RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
यहाँ पिंकी झड़ी और अंदर वो दोनो...
अच्छे से चुदवाकर वो अपनी टांगे फेलाकर उस झोपड़े में नंगी पड़ी हुई थी...बस लाला का झड़ना बाकी रह गया था...
लेकिन इस वक़्त वहां कुछ और होना संभव नहीं था...वैसे तो लाला चाहता तो उन दोनो को अंदर जाकर रंगे हाथो पकड़ सकता था..पर इसमे लाला का कोई फायदा नही होने वाला था...और वैसे भी , पिंकी उसके साथ थी, ऐसी सुनसान दोपहरी में वो उसके साथ क्या कर रही है, इस बात का जवाब भी तो देना पड़ता..
इसलिए अंदर जब उन दोनो ने कपड़े पहनने शुरू किए तो लाला और पिंकी भी अपना-2 हुलिया ठीक करके वहां से निकल लिए और बाइक पर बैठकर आगे चल दिए...
अभी तो पूरा दिन पड़ा था...और उन दोनो की झिझक भी अब खुल ही चुकी थी..असली मज़ा तो अब आने वाला था दोनो को.
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अब आगे
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और इस बार पिंकी के बैठने में ज़मीन-आसमान का अंतर आ चुका था...
बुलेट के दोनो तरफ टांगे कर रखी थी अब उसने..
अपने दोनो मुम्मो को लाला की कठोर पीठ पर धँसाकर लाला की छाती को जकड़कर बैठी थी वो...
जैसे कोई युगल प्रेमिका बैठती है शहर में अपने यार के पीछे.
लाला की पीठ झुलस रही थी,
जहाँ पर पिंकी की चूत थी वहां से गर्म हवा निकलकर लाला की पीठ की सिकाई कर रही थी...
इसी बहाने लाला को पीठ दर्द से आराम मिल रहा था...
और वही थोड़ा उपर पिंकी के बिना ब्रा के चुच्चे ड्रिल मशीन की तरह छेद करने में लगे थे...
पर लाला उसे भी एंजाय कर रहा था.
अब तो पिंकी का मन और चूत बस यही चाह रहे थे की लाला किसी तरह उसके अंदर अपना लोटिया पठान जैसा लंड पेल दे ताकि उसे परम आनंद की प्राप्ति हो जाए, जिसके लिए आधी से ज़्यादा दुनिया पागल है, वो मज़ा ले सके वो भी..
और यही सब लाला के दिमाग़ में भी चल रहा था...
शबाना की लाइव चुदाई देखकर और पिंकी जैसी कच्ची चूत को पाकर लाला अब इसी जुगाड़ में था की ऐसी कोई जगह मिल जाए जहाँ जाकर इसके साथ मजा लिया जा सके.
एक बार तो उसने सोचा की बाइक वापिस मोड़ ले और अपने घर जाकर उस नमकीन माल को गोडाउन की बोरी पर पटक कर चोद डाले..
पर अचानक उसे ध्यान आया की उसी गाँव में उसके बचपन का एक दोस्त भी रहता है...
जो उसी की तरहा रंडवा था...
अकेला भी...
उसके घर जाकर कुछ बात बन सकती है.
यही सोचकर उसने बाइक को रेस दी और दुगनी तेज़ी से दूसरे गाँव की तरफ चल दिया और जल्द ही वो वहां पहुँच भी गये..
वहां जाकर सबसे पहले तो पिंकी ने वो बुक्स खरीदी जिनके लिए वो वहां आई थी वरना वापिस जाकर माँ को क्या बोलती...
और फिर लाला उसे लेकर अपने दोस्त के घर की तरफ चल दिया..
पिंकी भी बिना कोई सवाल पूछे अपने मस्ताने लाला के पीछे बैठकर चल दी...
अब तो उसकी चूत ऐसे कुलबुला रही थी जैसे पानी में उबलता हुआ अंडा...
