Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:26 PM,
#74
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
उसका फूल सा शरीर चरमरा सा गया अपने भाई के वजन से..
पर इस वक़्त तो उसे अपने शरीर से ज़्यादा नीचे रिस रही चूत की चिंता थी , जिसमें कभी भी उसके भाई का लंड घुस सकता था..

पर वो इतना आसान भी नही था और नंदू उसे इतनी आसानी से करना भी नहीं चाहता था...
आज वो अपनी माँ के घर पर ना होने का पूरा फायदा उठा लेना चाहता था...

भले ही निशि अपने भाई के वजन के तले दबी जा रही थी पर फिर भी उसके लंड के एहसास को अपनी चूत पर महसूस करके उसे मज़ा ही मिल रहा था..

नंदू ने धीरे-2 अपने शरीर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया..
जैसे रेल गाड़ी में बैठकर धक्के लगते है, ठीक वैसे ही वो अपने शरीर को हिलाने लगा..

निशि को अपनी गांड पर उस डंडे का एहसास उपर से नीचे तक महसूस हो रहा था..
एक अजीब सी शक्ति उसकी चूत के अंदर से उस लंड को अपनी तरफ बुला रही थी पर नंदू था की उसे उपर ही उपर से घिस्से मारे जा रहा था..

बार-2 वो अपने फड़कते होंठो से ये बोलने की कोशिश करती की अब डाल भी दो ना भैय्या पर वो कह नही पाती थी...
नंदू भी उसकी हालत को देखकर उन पलों का मज़ा ले रहा था..

उसने लगभग अपने दोनो होंठ उसके कान में घुसेड़ते हुए कहा : "क्या हुआ निशि ...अब कैसा फील हो रहा है तुझे...बोल ना...''

वो अपनी उसी सुरीली आवाज़ में कराहती हुई बोली : "अहह.....अच्छा .... बहुत अच्छा ...... कल से भी ज़्यादा...... उम्म्म्मम.......''



नंदू तो उसे पूरी तरह से अपनी बोतल में उतारने के चक्कर में था...
नीचे का नाड़ा तो वो खोल ही चुका था अब उपर का हुक खोलना बाकी रह गया था..

वो बोला : "ओ निशि...ऐसा मज़ा तुझे पूरा लेना है क्या...''

निशि तो जैसे बरसों से इसी बात का इंतजार कर रही थी...
वो कराहते हुए बोली : "भैय्या ..आज सारे मज़े दे दो मुझे....मैं तैयार हूँ ...''

नंदू मन में बुदबुदाया 'साली...चुदाई के लिए तो ऐसे कुलबुला रही है जैसे डेली पैसेंजर हो....'

पर उसे अभी चोदने से पहले वो उसके फूल से शरीर का पूरा मज़ा लेना चाहता था..

वो उसके उपर से हटा और उसे सीधा होकर लेटने को कहा..
और नंदू ने उसे अपनी टी शर्ट भी उतारने को कहा ताकि वो उसकी पूरी तरह से मालिश कर सके ..

वो उठी और अपनी टी शर्ट उतार कर वो जन्मजात नंगी होकर अपने बिस्तर पर लेट गयी...
उसे अभी शर्म आ रही थी इसलिए उसने अपनी आँखे बंद कर ली...
पर नंदू तो बेशर्म बन चुका था...
अपनी जवान बहन को अपने सामने नंगा लेटे देखकर उसकी तो आँखे फटी की फटी रह गयी...
वो उसके रसीले बदन को उपर से नीचे तक देखते हुए अपने लंड को मसलने लगा..



और लंड मसलते हुए वो बुदबुदाया : "साली....ऐसा नशीला बदन है तेरा...पहले पता होता तो कब का चोद चुका होता..''

और निशि तो जैसे एक बादल के टुकड़े पर तैर रही थी...
उसके चारों तरफ का माहौल इतना रोमॅंटिक हो चुका था की इस वक़्त तो उसकी चूत पर कोई एक दस्तक भी दे डाले तो वो झड़ जाती...
सैक्स में ऐसी उत्तेजना का संचार होता है शरीर में ये उसे आज ही पता चला..
अब तो वो मन ही मन यही चाह रही थी की नंदू अपने लंड का खूँटा जल्द से जल्द उसकी चूत में गाड़ डाले और उसे इतनी बेरहमी से चोदे की लाला के लंड को लेने में भी उसे तकलीफ़ ना हो.

नंदू ने एक बार फिर से उसकी बॉडी पर ढेर सारा तेल डाला और उसे मसलने लगा...
तेल में चुपड़ कर उसकी बॉडी देसी परांठे जैसी हो गयी..
मन तो उसका कर रहा था की इस करारे परांठे को वो चपर -2 करके खा जाए...



