Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:25 PM,
#66
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अब गोरी भी थोड़ी सतर्क होकर बैठी थी अपने बेटे के सामने...
उसने अपने ब्लाउज़ के दोनो हुक बंद कर लिए ताकि जो अपनी तरफ से अंग प्रदर्शन वो कर रही थी वो तो बंद हो ही जाए...

पर मन ही मन वो इस घटना को देखकर ये सोचने पर ज़रूर मजबूर हो गयी थी की आख़िर उसका सागा बेटा उसे उस नज़र से क्यो देख रहा था...
और उसके हाथ पर लगे उस वीर्य को देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की इतनी देर तक पेशाब के बहाने वो मुट्ठ ही मार रहा था...
और ये काम तो वो लगभग 2-3 बार करता था दिन में..
यानी हर बार वो जब भी मूतने जाता था तो मुट्ठ मारकर ही आता था वापिस.

हे भगवान...
इन जवान लोंडो में कितनी एनर्जी भरी होती है....
पूरा अपने बाप पर ही गया है ये भी...
वो भी शादी के बाद एक दिन में कम से कम 2 बार तो उसकी चुदाई कर ही दिया करते थे...
कई बार तो अपने खेतों में ही चुदी थी वो अपने पति के लंड से
फिर जैसे-2 बच्चे होते गये उनकी चुदाई का फासला बढ़ता चला गया..
और फिर एक दिन उसके पति जब उन्हे छोड़कर चले गये तो वो सब बंद ही हो गया...
उसने भी अपने बच्चों की खातिर अपनी जवानी की परवाह किए बिना अपना जीवन उनके लिए समर्पित कर दिया...
हालाँकि इस बीच एक दो बार उस ठरकी लाला ने उसपर भी डोरे डालने की कोशिश की थी पर उसका रूखा रवेय्या देखकर लाला ने भी फिर कोई कोशिश नही की...
लाला का सिंपल फंडा था, आती है तो आ वरना अपनी माँ चूदा ।
उसके पास गाँव की कमसिन चुतों की कोई कमी थी भला जो वो 3 बच्चों की माँ पर अपना टेलेंट जाया करता.

और ये सब सोचते-2 उसे जब ये एहसास हुआ की आज भी उसके बदन में किसी को आकर्षित करने की क्षमता है तो उसका दिल पुलकित हो उठा...
पूरा दिन मिट्टी में काम करने के बाद उसकी हालत किसी भूतनी जैसी हो जाती थी...
घर जाकर नहाती, बच्चों के लिए खाना बनाती और गहरी नींद में सो जाती...
यही दिनचर्या रह गयी थी उसकी...
ऐसे में अपनी तरफ आई अपने ही बेटे की इस नज़र ने उसके अंदर एक कोहराम सा मचा दिया था.

खाना खाते हुए वो नंदू को देख रही थी और ना चाहते हुए भी उसकी नज़रे उसकी धोती की तरफ चली गयी और ज़मीन पर बैठने की वजह से उसके लंड का एक हिस्सा भी उसे दिखाई दे गया...
उसने तुरंत अपनी नज़रे फेर ली..
अपने बेटे को ऐसी नज़रो से देखने में उसे आत्मग्लानि का एहसास हो रहा था.

वहीं दूसरी तरफ नंदू भी अपनी माँ के चेहरे को देखकर ये जानने की कोशिश कर रहा था की उनके मन में क्या चल रहा है..
पर अपनी माँ की डांट से उसे ये एहसास ज़रूर हो गया की आगे से उसे सतर्क रहना पड़ेगा..

उसके बाद उसने इस तरह की कोई हरकत नही की और हमेशा की तरह सांझ होते-2 दोनो माँ बेटा घर की तरफ चल दिए.

नंदू के पास एक साइकिल थी, जिसपर बैठकर वो आया-जाया करते थे
अब उनके घर जाने के इस साधन में भी नंदू की एक चाल थी...
वो अपनी माँ को पीछे बैठाकर खेतो में ले जाया करता था...
और जब से उसके मन में अपनी माँ के लिए कपट आया था , तब से उसने उनके मस्त बदन को छूने के नये-2 बहाने ढूँढने शुरू कर दिए थे...
इसलिए उसने बड़ी चालाकी से पीछे बैठने के केरियर को तोड़ दिया, जिसकी वजह से उसकी माँ को साइकल के आगे वाले डंडे पर बैठना पड़ता था...
भरा हुआ शरीर था इसलिए वो फँस कर आती थी आगे की तरफ और साइकल चलाते हुए नंदू की दोनो टांगे उपर नीचे होती हुई अपनी माँ के मांसल जिस्म से रगड़ खाया करती थी...
और सबसे ज़्यादा मज़े तो उसके लंड के थे जो अपनी माँ की कमर के ठीक पीछे चिपक कर उसके गुदाजपन के मज़े लिया करता था...
और घर जाते-2 नंदू के लंड की हालत ऐसी हो जाती थी जैसे उसने धोती में कोई रॉकेट छुपा रखा हो...
उपर से नंदू अपनी माँ के ब्लाउज़ में झाँककर उन हिलते हुए मुम्मो को देखकर भी मज़ा लिया करता था.

