RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
जब वो उठा तो उसका चेहरा और दाढ़ी मूँछे भी उसके रस से भीग कर गीली हुई पड़ी थी..
ऐसा लग रहा था जैसे चाशनी से भरी कड़ाही में मुँह के बल जा गिरा था वो...
लाला का लंड ज्यो का त्यो खड़ा था...
इस बात का पिंकी को बहुत अफ़सोस हो रहा था..
फिर उसने कुछ सोचकर लाला से कहा : "लालाजी...मुझे पता है की आज तो वो सब नही हो पाया जिसके लिए मैने और आपने सोचा था...पर आप निराश ना हो...वो देखो...भूरी का पिछवाड़ा...वहां जाकर अपने अरमान पूरे कर लो...''
पिंकी के मुँह से ये बात सुनकर लाला भी हैरान रह गया....
अभी तक तो वो उसे भूरी की तरफ देखने तक नही दे रही थी और अब खुद ही उसे उसकी गांड मारने के लिए कह रही है....
और ये गांड भी मारते है लड़की की , ये भला उस छोटी सी लड़की को कैसे पता...
अभी तो ढंग से चूत मराई का ज्ञान भी नही हुआ है इसे..
पर ये बात सिर्फ़ पिंकी ही जानती थी...
क्योंकि उसे इस बारे में मीनल दीदी ने ही बताया था की कैसे वो अपनी चूत और गांड दोनो का मज़ा लिया करती है शादी के बाद...
अपना यार हो या पति,
एक ही छेद में डालते-2 वो भी बेचारा बोर सा हो जाता है...
इसलिए ये चेंज काफ़ी मज़ा देता है और रिश्ता भी और मजबूत हो जाता है...
इसलिए उसने उसी बात को सोचकर लाला को ये बात कही थी..
पिंकी की बात सुनकर अपनी चूत मरवा रही भूरी भी मस्ती में भरकर चिहुंक उठी...
ऐसा मौका बार-2 थोड़े ही आता है...
उसे तो अपनी जवानी के दिन फिर से याद आ गये जब खेतो में वो डबल लंड का मज़ा लिया करती थी...
अब तो काफ़ी साल हो गये उन बातो को...
पर आज फिर से उसी की संभावना बनती देखकर उसका दिल पुलकित होकर बस यही कहने लगा..
''अब आ भी जाओ लाला...अब तो तेरी छमिया ने भी इजाज़त दे दी है...ज़रा यहाँ का मज़ा भी लेकर देख...अपने गाँव की औरतों को भूल जाएगा फिर.''
इतना सोचकर उसने अपनी उंगली का इशारा करके लाला को अपनी तरफ बुलाया...
और वो रोबोट की भाँति उसकी तरफ चल दिया.
उसकी गांड मारने.
लाला जब भूरी के करीब आया तो उसने अपनी बाहें पीछे करते हुए लाला के हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर लगा दिए...
और लाला के सिर को नीचे झुकाकर अपने होंठ उसके होंठो से मिला दिए...
ऐसा लग रहा था जैसे खजुराहो की चुदाई वाला सीन हो...
एक भरे स्तनों वाली औरत, अपनी चूत में एक लंड लेकर, दूसरे को पीछे मुँह करके चूम रही थी...
ऐसे विहंगम दृश्य कोई और हो ही नही सकता था..
पिंकी तो पालती मारकर उन दोनो बुड्ढ़ो और उस जवानी से सजी औरत का खेल देखने बैठ गयी...
लाला के हाथ भी नीचे आए और उन्होने भूरी की भूरी घुंडिया मसलकर उनका दूध दोहना शुरू कर दिया...
आअहह आहह करती हुई वो बावरी सी होकर लाला के जिस्म से लिपट गयी...
जैसे नाग नागिन अपने प्रेमी को दबोच कर उससे मज़े लेते है, ठीक वैसे ही...
नीचे लेता हुआ हुकुम सिंह बोला : "अबे लाले....तेरे चक्कर में भूरी ने झटके देने ही बंद कर दिए है....अब जल्दी से इसकी गांड में लंड पेल ताकि मेरा मज़ा खराब ना हो...''
बेचारे को शायद अपने लंड के बैठ जाने का डर था...
जो ऐसी उम्र मे अक्सर हुआ करता है....
वैसे भी बड़ी मुश्किल से वो आज दूसरी बार लंड को खड़ा कर पाया था...
ऐसे में बिना झड़े वो रह गया तो जो उत्साह उसे महसूस हो रहा था अभी तक, वो नही रहता.
लाला ने भी उसकी बात से सहमति जताई और अपने लंड को लेकर वो भूरी के सामने की तरफ आ गया,
ताकि वो उसे चूस्कर गीला कर दे और वो उसकी गांड में आसानी से घुस जाए..
लाला के मोटे लंड को तो वो काफ़ी देर से चूसना चाह रही थी...
इसलिए जैसे ही वो सामने आया वो उसपर टूट पड़ी और ज़ोर-शोर से चूसने लगी...
और जब भूरी ने रामलाल को अपनी थूक से अच्छी तरह से नहला दिया तो लाला ने खुद ही उसके मुँह से उसे निकाल लिया...
