Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन
02-20-2019, 05:42 PM,
#23
RE: Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन
18

अब आगे....

मेरा आदेश सुन के नेहा भागती हुई गई और खाना ले आई ... जब मैंने उसे दस रुपये दिए तो वो लेने से जिझक रही थी| मैंने भाभी की ओर देखा तो वो उसे घूर रही थी|

मैं: नेहा आप मम्मी की ओर मत देखो... ये लो दस रुपये ओर जाओ चिप्स ले के आओ|

भाभी: मानु... देखो ये बिगड़ जाएगी और फिर मुझसे ये अपने पापा से पैसे माँगेगी| जब नहीं मिलेंगे तब रोयेगी...

मैं: नेहा ... वादा करो की आप कभी भी मम्मी को या पापा को तंग नहीं करोगे और कभी भी मेरे आलावा किसी से पैसे नहीं लोगे?

नेहा ने हाँ में मुंडी हिला दी और मैंने उसे पैसे थमते हुए भेज दिया|

मैं: अब तो आप खुश हो ना... चलो अब मैं आपको अपने हाथ से भोजन खिलाता हूँ|

भाभी: मैं खा लूंगीं... तुम जाओ कपडे बदल लो... नह धो लो... काफी थक गए होगे|

मैं: नहीं... जब तक आप मेरे हाथ से भोजन नहीं करोगे मैं यहाँ से हिलने वाला नहीं|

भोजन में अरहर की दाल, चावल साथ ही भिन्डी की सब्जी और दो रोटियाँ थीं| मैं अपने हाथ से भाभी को दाल चावल खिलाने लगा| जब भाभी ने अपने हाथ से मुझे रोटी सब्जी खिलाने लगीं तो मैंने मन कर दिया इस्पे भाभी ने अपना मुंह फुला लिया| उनकी ख़ुशी के लिए मैंने एक कौर खा लिया परन्तु उससे ज्यादा नहीं खाया!!! अभी मैं भाभी को अपने हाथ से भोजन करा ही रहा था की नेहा भी आ गई चिप्स का पैकेट ले के| वो भी वहीँ चारपाई पर बैठ खाने लगी... उसके चेहरा खिल गया था| जब मेरी उँगलियाँ भाभी के लबों को छूती तो मुझे एक अजीब सा आनंद आता और दाल चावल खिलते समय कई बार मेरी उँगलियाँ उनकी जीभ से भी स्पर्श होती तो आनंद ख़ुशी में बदल जाता| भाभी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी और एक पल के लिए मैं चिंता मुक्त हो गया था|

भोजन करीब आधा हो चूका था की माँ मुझे भोजन के लिए बुलाने आ गईं| उन्होंने मुझे भाभी को अपने हाथ से भोजन खिलाते देख लिया था!!!

माँ: क्या हुआ बहु? सब ठीक तो है ना?

भाभी: कुछ नहीं चाची.. सब ठीक है|

मैं: माँ भाभी का शरीर छू के देखो भट्टी की तरह टप रहा है और इनका कहना है की कुछ नहीं हुआ| दो दिन से कुछ काया भी नहीं तभी तो देखो कितनी कमजोरी आ गई है|

माँ: क्यों बहु, तुमने खाना-पीना क्यों छोड़ दिया?

नेहा: चाचू के लिए!!!

नेहा की बात सुन मेरे कान लाल हो गए, शरीर सुन्न हो गया| पर इसमें उस बच्ची की क्या गलती उसने जो महसूस किया और देखा उसने अबोध बन के सब कह दिया| ये तो शुक्र है की भाभी ने उसे आँखें दिखा के डरा दिया वार्ना वो और पता नहीं क्या-क्या बक देती| माँ ने बड़े प्रेम के साथ भाभी से कहा:

