Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
02-28-2019, 11:55 AM,
#7
RE: Incest Kahani उस प्यार की तलाश में
स्वेता- क्या बात है बेटी......आज पहली बार तू बिन उठाए उठी है.......लगता है मेरी बातों का तुझपर कुछ असर हो रहा है........

अदिति- हां सोचा आज जल्दी उठकर आपको सर्प्राइज़ दे दूं.......और नाश्ते में क्या है.......आप आज आराम करो मैं ही नाश्ता बना देती हूँ......मम्मी मेरी बातों को सुनकर मुझे ऐसे देखने लगी जैसे मैने कोई अजूबा हूँ........

स्वेता- ये तू कह रही है......चलो देर से आँख खुल मगर खुली तो सही......फिर मम्मी मुझे देखकर मुस्कुराती रही......मैं वही रखा नाश्ता टेबल पर ले गयी तो पापा वही बैठ कर सुबेह की अख़बार पढ़ रहें थे......मुझे ऐसे नाश्ता लाता हुआ देखकर वो भी हैरत से मेरी ओर देखने लगे.......

मोहन- क्या बात है बेटी......आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल गया.......मैं पापा के उस बात पर मुस्कुराए बिना ना रह सकी और पापा के पास जाकर उनकी बगल वाली सीट पर बैठ गयी......पापा मेरे तरफ ही देख रहें थे......शायद उन्हें मेरी बातों के जवाब का इंतेज़ार था.......

अदिति- पापा आप भी मुझे ताना देने लगे.....जाओ अब मैं आपसे बात नहीं करती.......

पापा मेरी बातों को सुनकर मुस्कुराए बिना ना रह सके- आरे पगली आज पहली बार तुझे इतनी सुबेह उठता हुआ देख रहा हूँ इस लिए मुझे हैरानी हो रही है......सब ठीक तो है ना.......

मैं पापा की बातों को सुनकर धीरे से मुस्कुरा दी और चाइ पीने लगी.....तभी कमरे में विशाल भी आ गया.......सब के लिए आज मैं एक मिसाल बन चुकी थी....आज सब लोग मेरी ही तारीफ किए जा रहें थे......फिर रोज़ की तरह हम दोनो तैयार होकर बस का इंतेज़ार करने लगे.......आज विशाल के चेहरे पर कोई नाराज़गी नहीं थी.....शायद उसे आज पहली बार इंतेज़ार नहीं करना पड़ा था बाथरूम के बाहर........

थोड़े देर बाद हम दोनो कॉलेज पहुँच गये........आज मेरी सारी सहेलियाँ आई हुई थी.....पूजा की नज़र जब मुझपर पड़ी तो वो सवाल भरी नज़रो से मुझे देखने लगी......

पूजा- क्या बात है अदिति आज तो तेरे चेहरे पर निखार कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है......लगता है कल कि रात तू बहुत सुकून से सोई है.......पूजा की बातों को सुनकर मेरा चेहरा शरम से लाल पड़ गया......मैने अपना चेहरा तुरंत नीचे झुका लिया और पूजा मेरे चेहरे की ओर देखकर मुस्कुराती रही........

पूजा- मैने सही कहा ना अदिति......तू कल रात बहुत सुकून से सोई थी.......वैसे इसमें छुपाने वाली कौन सी बात है.......जवान तू भी है और मैं भी......जब मैं भी ठंडी हो जाती हूँ तब मैं भी बहुत सुकून से सोती हूँ.......इस लिए मैने अंदाज़ा लगाया कि तू भी कल रात..........

अदिति- प्लीज़ स्टॉप पूजा........मुझे शरम आती है......तुझे इन सब के अलावा और कोई बात नहीं सूझता क्या.......चल अब लेक्चर शुरू होने वाला है....पूजा भी आगे कुछ नहीं कहती और हम दोनो अपने क्लास की ओर चल पड़ते है.......

आज मैं अपने लेक्चर्स पर भी ध्यान दे रही थी.....कल तक मुझे सारे पीरियड्स बोर करते थे मगर आज सारे लेक्चर्स मुझे अच्छे लग रहें थे.......आज दोपहर तक मेरा वक़्त बहुत जल्दी कट गया.......मुझे भूख लगी थी तो मैं पूजा और मेरी एक और सहेली थी प्रिया.....उसके साथ मैं कॅंटीन की ओर निकल पड़ी........

बाहर कई सारे लड़के हमे घूर रहें थे......मैं सबसे साइड में थी और बीच में पूजा और सबसे लास्ट मे प्रिया थी........

मैं जैसे ही आगे बढ़ी तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.......मेरा हाथ इस तरह पकड़ने से मेरी साँसें एक पल के लिए मानो रुक सी गयी......मेरे जिस्म में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि मैं पलटकर उसके तरफ देखु की किसकी इतनी जुर्रत हुई ये हरकत करने की......मैं कुछ सोचकर खामोश रही फिर अपनी गर्देन घूमकर उस सक्श को देखने लगी.......मेरा हाथ पकड़ने वाला सक्श विशाल का एक दोस्त था ........उसका नाम रवि था........शकल से मैं उसे अच्छे से जानती थी........कई बार मैने उसे विशाल के साथ देखा था.....वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था......

