Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:27 PM,
#78
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
नंदू की माँ ने जल्दी -2 गीले बदन से पानी को पोंछा और अपने कपड़े पहन लिए...
नंदू भी भागकर वापिस अपनी साइकल तक पहुँच गया और उसे लेकर थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया और जब उसे अपनी माँ खेतो से बाहर आती दिखाई दी तो साइकल लेकर वो उनकी तरफ चल दिया...

अपने बेटे को अपने लिए वापिस आया देखकर नंदू की माँ भी खुश हो गयी और खुशी-2 उसके साथ वापिस घर की तरफ चल दी.

भले ही नंदू इस वक़्त अपनी माँ के शरीर की भीनी खुश्बू सूँघकर एक अलग ही दुनिया में खोया हुआ था पर वो इस बात से अंजान था की मास्टरमाइंड पिंकी ने उसके लिए क्या प्लानिंग कर रखी है.

************
अब आगे
************

पिंकी ने निशि के साथ मिलकर जो प्लानिंग बनाई थी उसके लिए उन्हे एक सही मौके की तलाश थी
और वो मौका उन्हे अगले दिन ही मिलने वाला था
क्योंकि अगले दिन होली थी...

होली तो वो त्योहार होता है जिसमें दोस्त और दुश्मन सब मिलकर एक दूसरे को रंग लगाते है...
ऐसे में एक दूसरे के दिलो में रंग बिरंगी जज्बातों को लिए निशि और नंदू के साथ -2 पिंकी भी थोड़े मज़े लेना चाहती थी..
और वो इसलिए की नंदू उसे शुरू से ही पसंद था..
हालाँकि लाला के लंड को देखने के बाद उसने यही सोच लिया था की अपनी चूत में पहला लंड लेगी तो लाला का ही...
पर बाद में वो नंदू का भी ज़रूर लेगी
ये भी उसने पक्का कर लिया था...
पर अभी तो उसे अपनी सहेली को उसके भाई नंदू का लंड दिलवाना था
और इस बार वो उनकी माँ को बीच में नही आने देना चाहती थी.
और इसलिए उसने जो प्लान बनाया था उसके बाद तो निशि के सामने वो सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी के बारे में सोचने वाला था...

नंदू जब घर पहुँचा तो निशि वहां नही थी,
वो तो अपनी सहेली पिंकी के घर थी और वहीं बैठकर आगे की योजना बना रही थी...
नंदू को यही बात परेशान कर रही थी की वो आज दोपहर वाली बात अपनी सहेली पिंकी को या अपनी माँ को ना बता दे...
दोनो ही सूरत में उसे शर्मिंदा होना पड़ता था..
इसलिए चाहकर भी वो अपनी माँ की तरफ ध्यान नही दे पा रहा था...
टेंशन की वजह से उसका लंड भी खड़ा होने से मना कर रहा था...
हालाँकि अपनी तरफ से उसकी माँ ने भी अपने जलवे दिखाने की कोशिश की थी, पर उसका सारा ध्यान निशि की तरफ ही था..

रात करीब 9 बजे निशि वापिस आई और बिना खाना खाए वो उपर अपने कमरे में चली गयी, ये बोलकर की वो पिंकी के घर से खाना खाकर आई है...
उसकी माँ ने भी ज़्यादा ज़ोर नही दिया पर नंदू अंदर से परेशान हुए जा रहा था..
निशि ने आने के बाद उसकी तरफ देखा तक नही था, उससे सॉफ जाहिर था की वो उसकी बात पर नाराज़ है...

अब वो भला क्या जाने की ये सब तो पिंकी द्वारा बनाई गयी उस चाल का ही एक हिस्सा था जिसके तहत निशि को अपने भाई से नाराज़गी का नाटक करना था...
वरना आज सुबह जो हुआ उसे भुलाकर वो अपनी चूत में अपने भाई का लंड लेने के लिए फिर से तैयार थी...
पर पिंकी की बात पर भी उसे पूरा भरोसा था, उसने एक बात कही थी निशि से की आदमी को अपने पीछे भागाओ ना की उसके पीछे भागो...
ऐसा करने से एक सुपीरियर जैसी जो फीलिंग आती है उसका कोई मुकाबला नही है...
और बाद में जब वो उसका दीवाना बनकर उसे चोदेगा तो उसमें भी वो अपनी जान लगा देगा..
यानी दोनो ही सूरत में उसका ही फायदा था इसलिए उसने पिंकी की बात मानकर सुपीरियर बनने का नाटक ही किया.

नंदू की माँ भी खाना खाकर सो गयी,
आज खेतो में ज़्यादा काम और शाम को नहाते हुए मूठमार प्रोग्राम के बाद उसके शरीर में भी जान नही बची थी...
माँ के सोने के बाद नंदू भी चुपचाप उठकर उपर गया ताकि वो अपनी नाराज़ बहन को मना सके और सुबह की अधूरी प्यास को पूरी तरह बुझा सके पर उपर जाने के बाद उसे पता चला की आज वो अंदर से दरवाजा बंद करके सोई है...
उसने धीरे से दरवाजा खड़काया भी और उसे आवाज़ भी दी पर जागने के बावजूद उसने सोए रहने का बहाना किया और दरवाजा नही खोला...
कुछ देर तक इंतजार करने के बाद वो नीचे जाकर सो गया..

सब कुछ वैसा ही हो रहा था जैसा पिंकी ने प्लान किया था..
बस निशि को अपने भाई को सताना अच्छा नही लग रहा था...
लगता भी कैसे , उसकी खुद की चूत जो उसके नाम को लेकर बहे जा रही थी...
आख़िरकार उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपने भाई के नाम की एक जबरदस्त मुट्ठ मार ली..



तब जाकर उसे भी नींद आई.

अगले दिन होली थी, और अपने प्लान के अनुसार निशि सुबह उठकर सीधा पिंकी के घर पहुँच गयी...
निशि की माँ को भी पता था की होली वाले दिन दोनो सहेलियां पूरे दिन हुड़दंग मचाती है, इसलिए उन्होने भी नही रोका...
नंदू जब उठा तो चिड़िया उड़ चुकी थी, पर बेचारे के पास उसका इंतजार करने के सिवा कोई और चारा भी नही था...


आज पिंकी को एक तीर से दो शिकार करने थे....
पहला, निशि को वहां से निकालकर अपने साथ और नंदू से दूर रखना था,
दूसरा, दोनो को लाला के पास भी जाना था ताकि लाला के साथ भी कुछ 'ख़ास' किस्म की होली खेली जा सके...

और अपना लाला तो सुबह से ही तैयार था....
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:27 PM

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