Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:19 PM,
#27
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
वो तो निशि को भी देखकर ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे आज के दिन पहली बार दिखाई दी हो...

पिंकी अपनी योजना के अनुसार शुरू हो गयी , उसने निशि को इशारा किया और वो 1000 रुपय लाला के हाथ में देते हुए बोली : "लालाजी ..ये रहे आपके इस महीने के ब्याज के पैसे...''

लाला बोला : "अर्रे, पैसे कहाँ भागे जा रहे थे...आ जाते...''

निशि : "नही लालजी, जो असूल की बात है,वो पहले करनी चाहिए...वो क्या हुआ ना की आज मीनल दीदी अपने मायके चली गयी है, और जाते हुए उन्होने हम दोनो को ये पैसे दिए थे...हमनें सोचा की बेकार में खरचने से अच्छा है की आपके ब्याज के पैसे ही चुका दे...''

दोनो ने बड़ी ही चालाकी से उन पैसो को मीनल दीदी के दिए पैसे बताकर लाला को थमा दिए...
जबकि ये वही बचे हुए पैसो में से थे जो लाला को वापिस करने के बाद बच गये थे दोनो के पास...

वहीँ दूसरी तरफ
मीनल के जाने की खबर सुनकर लाला ने चौंकने का नाटक किया और बोला : "अर्रे...वो कैसे एकदम से चली गयी....अभी कल ही तो.......''

लाला ने जान बूझकर वो बात अधूरी छोड़ दी...
क्योंकि वो जानता था की कल रात की बात इस वक़्त करने से उन दोनो पर क्या बीतेगी..

हुआ भी यही...
दोनो शरमा कर रह गयी.

पर अब मीनल के जाने के बाद पिंकी को अपने लिए भी तो रास्ता सॉफ करना था...
इसलिए वो बोली : "लालाजी , आप अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूं ...''

लाला तो उसकी ये बात सुनकर ही समझ गया की वो ज़रूर अपने मज़े की बात करने वाली है...
क्योंकि कल रात को अपनी सहेली को मज़े लेते देखकर अब उसकी चूत भी कुन्मुना रही थी..

लाला : "हाँ ...हाँ ..बोल पिंकी रानी...बेधड़क बोल ...लाला से कुछ भी बोलने और करने के लिए तुम दोनो हमेशा आज़ाद हो...''

साला ...कह तो ऐसे रहा था जैसे सलमान ख़ान है, जिसपर सारी दुनिया मरती है...

पर अपने रामलाल के बल पर, कम से कम, अपने गाँव का तो सलमान ख़ान था ही वो..

पिंकी : "वो क्या है ना लालाजी, कल स्कूल के बाद मुझे पड़ोस के गाँव तक जाना है, वहां से एक किताब लेनी है जो यहाँ किसी के पास नही मिल रही...अगर आपके पास थोड़ा टाइम हो तो क्या आप मुझे...ले चलोगे...''

लाला को एक बार तो उसकी बात का कोई मतलब समझ ही नही आया...
ये बात सही थी की पास के गाँव में जो किताब की दुकान थी वहां से हर तरह की किताबें मिल जाया करती थी...
पर इस काम के लिए वो लाला को अपने साथ क्यों ले जाना चाहती थी...
ये काम तो दोनो सहेलियां मिलकर भी कर सकती थी...
वहां तक बस भी जाती है और ऑटो भी...
फिर वो लाला के साथ चलने को क्यों कह रही है..

और अचानक लाला का दिमाग़ ठनका ...
वो समझ गया की इसके पीछे क्या वजह है..

यही की कल रात निशि ने तो अपने हिस्से के मज़े ले लिए...
और ऐसा करके वो लाला के साथ अकेले में कुछ टाइम बिताना चाह रही थी...
और ऐसे में मज़े लेना तो बनता ही है..

वैसे भी, लाला के पास बुलेट मोटरसाइकिल तो थी ही...

वो बोला : "अरे, इसमे क्या दिक्कत होगी मुझे...चल दूँगा...इसी बहाने मैं भी थोड़ा निकल लूँगा बाहर...काफ़ी दिन हो गये गाँव से बाहर गये हुए....तू कल स्कूल के बाद मुझे पुलिया पर मिल जाना, वहीं से निकल चलेंगे मेरी मोटर साइकल पर...''

उसने हाँ कहा और मुस्कुराती हुई दोनो सहेलिया दुकान से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी...

दोनो बहुत खुश थी,अपनी योजना के अनुसार पिंकी अब लाला के साथ कम से कम 3-4 घंटे रह सकती थी...
और ऐसे में वो ठरकी लाला कुछ ना करे, ऐसा तो हो ही नही सकता था..

लाला अपने काम में लग गया...
और कल के बारे में सोचकर अपने प्लान बनाने लगा..

वो अभी कल के बारे में सोच ही रहा था की नाज़िया उसके सामने आकर खड़ी हो गयी..



एक के बाद एक उसके सामने हुस्न की दुकान के मीठे पकवान सज़ा रहा था उपरवाला...
उसे देखकर वो भी खुश हो गया...

नाज़िया अपने साथ ले जाने वाला समान एक पर्ची पर लिखकर लाई थी, जिसे देखकर लाला बोला : "इसमे तो ज़्यादातर समान अंदर ही है, गोडाउन में ...तू अंदर चलकर निकाल ले, कुछ ना मिले तो मुझे बता दियो ...''

अंदर जाने के नाम से ही नाज़िया का दिल धाड़-2 बजने लगा...
वो समझ गयी की लाला खुद ही अपनी तरफ से उस उसके साथ कुछ करना चाहता है...
वैसे सोचकर तो वो भी यही आई थी, इसलिए उसने कुछ नही कहा और चुपचाप अंदर चल दी...

लाला और रामलाल के लिए इससे अच्छा दिन आज तक नही बीता था
आज के दिन वो पहले से ही निशि की कुँवारी चूत चूस चुका था
उसके बाद नाज़िया की माँ यानी शबाना की गांड और चूत भी जमकर बजा चुका था...
बाद में पिंकी ने खुद ही आकर कल का प्रोग्राम सेट कर दिया था...
और अब ये लाला के बगीचे में उजागर हुई नयी कली नाज़िया...
ये भी अपने हुस्न के जाम लुटाने उसके पास पहुँच गयी है...
इतनी सारी खुशियां तो लाला ने आज तक महसूस नही की थी...

पर उसे भला क्या प्राब्लम होनी थी...
जब सामने से ये कच्ची कलियाँ खुद ब खुद उसके रामलाल की सेवा लेने पहुँच रही है तो उसका तो ये फ़र्ज़ बन जाता है की हर कली को फूल बनाकर ही छोड़े...

बस फिर क्या था
लाला ने शटर डाउन किया और चल दिया कमसिन नाज़िया के पीछे-2
गोडउन के अंदर.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:19 PM

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