माँ: बहु.. मैं जानती हूँ की तुम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हो... बचपन से ये तुम्हारे साथ खेल है बल्कि इसने तो तुम्हारी गोद में ही बैठ के दूध भी पिया है पर तुम्हारा इससे इतना "मोह" बढ़ाना ठीक नहीं| कल को हम चले जायेंगे तो तुम इसे याद कर-कर के अपना जीना दुर्भर कर लगी.. अभी तुम्हारी छोटी सी बच्ची भी है ... इसका ख्याल रखो| और तुम लाड-साहब अपनी बहूजी को खाना खिला के आ के भोजन कर लो... सुबह से अन्न का एक दाना भी नहीं गया इसके मुँह में|

माँ की बात थी तो कड़वी पर एक दम सच थी!!! पर माँ नहीं जानती थी की भाभी और मेरे बीच में एक अटूट प्रेम है .. ऐसा प्रेम जो सिर्फ सच्चे जीवन साथियों के बीच होता है|माँ की बातों ने भाभी के ऊपर कुछ गहरा प्रभाव डाला था| थोड़ी देर पहले भाभी का चेहरा सूर्य के सामान दमक रहा था और माँ की बात सुनने के बाद उनके मुख पे फिर से चिंता और दुःख के बदल छा गए थे|

भाभी: मानु... तुमने सुबह से कुछ क्यों नहीं खाया?

मैं: भौजी... दरअसल मैं आपके चेहरे पे वो ख़ुशी के भाव देखने के लिए बैचैन था जो आपको मुझे यहाँ अचानक देख के आते| पर ...

भाभी: पर वार कुछ नहीं ...मैं भोजन खा लूँगी... पहले तुम जा के भोजन करो!

मैं: नहीं भौजी... मेरी वजह से आपने दो दिन खाना नहीं खाया और अब ये मेरी जिम्मेदार है की मैं आपको भोजन अपने हाथ से कराऊँ.. और वैसे भी अब बस थोड़ा ही बचा है .. आप भोजन खत्म करो... फिर मैं आपको दवाई दूँगा और फिर मैं भोजन करूँगा| ये मेरी जिद्द है !!!

भाभी ने जल्दी-जल्दी भोजन खत्म किया और फिर मैंने भाभी को क्रोसिन की एक गोली ला के दी ... जब मुझे संतुष्टि हो गई की भाभी अब आराम से यहाँ लेटी रहेंगी तब मैं भोजन करने गया और साथ ही नेहा को भी अपने साथ ले गया| भोजन के पश्चात मैंने अपने कपडे बदले और वापस भाभी के पास आ गया... आ कर देखा तो नेहा सुबक रही थी और भाभी भी उदास थी|

मैं: क्या हुआ नेहा? आप रो क्यों रहे हो? किसी ने कुछ कहा आपसे?

नेहा कुछ नहीं बोली बस मेरे गले लग गई और भाभी की ओर इशारा करके उन्हें दोषी करार दे दिया| मैं समझ चूका था की आखिर उसे क्यों डाँट पड़ी है|

मैं: भौजी... आपसे मैं बाद में बात करता हूँ पहले मैं अपनी गुड़िया को सुला दूँ|

इतना कह के मैं नेहा को गोद में उठा के बहार चला गया और उसे चुप करा के थोड़ा घुमाया और फिर सुला दिया| मैं पुनः भाभी के पास लौटा ...

मैं: हाँ तो आपने क्यों डाँटा मेरी गुड़िया को? इसीलिए न की उसने बिना सोचे समझे माँ के सामने सब कह दिया... तो इसमें इस अबोध बच्ची का क्या दोष उसने वाही कहा जो उसने देखा..