पर उससे पहले उसे चुदाई से पहले की जाने वाली सारी क्रियाओं का मज़ा भी तो लेना था..

वो धीरे से नीचे झुका और उसने निशि के कड़क निप्पल को मुँह में भरकर चूस लिया...

''आआआआआआआआअहह ओह भैय्याययययययाआ''



लाला के पोपले मुँह के मुक़ाबले नंदू के सख़्त होंठ वाकई में कमाल के लग रहे थे उसे...
उसने नंदू के सिर पर हाथ रखकर उसे अपनी छाती के उपर गिरा कर भींच लिया ताकि वो उसे अच्छी तरह से चूस सके..

नंदू तो पहले से ही अपना पूरा मुँह खोलकर उसके मुम्मे को मुँह में डाल चुका था...
निशि ने जब हेल्प की तो एक ही बार में उसने दोनो निप्पल अपने मुँह में लेकर उनपर दांतो से काट लिया, एक करंट सा दौड़ गया अपने भाई की इस हरकत से उसके सहरीर में.

धीरे-2 वो नीचे की तरफ जाने लगा...
जिस खुश्बू को वो कल रात से भुला नही पाया था उसकी तह तक जाकर वो उसे चूस लेना चाहता था...
और जैसे ही उसका चेहरा निशि की चूत के उपर पहुँचा, तो निशि ने एक जोरदार चीख मारकर उसे खुद ही अपनी चूत के अंदर खींच लिया...



''ओह भईआययय्याआआआआआ....... उम्म्म्मममममममममम..... चाआटो मुझे....... अहह चूऊस डाआलो......... मिटा दो मेरे अंदर की......साआरीइ.....खुजली...''

जिस तरह से वो ये सब बोल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था की ये उसका पहली बार नही है..
पर जैसा की निशि खुद ही बोल चुकी थी की उसने पिंकी के साथ ये सब मज़े लिए है तो नंदू भी अपने काम में लगा रहा, अगर उसे ये पता चल जाता की जिस चूत को वो चूस रहा है उसे पिंकी के अलावा लाला ने भी चूसा है तो पता नही वो क्या कर बैठता...

पर अभी के लिए तो उसे अपनी बहन की इस कुँवारी चूत को चूसने में काफ़ी मज़ा आ रहा था...
ऐसा लग रहा था जैसे अन्नानास का ताज़ा रस निकल रहा है उसकी चूत से....
थोड़ा खट्टा और थोड़ा मीठा...
और उसकी चूत के मखमली होंठो को चूसने में भी एक अलग ही मज़ा मिल रहा था....



और अचानक निशि का शरीर हिचकोले खाने लगा...
आज की शाम का पहला ऑर्गॅज़म उसके शरीर से निकालकर चूत के रास्ते रास बनकर बाहर निकलने लगा जिसे उसके भाई नंदू ने बेख़ुबी से चूस कर निपटा दिया...

और अपने उन भीगे होंठो को लेजाकर उसने सीधा निशि के होंठो पर रख दिया और उन्हे बुरी तरह से चूसने लगा..

अपने भाई से मिल रही पहली किस्स और वो भी अपनी चूत के रस से भीगे होंठो से...
ये निशि की उत्तेजना को बड़ाने के लिए प्रयाप्त था...
वो नंदू की गोद में चड़कर उससे बुरी तरह से लिपट गयी, जैसे उसके अंदर समा जाना चाहती हो
और उस स्मूच का जवाब उससे भी बड़ी वाली स्मूच से देने लगी



उसने तो अपनी टांगे भी फेला डाली...
ताकि इस किस्स को करते-2 नंदू अपना लंड अंदर पेल ही डाले...
जो होगा देखा जाएगा...
पर नंदू तो नंदू ही था..
अभी तो उसे अपने राजा बेटे यानी अपने लंड को भी थोड़े मज़े दिलवाने थे
और वो काम उसकी चूत के होंठो से ज़्यादा उसके मुँह के होंठ कर सकते थे.

इसलिए उसने निशि की उस चुदाई के ऑफर को थोड़ी देर के लिए साइड में रखते हुए उसे अपने लंड की तरफ धकेल दिया ताकि वो उसे अच्छे से चूस कर चुदाई के लिए तैयार कर सके..

निशि भी काफ़ी देर से अपने भाई के छोटे भाई को पकड़ने और मुँह में लेने के लिए तड़प रही थी...
अब मौका मिला था तो वो उसे पूरी तरह से इस्तेमाल कर लेना चाहती थी...