कूद-2 कर खुद ही चिल्ला रही थी उसकी चूत की अब सहन नही होता लालाजी...
चोद ही डालो अब तो.
लाला का वो दोस्त, हुकम सिंह , उसी की तरह चौड़ा और बलिष्ट था...
अपने गाँव में उसकी बहुत धाक थी...
लाला ने जब दरवाजा खड़काया तो कुछ देर लगी खुलने में और जब दरवाजा खुला तो अपने दोस्त लाला को सामने खड़ा देखकर हुकम सिंह ज़ोर से चिल्लाया
''ओए लाले...मेरी जान....हा हा.....आज मेरी याद कैसे आ गयी.....ओये दिल खुश कर दिया यारा...''
और अपने बचपन के साथी को गले से लगाकर उसने गोद में उठा लिया...
लाला जैसे पहाड़ को अपनी बाजुओं से उठा लिया, इसी बात से उसकी ताक़त का अंदाज़ा लगाया जा सकता था..
अच्छी तरह से मिलने के बाद जब हुकम सिंह की नज़र सहमी हुई सी पिंकी पर पड़ी तो उसने फुसफुसा कर पूछा : "ओये लाले...ये कौन है...इस चिड़िया को कहाँ से पकड़ लाया...''
उसकी बात करने के अंदाज से सॉफ पता चल रहा था की हुकम सिंह अपने दोस्त लाला के रंगीन मिज़ाज के बारे में अच्छे से जानता है..
लाला मुस्कुराया और धीरे से उसके कान में कहा : "बस..ये समझ ले की ये चिड़िया को पकड़ने में काफ़ी पापड़ बेले है ...आज जाकर इसने लाला का दाना चुगा है...''
हुकम सिंह ज़ोर से हंस दिया और बोला : "ओये लाले, तू आज भी नही बदला...पहले जैसा हरामी का हरामी ही है..''
सब अंदर आकर बैठ गये..
हुकम सिंह ने अपना घर काफ़ी आलीशान बना रखा था...
टेबल पर बियर की बोतलें पड़ी थी यानी वो भरी दोपहरी में मजे ले रहा था...
अकेले रहने वाले ऐसे जवान बुड्ढे के पास यही तो एक काम होता है..
पर उसके अलावा भी वो कुछ कर रहा था...
अंदर जाते ही उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "भूरी... ओ री भूरी...चल बाहर आ जा...इससे डरने की ज़रूरत नही है री..ये तो मेरा यार है...दूसरे गाँव से आया है ये....चल बाहर आ जा...''
और लाला और पिंकी ने देखा की एक डरी सहमी सी औरत किचन से बाहर निकल कर हुकम सिंह के पास जाकर खड़ी हो गयी.
देखने में वो करीब 35 साल की लग रही थी...
एकदम भरा हुआ सा शरीर, घाघरा चोली पहनी हुई थी उसने
और चोली में से उसके मोटे मुम्मे उबल कर बाहर आ रहे थे.
और फिर वो लाला को देखकर मुस्कुराया और बोला : "ये भूरी है लाला...मेरे घर का काम यही संभालती है आजकल...''
उसके कहने का अंदाज ही ऐसा था की सॉफ पता चल रहा था की कैसा काम संभालती होगी वो..
और लाला तो उसी की जात का आदमी था, वो तो पहले ही समझ चुका था की उनके आने से पहले उसका दोस्त हुकम सिंह उसके साथ क्या कर रहा था...
भूरी उन दोनो के लिए पानी लाई और जब चाय के लिए पूछा तो लाला ने बियर की बोतल की तरफ इशारा करके कहा : "भाया , तू खुद तो ये पी रहा है और मुझे चाय पिलाएगा अब...''
हुकम सिंह समझ गया और उसने भूरी को इशारा करके अपने और लाला के लिए बियर मंगवा ली और पिंकी के लिए केम्पा ।
दोनो पीने लगे और अपनी पुरानी बाते याद करके ठहाके भी मारते रहे..
