RE: Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन
पर मैंने हिम्मत जुटाते हुए उनसे पूछ ही लिया:
"भाभी आप मुझसे नाराज़ हो?"
भाभी : "नहीं तो"
मैं : तो जबसे मैं आया हूँ आपने मेरे पास बैठ के कोई बात ही नहीं की?
भाभी : मानु तुम थके हुए थे इसीलिए|
मैं : तो अब तो बात कर सकते हैं, अब तो मैं नींद लेकर बिलकुल फ्रेश हो चूका हूँ|
भाभी : मानु मुझे खाना बनाना है!
मैं : वो कोई और बना लेगा, आप मेरे पास बैठो नहीं तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा| (मैंने गुस्से अ दिखावा किया)
भाभी : अच्छा ठीक है मैं तुम्हारी मझली भाभी को कह देती हूँ| (मैं तो आपको बताना ही भूल गया की मेरे दो भाई अशोक तथा अजय की शादी भी हो चुकी थी जिसमें मैं सम्मिलित नहीं हो पाया था|)
भाभी दो मिनट के लिए कह के गईं और मेरी मझली भाभी को खाना बनाने के लिए कह के मेरे पास लौट आईं|
भाभी : अच्छा तो बोलो क्या बात करनी है ?
मैं : भौजी आप कुछ भूल नहीं रहे हो?
भाभी : (चौंकते हुए) क्या?
मैं : (अपना बांया गाल आगे लाता हुआ बोला) भूल गए बचपन में आप मेरे कितने प्यार से गाल काट लिया आते थे|
भाभी : ने अपने दोनों हाथों से मेरा मुंह पकड़ा और फिर धीरे-धीरे मेरी और बढ़ीं, और अपने गुलाबी होटों को मेरे गाल पर रख सबसे पहले एक प्यार भरा और उनके रस से सभीगा हुआ एक चुम्बन लिया| मेरे शरीर में जैसे करंट दौड़ गया, और मेरे रोंगटे खड़े हो गए|
फिर उन्होंने धीरे से मेरे गाल को अपने मुंह में भरा और अपने दांतों से प्यार से काटने लगीं| मेरे लंड में कसावट आ चुकी थी और अब वो टाइट हो चूका था| इतना टाइट की उसका उभार अब दिखने वाली हालत में था| मेरे दिमाग ने अब आगे की रणनीतियां बना ली थी| फिर जैसे ही उन्होंने मेरे गाल को अपने मुंह की गिरफ्त से छोड़ा मैंने अपना मुंह घुमाके उनके और अपना दांया गाल आगे कर दिया| वो मेरा इशारा समझ गईं और मेरे इस गाल पर भी अपने रसीले होठों के साथ-साथ अपने रस की छाप छोड़ दी| मैं चाहता था की मैं अपने गाल पर पड़े उस छाप का स्वाद लूँ, पर इससे पहले की मैं अपने गालों पर पड़ी उन ओस की बूंदों को छू पाटा, भाभी ने अपने हाथ से उन्हें पोंछ के साफ़ कर दिया|मैंने इस बात को ज्यादा ध्यान न देते हुए कहा:
"भाभी मैं भी आपकी पप्पी लूँ?"
भाभी ने अपना दायां गाल मेरे आगे परोस दिया और मैंने भी अपनी दहकते होठों को उनके ठन्डे गालों से मिला के उनको एक जबरदस्त चुम्बन दिया| मैंने उनके कोमल गाल को काटा नहीं बल्कि उन्हें टॉफ़ी की तरह चूसने लगा| "स्स्स्स ...." उनके मुंह से एक मादक सी सीत्कारी निकली| एक पल के लिए तो मैं डर गया| पर जब उन्होंने कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई| फिर मैंने उनका मुंह घूमते हुए दूसरे गाल को अपने दहकते होटों की गिरफ्त में ले लिया और उनके ऊपर भी वाही मादक अत्याचार करने लगा| पता नहीं भाभी को क्या सूझी उन्होंने अचानक मुझे अपने से अलग करने की कोशिश की| मैंने उनका गाल छोड़ दिया और उनकी तरफ सवालियां नज़रों से देखने लगा| उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे गुद-गुदी करना शुरू कर दिया, और मैं खिल-खिलाके हँस पड़ा| मैं अपने ऊपर हुए इस अचानक हमले से हैरान था परन्तु अब बारी मेरी थी| अब मैंने भी उनकी गुद-गुदी का जवाब देते हु उनकी बगल में अपनी ऊँगली छुआ दी और वो हँसती हुई लेट गईं| मैंने उन्हें गुद-गुदी करना बंद नहीं किया और बो जोर-जोर से हँसती हुई मेरे हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगीं पर मैं कहाँ मानने वाला था| तभी उस कमरे में मझिली भाभी ने प्रवेश किया और वो हमें इस तरह एक दूसरे को गुद-जुड़ते हुए देख हंसने लगीं और रसोई की और चली गईं| मैं भाभी को गुद-गुदी करते हुए अपनी दायीं टांग उठ के उनके झांघों पे रख दीं|
मेरा ऐसा करने से मेरा लंड उनकी जगहों से स्पर्श हुआ और उन्हें मेरे लंड के तनाव का आभास हो चूका था| खेल-खेल में ही दोनों जिस्मों में आग लग चुकी थी, और हम किसी भी समय अपनी सीमाएं लांघने को तैयार थे| मैंने भाभी को गुद-गुदी करना बंद कर दिया था और अब उनके होंठों को सहला रहा था, हमें अब कोई भी परेशान करने वाला आस-पास नहीं था और मैं इस स्थिति का फायदा उठाना चाहता था| मैंने धीरे धीरे आगे बढ़के भाभी के गुलाबी थर-ठरते होठों पर पाने होंठ रख दिए और उन्हें अपने आगोश में ले लिए| ऐसा लगा मानो भाभी बहुत प्यासी हो और वो मेरा साथ जमके देने लगीं| उन्होंने सर्वप्रथम मेरे होठों को अपने मुख के अंदर भर लिया और उन्हें चूसने लगीं, मैंने थोड़ी कोशिश की और ठीक उनके ऊपर आ गया और अपने ऊपर वाले होंठ को उनसे छुड़ा लिया और उनके नीचे वाले होंठ को अपने मुंह में दबोच उनका रसपान करने लगा| मेरा शरीर बिलकुल टप रहा था और अब मेरा लंड ठीक उनके योनि के ऊपर अपनी उपस्थिति का आभास करा रहा था| भाभी को भी अपने योनि पर होने वाले इस हमले का इन्तेजार था| पर मैंने उनके होंठों को अभी तक नहीं छोड़ा था, इस चुम्बन में बस कमीं थी तो बस फ्रेंच किस की| क्योंकि मैं फ्रेंच किस के बारे में अनविज्ञ था इसलिए मैंने उनके मुंह में अपनी जुबान नहीं डाली थी| भाभी धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी, और मैं था की इतना उतावला की सब कुछ अभी करना चाहता था| कोई भी अनुभव न होने के कारन मैंने अभी तक न तो उनकी योनि को स्पर्श किया था और न ही उनके उरोजों को| भाभी इन्तेजार कर रहीं थी की कब मैं उनके बदन के बाकी अंगों को छूँगा| पर मेरा ध्यान तो उनके होठों से हट ही नहीं रहा था ....
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