Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:21 PM,
#42
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
पिंकी ने उसकी शंका का समाधान करते हुए कहा : "अरी हाँ पगली...लड़कियो को तो पता रहता है की इन्हे कैसे चूसना है क्योंकि वो खुद भी तो मर्द से चुस्वाते वक़्त यही सोचती है की हाँ इतनी ज़ोर से ठीक है...इतना काटा जाए तो मज़ा है...पर मर्द तो साले कुत्ते होते है...उन्हे तो ये मुम्मे एक बार चूसने को मिल जाए तो ऐसा लगता है जैसे वो इन्हे फाड़कर खा ही जाएँगे...इसलिए लड़कियों को अंदाज़ा रहता है की कितनी तेज चूसना है और कैसे ....''

नाज़िया को उसकी बात सही लगी....
लाला ने जब उसके नन्हे कपोलो को चूसा था तो उन दांतो के निशान 3 दिन तक रहे थे उसकी छाती पर...
उस वक़्त तो उनका मर्दन करवाने में उसे भी काफ़ी मज़ा आया था...
पर बाद में जब रात भर दर्द होता रहा था तो बेचारी को नींद भी नही आई थी...

उसकी चुप्पी को हाँ मानकर पिंकी ने उसके सिर के पीछे अपना हाथ लगाया और उसे धीरे-2 अपनी छाती की तरफ खींचने लगी..

और वो भी उसके जादू में फंसकर खींचती चली गयी....
और अंत में जब उसका चेहरा उसके मुम्मे के बिल्कुल सामने आया तो पिंकी का गुलाबी निप्पल उसे गुलाब जामुन जैसा रसीला दिखाई देने लगा....

ऐसा लग रहा था जैसे उस पिंक दाने में से चाशनी निकल कर बाहर आ रही है...
और उसने अगर उसपर मुँह लगाकर उसे चूस नही लिया तो वो सारी चाशनी वेस्ट हो जाएगी...



बस , फिर क्या था, नाज़िया के रसीले होंठ अपने आप खुलते चले गये और उसने पिंकी के पिंक निप्पल को मुँह मे लेकर ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया...

और जैसा की पिंकी ने उसे बताया था..
उसमें से एक मीठा तरल पदार्थ निकल कर उसके मुँह में जाने लगा..

उसके हाथ में अपना दूसरा मुम्मा पकड़ा कर उसने उसे भींचने को कहा ताकि उसमे हो रहे मीठे दर्द को भी आराम मिले...

पिंकी : "देखा...मज़ा आ रहा है ना.....बस...अब ऐसे ही चूसती रहो...दबाव उतना ही रखना जितना तुम चाहती हो की तुम्हारे बूब्स पर हो, जब कोई तुम्हे इस तरह से प्यार करे...''

नाज़िया को उसकी बात अब अच्छे से समझ में आ चुकी थी....
वो अपने होंठो और दांतो से उसके निप्पल को उतना ही चुभला और दबा रही थी जितना उसे अपने साथ पसंद था...
और इसका असर साफ़ देखा जा सकता था पिंकी पर...
वो नंगी होकर किसी नागिन की तरह लहरा रही थी....
सिसकारिया मारकर उसे अपनी छाती पर कभी दांये और कभी बाए निप्पल पर घुमा रही थी...

और ऐसा करते-2 कब उसने उसकी टी शर्ट को पकड़ कर उतार दिया नाज़िया को पता भी नही चला....
और ब्रा को भी एक हल्के क्लिक से निकाल फेंका...
अब वो भी उपर से पूरी नंगी थी...



नाज़िया ने पिंकी के मुम्मे फिर से चूसने शुरू कर दिए..



नाज़िया के सुडोल मुम्मो को देखकर पिंकी के साथ-2 निशि के मुँह में भी पानी भर आया...

वो भी उनके करीब आ गयी और उसने अपना मुँह नाज़िया के कड़क मुम्मे पर लगाकर उसे चूसना शुरू कर दिया...