इन सबके बीच पिंकी अपने आप को बड़ा ही असहज महसूस कर रही थी...
कहाँ तो वो पूरी तरह से गर्म होने के बाद भरी दोपहरिया में चुदने के सपने देख रही थी और कहां ये लाला उसे अपने दोस्त के घर लेकर आ गया..
उन लोगों का भी मूड खराब किया और पिंकी का भी.
क्योंकि इतना तो पिंकी भी समझ गयी थी की वो औरत लाला के दोस्त के साथ क्या कर रही थी उसके घर..
पिंकी ने जब भूरी से नज़रें मिलाई तो वो मुस्कुरा दी...
शायद ये सोचकर की लाला उस छोटी सी बकरी को जब चोदेगा तो वो कितना मिमियाएगी...
इन साले बुड्ढ़ो की किस्मत बड़ी सही होती है...
थोड़े पैसे होने चाहिए जेब में और काम करने लायक लंड ..
तब देखो, इनसे हरामी दुनिया में कोई और मिल जाए तो बात है..
आज कल की जेनेरेशन को भी पीछे छोड़ देंगे ये तब.
पर अभी के लिए तो पिंकी की चूत कुलबुला रही थी..
वो लाला को रुक-रुककर इशारे भी कर रही थी की यहां से जल्दी चलो, कही ढंग की जगह पर जाते है और मुश्किल सें आये इस कीमती समय का सदुपयोग करते है..
पर लाला तो अपनी ही धुन में लगा हुआ था...
और आज भी हमेशा की तरह वो कुछ और ही सोचने में लगा था..
कल तक वो जिस पिंकी के रसीले जिस्म को देखकर लार टपकाया करता था, वो आज खुद अपनी चूत रगड़ती हुई उसके पीछे घूम रही थी...
पर अब भी लाला को वो पर्फेक्ट सिचुएशन नही मिल पा रही थी जिसमें वो पिंकी के कुंवारेपन को हर लेना चाहता था...
हालाँकि निशि जब उसके पास आई थी तो उसने यही निश्चय किया था की वो दोनो को एक साथ ही चोदेगा ...
पर इस वक़्त तो निशि का वहां पर आना संभव नही था और वापिस जाकर चुदवाने के लिए पिंकी अभी राज़ी नही थी..
उसे तो लंड चाहिए था...
अभी के अभी.
इसलिए लाला ने बीच का रास्ता निकाल लिया...
वो जानता था की लंड और चूत तब तक ही झटके मारते है जब तक उनका पानी नही निकल जाता और एक बार और अगर पिंकी का पानी निकल जाए तो कम से कम आज के लिए वो शांत हो ही जाएगी...
लाला ने भूरी की तरफ इशारा करके हुकम सिंह से पूछा : "ये और का-2 काम कर लेती है...ज़रा हमें भी तो दिखा...''
हुकम सिंह ने पिंकी की तरफ देखा तो लाला बोला : "इसकी चिंता ना कर तू...एक बार तू भूरी को चालू कर दे बस...फिर इस छोरी का भी कमाल देख लियो...''
हुकम सिंह की तो बाँछे खिल गयी ये सोचकर की पिंकी जैसी कच्ची कली के हुस्न का दीदार करने को मिलेगा आज...
इसलिए उसने झट्ट से भूरी को इशारा करके अपने पास बुलाया और अपने सामने बैठने को कहा...
वो समझ तो गयी थी की वो उससे क्या करवाना चाहता है इसलिए झिझक रही थी...
पर जब हुकम सिंह ने कड़ी आवाज़ में दोबारा हुकुम देकर उससे कहा तो वो झट्ट से उसके कदमो में जाकर बैठ गयी...
पिंकी बेचारी उन लोगो का तमाशा देख रही थी....
उसकी समझ में कुछ भी नही आ रहा था...
