Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:20 PM,
#35
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी अंदर से चिल्लाई 'लाला......छेद नीचे है....अपनी उंगली निचले छेद पर लगा......'

पर लाला तो कछुए की चाल की तरह उसकी नाभि ही मसलने में लगा रहा...

पर अंदर का माहौल थोड़ा और गर्म हो चुका था....
बाबूलाल ने शबाना को पकड़कर अपनी खटिया पर लिटा दिया और उसकी टांगे फेला कर अपना गीला लंड एक ही बार में उसकी चूत में घुसा कर उसके उपर औंधा लेट गया.

बेचारी की चीख पूरे खेत में गूँज कर रह गयी....

''आआआआअह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ धिइरे डाआआल रईईईई sssssssss ''



लाला ने भी आज तक इतनी बेदर्दी से किसी की चूत में लंड नही पेला था ...
वो अच्छे से शबाना के दर्द को समझ सकता था इस वक़्त...

पर उस रॅफ तरीके से हो रही चुदाई को देखकर पिंकी का मन एक बार फिर से डाँवाडोल सा हो गया....
और वो सोचने लगी की काश लाला भी उसे इसी वक़्त चोद डाले...
घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लोढ़ा अंदर डाले और तब तक उसे चोदे जब तक वो बेहोश ना हो जाए...

ऐसा सोचते-2 , उत्तेजना के मारे उसने लाला के हाथ पर अपना हाथ रख दिया और एक हल्की सी सिसकारी मारी उसने...

लाला समझ गया की माल गर्म हो रहा है...
इसलिए उसने अपने लंड को थोड़ा और आगे करते हुए उसकी गद्देदार गांड के अंदर घुसा दिया...
पीछे से मिल रही चुभन को महसूस करके उसका सीना और बाहर निकल आया और उसे अंदर करने के लिए उसने लाला के हाथ को पकड़ कर अपनी छाती पर रख दिया...

उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.....क्या फीलिंग थी....

लाला और पिंकी दोनो के लिए...

लाला के लिए इसलिए क्योंकि आज तक उसने इन्हे पकड़ने के सिर्फ़ सपने भर देखे थे....
और पिंकी के लिए इसलिए की आज पहली बार किसी ने उसके इन योवन कलषो को पकड़ा था ...
और वो कोई और नही, दिन रात जिससे सपनो में चुदाई करवाती है , वही लाला है...

और लाला ने आज तक अपनी लाइफ में इतने मस्त मुम्मे किसी के नही पकड़े थे....
एकदम शेप में ...
कड़क...
नुकीले निप्पल से सजे हुए...



उसने दूसरे हाथ से उसकी कुरती के चारो बटन खोल कर उन्हे बाहर खींच निकाला....
जिस तरह का रॅफ तरीका नरेश अपना रहा था अंदर, वही तरीका लाला ने भी अपनाया उन्हे निकालते हुए...
लाला ने जब पिंकी के मुम्मो को कान पकड़कर बाहर खींचा तो बेचारी सीसीया कर रह गयी और पीछे होती हुई उसके रामलाल को थोड़ा और अंदर की तरफ खींच लिया...
और इस बार वो सीधा उसकी चूत से आ टकराया....
उपर और नीचे दोनो तरफ एकसाथ हमला हो चुका था पिंकी पर....
वो थोड़ा और खिसक कर पीछे हुई और लाला के पाइप नुमा लंड पर अपनी चूत को सजाकर बैठ गयी....
लाला ने एक हाथ से उसके पेट को और दूसरे से उसकी छाती को पकड़ा हुआ था....
पिंकी के दोनो पैर हवा में थे और उसने अपने पूरे शरीर को लाला के सुपुर्द कर दिया था इस वक़्त....

लाला ने नीचे झुकते हुए उसके कान को मुँह में भरा और उसे कुत्ते की तरह चूसने लगा...
बेचारी वहीं खड़ी-2 झड़ गयी लाला की इस हरकत से...
उसकी चूत से गरमा गरम मीठा पानी निकल कर बाहर बहने लगा.

पर ये चूत से निकलता पानी तो आने वाले कई लीटर पानी में से एक था...
अभी तो उसे इतने मज़े आने वाले थे की वो खड़े-2 बाबूलाल के खेतो की सिंचाई अपनी चूत से करने वाली थी..

लाला के हाथ जब उसके कोरे और चिकने मुम्मो पर फिसले तो वो आनंद सागर में गोता लगाकर दोहरी सी हो गयी और उसने अपना चेहरा साइड में करके लाला के होंठो पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे चूसने लगी...



लाला भी उत्तेजना मे काँप रही इस यौवना के बरफी जैसे मीठे होंठो को चूस्कर एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया...
इस वक़्त तो वो दोनो ये भी भूल चुके थे की वो शबाना की रंगरेलियां देखने के लिए वहां छुपे हुए थे....
अब तो उन्हे बस अपनी मस्ती से मतलब रह गया था....

वो जिस अंदाज से, लाला के लंड पर दुल्हनिया बनकर बैठी थी, उसकी मादकता में चार चाँद लग रहे थे उसी वजह से...

