RE: Chodan Kahani हवस का नंगा नाच
अपडेट 14
शाम हो चूकी थी...समीर अपने कॉलेज से आ चूका था....उस ने देखा उसकी सौज़ी मोम मोम के कमरे की ओर जा रही थी , यानी की मोम शायद आ चूकी थीं घर ..पर यह एक अजीब ही बात थी ....मोम और इस समय घर में..? ऐसा तो उसकी 18 साल की छोटी पर कुछ लंबी सी जिंदगी में आज तक नही हुआ ..इस समय मोम यह तो ऑफीस में होतीं यह फिर क्लब में ...और फिर क्लब होते हुए घर आतीं यह फिर वहीं से सीधे किसी पार्टी में .... अपनी मोम की शकल उसको सुबेह ही दीखती ....
उस ने आश्चर्य करते हुए सौज़ी मोम से पूछा .." क्या बात है सौज़ी मोम ..आप मोम के कमरे में अभी इस वक़्त जा रही हैं ..? "
म्र्स. डी' सूज़ा उसे अपनी तरेफ इशारे से बूलाती हैं ...और अपने साथ ले उसे उसकी मोम के कमरे की ओर ले चलती है ..दरवाज़ा बिना किसी आवाज़ किए धीरे से खोलती है और अंदर देखती है... समीर भी सौज़ी मोम के साथ अंदर देखता है ...
साना बीस्तर पर अभी भी सो रही थी ... बिल्कुल एक बच्ची की तरेह शांत , निश्चल चेहरा था ..चेहरे पर कोई शीकन नही थी...सारी दुनिया से बेख़बर थी ...
यह कुछ तो उसके स्कॉच के शूरूर का और कुछ उसके रोने से , आँसू बहाने से अपने आप को हल्का महसूस करने का असर था ...
सौज़ी मोम दरवाज़े को फिर से बिना आवाज़ किए उधका देती है समीर के साथ बाहर निकल आती है ...और फिर उसके साथ डाइनिंग टेबल से लगे कुर्सी पर बैठ ..उसकी ओर देखती है
" बेटा तुम ने देखा ना आज कि साना कैसी है....देखा ना कितनी मासूम थी ..कितनी हसीन लग रही थी ...? "
" हां सौज़ी मोम ....एक तो आज इस वक़्त मोम घर पर है ..और फिर इतना शांत और निश्चिंत चेहरा आज तक मैने नही देखा ..यह क्या हो गया उन्हें ..तबीयत तो ठीक है ना उनकी..? " सॅम हैरान होते हुए कहता है..
" बेटा यह आज जो रूप है ना तेरी मोम का..यह उसके असली रूप की थोड़ी सी झलक है ....बहोत थोड़ी सी ..देखा ना कितना सुन्दर , कितना खूबसूरत और निश्चल है यह चेहरा ? "
"पर आज हुआ क्या सौज़ी मोम ...? यह बदलाव ? "
" मैने सुबेह कहा था ना तुझ से सॅम ..तुम ने उसकी मा की ममता को झकझोर दिया है ...उसके दिल में उथल पुथल मची है.... जिस तरेह तुम ने पढ़ा होगा ना क़ि सागर में मंथन हुआ था और कितने रत्न निकले थे...वोही मंथन आज साना के सागर से गहरे प्यार भरे दिल में भी हो रहा है और फिर इसमें से तुम्हारे लिए मोती ही मोती निकलेंगे बेटा ...इसमें से सिर्फ़ तुम्हारे लिए प्यार की अमृत फूट पड़ेगी ..तू संभाल नही पाएगा इतना प्यार देगी वो तुझे..अभी अभी उसके अंदर का तूफान शांत हुआ है और अब वो शान्ती उसके चेहरे पर झलक रही है .....बस थोड़ा सब्र करो बेटा ..." म्र्स डी' सूज़ा उसे कहती है ..
समीर आँखें फाडे साना की ओर देखता है , अपनी मोम का यह रूप ..,उसके उपर का चादर अस्त व्यस्त सा उसकी शरीर को ढँक कम रहा था , उसके बदन की गोलाईयो , उसकी छाती के उभार को और भी हसीन बना रहा था ... सुडौल टाँगें बाहर निकली हुई थी , साँसों के साथ उसकी चूचियों का उपर नीचे होना ..बाल चेहरे पर बीखरे बीखरे ... सम की आँखों में एक अजीब ही चमक थी ...वो अपनी मोम में खो सा गया था ..म्र्स. डी' सूज़ा की नज़र उस पर पड़ती है ..वो मुस्कुरा देती है..सम थोड़ा झेंप जाता है ..पर झेंप मिटाते हुए कहता है
" पर सौज़ी मोम यह सब हुआ कैसे ...जब मोम ऑफीस जा रही थीं.कितने गुस्से में थी ....बताइए ना क्या हुआ उसके बाद ..?"
और फिर म्र्स डी.'सूज़ा , साना के ऑफीस से जल्दी आ जाने से ले कर उसके और साना के बीच हुई बातों का पूरा हाल सुनाती हैं ....
समीर सारी बात बड़े ध्यान से सूनता है , और थोड़ा कन्फ्यूज़्ड सा लगता है ....उसे यह समझ नही आ रहा था उसकी मोम के पापा और उसके खुद के पापा जिनकी मौत एर क्रॅश में हो गयी थी , इन दोनों के बीच क्या रिश्ता था ...उसके पापा को मोम बार बार पापा ..पापा क्यूँ बोल रही थी ..जैसा कि म्र्स. डी' सूज़ा अपनी बात करते वक़्त कहती जातीं ...
सॅम को यह मालूम नही था अब तक कि उसके पापा और उसके मोम के पापा एक ही थे ...एक ही शक्श था दोनों शक्शियत का मालिक ... उसे किसी ने बताया नही था अब तक .यह बात उस से छुपाई गयी थी...
वो पूछता है हैरानी से " सौज़ी मोम ...मेरे पापा को मोम भी पापा ..पापा कहती जा रही थी ....क्या मतलब है इसका ..?? "
और तभी उसके दिमाग़ की घंटी बजती है ..उसका माथा ठनक उठता है ....
और फिर एक दम से चौंकता हुआ कुर्सी से उठ ता है म्र्स डी' सूज़ा को उनके कंधो से जकड़ता हुआ झकझोरता है और बोल उठ ता है .." सौज़ी मोम ..कहीं ऐसा तो नही...... " और बोलता हुआ अचानक चूप हो जाता है और आँखें फाडे म्र्स डी' सूज़ा की ओर देखता है ....
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