Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 01:53 PM,
#66
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेरे लंड के टोप्पे की गरमी को सबा ने अपनी फुद्दि के सूराख पर महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….और अपने दोनो हाथों को सीडयों की रेलिंग को पकड़ते हुए कांपति हुई आवाज़ में बोली….”ह्म्म्म्म म सीईईई समीरररर जल्दी डाल दीईए….” मेने जैसे ही अपने लंड के टोप्पे को सबा की फुद्दि के सूराख पर दबाया….सबा की फुद्दि से निकल रहे गाढ़े चिकने पानी की वजह से लंड फिसलता हुआ फुद्दि में घुसने लगा….सबा का बदन एक दम से काँप उठा…सबा की शलवार और पैंटी उनकी जाँघो में अटकी हुई थी…मेने सबा की कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….

लंड फिसलता हुआ अंदर बाहर होने लगा….सबा की मस्ती भरी सिसकारियाँ लगतार जारी थी….और वो भी पीछे की ओर अपनी बुन्द को दबाते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि में ले रही थी..”सीईइ हइईए समीररर चोद मुझीईईई और ज़ोर से मार मेरी फुद्दि फाड़ दे समीर ओह्ह अहह हइई…..देख समीररर तुम्हारे लंड ने मुझे और मेरी फुद्दि को पागल बना दिया है…..हइई मैं अपने बेटे के दोस्त के लंड से अपनी फुद्दि मरवा रही हूँ…मेरे बेटे का लंड मेरी फुद्दि में ह्म्म्म्मनम सीईईई समीर….देख बेटे तेरा दोस्त कैसे मुझे गस्तियो की तरह चोद रहा है…कैसे मैं तेरे दोस्त के लंड को अपनी फुद्दि में लिए हुए चुदवा रही है….”

सबा: समीर सीईईई अहह अहह मुझी रोज चोदेगा ना…..रोज मेरी लेगा ना तूँ मेरी फुद्दि रोज मारेगा ना….?

मैं: हां सबा जब तुम दोगी तो रोज मारूँगा….

सबा: ह्म्म्म्म समीररररर मैं चाहे ना करूँ….पर तुम मेरी फुद्दि रोज मारना ज़बरदस्ती अपना घोड़े जैसे लंड मेरी फुद्दि में घुसा देना….हइईए समीर देख मेरी फुद्दि बजी अहह समीर अहह अहह हइईए….मेरा हो गया…बज गयी तुम्हारी सबा की फुद्दि ओह….देख छोड़ दिया तेरी सबा की फुद्दि ने पानी….

मैं: आहह सबा तुम्हारी फुद्दि सच में बहुत गरम है….ऐसा लगता है मेरा लंड पिघल जाएगा….ओह्ह्ह सबा मेरा भी निकलने वाला है….

सबा: हाँ छोड़ दे अंदर है…भर दे अपनी सबा की फुद्दि को अह्ह्ह्ह…..

मेरे लंड से एक दम से माल की पिचकारियाँ निकल कर सबा की फुद्दि को भरने लगी. हम दोनो तेज साँसे लेते हुए फारिग होने लगे….जब साँसे दुरस्त हुई तो मैने अपने लंड को सबा की फुद्दि से बाहर निकाल लिया…सबा जल्दी से मेरी तरफ घूमी….और अपने बरामदे मे पड़ी चारपाई पर रखे कपड़े को उठा कर पहले मेरे लंड को सॉफ किया और फिर अपनी फुद्दि को…”चाची आज तुम्हे क्या हो गया…तुम बार -2 फ़ैज़ का जिकर क्यों कर रही थी….”

मैने अपनी शलवार का नाडा बाँधते हुए कहा….सबा के गाल शरम से लाल सुर्ख हो गये….उसने नज़रें झुकाते हुए कहा…”फिर कभी बताउन्गि…अभी तुम जाओ…फ़ैज़ और उसके दादा दादी किसी भी वक़्त वापिस आ सकते है….वो लोग वहाँ से 2 बजे के निकले हुए है….अब मुझे समझ मे आया था कि, सबा आज इतनी जल्द बाजी मे क्यों थी….मैं वहाँ से निकल कर अपने घर की तरफ चल पड़ा…जब घर पहुचा तो नजीबा स्कूल से वापिस आ चुकी थी…साना की माजूदगी मे अब हमारे दरमिया बात चीत बंद हो गयी थी….सिर्फ़ आँखो – 2 मे बात होती थी….वो भी उसकी तरफ से… उस दिन और कोई बात नही हुई…..अगली सुबह मैं रोज की तरह उठा….और बाथरूम मे चला गया….जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, देखा कि, नाज़िया नजीबा अब्बू और साना सब डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे…मुझे देख नाज़िया ने खाना बीच मे छोड़ा और मेरे लिए प्लेट मे खाना डालने लगी….मैं वही बैठ गया….और फिर सब के साथ नाश्ता करके अपने रूम मे आ गया….कल की बस वाली बात मेरे जेहन मे थी….लेकिन मैं उससे ज़्यादा उम्मीद नही लगा कर बैठा था…

आज नाज़िया की अबू से बात करने के लहजे मे थोड़ी नर्मी थी….जब खाने के टेबल पर दोनो नॉर्मल होकर बात कर रहे थी,….तब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि, नाज़िया आज अबू और नजीबा के साथ बाइक पर ही जाएगी….इसलिए मैने तैयार होने मे कोई जल्दबाजी नही की…और अपने रूम मे आकर बैठ गया….अभी कुछ ही वक़्त गुज़रा था कि, मुझे बाहर से अबू की आवाज़ सुनाई दी…वो नजीबा को बुला रहे थे….

अबू: बेटा जल्दी करो….तुम्हे स्कूल के लिए देर हो रही है….

नजीबा: आई अबू जी….

उसके बाद मैने अपने रूम के डोर पर आकर देखा तो, अबू अपनी बाइक घर से बाहर निकल रहे थे…..नाज़िया भी बरामदे मे तैयार खड़ी थी….नजीबा अपने रूम से बाहर आए बाहर चली गयी…मैं ये देख कर हैरान रह गया कि, नाज़िया आज भी अबू के साथ नही गये थे….कल तो अबू और नाज़िया के बीच अनबन लग रही थी…और कल तो नाज़िया बस का हाल भी देख चुकी थी….फिर भी मेरी समझ से बाहर था कि, नाज़िया अबू के साथ क्यों नही गयी….तभी मेरे दिल मे आया कि, कही वो मेरी वजह से यानी उस नकाब पोश लड़के की वजह से तो नही रुकी…..जैसे ही ये ख़याल मेरे मन मे आया…तो मेरा लंड ऐसे शलवार मे टाइट हुआ कि पूछो मत….आज तक मेरा लंड इतनी शिद्दत से कभी सख़्त नही हुआ था…लंड की नसें फटने को हो गयी थी….दिल जोरो से धड़क रहा था…कि आज क्या नया होने वाला है….
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