भाभी: उसे अकाल होनी चाहिए की किस के सामने क्या कहना है|

मैं: भौजी वो सिर्फ *** साल की है! उसे अभी इतनी समझ नहीं है... और मैं जानता हूँ आप को गुस्से किसी और बात का है| आप माँ की बात सोच-सोच के चिंतित हो रहे हो और उसका गुस्सा "मेरी बेटी" पर क्यों निकाल रहे हो? गुस्सा निकलना है तो मुझ पे निकालो ना किसने रोक है आपको|

भाभी: चाची सही कहती हैं.. मुझे अपने आप पर काबू रखना सीखना होगा| पर मैं क्या करूँ .... मुझे तुम्हारे साथ बैठ कर बातें करना अच्छा लगता है... तुम्हारा स्पर्श करना .... तुम्हारा बातें करने का ढंग और आज जब तुमने नेहा को “अपनी बेटी” कहा तो मैं तुम्हें बता नहीं सकती की मुझे कितनी ख़ुशी मिली| तुम्हारे बिना ये दो दिन मैंने कैसे काटे हैं ये मैं ही जानती हूँ!!! अगर तुम आज नहीं आये होते तो शायद मैं मर ही जाती|

मैं: भौजी आप ये क्या कह रहे हो? आप अपनी जान क्यों देना चाहते हो? आपको नेहा का जरा भी ख्याल नहीं आया? अगर आपको आज कुछ भी हो जाता तो नेहा का क्या होता? भैया को तो उसकी फ़िक्र जरा भी नहीं है| मैं नेहा की जिम्मेदारी जरूरर उठा लेता.. कैसे न कैसे कर के माँ और पिताजी को समझा भी लेता और नेहा को अपने पास रखता... उसे अच्छी परवरिश देता पर उसकी इस हालत का जिम्मेदार तो मैं ही होता ...........और मैं... मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाता|

मेरी बातों ने भाभी को भावुक कर दिया था.... और किसी हद्द तक मैं भी अपने अंदर आये इस बदलाव से चकित था| कैसे मुझ में इतना बदलाव आ गया की मैं नेहा की जिम्मेदारी तक उठाने के लिए तैयार हो गया| खेर भाभी से बातें करते-करते समय कैसे बीता पता ही नहीं चला| शाम के करीब साढ़े तीन हुए थे ... भाभी ने मुझे बताया की उनके सर दर्द हो रहा है|

मैं: मैं आपका सर दबा देता हूँ|

मैं भाभी के सिराहने बैठ गया और उनका सर अपनी गोद में ले कर धीरे-धीरे दबाने लगा| भाभी को थोड़ा आराम मिला तो उन्हें नींद आने लगी... और भाभी मेरी गोद में ही सर रखे सो गई| यात्रा की थकान अब मुझ पे भी जोर दिखने लगी और मुझे कब नन्द आ गई पता ही नहीं चला| अभी आँख लगे करीबन घंटा भर ही हुआ हो ग की एक कड़क आवाज मेरे कानों में पड़ी:

चन्दर भैया: अरे वाह !!! मानु भैया को जरा सा भी चैन नहीं लेने देगी तू? अभी-अभी थके हारे आएं हैं और तूने अपनी तीमारदारी करनी शुरू कर दी| अरे मैं पूछता हूँ ऐसी कौन सी बिमारी हो गई है तुझे?

भैया की कड़कती हुई आवाज सुन के भाभी उठ के बैठ गईं.. हालां की उनके शरीर में उतनी ताकत तो नहीं थी फिर भी जैसे-तैसे वो उठ के बैठी|

मैं: भैया आप भाभी को क्यों डाँट रहे हो....उनकी तबियत ठीक नहीं है... भुखार से सारा बदन तप रहा है और आप हो कि आप उन्हें ही डाँट रहे हो| भाभी का कोई कसूर नहीं है, उनके सर दर्द हो रहा था तो मैंने जबरदस्त की कि मैं आपका सर दबा देता हूँ| सर दबाते हुए कब दोनों कि आँख लग गई पता ही नहीं चला|

मेरी बात का भैया के पास कोई जवाब नहीं था इसलिए वो अपना इतना सा मुँह लेके चले गए| चन्दर भैया के शब्दों ने भाभी के दिल को घायल कर दिया था .... भाभी किसी तरह लडखडाती हुई उठ खड़ी हुई, और बाहर जाने लगीं|

मैं: भौजी? आप कहाँ जा रहे हो?

भाभी: बाहर ... कुछ काम निपटा लूँ| दो दिन से कोई काम नहीं किया मैंने.....

