Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:21 PM,
#39
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अब दोनो को ही मालूम था की वो दिन दूर नही जब रामलाल और पिंकी की चूत का मिलन होकर रहेगा...

और पिंकी को ये सब अपनी पक्की सहेली निशि को भी तो बताना था और उसके साथ मिलकर उसे लाला के लंड का मज़ा लेना था.......
पर उससे पहले तो कई और किस्से भी होने वाले थे ...

***********
अब आगे
***********

वापिस पहुँचते-2 अंधेरा घिरने लगा था...
लाला को भी चिंता हो रही थी की ऐसे में उसे पिंकी के साथ कोई गाँव वाला देख लेगा तो लड़की बेकार में बदनाम हो जाएगी..
इसलिए उसने गाँव के बाहर ही उसे उतार दिया, वहां से उसने फटफटिया पकड़ ली जो सीधा उसके घर के बाहर उतारती थी और 7 बजने से पहले-2 वो घर भी पहुँच गयी.

उसकी माँ घर के बाहर खड़ी उसका ही इंतजार कर रही थी...
थोड़ी बहुत डांट पड़ी पर इतना तो चलता ही है, वो चुपचाप अंदर गयी, अच्छे से नहाई और दिन भर की बाते याद करके मूठ भी मारी.



तरो-ताज़ा होकर वो सीधा निशि के घर पहुँच गयी
वो भी उसी का इंतजार कर रही थी क्योंकि उसे भी मालूम था की लाला के साथ पूरा दिन रहने के बाद कुछ ना कुछ तो ज़रूर हुआ ही होगा..

पिंकी को लेकर वो अपने उपर वाले कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद करके निशि ने अपने सवालो की बौछार लगा दी..

''क्या हुआ आज.....क्या किया तुमने.....कुछ करा के नही....चुद गयी लाला से या अभी नही....बोल ना....क्या- करा तुम दोनो ने....''

पिंकी उसकी अधीरता देखकर मंद-2 मुस्कुराए जा रही थी...
और उसे सताने में उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था.

इसलिए वो बोली : "कुछ नही यार....लाला तो एकदम बोर इंसान निकला....सारा दिन घूमे, खाना खाया और वापिस आ गये...बस..''

निशि को विश्वास ही नही हुआ...
और पिंकी को मंद -2 मुस्कुराते देखकर वो समझ गयी की वो उसका चूतिया काट रही है...
इसलिए वो उसके उपर कूद पड़ी...
उसे बेड पर लिटाकर उसके पेट पर चढ़ गयी और उसके हाथ दबोच कर उसकी गर्दन पर अपने गीले होंठों से गुदगुदी करने लगी...
पिंकी का हंस-2 कर बुरा हाल हो गया और तब उसने अपनी हार मानते हुए सारी बाते बतानी शुरू कर दी..

सबसे पहले जब उसने ये बात बताई की उसने और लाला जी ने नाज़िया की माँ शबाना को किसी गैर मर्द के साथ चुदाई करते देखा तो उसे विश्वास ही नही हुआ...
और फिर नमक मिर्च लगाकर जब उसने शबाना आंटी की चुदाई की बाते उसे सुनाई तो वो गर्म होती चली गयी..

उखड़ी सांसो से उसने पिंकी से पूछा : "तेरे सामने इतना कुछ हो रहा था और लाला तेरी बगल मे खड़ा था...तुझे कुछ हुआ नही...''



पिंकी को भी वही सीन एकदम से याद आ गया और वो गर्म साँसे छोड़ती हुई बोली : "हाँ यार...हुआ ना...बहुत कुछ हुआ...और वही खड़े होकर मैने लाला का रामलाल पकड़ लिया था...और लाला ने भी मेरी छाती को खूब मसला...इसे नंगा करके चूमा और चूसा भी...''

उसका इतना कहना था और निशि का मुँह खुला का खुला रह गया....
उसे भी लाला के साथ बिताए गये गोदाम वाले पल याद आ गये...
पर लाला को उसने कसम दी थी की वो ये सब पिंकी को नही बताएगी...
इसलिए वो चुपचाप अपनी चूत को मसलती हुई उसकी बाते सुनती रही..