अपनी छाती पर किसी लड़की का पहला स्पर्श उसे अंदर तक गुदगुदा गया...
पर उसे मज़ा बहुत मिला...
और उस मज़े को पिंकी ने दुगना कर दिया जब उसने अपनी छाती से नाज़िया को पीछे हटाया और खुद उसकी छाती को चूसने लगी...

अब आलम ये था की नाज़िया भारी दोपहरी में अपनी स्कूल की सहेलियो से अपनी दोनो छातियो को चुस्वा रही थी और ज़ोर-2 से सिसकारिया मार रही थी...

''आअह ......हाय अल्लाह........मर गयी......उम्म्म्ममममममममम..............मज़ा आ रहा है बहुत........ अहह....... हाय अम्मी.......... मर जाउगि ....ऐसे ही चूसती रही तुम दोनो तो.....''

उन दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुरा दी....

पिंकी ने जैसा सोचा था, वैसा ही मीठास लिए था नाज़िया का नशीला बदन...

एकदम कच्ची शराब जैसा नशा था उसमें..

उसका हाथ खिसककर उसकी चूत पर गया और उसे भी भींच दिया पिंकी ने...

अपने गोडाउन पर हमला होते देखकर वो तो बदहवास सी हो गयी....
आज जितना पानी तो उसने आज तक नही निकाला था अपनी चूत से....
उसकी जीन्स भी गीली हो गयी थी उस रस में डूबकर...
उसे निकाल देना ही सही लगा पिंकी को...

और जब जंगल की ठंडी हवा उसके नंगे कुल्हो से टकराई तो वो अपने पंजो पर खड़ी होकर उस एहसास को महसूस करते हुए थरथरा सी उठी...

ऐसा नशा तो उसे आज तक महसूस नही हुआ था....
शायद शराबी भी इसी तरह के सुरूर में डूब कर मज़े लेते होंगे...
उसे तो बिना शराब के ऐसा मज़ा मिल रहा था...
सच में , इस सैक्स के खेल में उसे बहुत मज़ा मिल रहा था.

जब वो पूरी नंगी हो गयी तो पिंकी उसे लेकर झरने के नीचे आ गयी....
एक साथ तीनो पर ठंडे पानी की बौछारे पड़ने लगी...
उन तीनो के गर्म जिस्मो पर पानी भाप बनकर उड़ने लगा...



पानी की बूंदे तीनो के जवान और नशीले जिस्मो को चूमती हुई चूत को टच करके नीचे गिर रही थी...
वो पानी सीधा पास के खेतो में सिंचाई के लिए जाता था...
और एक बात तो पक्की थी आज, उस मिठास लिए हुए पानी से उगने वाली फसल के इस साल अच्छे भाव मिलने वाले थे किसानो को..

पिंकी ने नाज़िया को एक चट्टान पर लिटा दिया और खुद नीचे होकर उसकी नाभि वाली हिस्से को चूसने लगी...

नाज़िया ने उसके सिर को पकड़कर उपर खींचना चाहा पर वो अपनी जीभ से उसकी नाभि वाले हिस्से को कुरेदती रही....
बड़ी अजीब सी गुदगुदी हो रही थी उसके पेट में...
और लाख कोशिश के बाद भी जब पिंकी उपर आने को तैयार नही हुई तो उसने उसे नीचे की तरफ धकेल दिया...
और यही तो पिंकी भी चाहती थी....
उसे भी काफ़ी देर से नाज़िया की देसी चूत की महक अपनी तरफ खींच रही थी....
नाज़िया ने अपनी चूत के बाल सॉफ नही किए थे...
एक घने बालो का छत्ता सा था उसकी चूत पर...



आज तक उसने सिर्फ़ निशि की चूत ही चूसी थी, जो हमेशा सॉफ रहती थी....
इस तरह से बालो वाली चूत को चूसने का उसका पहला मौका था....
पर बालो की वजह से उसकी चूत थोड़ी और भी रसीली दिख रही थी..
कारण था उसकी चूत से निकल रहा रस और उपर से गिर रहा पानी, जो उन बालो में मोती की बूंदे बनकर अटक गया था...
और वो चमक रही बूंदे, काले बालो के अंदर ऐसी लग रही थी जैसे काले गगन पर तारे टिमटिमा रहे हो...

