Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:25 PM,
#65
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
निशि का दिमाग़ ही घूम गया...
अपने भाई के बारे में सोचकर अपनी सहेली की चूत चाटना अलग बात थी...
पर उससे सच में चुदाई करवाना अलग बात थी...
ऐसा तो वो सोच ही नही सकती थी.

पिंकी : "क्या सोच रही है...यही ना की अगर तू टॉस हार गयी तो अपने भाई के साथ तू वो कैसे करेगी..उपर से वो इतना खड़ूस टाइप का है...बात-2 पर गुस्सा भी करता है....पर मेरी जान, है तो वो एक मर्द ही ना...जवान जिस्म तो उसे भी पसंद आएगा...और ये भी तो हो सकता है की तू टॉस जीत जाए और लाला से चुदने का मौका पहले तुझे मिल जाए...और सच कहूं , ऐसे में तेरा भाई अगर दूसरे विकल्प के तौर पर मिलेगा तो मुझे उतनी तकलीफ़ नही होगी जितना की होने वाली थी...आख़िर वो भी एक बांका मर्द है...उपर से जवान भी...और मेरी पहली चाहत भी , दोनो ही सूरत में लाला से चुदने का मौका तो बाद में तुझे भी मिल ही जाएगा और मुझे भी...''

पिंकी अपने दिमाग़ में सारी केल्कुलेशन कर चुकी थी...
यानी दोनो ही सूरत में दोनो के हाथ कुछ ना कुछ आने ही वाला था..



एक पल के लिए तो निशि ने सोचा की बेकार में अपने भाई को बीच में लाने का कोई मतलब नही बनता, पिंकी को ही लाला से पहले चुदने का मौका दे देना चाहिए...बाद में उसका भी नंबर आ ही जाएगा..

पर अंदर ही अंदर उसका मन नंदू का नाम सुनकर ललचा भी रहा था...
ये सच था की वो काफ़ी गुस्से वाला था और थोड़ा खड़ूस भी था,
उसके साथ भी वो सीधे मुँह बात नही करता था पर जब से पिंकी के साथ नंगे होकर उसके बारे में बाते करनी शुरू की थी तब से ही एक अलग ही स्थान बन चुका था अपने भाई के लिए उसके दिल में ...
हालाँकि ये ग़लत था पर इस बात पर उसका कोई बस नही चलता था..

इसलिए उसने अनमने मन से बात मानने का बहाना करते हुए हां कर दी...
पिंकी भी यही चाहती थी क्योंकि अंदर ही अंदर नंदू के लंड से चुदने की भूख उसमे भी थी...
ऐसे में उसका नंबर पहले आये या बाद में, आएगा जरूर ।

और पिंकी ने ये भी सॉफ कर दिया की कोई भी जीते, नंदू से चुदाई करवाने में वो दोनो एक दूसरे की मदद करेंगी..
और वो उसने इसलिए कहा ताकि निशि के बाद नंदू उसे भी चोद सके या फिर उसकी चुदाई के बाद निशि का भाई अपनी बहन की भी चूत बजाए ताकि उसका जो ख़ौफ़ है , वो उनपर हावी ना रहे बाद में.

दोनो ने सब क्लियर कर लिया और फिर निशि ने अपने पर्स से एक रुपय का सिक्का निकाल कर टॉस की...
पिंकी ने हेड माँगा और हेड ही आया...
यानी वो जीत गयी थी और अब लाला के लंड से चुदने का मौका पहले उसे मिला था...
और निशि को अब अपने भाई नंदू से अपनी सील खुलवानी पड़ेगी..

दोनो के मन में अलग-2 तरह की कल्पनाओ के जहाज़ उड़ने लगे...

एक तरफ पिंकी लाला से अपनी चूत का उद्घाटन करवाने के ख़याल से खुश हो रही थी और दूसरी तरफ निशि भी अपने भाई के लंड को अपने अंदर लेने की कल्पना मात्र से गीली हुई जा रही थी...

दोनो को ही पता था की बाद उनके पार्ट्नर्स चेंज भी होंगे...
ऐसे में लाला से चुदने का मौका निशि को भी मिलेगा और पिंकी भी नंदू के लंड से चुदाई करवाकर अपनी कच्ची जवानी के पहले प्यार को पा सकेगी..

पर अब मुद्दा ये था की पहले कौन चुदने के लिए जाएगा...
क्योंकि ये तो पहले ही तय हो चुका था की दोनो में से कोई भी चुदाई के लिए तैयार हो, एक दूसरे का साथ वो दोनो देंगी...

इसलिए एक बार फिर से टॉस हुआ, ये जानने के लिए की पहले पिंकी लाला के पास जाए या निशि अपनी भाई के पास...

और इस बार निशि जीती...
यानी पिंकी को निशि की हेल्प करनी थी अब, उसे अपने भाई से चुदवाने में ...
और बाद में उसे लाला से अपनी चूत मरवानी थी..