निशि : "फिर....? तूने भी किया क्या वो सब..''

पिंकी : "नही री....वहां खड़े होकर वो सब करना मुश्किल था...इसलिए वहां से निकलकर हम लोग दूसरे गाँव गये और उधर लालाजी मुझे अपने एक दोस्त के घर ले गये...''

निशि की आँखे और भी गोल हो गयी : "लाला का दोस्त....वहां तुझे क्यो ले गया लाला..''

पिंकी : "वो तो पता नही...पर वो साला और भी बड़ा हरामी था...उसके घर पर पहले से ही एक औरत थी, जिसके साथ वो मज़े ले रहा था...और लाला ने ये बात ताड़ ली...बाद में वो औरत हमारे सामने ही अपने मालिक का लंड चूस रही थी...''

निशि मन ही मन सोच रही थी की इतना सब कुछ हो गया और अभी भी पिंकी बोल रही है की वो चुदी नही...
ये बात उसकी हलक से नीचे नही उतर रही थी.

वो चुपचाप पिंकी की बाते सुनती रही...
क्योंकि अब वो फ्लो में आ चुकी थी...
निशि ने देखा की उसकी टी शर्ट के नीचे उसके निप्पल के उभार सॉफ दिखाई देने लगे है....



निशि ने उनपर हाथ रखकर उन्हे मसलना शुरू कर दिया...
पिंकी भी गर्म आँहे भरती हुई बाद की कहानी अपनी सहेली को सुनाती रही...

वो बोली : "उम्म्म.......उन्हे ऐसा करते देखकर तो लाला भी बेकाबू हो गया और उसने वही अपने दोस्त और उस औरत के सामने मुझे पूरा नंगा कर दिया...और मुझे उपर से नीचे तक जी भरकर चूमा...''

निशि तो ऐसा मंज़र सोचकर ही तड़प उठी और उसकी चूत से 2 चम्मच पानी निकलकर बाहर फिसल आया..

पिंकी : "यार....सच में ...आज पहली बार मैं नंगी हुई थी किसी के सामने....और वो भी एक साथ 3 लोगो के....ऐसा रोमांच तो मुझे आज तक महसूस नही हुआ .... लाला ने अपने दोस्त के सामने ही मेरी चूत को जी भरकर चूसा....मेरे मुम्मे उसने ज़ोर-2 से दबाए...उनका दूध भी पिया...और ये सब देखकर उसके दोस्त की हालत भी खराब हो रही थी....वो बेचारा अपना काम भूलकर मुझे ही घूरे जा रहा था...''

निशि : "वो तो घूरेगा ही...एक औरत के मुकाबले जब उसे एक कच्ची कली का नंगा बदन देखने को मिले तो कौन ऐसा नही करेगा.....हाय ....उस बेचारे के बारे में सोचकर ही मुझे हँसी आ रही है...''

पिंकी : "आ तो मुझे भी रही थी...पर बेचारा कुछ कर तो सकता नही था मेरे साथ ...लाला के सामने...इसलिए अपनी वाली को ही अपने उपर बिता कर उसने चोदना शुरू कर दिया....पर इतने करीब से लंड को चूत में जाता देखकर और उसकी चीखे सुनकर मेरी तो हिम्मत जवाब दे गयी....और मैने लाला को वहां सबके सामने चुदाई करने से मना कर दिया....लाला भी मेरी बात मान गया...और उसने अपने आप को शांत करने के लिए मुझे रामलाल थमा दिया...जिसे मैने अच्छे से चूसा...और उसके रस को पीकर तो मेरा बुरा हाल हो गया....उसके रस का स्वाद मेरी ज़ुबान पर अभी तक है...इतना मीठा....इतना ताज़ा....''

"जैसे मीठी क्रीम...".... ये निशि थी जो उसकी बात बीच में ही काटकर अपनी भावनाओ में बहकर ये बोल गयी...

उसे शायद लाला के लंड की छत्त पर की हुई चुसाई याद आ गयी थी...