हालाँकि वो उसे छोड़ना नही चाहती थी पर अपनी गांड में हो रही खुजली भी तो उसे कम करवानी थी
इसलिए मुँह आए लंड को उसने जाने दिया...
लाला ने उसकी थिरक रही गांड के दोनो पाट पकड़कर जब अपना लंड उसके भूरे छेद पर टीकाया तो वो घोड़ी की तरह हिनहिनाती हुई बिदक सी गयी...
वो इसलिए की उसकी गांड ने देखते ही पहचान लिया की आज उसके अंदर जाने वाला ये लंड अब तक का सबसे मोटा लंड होगा...
और अंदर जाकर वो क्या हाल करेगा उसका, ये तो वो गांड का छेद ही जानता था, इसलिए उसका बिदकना स्वाभाविक ही था..
लाला ने दोनो तरफ के चूतड़ों को दोनो दिशाओं में फेलाया और रामलाल का मुँह उसने भूरी की गांड के छेद में फिट कर दिया...
यहा तक तो सब ठीक था...
पर जब लाला ने अपने घुटने मोड़कर , उसके कंधे पकड़कर , नीचे झुकते हुए पोज़िशन बनाकर एक जोरदार झटका मारा तो बेचारी दर्द से बिलबिला उठी....
लाला का लंड तो अंदर घुस गया पर हुकुम सिंह का लंड चूत से बाहर निकल आया...
अब झटका ही इतना तगड़ा था की एक बार में सिर्फ़ एक ही लंड अंदर रहने की जगह थी..
भले ही छेद अलग-2 थे, पर अंदर जाकर तो एक पतली सी दीवार का ही फ़र्क था बीच में.
हुकुम सिंह का लंड बाहर आ जाने की वजह से लाला को थोड़ा और स्पेस मिल गया और उसने ज़ोर लगाते हुए, उसके चूतड़ पकड़ कर अपना रहा सहा लंड भी उसकी गांड में पेल दिया....
जैसे-2 वो उसकी गांड में घुस रहा था, बेचारी की चीखे पूरी हवेली में गूँज रही थी...
लाला का ये रूप देखकर पिंकी बेचारी अपनी गांड को सहला रही थी और सोच रही थी की चाहते जो भी हो जाए, इस वहशी से अपनी गांड कभी नही मरवाएगी...
और जब लाला का रामलाल पूरा अंदर घुस गया तो नीचे से हुकुम सिंह ने भी अपना लंड उसकी चूत में सरका दिया...
थोड़ा टाइट हो गया था छेद पीछे से एक और लंड घुस्वाकार पर चूत से निकल रही चिकनाई ने सब आसान कर दिया और अब उस भरी हुई औरत भूरी के शरीर में दो-2 लंड थे...
एक हुकुम सिंह का और दूसरे लाला का.
और जब धीरे-2 करके उन दोनो ने घिस्से लगाने शुरू किए तो उसके शरीर से अंगारे से निकलने लगे..
वो ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी..
इस बार दर्द से नही बल्कि मस्ती में भरकर.
''आआआआआआआआआआआआआआहह ओह लालजी........मज़ा आ गया......क्या लंड है आपका...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़......मर गयी रे......फाड़ डाली मेरी गांड पर मज़ा सा बाँध दिया आपने आज.....''
नीचे से उसकी चूत में अपने लंड के झटके मारता हुआ हुकुम सिंह चिल्लाया : "साली...सुबह शाम मेरे लंड का पानी पीती है और गुणगान लाला के लंड के गए रही है...साली कुतिया ...एक नंबर की रंडी है तू.....''
उसकी बात सुनकर भूरी खिलखिलाकर हंस दी
वो भी जानती थी की हुकुम सिंह ये बात मजाक में कह रहा है
वो बोली : "हाय .......तुझे मिर्ची क्यो लग रही है रे.....अब ये लंड है ही इतना मस्त की तारीफ तो बनती ही है....''
हुकुम सिंह के लिए ये नयी बात नही थी..
आज से पहले भी उसने और लाला ने जब भी किसी औरत की चूत मिलकर मारी थी, हमेशा उसने लाला के लंड की ही तारीफ की थी....
अब किसी का लंड शानदार है तो है, इसमें बेचारा हुकुम सिंह भला कर भी क्या सकता था...
पर ये सब देखकर पिंकी ज़रूर मस्ती में आ रही थी.....
उसके निप्पल भी तनकर खड़े हो गए
कुछ देर पहले तक जो अपनी गांड मरवाने के नाम से ही डर सी रही थी अब वो यही सोच रही थी की काश उसकी लाइफ में भी कभी ये पल आए जब वो भी भूरी की तरह खुशनसीब होकर एक साथ 2-2 लंड ले सके...
लाला और हुकुम सिंह बाते भी कर रहे थे और भूरी की बजाने में भी लगे थे...
और जल्द ही हुकुम सिंह ने अपने लंड से पानी निकालना शुरू कर दिया....
इस उम्र में दूसरी बार झड़ रहा था , इसी बात की उसे सबसे ज़्यादा खुशी थी...
