Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:09 PM,
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नज़ीबा: आह आराम से क्या कर रहे हो….? अभी मैने गिर जाना था….?

मैं: ऐसे कैसे गिर जाती…..मैं हूँ ना तुम्हे संभालने के लिए…..

मेने नज़ीबा की दोनो जाँघो को उठा कर फेलाते हुए अपनी जाँघो की दोनो तरफ कर दिया….इस पोज़ीशन में मेरा लंड नज़ीबा की दोनो जाँघो के बीच उसकी फुद्दि पर चिपका गया…तो नज़ीबा अपनी फुद्दि के लिप्स पर मेरे लंड को सटा हुआ महसूस करके एक दम सिसक उठी….उसने अपनी मदहोशी से भरी आँखो को खोल कर मेरी तरफ देखा और फिर शरमा कर मुस्कराते हुए बोली…”आपका ये तो इतनी जल्दी फिर से कैसे तैयार हो गया….….”

मैं: आज तुम्हारी फुद्दि की खुसबु ने इसे दीवाना बना दिया है…..फिर से तुम्हारी फुद्दि को चूमने के लिए खड़ा हो गया….

मेने नज़ीबा की राइट थाइ के नीचे से अपना हाथ डाल कर अपने लंड को पकड़ा और उसकी फुद्दि के लिप्स पर अपने लंड को रगड़ते हुए बोला, तो नज़ीबा एक बार फिर से सिसक उठी….”हाई समीर….आपका ये अगर ऐसी खड़ा होता रहा…तो आपसे निकाह के बाद मेरा क्या हाल होना है….मुझे तो सोच कर ही डर लग रहा है…..” नज़ीबा ने अपनी बुन्द को मेरी रानो से थोड़ा सा ऊपेर उठाते हुए कहा….और फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी फुद्दि के सूराख पर टिकाते हुए धीरे-2 फुद्दि को लंड की कॅप पर दबाने लगी….

जब फुद्दि के सूराख का लंड की कॅप पर दबाव बढ़ा, तो मेरे लंड का कॅप नज़ीबा की फुद्दि के सूराख फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा….नज़ीबा की फुद्दि तो पहले ही चुदाई के हम दोनो के कामरस से एक दम गीली थी…इसीलिए मेरे लंड का कॅप बिना किसी परेशानी के नज़ीबा की फुद्दि के टाइट सूराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा….”ओह्ह्ह्ह उंह समीर….” नज़ीबा ने एक साइड में खिसकते हुए, अपने एक बाजू को मेरी गर्दन के पीछे से निकाल कर कंधे पर रख लिया…और मेरी तरफ हवस से भरी नज़रों और कामुक मुस्कान के साथ देखते हुए बोली…..

नज़ीबा: अहह आपका ये तो हाई सच मे बहुत मोटा है….

मैं: तुम फिकर ना करो…जब तुम थक जाया करोगे….तो नाज़िया इसकी देख भाल कर लिया करेगी….

नज़ीबा अभी भी धीरे-2 अपनी फुद्दि को मेरे लंड पर दबाते हुए नीचे मेरी रानो पर बैठने लगी थी…अब मेरा लंड पूरा का पूरा नज़ीबा की फुद्दि में एक बार फिर से समा चुका था….जैसे ही नज़ीबा की फुद्दि की गहराइयों में मेरा मोटा और लंबा लंड समाया, तो नज़ीबा का पूरा बदन मस्ती में कांप गया…उसने अपना फेस पीछे घुमा कर मेरे होंटो पर अपने होंटो को रख दिया….और मेने उसके दोनो मम्मों को हाथ मे लेकर दबाते हुए उसके होंटो को चूसना शुरू कर दिया….

नज़ीबा की फुद्दि से एक बार फिर से पानी रिसना शुरू हो गया था….जिससे मैं उसकी फुद्दि से निकल कर अपने बॉल्स को गीला करता हुआ सॉफ महसूस कर पा रहा था…मेने नज़ीबा के होंटो को चूस्ते हुए, अपना एक हाथ उसके मम्मे से हटाया और फिर नज़ीबा का हाथ पकड़ कर अपने बॉल्स पर रख दिया….तो नज़ीबा ने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करके मेरी आँखो मे देखना शुरू कर दिया…..