पिंकी आगे बोली : "और लाला ने जब मेरी चूत चूसी थी ना, उसका तो कोई मुकाबला ही नही.....उसकी घनी दाढ़ी मूँछ जब मेरी चूत पर लगकर मुझे गुदगुदा रही थी.....वो एहसास मैं कभी भूल ही नही सकती....''

इस बार भी निशि बोल पड़ी : "हाँ यार....लाला की दादी मूँछ और उसकी जादुई जीभ......अपने गोदाम के बोरों पर लिटाकर जो उसने मेरी चूत चूसी थी , उसे याद करके तो मेरी मुनिया अभी तक कुलबुला रही है....''

और बोलने के बाद उसे ये एहसास हुआ की वो भावनाओं में बहकर क्या बोल गयी.....
उसने तो चूत पिंकी से छुपकर चुसवाई थी....
जिसका पिंकी को पता भी नही था....
इसलिए वो उसे घूर रही थी.

पिंकी उसे फटी हुई आँखो से देख रही थी....
जैसे पूछ रही हो की कुतिया , तूने अपनी चूत कब चुसवाई.

दोनो एक दूसरे को 10 सेकेंड तक ऐसे ही देखती रही और फिर दोनो खिलखिलाकर हंस दी....

पिंकी समझ गयी थी की उसकी सहेली ने उससे पहले ही बाजी मार ली है...
लाला की वो मीठी क्रीम चाटकर वो उसका स्वाद पहले से ही ले चुकी है और अपनी चूत की मिठास भी उसे चखा चुकी है......
पर इस बात पर उसके साथ लड़ने का कोई फायदा नही था...
इसलिए वो हंस दी थी...
निशि भी अपनी ग़लती को मानकर पिंकी से लिपट गयी....
और लिपटने से पहले उसने अपनी शर्ट के सारे बटन खोल दिए थे, जिसकी वजह से उसकी नंगी छातियो पर लगे नुकीले निप्पल किसी शूल की भाँति पिंकी को चुभ रहे थे...

वो उसे किस्स करती रही और लाला के साथ उसके गोडाउन में हुई सारी कहानी उसे सुना डाली...



जिसे सुनकर पिंकी का भी बुरा हाल हो गया और उसके कपड़े भी एक के बाद एक उतरते चले गये...

कुछ ही पलों में दोनो सहेलियां जन्मजात नंगी खड़ी थी...



पिंकी ने उसे अपने उपर 69 की पोज़िशन में लिटाया और उसकी पान की कटोरी को मुँह में भरकर उसे चूसने लगी.... ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर का सारा मीठापन पानी बनकर उसकी चूत से रिस रहा है.

''उफफफफ्फ़........ तेरी चूत का ये पानी पीकर तो लाला हमेशा के लिए तेरा गुलाम बन जाएगा.....''

पिंकी भी बोली : "और तेरा जूस भी कम नही है....इसका नशा जब उसके सिर चड़कर बोलेगा तो वो सब कुछ भूल जाएगा....''

दोनो एक दूसरे के प्रॉडक्ट की तारीफ कर रही थी...
सहेलियां हो तो ऐसी.



कुछ देर तक एक दूसरे की चूत चाटने के बाद दोनो सीधा हुई और अपनी-2 टांगे एक दूसरे मे फँसा कर अपनी चूत के पेंचे लड़ा दिए...
अब वो अपनी कमसिन कमर को हिला-2 कर अपनी चूत से दूसरी की चूत पर घिस्से लगा रही थी....
खुद को भी मज़े आ रहे थे और दूसरी को भी...



और जल्द ही दोनो लाला और रामलाल का नाम लेते हुए , एक दूसरे मे अपनी टांगे उलझाए, जोरों से झड़ती चली गयी....

झड़ने के बाद दोनो के बूब्स एक दूसरे से और होंठ आपस में ऐसे चिपके जैसे एक जिस्म दो जान हो....
लाला के लंड से निकले सफेद फेविकोल ने जैसे उनके जिस्मो को हमेशा के लिए चिपका दिया हो...



और अच्छी तरह से एक दूसरे की चूत सॉफ करने के बाद दोनो ने अपने कपड़े पहने और अगले दिन स्कूल के बाद लाला की दुकान में चलने का प्रोग्राम बना लिया..