वो नागिन की तरह सरकती हुई नीचे तक गयी और नंदू के लंड को हाथ में पकड़ कर उसे एकटक निहारने लगी... अपनी चूत को फाड़ने वाले इस लंड को वो अपनी आँखो में हमेशा के लिए बसा लेना चाहती थी...
जैसे पहला प्यार कभी नही भुलाया जाता ठीक वैसे ही वो इस पहली चुदाई में होने वाले हथियार को हमेशा के लिए अपनी आँखो में बसा लेना चाहती थी...
ताकि आज के बाद जब भी उसकी चुदाई हो तो इस लंड को मन में सोचकर उस पल को याद कर सके और पहली चुदाई का मज़ा हर बार ले सके.

उसने धीरे से अपनी साँप जैसी जीभ निकाली और उसके लंड पर आई ओस की बूँद को चाट कर निगल गयी...

''आआआआआआआअहह भाई....... इतना मीठा है तुम्हारे लंड का पानी...... उम्म्म्ममममम''



और फिर उसके बाद तो वो रुकी ही नही.....
अपनी जीभ और होंठो को उस मोटे खीरे जैसे लंड के चारों तरफ लपेटकर वो उसकी मोटाई और गहराई नापने लगी....
नंदू ने उसके चेहरे को अपने हाथो से पकड़ा और अपना मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में डालकर उसके मुँह को चूत की तरह चोदने लगा..
उसके मखमली होंठो में लंड फँसाकर हिलाने में इतना मज़ा मिल रहा था तो उसकी चूत मारने में कितना मज़ा आएगा, यही सोचकर उसका लंड और भी कड़क होकर अंदर बाहर होने लगा.



नंदू अपनी आँखे बंद करके उसके रेशमी होंठो को अपने लंड पर महसूस करके कराहने लगा....

''अहह..... ओह निशि ...... मेरी ज़ाआआआनन्न.... उम्म्म्ममममममममम.... चूऊस साली......अहह....... खा जा इसे पूरा ....''

खाने के नाम से उसे लंड के नीचे लटके टटटे भी याद आ गये...
उसने लंड को बाहर निकाला और उसकी बॉल्स मुँह में भरकर उनका रस निचोड़ने लगी....

नंदू को भी आज से पहले ऐसा मज़ा आज तक नही मिला था....
आज से पहले तो वो अपने हाथ का खिलाड़ी था
और वो जानता था की अब उसे अपना हाथ इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि अब तो ये रोज ही हुआ करेगा...

निशि तो उत्तेजना के मारे इतनी पागल सी हो चुकी थी की उसे अब नंदू के हर अंग को चूसने में मज़ा मिल रहा था... उसकी बॉल्स को चूसते -2 वो कब उसकी गांड के छेद को चाटने लगी ये भी उसे पता नही चला...
नंदू के लिए ये एक अलग तरह का एक्सपीरियेन्स था...
एक अजीब तरह की गुनगुनाहट का एहसास हुआ उसे जब निशि ने उसके लंड को मुट्ठी में भरा,
उसके झूल रहे टटटे उसकी आँखो में धाँसे जेया रहे थे
और उसके करिश्माई होंठ नंदू के निचले छेद पर बुरी तरह जमकर वहां की चुसाई कर रहे थे....
नंदू का पूरा शरीर हवा में तैर रहा था...



और अचानक अपनी बंद आँखो के पीछे उसे ये एहसास हुआ की ये जो मज़ा उसे मिल रहा है वो निशि नही बल्कि उसकी माँ उसे दे रही है...
यानी इस वक़्त भी उसके जहन में उसकी माँ के ख़याल ही आ रहे थे...

और उसे पता भी नही चला की कब अपने चरम पर पहुँचते हुए उसके मुँह से निशि के बदले अपनी माँ के लिए वो शब्द निकल गये जो शायद उसे अपनी बहन के सामने बोलने ही नही चाहिए थे...

''ओह माँ आआआआआआ..... चूस मेरे लंड को........ खा जा इसे....माँ ''

और अगले ही पल उसने चौंकते हुए अपनी आँखे खोल दी....
और ऐसा ही कुछ निशि ने भी किया जब उसने अपने भाई के मुँह से अपनी माँ के लिए वो सब सुना...

पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी...
कमान से निकले तीर की भाँति शब्द भी लौटकर आने वाले नही थे...
और ना ही वो पिचकारी लोटने वाली थी जो उसके उन शब्दो के साथ ही उसके लंड से निकली थी...



एक के बाद एक पिचकारी मारते हुए नंदू के लंड ने निशि के चेहरे को तर बतर कर दिया...

पर झड़ने के बाद होने वाली वो खुशी उसके चेहरे से गायब थी...
क्योंकि निशि की नज़रें उससे लाखो सवाल कर रही थी.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:26 PM

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