मैंने भाग कर भाभी का हाथ थामते हुए उन्हें रोका...

मैं: भाभी आपको मेरी कसम प्लीज.... भैया कि बातों पे ध्यान मत दो| मैं जानता हूँ आपको उनकी बातों से आघात लगा है... उनको आपकी कोई फ़िक्र नहीं है ... आपको ख़ुशी मिलती है तो उन्हें जलन होती है| आपका शरीर बहुत कमजोर है.... और अगर आप काम करने कि जिद्द करोगे तो मैं आपको छोड़के चला जाऊँगा|

भाभी: नहीं मानु... ऐसा मत कहो| मैं वही करुँगी जो तुम कहोगे पर मुझे छोड़के कहीं मत जाना|

मैंने भाभी को सहारा दे के चारपाई तक लाया और उन्हें पुनः लेटा दिया| घडी में समय देखा तो शाम के पाँच बजे थे| मैं रसोई कि ओर गया और भाभी और अपने लिए चाय और बिस्कुट ले आया| भाभी को चाय पिलाई और उन्हें अपनी यात्रा के बारे में बताया ... मेरी कोशिश थी कि भाभी दुखद बातों के बारे में कम से कम सोचें| रात होने लगी थी और भाभी के घर के आँगन में लगे रात रानी के फूलों कि खुशबु उनके कमरे को महका रही थी... माहोल ररोमांटिक हो रहा था.... तभी मुझे एक बात याद आई जो मैं भाभी से पूछना चाहता था:

मैं: भौजी एक बात बताओ... मेरे जाने से एक दिन पहले जब मैं रसिका भाभी के साथ रात्रि में भोजन कर रहा था तब आपने नेहा को मेरे पीछे क्यों भेज दिया था?

भाभी: हा.. हा... हा... वो दरअसल मुझे डर था कि कहीं तुम्हारी भाभी तुम्हें बहला-फुसला न ले और....

मैं: क्या? आपको सच में ऐसा लगता है कि मैं और वो.... दरअसल अगर मैं उनके पास जा के इधर उधर कि बातें नहीं करता और उनका मन ना लगाता तो वो रसोई के पास वाले छप्पर के नीचे सोती और फिर रात को अजय भैया और उनका युद्ध शुरू होता.. और आपका सरप्राइज ख़राब हो जाता|

भाभी: ओह्ह !!! मानु सच में तुम्हारे पास हर समस्या का हल है.. वैसे तुमने कभी गोर नहीं किया पर माधुरी और तुम्हारी रसिका भाभी तुम्हें भूखे भेड़िये कि तरह घूरते हैं!!! अगर उन्हें मौका मिल गया तो तुम्हें नोच के खा जायेंगे... हा..हा....हा...

मैं: मुझ में ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं?

भाभी: यही तो तुम नहीं जानते.... तुम्हारा भोलापन ही सबको लुभाता है|

मैं: अच्छा जी!!!! पर भाभी यकीन मानो मेरी उन दोनों में बिलकुल ही दिलचस्पी नहीं है...

भाभी: मैं जानती हूँ... तुम सिर्फ मुझसे प्यार करते हो|

मैं: और करता रहूँगा....

भोजन का समय हो रहा था .. इसलिए मैं भाभी और अपने लिए भोजन ले आया| इस बार भाभी अपने हाथ से भोजन कर रही थी| उनके स्वास्थ्य में सुधार आने लगा और सबसे ज्यादा मैं खुश था... नेहा भी मेरे बगल में बैठी भोजन कर रही थी| वो थोड़ा डरी- डरी सी लग रही थी.... जब हमारा भोजन हो गया तब मैंने सोचा कि उसका डर थोड़ा कम किया जाए|
Reply


Messages In This Thread
RE: Nangi Sex Kahani एक अनोखा बंधन - by sexstories - 02-20-2019, 05:42 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,484,354 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,562 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,225,175 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,595 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,644,432 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,543 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,937,296 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,011,721 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,014,814 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,254 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)