Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
02-23-2019, 04:19 PM,
#12
RE: Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी
इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे ! वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था, फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था ! फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया! जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था, मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था! शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी ! बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा ! शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली ! हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये ! उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी, क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था ! अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया, जैसे मैं करवट ले रही हूँ , लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया ! शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे ! 
अब मेरे बगल में अजनभी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया ! बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे ! अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा! मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है, क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, अब बस और नहीं, मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और ऑंखें खोल दी ! आँखें खोलते ही जैसे भूचाल आ गया ! मैं पूरी जोर से चीखी। जफ़र अंकल आप ???????.
हैरानी कि बात ये थी कि मेरे जागने के बाद भी जफ़र अंकल को कोई डर या पछतावा नहीं था !मेरा मुंह उन्होंने बंद कर रखा था ! मेरी आँखों में आंसू थे !जफ़र अंकल ने बोला, देखो, अगर तुम चिल्लाओ नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह पर से हाथ हटाउ ! मेरा मुंह गुस्से से लाल हो रहा था ! जफ़र अंकल के भारी हाथ के कारण मेरा मुंह दर्द कर रहा था ! मैंने आँखों से ही उनसे रिक्वेस्ट किया, उन्होंने फिर पूछा 'चिल्लाओगी तो नहीं' ! मैंने पलकें झपका कर ना कहा !उन्होंने कहा 'प्रॉमिस ',और हाथ थोड़ा हल्का किया, मैंने दबी जबान में बोला 'प्रॉमिस ! उन्होंने हाथ हटा लिया था ! मैंने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया । जफ़र अंकल आप ये क्या कर रहें हैं ..मैं आपके मालिक की बेटी हु ! आप ऐसा मत कीजिये मेरे साथ ! मुझे छोड़ दीजिये, मैं किसी से नहीं कहूँगी, कि आपने मेरे साथ ऐसा किया ! जफ़र अंकल ने कहा 'ठीक है, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा लेकिन एक शर्त पर '! मुझे आपकी सब शर्त मंजूर है जफ़र अंकल, बस आप मुझे छोड़ दीजिये ! 
जफ़र अंकल बहुत शर्मिंदा लग रहे थे, बोले 'देखो बेटा, मैंने ऐसा क्यों किया, ये मैं बाद में बताऊंगा तो शायद तुम मुझे माफ़ कर सको ! मैंने कल और आज तुम्हारे शरीर के हरेक अंग को छुआ है, लेकिन तुम नींद में थी ! मैं सिर्फ १० मिनट तुम्हारे जागते हुए तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ, तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ, जो मैंने कल और आज किया है, तुम्हारी नींद में ! लेकिन जो भी मैं करूँगा वो अपने संतुष्टि के लिए करूँगा, तुम उसमे बिलकुल शामिल न होना ! अगर तुम्हारे शरीर ने मेरा साथ दिया, तो तुम शर्त हार जाओगी, और मैं समझूंगा की ये सब तुम्हें अच्छा लग रहा है ; फिर तुम वही करोगी जो मैं चाहूंगा! और अगर तुम दस मिनट तक बगैर किसी उत्तेज़ना के चुप चाप लेटी रही तो, मैं ज़िंदगी में कभी दुबारा तुम्हारी साथ ये सब नहीं करूँगा !
मैं बहुत असंजस में फँस गई थी, एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था, दूसरी तरफ जफ़र अंकल से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ ! वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी ! सब यही बोलेंगे कि में ही बदचलन हु, नहीं तो जिस आदमी ने मेरे परिवार कि भलाई के लिए शादी नहीं की, वो भला कैसे मालिक कि बेटी के साथ ऐसा कर सकता है !
जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा.मैंने कह दिया, "मुझे मंजूर है, लेकिन आप भी प्रॉमिस कीजिये कि मेरे शर्त जीतने पर मुझे कभी नहीं छुएंगे" ! मेरे बोलने के दौरान ही जफ़र अंकल ने मेरी नाईटी गर्दन से निकल कर अलग कर दी, और पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गए !उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा प्रॉमिस और उनके होंठ मेरे होंठ से सिल गए और हाथ मेरे पूरे बदन को सहलाने लगे ! मैंने नज़र उठा कर देखा, सुबह के चार बज़कर १० मिनट हो रहे थे जफ़र अंकल ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था ! जो भी करना था, उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती, वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! 
उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे ! उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था, जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं, पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था! अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! शादी में जाने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे, बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी, जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे! मेरी चूची जफ़र अंकल के हाथों रौंदी जा रही थी ! जफ़र अंकल के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे, जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को जफ़र अंकल ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था, एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !जफ़र अंकल दवाब भी इतना ही बना रहे थे, जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे, तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग जफ़र अंकल का जुल्म सह रहे थे ! बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो, पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे, और मैं टूटने के कगार पर थी, पर इज़्ज़त का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी!
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