अगली सुबह जब वो दोनो ब्रेक मे एक साथ एक पेड़ के नीचे अपना लंच बॉक्स लेकर बैठी थी तो दूर से उन्हे नाज़िया आती हुई दिखाई दी...

उसे देखते ही पिंकी को उसकी माँ की चुदाई याद आ गयी....
और नाज़िया में भी उसे बड़े होकर एक अच्छी चुदक्कड़ बनने के सारे गुण दिखाई दे रहे थे...
इतनी छोटी उम्र में ही उसकी छातिया काफ़ी बड़ी थी, हालाँकि वो उन्हे ढीले कपड़ो में छुपा कर रखती थी पर एक लड़की की नज़र से वो छुपी नही रह सकती थी...
उसका सेक्सी चेहरा भी किसी भी मर्द को डगमगा देने के लिए काफ़ी था...
ख़ासकर उसके उभरे हुए होंठ, जिन्हे देखकर तो आज पिंकी को भी उन्हे चूमने की इच्छा हो रही थी..

पिंकी को इतनी गोर से नाज़िया की तरफ देखते हुए निशि बोली : "उसे तो तू ऐसे देख रही है जैसे गाँव के हरामी लोंडे हमे देखते है...आँखो से ही चोद देगी क्या उसे...पता है ना पहले भी वो हमारी शिकायत कर चुकी है अपनी माँ से...उससे दूर ही रहना सही है...''

पिंकी मुस्कुराते हुए बोली : "वो बात पहले की थी...जब तक मैने उसकी माँ को चुदते हुए नही देखा था...अब बात दूसरी है....मुझे तो इसे देखकर इसे चूमने का मन कर रहा है...''

निशि ने हल्के गुस्से से उसे झाड़ा : "मैं क्या मर गयी हू जो तू उसे चूमने की बात कर रही है...और ये लड़कियो के साथ मज़े लेने की आदत मत बना लियो...वरना वैसी ही बनकर रह जाएगी...याद रख की हमारा बदन मर्दो के लिए बना है ना की हमारे आपस में प्यार करने के लिए...जो थोड़ी बहुत खुरक हमारी चूत में उठती है ना उसके लिए हम दोनो एक दूसरे के लिए बहुत है...''

पिंकी : "अर्रे...तू समझती नही है यार...मुझे इसमे वैसे कोई इंटरस्ट नही है...पर अब हमारे पास जो उसकी माँ के खिलाफ सबूत है, उससे हम इसकी जिंदगी को दबा रहने से बचा सकते है...देख तो सही इसे...कैसा कातिल जिस्म है इसका...उसकी ब्रेस्ट तो देख...और कैसे मटक कर चलती है, उसकी गांड भी काफ़ी भारी है...इन सबको नाज़िया ने अपनी माँ के डर से बचा कर रखा हुआ है...सोच, अगर ये हमारी कंपनी में आ गयी तो इसके वारे न्यारे हो जाएगे...अपने जिस्म का अच्छे से इस्तेमाल करके वो अच्छे वाले मज़े ले पाएगी...वरना घुट-2 कर अपनी लाइफ जिएगी और एक दिन शादी करके एक ही मर्द के नीचे हमेशा के लिए दबी कर जाएगी...इसका कुछ तो करना पड़ेगा ताकि ये भी हमारी तरह लाइफ के मजे ले सके...''

निशि को उसकी ये समाज सेवा का भाव समझ में नही आ रहा था...
पर पिंकी जानती थी की वो ये सब किसलिए कर रही है...
इसलिए उसने ज़ोर से आवाज़ देकर नाज़िया को अपने पास बुला लिया...



नाज़िया तो 2 दिन से उनके पास खुद ही जाना चाह रही थी...
क्योंकि लाला से मिलने के बाद और अपनी अम्मी को लाला के लंड से चुदने के बाद उसे भी अब पुर मज़े लेने थे और ऐसे में पिंकी और निशि ही उसकी हेल्प कर सकती थी..

इसलिए वो अपनी गांड मटकाती हुई उनकी तरफ चल दी.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:21 PM

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