लाला का एक हाथ जो उसके पेट पर था वो धीरे-2 नीचे की तरफ सरकने लगा...
उस गुफा की तरफ जिसे आज तक किसी मर्द ने नही देखा था...
एक हाथ से उसकी कचीली चुचिया मसलता हुआ, होंठो से उसके मुँह की शराब पीता हुआ जब लाला का खुरदुरा हाथ उसकी चिकनी चूत के मुहाने तक पहुँचा तो उसे ऐसा लगा जैसे रेलगाड़ी के इंजन की भट्टी में हाथ जा रहा है उसका...

झुलसा देने वाली गर्मी निकल रही थी उसमे से...
पर अपनी परवाह किए बिना लाला ने अपना हाथ उसकी चिकनी चूत पर लेजाकर रख ही दिया और फिर वही हुआ जिसका डर था...
पिंकी के मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी...

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......उम्म्म्ममममममममम...''

और ये इतनी तेज थी की अंदर चुदाई पर लगे नरेश और शबाना को भी सुनाई दे गयी...
शबाना : "ये...ये कैसी आवाज़ थी.....''

नरेश का लंड तो उसकी फुददी में धंसा पड़ा था...
वो धक्के देता हुआ बोला : "अर्रे होगा कोई कुत्ता या बंदर....इस बकत यहां कोई नही आता.....तू इधर ध्यान दे बस...मैं झड़ने ही वाला हूँ ....''

इतना कहकर वो फिर से उसकी चूत कुटाई में लग गया...



लाला और पिंकी भी घबरा से गये थे...
पर लाला को पता था की ऐसी हालत में दोनो का बाहर आना संभव नही है, और इसलिए उनसे डरने वाली कोई बात नही थी...

वो उधर फिर से अपने काम में बिज़ी हुए और इधर लाला अपने काम में.

अपनी बीच वाली उंगली से जब लाला ने पिंकी की चूत को कुरेदना शुरू किया तो वो उसकी गोद में किसी पानी से निकली मछली की तरह छटपटाने लगी..

''ओह लाला........जी........उम्म्म्ममममममममममम........''

इस बार उसने अपनी आवाज़ पर कंट्रोल किया हुआ था....
वो एक बार फिर से अंदर वालो को ये जतलाना नही चाहती थी की बाहर कोई उनका खेल देख रहा है..

लाला की उंगली धीरे-2 उसकी रसीली चूत में अंदर की तरफ जाने लगी...
गाँव में एक कहावत मशहूर थी की कुँवारी के लिए तो लाला की उंगली ही लंड समान है...
और वो कहावत आज सच हो रही थी पिंकी के मामले में...
उसे ऐसा लग रहा था की लाला आज उसकी चूत को अपनी उंगली से ही ककड़ी की तरह फाड़ देगा...
जो वो हरगिज़ नही चाहती थी...
इसलिए उसने लाला के हाथ को वही रोक दिया और बोली : "नही लालाजी....ऐसे नही....उंगली के बदले रामलाल को डालना अंदर...तब मेरी कुँवारी मुनिया खुश होगी...''

लाला समझ गया की उसने भी अपनी पहली चुदाई के सपने देखे होंगे...
इसलिए उसने अपनी उंगली वापिस बाहर खींच ली...
पर बाहर निकालकर वो उसकी चूत के चेहरे को रगड़ता ज़रूर रहा अपनी उंगली से...
जो पिंकी को एक बार और झड़ने के लिए पर्याप्त था...

वो बिलबिलाती हुई सी, लाला की उंगली पर ही , अपनी चूत का झरना खोलकर झड़ने लगी...



लाला ने उसके होंठो को एक बार फिर से चूसते हुए उसकी आवाज़ को अंदर ही घोंट दिया...
वरना ऐसी उम्र की लड़कियो को झड़ते हुए चीखने में कितना मज़ा आता है, ये उससे अच्छा और कौन जानता था..

यहाँ पिंकी झड़ी और अंदर वो दोनो...
अच्छे से चुदवाकर वो अपनी टांगे फेलाकर उस झोपड़े में नंगी पड़ी हुई थी...



बस लाला का झड़ना बाकी रह गया था...

लेकिन इस वक़्त वहां कुछ और होना संभव नहीं था...
वैसे तो लाला चाहता तो उन दोनो को अंदर जाकर रंगे हाथो पकड़ सकता था..
पर इसमे लाला का कोई फायदा नही होने वाला था...
और वैसे भी , पिंकी उसके साथ थी, ऐसी सुनसान दोपहरी में वो उसके साथ क्या कर रही है, इस बात का जवाब भी तो देना पड़ता..

इसलिए अंदर जब उन दोनो ने कपड़े पहनने शुरू किए तो लाला और पिंकी भी अपना-2 हुलिया ठीक करके वहां से निकल लिए..
और बाइक पर बैठकर आगे चल दिए...

अभी तो पूरा दिन पड़ा था...
और उन दोनो की झिझक भी अब खुल ही चुकी थी..
असली मज़ा तो अब आने वाला था दोनो को.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:20 PM

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