और उसने अपनी जीभ से उन तारो को समेटना शुरू कर दिया....
कुछ तो फीके तारे थे...यानी पानी की बूंदे
और कुछ मीठे तारे थे यानी उसकी चूत से निकले रस की बूंदे.

और एक बार जब उसे उन मीठी बूँदो का स्वाद चड़ा तो वो पागल सी होकर उन्हे चूसती चली गयी....
अपनी जीभ के फावड़े से खोद-खोदकर उसने उसकी चूत से हर वो बूँद निकाल ली जो उस मिठास में डूबी हुई थी...



इसी बीच निशि ने उसके होंठो पर अपने होंठ लगाकर उसे चीखने से रोक रखा था....
पिंकी की जीभ लगने से जितनी भी सिसकारिया वो ले रही थी या चीखने का प्रयास कर रही थी, निशि ने अपने होंठो से उसके होंठो को दबाकर वो सब रोक रखा था...

जंगल मे मंगल का प्रोग्राम अपने चरम पर था और अचानक थर -2 काँपते हुए नाज़िया की कुँवारी चूत से छम-2 करते हुए सुनहरा पानी निकलना शुरू हो गया...
जो सीधा उसकी चूत चूस रही पिंकी के चेहरे पर गिरा....
ठंडक मे गर्मी का एहसास मिल गया उसे...

और अपना चेहरा अच्छे से सॉफ करके वो उपर आई और निशि के साथ ही अंदर घुसकर वो भी उसके होंठो पर टूट पड़ी....
एक साथ तीनो एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे...
एक दूसरे के जिस्मो पर उनके हाथ फिसल रहे थे....

पिंकी ने नाज़िया के हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिए...
नाज़िया समझ गयी की वो क्या चाहती है...
उसने अपनी उंगलिया उसकी चूत में डाल कर उन्हे मसलना शुरू कर दिया...
पिंकी तो सातवे आसमान पर जा पहुँची...
उसने नाज़िया के सिर को पकड़कर नीचे धकेलना शुरू कर दिया...
उसने भी मना नही किया...
कारण सॉफ था, पिंकी ने भी तो उसकी चूत चूसी थी और अब वो उससे अपनी चूत चुसवाना चाह रही थी..

और जैसे ही नाज़िया के गुलाबी होंठो ने पिंकी की चूत को टच किया....
उसकी चीख पूरे जंगल में गूँज गयी....



इसी पल के लिए तो वो ये सब पापड़ बेल रही थी....
नाज़िया से अपनी चूत चुसवाने के लिए वो कितने टाइम से तड़प रही थी...
आज उसके मन की इच्छा पूरी हुई थी.....
वो आँखे बंद करके अपनी चूत चुस्वाई का मज़ा लेने लगी.

''आआआआआआआआआहह....ओह नाज़िया..............मेरी ज़ाआाआआआं......यस्स........ ऐसे ही चूस इसे......साअली ने बहुत परेशान कर रखा है आजकल..... एक तो वो लाला....उपर से उसका वो रामलाल...... मेरी मुनिया को चैन से रहने ही नही देते...... हमेशा पनीयाती रहती है..... और जब से तुझे देखा है..... तेरे नाम से भी पनिया सी जाती थी..... आज इसे पूरा चाट ले.....मिटा दे इसकी प्यास......... ख़त्म कर दे इसके अंदर का पानी..... अहह...... मरररर गयी रे......... अहह''

और उसकी मुनिया ने तुरंत ही गाड़े और रंगहीन पानी से उसके मुँह को भर दिया......
ये स्वाद तो लाला के लंड से निकले पानी से भी अच्छा लगा नाज़िया को....
इसलिए चपर -2 करके वो सारा पानी पी गयी...