लाला से चुदाई करवाने का समय बढ़ता जा रहा था...
लेकिन इस नए एंगल यानी नंदू के आने से दोनो के मन सावन के मोर की तरह नाच रहे थे...
एक नयी उत्तेजना का संचार हो चुका था दोनो की सोच में ...
जो अब चुदाई तक जाकर ही रुकनी थी.

घर पहुँच कर दोनो ने नंदू को पटाने के उपाय सोचने शुरू कर दिए...
और वो उपाय इतने रोमांचक और उत्तेजक थे की उन्हे सोचने मात्र से ही दोनो की चूत गीली होती चली गयी और कुछ ही देर में दोनो एकदम नंगी होकर एक दूसरे के बदन को चूम-चाट रही थी..

पिंकी ने अपनी 2 उंगलियाँ एक साथ निशि की कच्ची फांको के बीच घुसा दी..



निशि : "आआआआआआआआअहह....... भेंन की लौड़ी ...... उम्म्म्मममममममम.... धीरेरए कर....... अपनी उंगली से ही फाड़ डालेगी क्या मेरी चूत की झिल्ली.....''

पिंकी ने उसके मुम्मो को चूसते हुए अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी और सिसकारी मारकर बोली : "साली कुतिया ......तेरी ये चूत तो अपने भाई के लंड को लेने की कल्पना मात्र से ही इतनी गीली हुई पड़ी है....ऐसी तो लाला का नाम सुनकर भी नहीं हुई थी आजतक..... लगता है तेरी चूत भी यही चाहती है की तेरे भाई का लंड जल्द से जल्द इसके अंदर घुस जाए....''

निशि : "अहह........ बस कर यार....... नंदू भाई के लंड के बारे में बोलकर तूने पहले से ही मुझे इतना गीला कर दिया है....आज तो इस कमरे में बाढ़ आकर रहेगी...''

और उसके झड़ने की आशंका मात्र से ही पिंकी ने अपनी चूत का मुंह उसकी गीली चूत पर लगा कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया, जैसे सच में नंदू उसकी चूत मार रहा हो



और अगले ही पल उसकी चूत से बिना किसी आवाज़ के एक तेज धार निकल कर , अपना बाँध तोड़ती हुई बाहर निकल आयी और पिंकी की चूत रंगहीन पानी से सन कर रह गयी ...

निशि का पूरा शरीर अकड़ गया : "अहह....... नंदू........ डाल दे भाई....मेरी चूत में अपना लौड़ा ....अहह.....''

उसके झड़ने की हालत देखकर ही पिंकी को अंदाज़ा हो रहा था की नंदू का लंड लेते हुए इसका क्या हाल होने वाला है...

उसने उसकी चूत में जीभ ड़ालकर उसका सारा रस चाट लिया



अब तो उन्हे बस अपने बनाए प्लान पर अमल करना था जिसमे फंसकर उस खड़ूस नंदू को अपनी बहन की चुदाई करनी ही पड़ेगी...

अब नंदू की बात कहानी में आई है तो उसके बारे में कुछ बातें बता देता हूँ आपको..
अपने पिता की अचानक मौत से घर की सारी ज़िम्मेदारी नंदू के कंधो पर आ पड़ी थी...
हालाँकि उसमें उसकी माँ ने भी उसका सहयोग किया था पर घर का मर्द होने के नाते नंदू को भी अपनी ज़िम्मेदारियों का अच्छे से एहसास था...
जब तक पिता का साया उसके सर पर था उसे कमाई करने और खेतों के बारे में सोचने की कोई चिंता ही नही थी...
अपने कसरती बदन की वजह से वो पूरे गाँव की लड़कियो में फेमस था...




पर उसका दिल अपनी बहन मीनल की सहेली बिजली पर आया हुआ था...
उसके साथ प्यार की पींगे बढ़नी शुरू ही हुई थी की नंदू के पिता का देहांत हो गया और बाद में बिजली के बदन की आग जो नंदू ने जलाई थी, उसे लाला ने अपने लंड के पानी से बुझाया था.

अपने खेतो और काम के अंदर नंदू इतना डूबा की उसे अब किसी और बात को सोचने - समझने की फ़ुर्सत हि नहीं थी...
अपनी जवान हो रही बहन और विधवा माँ का उसे सहारा बनना था इसलिए उसके मिज़ाज में भी प्यार की जगह कड़वाहट ने ले ली...तभी पिंकी और निशि उसे खड़ूस कहा करती थी.

पर एक मर्द तो आख़िर मर्द ही होता है ना..
इसलिए नंदू को भी उसका लंड बात-बेबात परेशान करता ही रहता था.