मैं बहुत मुश्किल से अपने जज्बातो को संभालते हुए बोली- मैं कहती हूँ छोड़ो मेरा हाथ........तुम तो विशाल के दोस्त हो ना........

रवि मुझे देखकर हसे जा रहा था .....मेरे इस तरह कहने पर उसने अपने हाथों पर दबाव और ज़ोरों से बढ़ा दिया लिया......

रवि.........रवि नाम है मेरा........सही कहा तुमने मैं तेरे भाई का दोस्त हूँ.......मगर क्या करूँ मैने तो उससे दोस्ती सिर्फ़ इस लिए की थी कि मैं उसके ज़रिए तुझे हासिल कर सकूँ....मगर एक तू है कि मेरी तरफ देखती भी नहीं........क्या कमी है मुझ में.....कॉलेज की कई लड़कियाँ मुझपर मरती है मगर मैं तुझपर मरता हूँ......जब मेरे सब्र की सीमा टूट गयी तब मुझे ऐसा करना पड़ा.......आइ लव यू अदिति......तुम बहुत सुंदर हो.......मैने जब से तुम्हें देखा है मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ......अगर तुम ना मिली तो मैं मर जाऊँगा.......प्लीज़ मेरे प्यार को मना मत करना.....नहीं तो मैं कुछ भी कर जाऊँगा........

मैं अपनी आँखें फाडे उसके चेहरे की ओर देखती रही.......मेरा दिमाग़ काम करना लगभग बंद कर चुका था......सारे लोग हमे ही देख रहें थे......मेरा जिस्म डर से थर थर कांप रहा था......ऐसा मेरे साथ पहली बार था जब किसी ने मुझे पूरी भीड़ के सामने प्रपोज़ किया हो......मेरी दोनो सहेलियाँ भी अपनी आँखें फाडे मुझे तो कभी रवि को घूर रही थी.......मैं क्या कहती मैने फ़ौरन अपनी नज़रें नीचे झुका ली.....

रवि- चुप क्यों हो अदिति.....कुछ तो बोलो....देखो मैं अगर तुमसे सच्चा प्यार नहीं करता तो इन सब के सामने ये बात मैं तुमसे कभी नहीं कहता.....मेरे मन में तुम्हारे लिए कोई चाल नहीं है......ये देखो अगर तुम्हें लगता है कि मेरा प्यार झूठा है तो ये रहा सबूत....फिर रवि अपने शर्ट का लेफ्ट हाथ का बटन खोलता है ....उसने अपने हाथ में मेरा नाम ब्लेड से चीर कर लिखा था.....मैं उसे अपनी आँखें फाडे देखे जा रही थी......समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उसके किसी भी सवालों का क्या जवाब दूं.

रवि- अदिति मैं जानता हूँ कि मैने जो तरीका अपनाया है वो ग़लत है मगर इसके सिवा और कोई चारा भी नहीं था मेरे पास .......

अदिति- जस्ट शटअप.........प्लीज़ तुम अभी यहाँ से चले जाओ......मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ......मेरा और तमाशा यहाँ मत बनाओ.......अगर विशाल को इस बारे में पता लग गया तो पता नहीं वो तुम्हारे साथ क्या सुलूख करेगा......

रवि- मुझे दुनिया वालों की कोई फिकर नहीं है अदिति.......मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए......बस एक बार तुम मेरा हाथ थाम लो फिर मैं इस दुनिया से अकेले सामना करने को भी तैयार हूँ......अभी रवि की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि किसी ने उसके पीठ पर एक ज़ोर की लात मारी......वो थोड़ी दूर पर जाकर मूह के बल गिर पड़ा......जब उसकी नज़र सामने खड़े सक्श पर पड़ी तो रवि के साथ साथ मेरी आँखें भी हैरत से फैलती चली गयी........मेरे सामने विशाल खड़ा था......इस वक़्त वो बहुत गुस्से में दिखाई दे रहा था........शायद किसी ने उसे इस बात की खबर कर दी थी......

विशाल ने फिर आगे बढ़कर रवि का कॉलर पकड़ा और फिर उसके उपर लात और मुक्कों की बारिश कर दी.......साथ ही उसके दो दोस्त भी थे वो भी रवि की पिटाई करने लगे.........रवि के जिस्म के कई हिस्सों से खून निकल रहा था.........मगर विशाल के हाथ नहीं रुक रहें थे.........

विशाल- क्यों बे.......तुझे मेरी ही बेहन मिली थी क्या इश्क़ लड़ाने के लिए.......आज मैं तेरी आशिक़ी का भूत तेरे उपर से हमेशा के लिए उतार देता हूँ.......और साले तू तो मेरा दोस्त है ना......मादरचोद दोस्ती की आड़ में मेरी पीठ पीछे मेरी ही बेहन के साथ ये सब कर रहा है......फिर विशाल रवि को बोलने का एक मौका भी नहीं देता और फिर से लात और घूसे बरसाना शुरू कर देता है.......

मैं इस वक़्त बीच में खड़ी सबकी नज़रो में तमाशा बन चुकी थी साथ में मेरी दोनो सहेलियाँ भी चुप चाप वही खड़ी थी......चारो तरफ से स्टूडेंट्स वहाँ भीड़ लगाए देख रहें थे मगर कोई ना ही विशाल को रोक रहा था और ना ही रवि को बचा रहा था......
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