये गलती से नही हुआ था...सुहानी को क्या करे कुछ समझ नही आ रहा था। सुहानी की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं होता देख अविनाश की हिम्मत बढ़ गयी...उसे लगा की सुहानी सो गयी है।
अविनाश:- ओह्ह्ह लगता है सो गयी...नींद के मामले में ये अपनी मम्मी पे गयी है...एक बार सो जाती है इसे पता भी नही रहता इसके साथ क्या हो रहा है।
अविनाश ने अपना हाथ टर्न किया और सुहानी की गांड पे रख दिया...और फिर धीरे धीरे उसकी गांड सहलाने लगा...धीरे से एक दो बार दबाया...
सुहानी:- उफ्फ्फ्फ्फ़ स्स्स्स अब क्या करू?? ये पापा तो समझते ही नहीं कुछ...
सुहानी अपनी गांड पे अविनाश के हाथो स्पर्श बहोत अच्छा लग रहा था लेकिन वो यहाँ कुछ करने देना नही चाहती थी।
अविनाश:- स्सस्सस्स अह्ह्ह्ह क्या मस्त मांसल गांड है उम्म्म्म्म
अविनाश मस्त मजे ले रहा था सुहानी के गांड को छूने का...लेकिन वो जादा देर तक मजे नही ले पाया....सुहानी थोड़ी हलचल की..और उलये जताने की कोशिस की ..की वो जग रही है या जग जायेगी। सुहानी की ये चाल कामयाब हुई...अविनाश ने अपना हाथ पीछे ले लिया...लेकिन थोड़ी देर बाद फिरसे अविनाश अपना हाथ उसकी गांड पे रख दिया...इस बार अविनाश सुहानी की गांड को सिर्फ सहला और दबा नहीं रहा था बल्कि उसकी गांड की दरार में अपनी बिच की ऊँगली थोड़ी अंदर घुसा के धीरे धीरे घुमा रहा था....सुहानी अविनाश की इस हरकत से सिहर उठी...वो उत्तेजित होने लगी...वो खुद चाहती थी की ये सब हो बस जगह और सिचुएशन की वजह से खुद को रोके हुई थी...लेकिन अब उस ऊँगली ने अपना काम कर दिया था...सुहानी बहक चुकी थी...वो चुपचाप लेटी रही।
सुहानी की चूत गीली होने लगी थी। वो अपनी गांड की दरार में से घूमती ऊँगली को एन्जॉय कर रही थी।लेकिन अविनाश का हाथ दर्द करने लगा था क्यू की उसका हाथ उसे उल्टा करना पड़ रहा था।
उसने अपना हाथ वापस खिंच लिया...थोड़ी देर ऐसेही रहने के बाद...अविनाश धीरे से पलटा...और अपना चेहरा सुहानी की पीठ किबतर्फ कर दिया...सुहानी अपना एक हाथ तकिये की तरह लेके सोई हुई थी अविनाश भी वैसे ही सो गया।
अविनाश का खड़ा लंड सुहानी की गांड से बस कुछ इंच ही दूर था...सुहानी कू समझ गया था की अविनाश पलट गया है...उसका दिल अब बहोत जोर से धड़क रहा था...क्यू की उसे पता रहा अविनाश अब क्या करने वाला है...उसे पूनम के चाचाजी की साथ वाली घटना याद गयी।
लेकिन अविनाश अपना लंड सुहानी के गांड को टच नही होने दे रहा था। उसने अपना हाथ सुहानी की गांड पे रखा और इत्मीनान से सहलाने लगा।
अब उसे आसानी हो रही थी। दुबारा वो अपनी बिच की ऊँगली सुहानी की गांड की दरार में से घुमाने लगा। सुहानी की हालत खराब होते जा रही थी।
फिर अविनाश ने अपना हाथ अपने लंड पे रखा और उसे सिधा किया और धीरे से सुहानी के गांड की दरार में रख दिया और अपना हाथ उसकी कमर पे रख दिया और धीरे से अपना लंड दबाया.......................सुहानी इसके लिए तैयार ही थी...वो उत्तेजना के सातवे आसमान में थी...