और उसे पूरा दिन अपनी माँ के साथ खेतो में रहना पड़ता था इसलिए उसका दिल ना चाहते हुए भी अपनी माँ की तरफ आकर्षित होता चला गया...
और आज आलम ये था की खेतों में काम करते हुए वो अपनी माँ के मांसल शरीर को वो चोर नज़रों से देखकर अपनी आँखे सेका करता था.

नंदू की माँ गोरी की उम्र करीब 42 की थी...
3 बच्चो के बाद भी उसका बदन एकदम कड़क था..
कारण था खेतो में मेहनत भरे काम करना, जो वो अपने पति के साथ भी किया करती थी.
और पति की मृत्यु के बाद तो उसके हरे भरे बदन को चखने वाला भी कोई नही था,
ऐसे में उस कड़क जिस्म की महक जब नंदू तक गयी तो वो अपनी सग़ी माँ के प्रति आकर्षित होने से खुद को नही बचा पाया..
और अक्सर सोते हुए, नहाते हुए या फिर कभी-2 तो खेतो में काम करते हुए भी वो अपने लंड को रगड़ता रहता था.

आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा था...
खेतों में उसकी माँ गोरी काम कर रही थी और दूर पेड़ के पीछे , पेशाब करने के बहाने गया हुआ नंदू, अपनी माँ को झुके देखकर, उनकी निकली हुई गांड पर उसकी नजरें थी जिसे देखकर वो मुट्ठ मार रहा था...

''आआआआआहह माआआआआआअ....... क्या गांड है रे तेरी माँsssssss.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ....... मन तो कर रहा है की तेरी साड़ी उठा कर अपना लंड पेल दूँ अंदर..... आअह्ह्ह..... क्या रसीले चूतड़ है तेरे माँ .....अपनी जीभ अंदर डालकर सारी मलाई खा जाऊंगा मैं तेरी.....साली कुत्तिया बना कर चोदुँगा इसी खेत में''

अपने लंड को जोरो से पीटते हुए नंदू बदहवासी में अपनी माँ के रसीले बदन को देखकर गालियां बक रहा था

और अचानक उसकी माँ ने पलट कर उसकी तरफ देखा और ज़ोर से आवाज़ लगाकर बोली : "नंदू...ओ नंदू....अब आ भी जेया जल्दी.... कितना टेम लगता है तूझे पेसाब करन में ...खाने का टेम भी हो रहा है...''

वो तो गनीमत थी की नंदू काफ़ी दूर था, वरना वो अपना लंड हिलाता हुआ सॉफ दिख जाता उन्हे...

पर वो भी बड़ा कमीना था,
अपनी माँ को अपनी तरफ देखते पाकर उसके हाथो की गति और तेज हो गयी...
और एक गंदी सी गाली और देते हुए उसके लंड ने ढेर सारा पानी उस पेड़ के मोटे तने पर फेंकना शुरू कर दिया...

''आआआआहह....भेंन की लोड़ी ......तेरी चूत में डालूँगा इस लोड़े का पानी एक दिन....फाड़ डालूँगा तेरी चूत को मैं मांमाआआआआअ....''

और शांत होने के बाद उसने अपने लंड को धोती में वापिस घुसाया और वापिस अपनी माँ की तरफ आ गया और उन्हे पानी से हाथ धुलवाने के लिए कहा.....

और हाथ धुलवाते हुए जैसे ही गोरी की नज़र अपने बेटे के हाथ पर पड़ी, उसके दिल की धड़कन रुक सी गयी...
नंदू के हाथ पर उसके लंड से निकले गाड़े रस की एक लकीर खींची रह गयी थी...
जिसे शायद नंदू ने भी नही देखा था...
वो तो अपनी मुट्ठ मारकर बड़ी शान से वापिस आया और माँ के मोटे मुम्मो को देखते हुए हाथ धुलवाने लगा..

गोरी का शरीर पहले ही वो सब देखकर काँप रहा था,
हाथ धुलवाने के बाद जब उसने नज़रे उठाकर नंदू की तरफ देखा तो उसे अपनी छाती की तरफ घूरते हुए पाया,
धूप में काम करने की वजह से उसका ब्लाउस पूरा गीला हो चुका था, वैसे भी वो उपर के 1-2 हुक खोलकर रखती थी ताकि हवा अंदर जाती रहे...
और उसी वजह से नंदू उन तरबूजो को देखकर अपनी लार टपका रहा था...



ये देखकर गोरी का माथा ठनका ...
और उसने गुस्से से भरकर नंदू से कहा : "कहाँ ध्यान है रे तेरा....चल हाथ धूल गये है, खाना खा ले..''

नंदू का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया...
आज पहली बार उसकी माँ ने उसकी चोरी पकड़ी थी..
और अभी तो उसे ये नही पता था की उसकी माँ ने उसके हाथ पर लगा वीर्य भी देख लिया है
वरना एक साथ 2 चोरी पकड़े जाने का बोझ पता नही वो कैसे सह पाता.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:25 PM

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