मैं: ओह्ह्ह्ह मेरी जान देख ना तुम्हारी फुद्दि कितना पानी छोड़ रही है…मेरे आँड भी गीले कर दिए……

मेने नज़ीबा का हाथ छोड़ दिया, तो उसने मेरे बॉल्स को हाथ मे लेकर धीरे-2 सहलाते हुए मेरी तरफ देखा, और फिर हाथ ऊपेर लाकर उसपर लगे अपने फुद्दि से निकले कामरस को देखते हुए शरमा गयी….”ये तो एक बीवी की फुद्दि का प्यार है, अपने शोहार के लिए…” नज़ीबा ने धीरे-2 अपनी बुन्द को आगे पीछे करते हुए कहा, तो मेरा लंड उसकी फुद्दि मे धीरे-2 अंदर बाहर होने लगा…इस पोज़िशन मैं मेरा लंड उसकी फुद्दि की दीवारो से कुछ ज़्यादा ही रगड़ खा रहा था…वो अपनी पीठ मेरे चेस्ट से टिकाए हुए, धीरे-2 अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करने लगी…..

नज़ीबा: ओह्ह्ह्ह समीर ऐसे सेक्स करने में कितना मज़ा आता है……आप नही जानते, जब से मैने आपको अम्मी के साथ वो सब करते हुए देखा है…मेरी फुद्दि कितना तरसी थी…..हाईए…..सच में बहुत मज़ा आ रहा है….

नज़ीबा ने अब पूरी रफ़्तार से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया था…मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि की दीवारो से बार-2 रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था….नज़ीबा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी…”ओह्ह्ह्ह समीर यस फक मी ओह्ह्ह्ह अहह अह्ह्ह्ह उंह फक मी डियर…..” मैने एक हाथ से नज़ीबा के मम्मे को दबाते हुए, दूसरे हाथ को आगे लाते हुए नज़ीबा की फुद्दि के दाने (क्लिट) को अपनी उंगलियों से दबाना शुरू कर दिया….

तो नज़ीबा मस्ती मे एक दम से तड़प उठी….उसकी कमर अब और तेज़ी से झटके खा रही थी….”ओह्ह्ह समीररर उफफफफ्फ़ ऐसे मत करो ना….अहह अह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईईईई ओह्ह्ह्ह समीरर ओह मेरीई जान…प्लीज़ आअहह समीरररर ओह हाईए कारर्र दी ना अपनी बीवी की फुद्दि ठंडी ओह्ह्ह्ह रुक जाओ ना….” नज़ीबा मेरी रानो पर बैठी मेरे लंड को अपनी फुद्दि मेंलिए बुरी तरह से कांप रही थी…उसकी फुद्दि की दीवारो ने मेरे लंड को अंदर ही अंदर दबोच रखा था….उसने अपने सर को मेरे कंधे पर टिका दिया था……

मैं: क्या हुआ तुम्हारी फुद्दि तो अभी से पानी छोड़ गयी…..

मेने नज़ीबा के मम्मों को दोनो हाथों में लेकर दबाते हुए कहा. तो नज़ीबा एक दम से सिसक उठी…..”ओह्ह्ह आप भी कर लो ना…..अब मुझसे नही होगा….हाई इतनी जल्दी पानी निकाल दिया आपके लंड ने….” 

मेने नज़ीबा को आगे की तरफ पुश करते हुए, उसे डॉगी स्टाइल मे कर दिया…और उसके पीछे आते हुए, अपने लंड को फिर से उसकी फुद्दि के सूराख पर सेट करते हुए, एक ज़ोर दार धक्का मारा तो, नज़ीबा एक दम तड़प उठी…..”ओह्ह्ह्ह समीर धीरे उफ्फ…..” 

मेने नज़ीबा के खुले हुए बालो को पकड़ कर बिना रुके ताबडतोड धक्के लगाने शुरू कर दिए. नज़ीबा अभी अभी फारिघ् हुई थी….इसीलिए उसे थोड़ी तकलीफ़ का सामना करना पड़ रहा था. मैं अब अपने लंड को पूरा निकाल-2 कर नज़ीबा की फुद्दि में डाल रहा था….

नज़ीबा: ओह्ह्ह्ह हाईए समीर धीरे उफ़फ्फ़ अह्ह्ह्ह समीर…

मैं अब पूरी जोशो ख़रोश के साथ नज़ीबा की फुद्दि की ठुकाइ कर रहा था….जब मेरी जांघे नज़ीबा की बूँद से टकराती, तो उसके मोटी बुन्द का गोश्त काँपने लग जाता...मेरा हर शॉट नज़ीबा को फिर से गरम कर रहा था….करीब 5 मिनिट तक मेने उसी पोज़िशन मे नज़ीबा की फुद्दि के ज़बरदस्त ठुकाइ की…और फिर जैसे ही मैने अपना लंड नज़ीबा की फुद्दि से बाहर निकाला तो नज़ीबा आगे की तरफ लूड़क गयी….