वो तो उस तरफ सोच भी नही रही थी क्योंकि उसे लग रहा था की वो औरत ऐसे लाला के सामने कोई ग़लत हरकत क्यों करेगी भला.
पर उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर पिंकी तो अपनी केम्पा पीनी ही भूल गयी...
बॉटल उसके मुँह से ही लगी रह गयी जब भूरी ने आगे बढ़कर हुकम सिंह के इशारे पर उनकी धोती में छुपे उनके शैतानी बच्चे के कान खींचकर उसे बाहर निकाल लिया...
वो था हुकम सिंह का बोराया हुआ लंड.
जिसकी चाँदी की चमक लाला के लंड से भी ज़्यादा थी...
शायद वो उसे रोज देसी घी से चोपड़ता था..
कंजूस लाला की तरह सरसो के तेल से नही.
और इससे पहले की वो अपनी आँखे उस चमकीली चीज़ से हटा पाती, हुकम सिंह ने बड़ी बेदर्दी से भूरी का सिर पकड़ कर अपना लंड उसके मुँह में पेल दिया.....
बेचारी घिघिया कर रह गयी...
और उसका 8 इंची लंड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगी...
भूरी की पीठ लाला की तरफ थी....
लाला ने आगे हाथ करके उसकी डोरी वाली चोली को खींच दिया और जैसे ही डोरी खुली, उसकी चोली ढीली होकर उसके जिस्म पर लटक गयी...
लाला को तो बहुत मज़ा आया पर उसकी इस हरकत से पिंकी को बहुत गुस्सा आया...
उसके सामने होते हुए लाला भला कैसे दूसरी औरत को देखकर अपनी लार टपका सकता है...
और तभी उसे मीनल दीदी की बात याद आई की मर्द को अपने काबू में करने का बस यही एक मंत्र है की उसे अपने अलावा किसी और का होने ना दो...
उसे प्यार करते वक़्त, उसके साथ सैक्स करते हुए पूरी तरह से डूब से जाओ उसमें बस...
फिर वो दूसरी औरत की तरफ नज़र भी नही फिराएगा...
बस फिर क्या था...
उसने केम्पा की बॉटल पटकी और उठकर सीधा लाला की गोद में जाकर बैठ गयी...
हालाँकि एक अजनबी के सामने ये सब करना काफ़ी मुश्किल था पर अंदर से सुलग रही पिंकी के पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं रह गया था क्योंकि लाला ने जब भूरी की चोली खोली तो हुकम सिंह ने बाकी का काम करते हुए उसकी चोली पूरी तरह से उतार दी...
उसे निकाल फेंका..
और अब वो टॉपलेस होकर हुकम सिंह का आलीशान लंड चूस रही थी...
और लाला की नज़रें जो अभी तक भूरी के रसीले जिस्म से चिपकी हुई थी एकदम से पिंकी की तरफ मुढ गयी...
बियर का हल्का सरूर होने लगा था लाला पर..
उपर से पिंकी जैसी कक़ची चिनार लोंड़िया उसकी गोद में आकर बैठी तो उसके सब्र का बाँध टूट गया और उसने एक ही झटके में उसे पकड़ कर ज़ोर से स्मूच करना शुरू कर दिया...
ये चुम्मा इतना तगड़ा था की बेचारी पिंकी की साँसे अटक कर रह गयी...
उसे तो लग रहा था की लाला उसके जिस्म की ऑक्सिजन निकाल कर खुद पी रहा है...
अगर उसने खुद को ज़बरदस्ती चुदवाया ना होता तो वो मर ही जाती...
पर उसके होंठ चूसने के बाद वो हरामी लाला रुका नही...
उसने उसकी कुरती को पकड़ कर एक ही झटके में निकाल फेंका और उसे भी भूरी की तरह टॉपलेस कर दिया और फिर वो उसके नन्हे अमरूदों पर टूट पड़ा...
हालाँकि भूरी के मुक़ाबले उसके फलो में उतना गुदा नही था पर इन्हे चूसने का अपना ही मज़ा था...