दोनो ने एक दूसरे जो झाड़कर एक दूसरे का पानी पिया और तृप्त भी हो गयी....
पर इन सबमे वो दोनो बेचारी निशि को भूल ही गयी थी...
जो अपनी तरफ से दोनो को संतुष्ट करने के लिए हर तरह की सर्विस बीच-2 में दे रही थी.

उन्होने एक दूसरे को देखा और फिर निशि को उस चट्टान पर लिटा दिया....
पिंकी ने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और नाज़िया ने दूसरी टाँग को अपने कंधे पर रखा...
निशि की रस में डूबी चूत उन दोनो के चेहरे के सामने थी..



दोनो ने एक साथ अपनी जीभ उसकी उस रसीली चूत से छुआ दी....

आज तक एक जीभ से ही पागलो की तरहा चीख मारने का रिकॉर्ड था उसके नाम...
एक के साथ दूसरी जीभ ने तो उसके अंदर एक ज़लज़ला सा ला दिया...
वो गला फाड़कर चीख उठी...

और दोनो के रेशमी बालो को बेदर्दी से पकड़कर उसने अपनी चूत पर ज़ोर से रगड़ दिया....
रगड़ क्या दिया उसे मूली की तरह घिस्स सा दिया अपनी चूत पर...
और उनकी जीभ और दांतो के खुरदुरेपन के एहसास से उसकी बाहर निकली हुई क्लिट पर जो प्रभाव पढ़ रहा था, ये तो सिर्फ़ वही जानती थी....
और जैसा की नाज़िया की चूत से गोलडन पानी निकला था, उसकी चूत ने भी भरभराकर ढेर सारा सोना बाहर उगल दिया....
जिसने उन दोनो के चेहरों को सुनहरे रंग से ढक कर चमका सा दिया...

"आअह ....भेंन की लोड़ियों .......क्या चूसती हो यार तुम दोनो.....उम्म्म्ममममम......... मज़ा आ गया..........और ज़ोर से चूसो......अंदर तक.....''

उत्तेजना में भरकर निशि के नन्हे बूब्स एकदम पत्थर जैसे हो चुके थे




पिंकी जानती थी की उसे जल्द झाड़वाना आसान काम नही है....
उसका सिर्फ़ एक ही इलाज है...
और वो है उसकी बाहर निकली हुई क्लिट...
उसकी चूत से निकल रहा रसीला पानी उसे ललचा रहा था..

उसने उसकी चूत के दाने को मुँह मे भरा और उसे जोरो से चूसना शुरू कर दिया....
अपने दांतो से उसने उसके दाने को चुभलाया भी...
उसे चबाया भी....



ऐसा करते हुए नाज़िया बड़े गोर से उसे देख रही थी...

शायद ऐसी ट्रैनिंग उसे कही और नही मिलने वाली थी...

और जल्द ही उसकी चूत से वो तनाव उत्पान होने लगा जिसके लिए पिंकी इतनी मेहनत कर रही थी.....
और फिर उसने भी अपने अंदर संभाल कर रखा हुआ रज़ कराहते हुए पिंकी के चेहरे पर फेंकना शुरू कर दिया....
पिंकी ने नाज़िया को भी अपने करीब खींच लिया और उसे भी उस स्वादिष्ट और रसीले जूस का स्वाद चखाया...

एक से बढ़कर एक था उन दोनो की चूत का स्वाद...
तभी शायद दुनिया भर के मर्दो को चूत चूसना इतना पसंद है..

और जब थक हारकर वो पीछे हटी तो एकदम से अपने पीछे खड़े लाला को देखकर सहम सी गयी..

जो ना जाने कब से उनके पीछे आकर खड़ा हुआ था और उनकी रासलीला देखकर अपने रामलाल को मसल रहा था...

लाला की हालत इस वक़्त उस मछुवारे की तरह थी जिसके जाल में इस वक़्त 3-3 जलपरियां फंसी हुई थी...
और वो भी पूरी नंगी...
बस उसे ही डिसाईड करना था की अपना लंड वो किसकी चूत में पहले पेले.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:21 PM

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