नज़ीबा: ओह्ह्ह समीर….आराम से करो ना……

मैने नज़ीबा को सीधा करके पीठ के बल लिटाया और उसकी टाँगो को उठा कर अपने कंधो पर रखा और फिर एक हाथ से अपने लंड की कॅप को नज़ीबा की फुद्दि के सूराख पर रखते हुए, एक जोरदार झटका मारा…..इस बार मेरा पूरा का पूरा लंड नज़ीबा की फुद्दि में एक ही बार मे समा गया….नज़ीबा का मुँह दर्द से पूरा खुल गया….”ओह्ह्ह्ह समीरररर श्िीीईईईईईई मर गयी मैं…..हाईए अम्मी उफ़फ्फ़….”

मैं: इस वक़्त अपनी अम्मी को याद करके क्या फ़ायदा…वो यहाँ होती तो तुम्हारी तकलीफ़ बाँट लेती…

नज़ीबा: वो कैसे….सीईईईईईईईईईईई…..

मैं: अब तक तो उसने मेरे लंड को तुम्हारी फुद्दि से निकाल कर खुद अपनी फुद्दि मे ले लेना था….

नज़ीबा: सीईईईईईईई उंह हइई यी आप क्या कह रहे हो…..

मैं: सच कह रहा हूँ…शादी के बाद तुम दोनो की रोज ऐसी ही लेनी है मैने….

पर मैं फिर भी ना रुका, और उस पर झुकते हुए अपने लंड को पूरी रफतार से उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करने लगा….नज़ीबा एक बार फिर से गरम होने लगी थी… अब उसके फेस पर उभरे हुए दर्द भरे भाव मस्ती मे बदलने लगे थे…..” ओह्ह्ह सामीएर आप पूरे जानवर बन जाते हो….…..” नज़ीबा ने ऐसे हल्का सा हंसते हुए कहा…जैसे इंसान रोते-2 एक दम हँसता है…..”

मैं: आहह तुम्हारी अम्मी को यही जानवर तो पसंद है……

नज़ीबा: (अब नज़ीबा एक दम गरम हो चुकी थी….और उसने अपनी बुन्द को थोड़ा सा धीरे-2 ऊपेर उठाना चालू कर दिया था…..)शियीयियीयियी मुझे भी ये जानवर बहुत पसंद है…..(अपनी बुन्द को ऊपेर उठाते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि की गहराइयों मे लेने की कॉसिश करते हुए कहा…)

उसकी फुद्दि एक बार फिर से पूरे सबाब पर थी….जो हर धक्के के साथ अपने कामरस को बहा रही थी…..नज़ीबा दूसरी बार जब फारिघ् हुई तो रूम मे सिसकराइयों का मानो तूफान सा आ गया….उसने फारिघ् होते हुए अपनी टाँगो को उठा कर मेरे कमर पर लपेट लिया….और बाहों को पीठ पर कस लिया….इतने ज़ोर से मैं हिल भी नही पा रहा था….मुझे उसकी कमर तेज़ी से झटके खाती हुई महसूस हो रही थी….. उसकी फुद्दि ने अपने अंदर मेरे लंड को इस क़दर मजबूती से दबाना शुरू कर दिया कि, मेरे लंड ने भी अपना लावा उगलना शुरू कर दिया….अपनी फुद्दि मे बहते हुए मेरे गाढ़े पानी को महसूस करके, नज़ीबा ने और मजबूती से मुझे आपनी बाहों मे कस लिया….

नज़ीबा: ओह समीईररररर आइ लव यू आइ लव यू सो मच….अम्मी से मेरा हाथ माँग लो…और उनको बोल देना कि मैं अपना प्यार उनके साथ बाँटने के लिए तैयार हूँ….ल् लव यू समीर…..आइ रियली लव यू….मेरी जान….

मैं: ठीक है मेरी जान….पर तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा….

नज़ीबा: हां आप एक बार कहो तो सही…मैं आपके लिए आपनी जान भी दे दूँगी….

मैं: मैं सुहागरात तुम दोनो के साथ मनाना चाहता हूँ….

नज़ीबा ने मेरी बात सुन कर चोंक कर मेरी तरफ देखा और फिर एक दम से मुस्कराते हुए मेरे फेस को अपने हाथो में लेकर बोली….”क्या अम्मी राज़ी हो जाएँगी…”

मैं: ये ड्यूटी तुम्हारी है….

नज़ीबा: मैं वादा करती हूँ मैं अपनी तरफ से पूरी कॉसिश करूँगी….
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