और ये बात सिर्फ़ लाला ही जानता था की इन्हे चूसने में उसने कितने पापड़ बेले है...
एक पराए मर्द के सामने पिंकी उपर से नंगी हो चुकी थी और इस बात ने उसके अंदर एक अलग ही रोमांच भर दिया था...
उसने नज़र घुमा कर हुकम सिंह की तरफ देखा जो उसी को नज़रें फाड़े देख रहा था...
हालाँकि उसके पास तो अपनी बंदी थी जो इस वक़्त उसका लंड चूस रही थी पर फिर भी उसकी नज़रें पिंकी के जवान जिस्म पर ही थी...
और वो उसके नन्हे बूब्स की एक झलक पाने के लिए अपनी सीट पर इधर - उधर होकर उसे देखने में लगा था..
और उसकी इस बेचैनी को देखकर पिंकी को बड़ा मज़ा आ रहा था...
वो लाला की गोद में दोनो तरफ पैर करके बैठ गयी और उनकी कमर को जकड़ लिया...
इस वक़्त पिंकी ये भी भूल चुकी थी की वो एक ऐसे मर्द के सामने अपना नंगापन दिखा रही है जिसे वो आज ही मिली है...
पर इस वक़्त उसे उस मर्द से ज़्यादा अपने वाले मर्द की तरफ ध्यान देने की ज़्यादा ज़रूरत थी..
यानी लालजी की तरफ,
जो उसके मुम्मो को ऐसे चूस रहा था जैसे आज वो उनका दूध निकाल कर ही मानेगा...
लाला के पैने दाँत अपने निप्पल्स पर महसूस करके पिंकी की मस्ती बदती जा रही थी और लाला की गोद में बैठे-2 ही उसने उन्हे अपनी छाती से चिपका कर अपना शरीर पीछे करना शुरू कर दिया...
और तब तक पीछे करती रही जब तक उसका सिर नीचे नही लटक गया और तब उसने हुकम सिंह का चेहरा उल्टा होकर देखा जिसके ठीक सामने पिंकी की जवान और नशीले रस में डूबी छोटी-2 दो बॉल्स थी...
जिन्हे लाला बड़े ज़ोर-शोर से चूस रहा था...
कभी दाँयी वाली तो कभी बाँयी वाली...
हुकम सिंह को देखकर पिंकी ने उसे एक आँख मारी और मुस्कुरा दी....
बेचारा वहीँ का वहीं झड़ कर रह गया...
''आआआआआआआआआआआआहह......साआआआआआाअली......... इतना जल्दी तो पूरी लाइफ में आज तक नही झड़ा था.....अहह......क्या गर्म माल है रे लाला.....तो कैसे झेलता है इसको....''
लाला ने अपना सिर उपर उठाया और बोला : "साले ...ऐसे माल को झेलने के लिए बादाम खाने पड़ते है....तेरी तरह नही की दारू पीकर पड़ा रहे....और अभी तो इस लोंड़िया की शुरुवात है...कुँवारी है ये....जब चुदेगी तब देखियो इसके जलवे......''
लाला की बात सुनकर उसका ढलक रहा लंड फिर से अकड़ कर बैठ गया...
वो बोला :"हाय .....ऐसे कड़क माल की सील तोड़ने में कितना मज़ा आएगा लाले.....चल जल्दी से तोड़ आज...यही पर...मेरे सामने.....मैं भी तो देखु की कितनी मस्ती है इसमें ...''
उसने जब ये बात कही तो पिंकी का दिल धाड़-2 बजने लगा....
एक पराए मर्द के सामने नंगी होकर चुदने के ख़याल मात्र से ही उसकी चूत से पेशाब निकल गया.....
जिसमें उसकी चूत का रस भी शामिल था...
वो लाला की तरफ नशीली नज़रों से देखने लगी....
की अब लाला क्या करेगा.
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