पर आज गोरी को आगे बैठने में थोड़ी सकुचाहत हो रही थी लेकिन कोई और चारा भी नही था...
इसलिए वो बैठी और वो दोनो घर की तरफ चल दिए...
रास्ते भर वही होता रहा जो रोज हुआ करता था...
पर आज गोरी की अपने बेटे की हरकतों पर कड़ी नज़र थी...
इसलिए आधे रास्ते बाद जब उसकी कमर पर उसे नंदू के लंड की चुभन महसूस हुई तो उसका शक यकीन में बदल गया की उसका बेटा उसके बदन का दीवाना है.

घर पहुँचकर वो सीधा अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस कर नहाने लगी...
नहाते हुए उसके जहन में नंदू की सारी हरकतें चलचित्र की भाँति चल रही थी...
उसे दिख रहा था की कैसे वो पेड़ के नीचे खड़ा होकर मुट्ठ मार रहा है और खेतो में काम करते हुए उसके बदन को अपनी भूखी नज़रो से देख रहा है...
साइकल पर बैठकर उपर से उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा है.

उफफफफ्फ़.....
वो फिर से अपने बेटे के बारे में गंदे विचार ले आई थी...
सुबह तो उसने सोचा था की ऐसी कोई भी बात अपने मन में नही लाएगी और ज़रूरत पड़ी तो नंदू को भी कठोर शब्दो से समझा देगी की अपनी माँ के प्रति ऐसी भावना रखना सही नही है...

पर ये भी तो हो सकता है की वो सारा उसका वहम हो...
हो सकता है की वो किसी और के बारे में सोचकर ये सब करता हो और अपनी माँ को उस नज़र से देखना संयोग मात्र ही हो.

उसने मन में सोचा की काश ऐसा ही हो, यही उन माँ बेटे के संबंधो के लिए सही रहेगा..

उधर नंदू बाहर खाट पर बैठा अपनी माँ के ही विचारो में खोया हुआ था की उसकी बहन निशि अंदर आई...

उस भोले को भला क्या पता था की आज उसकी बहन के मन में उसके लिए क्या चल रहा है...
करीब 2 घंटे तक पिंकी के घर बैठकर उसने अपने भाई को आकर्षित करने के नये-2 तरीके ईजाद किए थे...
और वो इतने उत्तेजक थे की उन्हे सोचकर ही उसकी चूत में पानी भर आया था...
उन्हे जब वो अमल करेगी तो उसका क्या हाल होने वाला था ये तो सिर्फ़ वही जानती थी...
पर आज से वो इस जंग का आगाज़ ज़रूर कर देना चाहती थी.

इसलिए वो लंगड़ाती हुई सी घर पर आई, ये लंगड़ाना उसकी चाल का एक हिस्सा था.

नंदू ने जब उसे ऐसे चलते हुए देखा तो वो घबरा कर उसके करीब आया और उसे अपनी बाँहों का सहारा देकर अंदर ले आया...

नंदू : "अर्रे...ये क्या हुआ निशि ..कहीं चोट लगी है क्या...कैसे हुआ ये ....''

उसके चेहरे पर आई उसके लिए घबराहट सॉफ देखी जा सकती थी...
वो अपनी बहन से बहुत प्यार करता था...
इसका एहसास निशि को भी था.

निशि : "कुछ नही भैय्या ..वो पिंकी के घर से आते हुए पैर मुड़ गया एक गड्डे में जाकर....हाय ...सही से चला भी नही जा रहा ....''

नंदू ने उसे लाकर खटिया पर बिठाया और नीचे झुककर उसके पैर का मुआयना करने लगा...
उसने एक घाघरा पहना हुआ था, जिसे उपर करते ही उसकी गोरी पिंडलियाँ उसके सामने आ गयी जो एकदम भर चुकी थी...
नंदू भी उसकी भरी हुई टांगे देखकर हैरान था की कब और कैसे उसकी छोटी बहन इतनी बड़ी हो गयी है...
उसकी पिंडलियाँ ऐसी है तो उसकी जांघे कैसी होगी....
शायद माँ जैसी मांसल होंगी वो भी...
या हो ही जाएँगी..
आख़िर है तो उन्ही की बेटी ना.

यानी अपनी बहन के माध्यम से भी वो अपनी माँ को ही इमेजीन कर रहा था...
और अभी तक अपनी बहन के लिए उसके मन में कोई बुरा विचार नही था...
और इन विचारो को निशि जल्द ही बदलने वाली थी.