लेकिन तभी नीता फिरसे नींद में खांसी आयीं...सुहानी एकदम से उस आसमान से निचे आ गिरी...नीता की खांसी थोड़ी जादा थी...सुहानी ने आँखे खोली...अविनाश भी थोडा रुक गया था...सुहानी ने ऐसे दिखाया जैसे वो नीता की खांसी की वजह से जाग गयी है...वो झट से उठी और नीता के पास चली गयी...उसने नीता के सर पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगी...उसने थोडा पानी लिया और नीता को जगाया...लेकिन नीता अभी भी दवाई के असर में थी...उसने कैसे तो भी अपनी आँखे खोली और पानी पिया...और फिर से सो गयी।
सुहानी को बहोत बुरा लग रहा था...वो एक दूसरी चेयर लेके वही नीता के सर के पास बैठ गयी...उसने देखा अविनाश आँखे बंद किये पड़ा हुआ था। सुहानी वही पे दिवार से अपना सर लगा के आँखे बंद कर ली।
थोड़ी देर बाद अविनाश ने देखा की सुहानी वाही नीता के पास एक चेयर पे बैठ बैठे ही सो गयी है तो वो भी सोफे पे सो गया...उसने अब सुहानी से बात करना या कुछ कहना उचित नहीं समझा...क्यू की उसे भी थोडा बुरा लग रहा था।
सुबह जब अविनाश की आँखे खुली तो देखा 7 बज चुके थे। सोहन आ चूका था...उसने बाहर किसी होटल से चाय और नास्ता लाया था। नीता भी जग गयी थी। अब वो ठीक महसूस कर रही थी।
अविनाश भी फ्रेश हो के चाय नास्ता किया...थोड़ी देर बाद सुहानी घर चली गयी और नहा धो के खाना बना के लेके आ गयी। अविनाश वाही हॉस्पिटल में था उसका सब सामान सोहन ले अआया था।
सब लोग उस दिन दिन भर हॉस्पिटल में ही थे। रात होते होते नीता बिलकुल ठीक हो गयी थी।
लेकिन अविनाश ने देखा की सुहानी थोड़ी अपसेट थी।
रात को सुहानी जब खाना लाने घर गयी तो वो साथ में एक मैट और ब्लैंकेट लेके आ गयी।
उस रात सोहन वहा रुका और अविनाश घर चला गया..
अगले दिन सुहानी जल्दी ही घर वे गयी और सब काम निपटा लिए...अविनाश ने देखा की वो उससे जादा बात नही कर रही थी...अविनाश को ये बात चुभ रही थी...लेकिन उसने सुहानी से कुछ नही कहा।
नीता अब बिलकुल ठीक हो गयी थी। सुहानी को अर्जेंट काम के लिए ऑफिस जाना था इसलिए वो छुट्टी नही ले पायी...और अविनाश को भी ऑफिस जाना था। उस दिन सोहन ही वहा दिनभर रुका हुआ था।
रात कको जब सुहानी हॉस्पिटल आयी तो उसने देखा नीता बिलकुल ठीक हो गयी है और कल सुबह उसे डिस्चार्ज मिलने वाला है तो वो बहोत खुश हुई। अविनाश उसे ऐसे खुश देख के थोडा राहत महसूस की क्यू की उसे लग रहा था की सुहानी उसकी वजह से अपसेट है।
उस रात सोहन ने सुहानी से कहा की वो नीता के पास रुक जाएगा...उसे थोडा आराम भी मिल जाएगा ...अविनाश तो वैसे भी घर पे ही रुका हुआ था...सोहन ने अपने एक दोस्त को बुला लिया था।
नीता भी उसे जाने के लिए कहने लगी तो सुहानी को मानना पड़ा...और खुद सुहानी भी बहोत थकी हुई महसूस कर रही थी तो वो उन सब को बाय बोल के घर पे आ गयी।
सुहानी को घर पे देख के अविनाश खुश हो गया...एयर सुहानी का मुड़ भी उसे अच्छा लग रहा था।
दोनों के बिच औपचारिक बाते हुई...सुहानी ने बताया की कल सुबह नीता को डिस्चार्ज मिल जाएगा।
अविनाश:- एक बात पुछु??
सुहानी:- हा पूछिये...
अविनाश:- तुम मुझसे नाराज हो क्या किसी बात के लिए...
सुहानी:- नही तो...किस बात के लिए नाराज रहूंगी।
अविनाश:-( ओह्ह चलो ये मुझसे नाराज नहीं है) फिर तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है दो दिन से??
सुहानी:-वो मम्मी बीमार है..और ऊपर से ऑफिस घर सब बहोत थक गयी हु...चलो एक कप कॉफ़ी बना लेती हु...सुहानी उठी किचन में जाने के लिए।
अविनाश भी खड़ा हो गया...उसने सुहानी को रोका...उसके चहरे को हथेली में लिया और माथे पे किस किया...सुहानी को ये बहोत ही अच्छा लगा...उसके प्रति अविनाश का प्यार देख के वो बहोत खुश हुई क्यू की इस किस में उसे कही वासना हवस नजर नहीं आयीं।
अविनाश:- डोंट वरी बेटा अब नीता ठीक है...कल घर भी आ जायेगी...
सुहानी:- हा पापा..मम्मी के बगैर ये घर अच्छा नही लगता...
सुहानी खुद ही उसके बाहो में चली गयी...
अविनाश ने उसे प्यार से सहलाया...
अविनाश:- ह्म्म्म चलो अब कल से सब रूटीन पे आ जाएगा...
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