Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:20 PM,
#34
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी की नज़रें जब झिर्री से अंदर देखने लगी तो उसकी साँसे अटक कर रह गयी.... 
उसने तो सोचा भी नही था की उसकी फ्रेंड की माँ ये कांड करने के लिए यहाँ आई है...
और वो उस नरेश को भी जानती थी अच्छे से, उसके पिताजी से मिलने अक्सर घर भी आया करता था...
साला देखने में कितना शरीफ लगता है और हरकते तो देखो इसकी..
अपने से दुगनी उम्र की औरत के साथ ये सब करने में लगा है..

वो शबाना को बुरी तरह से स्मूच कर रहा था....
और उसके देखते ही देखते उसने साड़ी उतार कर नीचे फेंक दी ...
शबाना ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा खुद ही खोल कर एक कोने में फेंक दिया
और अपना मोटा मुम्मा पकड़ कर नरेश के मुँह में ठूस दिया...

''आआआआआआआआआआहह.....चूऊस ले सााअले...... इन्हे देखकर ही तेरा लंड खड़ा हुआ करता था ना.....आज अपनी प्यास अच्छे से मिटा ले...''
उसने अपने पैने दांतो से उसके निप्पल्स को जब कुतरा तो वो बंदरिया की तरह उछल कर उसकी गोद में चढ़ गयी....
पिंकी का ये सब देखकर बुरा हाल हो रहा था...
उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था...
अचानक उसने लाला के हाथो को अपने कंधे पर महसूस किया..
लाला ने आगे की तरफ झुकते हुए उसके कान में कहा : "देख ले री छोरी ....ये पढ़ाई भी तेरी उम्र में बहुत ज़रूरी है....आगे चलकर बहुत काम आएगी ये...''

पिंकी ये सुनकर मुस्कुरा दी...
अभी तक जो डर और झिझक उसके अंदर थी वो धीरे-2 निकलने लगी..

उसने सोचा की वैसे भी तो वो यही सब सोचकर आज लाला के साथ बाहर निकली थी की कही बीच में मौका मिला तो उसके रामलाल का अच्छे से मज़ा ले लेगी ...
और ये संजोग तो अपने आप ही बन गया...
भले ही वो पहले डर रही थी की शबाना आंटी उसे लाला के साथ देखकर गाँव में बोल देगी..
पर वो तो खुद ही ये कांड करती फिर रही थी...
ऐसे में उसका डर अपने आप दूर होता चला गया..

और साथ ही जब लाला के सख़्त हाथ उसके बदन से आ टकराए तो पहले की तरह एक बार फिर से गर्म होने लगी...

उसका छरहरा बदन काँपने सा लगा...
उसके निप्पल्स कड़क होकर बाहर निकल आए और चूत से वही चिर-परिचित सी गंध निकल कर लाला को मदहोश सा करने लगी..

पिंकी की आँखे बंद सी हो गयी और उसने अपना सिर पीछे करते हुए लाला के सीने पर टीका दिया...
ये वो पल था जब उसने अपने आप को लाला के हवाले कर दिया था...

लाला का कद उसके मुक़ाबले काफ़ी बड़ा था, इसलिए वो उपर से पिंकी के सीने को उपर नीचे होता देख पा रहा था...
उसके करारे पीनट जैसे निप्पल्स की नोकें उसकी कुरती को फाड़कर बाहर निकल आने को आतुर हो रही थी...
लाला ने बड़ी मुश्किल से अपने फिसलते हाथो को उनपर जाने से रोका..वरना उन्हे वही दबोच कर उनका चूरन बना देने का मन कर रहा था उसका...
थोड़ी देर पहले जो पानी अपनी छाती पर डाला था, उसका गीलापन अभी तक था उस कपड़े पर...

लाला का लुल्ला तो उसकी रसगुल्लियां देखकर एकदम सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया.

और इसी बीच रामलाल ने भी अपना हाथ सॉफ कर दिया...
खड़े होकर जब उसने अपना सिर पिंकी की कसी हुई चूतड़ों पर मारा तो उसकी सिसकारी निकलते-2 बची...

पर असली सिसकारिया तो अंदर से आ रही थी इस वक़्त...
नरेश ने अपना पायजामा और कुर्ता निकाल कर साइड में फेंक दिया था...
और शबाना भी अपने नंगे योवन को उसके सामने परोस कर उल्टी छलांगे मार रही थी...
यानी उसे रिझाने के लिए हर वो काम कर रही थी जो एक मर्द को पसंद होता है...
और लंड चुसवाना तो सबसे पहले आता है उस लिस्ट में.

नरेश ने बड़ी बेदर्दी से उसके बालो को पकड़ कर नीचे धकेल दिया और अपना लंड उसके खुल्ले मुँह में ठूस दिया...

''आआआआआआआआआआआहह.......गल्प........उम्म्म्ममममममम.........पूचहsssssssss ''
वो ज़ोर से चिल्लाया : "चूऊऊस साली.....हरामजादी ....अपनी गांड मटकाते हुए पूरे गाँव में जब निकलती है तो हर लोड़े को देखकर तेरे मुँह में पानी आता है.....अब दिखा...कहाँ है वो पानी.....नहला दे मेरे लंड को उस पानी से.....चूस जा....खा ले......निचोड़ दे इसको......''

उसने शायद दारू पी रखी थी इस वक़्त....
इसलिए बोलते हुए उसकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी....

पिंकी भी ये सुनकर शरमा सी गयी,क्योंकि ऐसे गांड मटकाकर तो वो भी घूमती है पूरे गांव में.

और वही दूसरी तरफ, शबाना तो उसकी कुतिया बनकर भी उतनी ही खुश थी , जितनी उसे किस्स करते वक़्त थी....

वैसे एक बात है, चुदाई की शौकीन औरत को जितना जॅलील करके, गालिया देकर , उसकी चुदाई की जाए तो उसे और भी ज़्यादा मज़ा आता है...
यही हाल इस वक़्त शबाना का हो रहा था...

पिंकी की नज़रें तो उस सीन को देखकर जम कर रह गयी.......
इससे पहले भी उसने निशि की बहन मीनल दीदी को लाला का लंड चूसते हुए छुपकर देखा था झरने पर...
और आज भी वो छुपकर एक और लंड को चूसते हुए देख रही थी....
वो मन में बोली 'हाय....ये देखती ही रहूगी या कभी मुझे भी चूसने का मौका मिलेगा...'

और शायद उसके मन की आवाज़ रामलाल ने सुन ली थी...
जो अब उसकी गांड की दरारों के बीच फंसकर उसे रंगीन मज़े दे रहा था....
इसी बीच लाला का हाथ सरकते हुए उसके पेट तक आ चुका था...
और वो उसे बड़े होले-2 मसलता हुआ, उसकी नाभि को अपनी उंगली से कुरेड रहा था...
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:20 PM

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