नंदू ने उसकी पिंडली को अच्छे से देखा पर उसे कुछ ख़ास दिखाई नही दिया...
कुछ हुआ होता तो दिखता ना...
निशि ने उसे अंदरूनी मोच कहकर अंदर दर्द होने का बहाना बनाया...
नंदू ने जब कहा की वो उसे डॉक्टर के पास ले चलता है तो वो एकदम से बोली : "नही नही...डॉक्टर के पास नही...उसे तो कुछ नही आता...बस हर बात पर पिछवाड़े पर सुई लगा देता है....''

नंदू उसकी बच्चो वाली बात सुनकर हंस दिया...
और बोला : "अब तू बड़ी हो गयी है निशि ..अब तेरे पिछवाड़े पर नही बल्कि हाथ में लगेगी सुई...और ये मोच है कोई चोट नही जो तुझे टीका लगाना पड़े डॉक्टर को...कोई गोली दे देगा तो दर्द में आराम आ जाएगा ना...''

निशि अपने चेहरे पर क्यूट सी स्माइल लाते हुए बोली : "ना भाई ना....मुझे नही जाना डॉक्टर के पास और ना ही कोई गोली खानी है...बस रात को मालिश करवा लूँगी, वही बहुत है...कल तक ठीक हो जानी है ...''



तब तक उनकी माँ गोरी भी नहा धोकर आ गयी...
नंदू को अपनी बहन के पैरो में बैठा देखकर वो भी चिंतित हो गयी...
नंदू ने उन्हे सारी बात सुना डाली...माँ ने भी डॉक्टर के पास चलने को कहा पर निशि ने मना कर दिया
गोरी भागकर दूध गर्म कर लाई और उसमें हल्दी डालकर निशि को दिया...बेचारी ने बड़ी मुश्किल से उसे पिया.

रात का खाना खाने के बाद जब वो अपने उपर वाले कमरे में जाने लगी तो नंदू ने उससे कहा की वो नीचे ही सो जाए पर उसने यही बहाना बनाया की उसे अपने बिस्तर के सिवा कही और नींद नही आती...

माँ अंदर बर्तन धो रही थी, इसलिए उसने नंदू से कहा की हो सके तो वो उसे उपर तक उठा कर ले जाए.
नंदू के लिए ये कोई मुश्किल काम नही था...
पर अभी कुछ देर पहले ही उसे निशि की जवानी का एहसास हुआ था इसलिए वो थोड़ा सकुचा भी रहा था...
निशि ने भी विनती करी की वो प्लीज़ उसे उपर तक उठा कर ले जाए वरना माँ देखेगी तो गुस्सा करेगी की अब वो छोटे नही रहे ...

नंदू जानता था की माँ ऐसा करने से मना करेगी और गुस्सा भी होगी...
इसलिए उनके बाहर आने से पहले ही उसने झट्ट से निशि के फूल जैसे बदन को अपनी बाँहों में उठाया और उपर चल दिया...
उसके नन्हे संतरे उसकी छाती में शूल की तरह चुभ रहे थे पर उसने उनकी तरफ कुछ ख़ास ध्यान नही दिया...
पर उसकी जाँघो को पकड़ कर उसने जरूर जान लिया की वो सच में काफ़ी भर चुकी है.

उसे बिस्तर पर लिटाकर जब वो जाने लगा तो निशि ने बड़े प्यार से उसे थेंक्स और बोली : "भाई...आप माँ के सोने के बाद प्लीज़ उपर आकर मेरी मालिश कर देना ...बहुत दर्द हो रहा है ... माँ को बोलूँगी तो वो ज़बरदस्ती मुझे डॉक्टर के पास भेज देंगी...और वहां मुझे जाना नही है...''

नंदू ने उसे मुस्कुराते हुए आश्वासन दिया की ठीक है वो आ जाएगा रात को.

और उसके बाद वो नीचे चला गया...

और निशि मन ही मन अपनी योजना के पहले चरण को साकार होते देखकर खुश हो रही थी.

आज की रात उसे नंदू को अपने हुस्न का दीवाना बना देना था,
यही प्लानिंग की थी उसने और पिंकी ने मिल कर...
और नंदू के हाव भाव देखकर इतना तो वो जान ही चुकी थी की मर्द चाहे कोई भी हो, भाई हो या बाप, हुस्न के आगे उसे झुकना ही पड़ता है...
तभी तो उसका ये खड़ूस भाई इतने प्यार से उसके साथ बर्ताव कर रहा था.

अब वो रात की तैय्यारी करने लगी...
आज कुछ ख़ास होने वाला था उसके कमरे में.

यहाँ निशि के दिमाग़ में नंदू चल रहा था तो नीचे नंदू के दिमाग़ में माँ के साथ-2 अब निशि के ख़याल भी आ-जा रहे थे...
और उधर उनकी माँ गोरी भी ना चाहते हुए फिर से अपने बेटे की बाते सोचने लगी थी सोते हुए...
एक ही दिन में घर के तीनो सदस्यो के दिल में एक दूसरे के लिए गंदे विचारो का निर्माण शुरू हो चुका था...
जो आगे चलकर सबको मजा देने वाला था.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:25 PM

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