लंड उसका फिसलकर बाहर आ गया और पास पड़े कपड़े से उसने उसकी चूत से बह रहा रस पोंछ दिया और साइड में हो गया...
अब लाला और भूरी मैदान में रह गये...
भूरी तो यही चाहती थी की हुकुम सिंह जल्दी झड़ जाए ताकि वो अपने इस नये आशिक से सही ढंग से चुदवा सके... और अब सामने वाला छेद खाली हो गया था तो पीछे से मरवाने का ओचित्या ही नही रह गया था...
वो पलटकर सीधी हुई और लाला के सामने अपनी टांगे फेला कर लेट गयी...
लाला ने उसकी चमचमाती चूत को देखा और मुस्कुराते हुए अपना लंड उसपर टीका दिया...
बाकी का काम भूरी ने लाला को अपने उपर गिरा कर कर लिया और लाला जैसे ही भूरी के बदन पर गिरा, रामलाल बिना किसी पासपोर्ट के भूरी की चूत में घुसता चला गया और तब तक अंदर गया जब तक उसने उस सुरंग का आख़िरी पड़ाव नही देख लिया...
भूरी ने लाला की कमर पर टांगे बाँध दी और उन्हे बेतहाशा चूमने लगी...
लाला को ये हमेशा से पसंद था जब कोई उसे चुदाई के वक़्त स्मूच करे...
बस फिर क्या था, लाला भी उसकी किस्स का जवाब देने में जुट गया और उसकी चूत की कुटाई करनी भी शुरू कर दी उसने...
''आआआआआआआआअहह....उम्म्म्ममममममम......ओह....ओफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़''
बस यही आवाज़ें निकल रही थी भूरी के मुँह से ....
बेचारी की चूत भी आज पहले से ज़्यादा चौड़ी हो चुकी थी...
उसे तो यही चिंता सता रही थी की आज ये लाला उसकी चूत और गांड चौड़ी करके जा तो रहा है पर बाद में तो उसे हुकुम सिंह से ही मरवानी है ना...
ऐसे में वो उसके पतीले में अपनी कड़छी डालकर हिलाएगा तो पता नही उसे मज़ा आएगा भी या नही...
पर अभी तो वो लाला से मिलने वाले मज़े को लेकर काफ़ी खुश थी...
सालो बाद आज वो अपनी चूत को भरा हुआ महसूस कर रही थी..
और जल्द ही लाला ने भी चिंघाड़ते हुए अपने झड़ने की घोषणा कर दी...
''अहह.....हाय री भूवरी......तेरी माँ की चूत साली....इतनी गरम है तेरी चूत भी.........ये ले......मैं तो आया.....''
ऐसे बलिष्ट इंसान के लंड का रस तो वो हमेशा से पीना चाहती थी , इसलिए उसने झट्ट से अपनी चूत से उनके लंड को बाहर निकाला और कुतिया बनकर उनके सामने बैठ गयी अपना मुँह फेलाकर....
और चिल्लाई : "अहह....लालाजी......यहाँ डालो अपना माल...मेरे मुँह में .....''
और लाला ने भी यही किया, अपने लंड को हाथ में लेकर आख़िरी के 2-4 घिस्से उन्होने अपने हाथ से मारे और जल्द ही उनके लंड से झरझराता हुआ सा सफेद पानी निकलकर सीधा भूरी के चेहरे पर गिरने लगा...
ये सब पिंकी के लिए भी सम्मोहन जैसा ही था....
लाला के लंड से निकलते सफेद और गाड़े पानी को जिस अंदाज में भूरी अपने मुँह के अंदर लेकर निगल रही थी वो समझ गयी की वो काफ़ी मजेदार होगा...
और वो था भी...
क्योंकि उसे पीकर तो भूरी बिफर सी गयी...
वो बोली : "हाय...लाला.....लगता है तुम्हारे गाँव का पानी बहुत मीठा है....ऐसी मजेदार मलाई तो मैने आज तक नही खाई........मन तो करता है की इसे हमेशा पीती रहूं ...''
इतना कहकर उसने लाला के पाइप जैसे लंड को मुँह में लिया और बचा खुचा रस भी सुड़क कर निकाल लिया...
पिंकी ने निश्चय कर लिया की चूत मरवाई जाए भाड़ में, लाला के लंड को तो वो कल ही चूसकर रहेगी और मज़ा लेगी उनके लंड से निकली क्रीम का...
सब कुछ शांत होने के बाद सबने अपने-2 कपड़े पहने और मुँह हाथ धोकर लाला और पिंकी वहां से निकल गये...
रास्ते भर पिंकी का हाथ लाला के लंड से नही हटा...
पर अंधेरा होने को हो रहा था और रास्ते में रुककर वो कोई रिस्क नही लेना चाहते थे...
अब दोनो को ही मालूम था की वो दिन दूर नही जब रामलाल और पिंकी की चूत का मिलन होकर रहेगा...
और पिंकी को ये सब अपनी पक्की सहेली निशि को भी तो बताना था और उसके साथ मिलकर उसे लाला के लंड का मज़ा लेना था.......
पर उससे पहले तो कई और किस्से भी होने वाले थे ...
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