RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
झरने से वापिस आकर दोनो भाई बहन अपने-2 कमरे में जाकर ऐसे सोए की रात भर उनकी नींद ही नही खुली...
दोनो ने अपनी लाइफ का पहला सैक्स किया था और ऐसा ख़तरनाक सैक्स करके उनके बदन का एक-2 पुर्जा हिल सा गया था, उन्हे आराम देना भी तो ज़रूरी था.
आज सोते हुए पहली बार नंदू को अपनी माँ के नही बल्कि अपनी बहन निशि के सपने आए,
जिनमे वो उसे पुर घर में घूम-घूमकर चोद रहा था...
वो नंगी आगे भाग रही थी और वो भी नंगा होकर पीछे से जाकर उसे पकड़ लेता और कभी खटिया पर तो कभी नीचे की मिट्टी वाली ज़मीन पर उसे पटक कर अपना लंड उसकी चूत में पेल देता...
हर बार लंड जाने का एक अलग ही एहसास उसे मिलता.
हालाँकि वो सपने में ही उसे चोद रहा था पर उसे फील एकदम असली जैसा ही हो रहा था,
कारण था उसका सूजा हुआ लंड जो इतनी संकरी सी छूट में जाने के बाद थोड़ा सा खड़ा होते ही दर्द करने लगता और उसी एहसास को दोबारा ले आता जब वो पहली बार निशि की चूत में घुसा था.
और इन्ही सपनो को लेता हुआ वो खर्राटे भर रहा था की उसकी माँ ने उसे जगाया...
पर आज उसकी नींद ही इतनी गहरी थी की उससे उठा ही नही जा रहा था,
उसने माँ से कहा की वो अकेली ही खेतों में चली जाए, वो थका हुआ है, आज वो आराम करना चाहता है.....
नंदू की माँ भी हैरान थी की आज तक खेतो में जाने के लिए उसने मना नही किया, पर ये सोचकर की शायद कल होली पर उसे कुछ ज़्यादा ही थकान हो गयी होगी, वो उसे सोता छोड़कर अकेली ही खेतों की तरफ चल दी...
वो कहावत है ना, जो सोवत है वो खोवत है,आज वो नंदू पर पूरी तरह से फिट होने वाली थी.
हालाँकि नंदू तो सिर्फ़ यही सोचकर सोने का नाटक कर रहा था की आज वो निशि के साथ पूरा दिन अकेला रहेगा और उसे जी भरकर चोदेगा.
पर उसे इस बात का ज्ञान नही था की उसकी अनुपस्थिति में उसकी माँ पर क्या बीतने वाली है..
अपने घर से निकालकर जब नंदू की माँ गोरी अपनी कमर मटकाती हुई खेतो की तरफ जा रही थी तो उसी रास्ते से लाला अपनी बुलेट लेकर निकला..
सुबह का समय था, खेतो के बीच की कच्ची पगडंडी पर अपनी कमर लहरा कर चल रही गोरी की लचीली गांड को देखकर लाला का रामलाल पेट्रोल की टंकी पर लेटे - 2 उठ खड़ा हुआ...
सीन ही इतना सैक्सी था ,
सामने से उग रहे सूरज की किरणे गोरी की झीनी साड़ी को भेदकर उसके पूरे जिस्म की रूपरेखा बता रही थी...
उसका कौनसा अंग कितना अंदर है और कितना बाहर , सब दिखाई दे रहा था...
और ऐसे दृशय देखकर लाला की हालत तो हमेशा ही खराब हो जाती है...
अपने खेतों की तरफ निकले लाला का दिल उसे देखते ही भटक गया और अपने लंड को भींचते हुए वो बोला
"हाय ...... एक साली वो निशि और ऊपर से उसकी ये माँ भी, साली हमेशा मेरे लंड का बुरा हाल कर देती है...वो छिनाल तो कुछ दिनों में चुद ही जाएगी, पर ये साली पता नही कब हाथ लगेगी....''
उसके हाथ ना लगने का सबसे बड़ा कारण था उसका बेटा नंदू,
जो हमेशा उसके साथ खेतों में ही रहता था...
पर आज वो अकेली ही जा रही थी, ये देखकर लाला की आँखो में चमक आ गयी और वो बाइक को भगाकर आगे ले आया और गोरी का रास्ता रोक लिया..
आज तक गोरी भी उससे बचती चली आ रही थी, उसे भी पता था की लाला के लंड के चर्चे पूरे गाँव में है, उसके लंड से चुदी औरत अपने आप को धन्या मानती है, लाला के लंड का पानी पीने के बाद उन्हे कोई दूसरा पानी अच्छा ही नही लगता, इतनी महानता थी उसके लंड की उस गाँव में...
पर आज तक वो खुद ही उससे बचती आई थी, कारण था अकेली विधवा का 2 बच्चों को पालना, और ऐसे में वो नही चाहती थी की उसके जवान हो रहे बच्चे उसे नीची नजरों से देखें..
पर पिछले कुछ दिनों से नंदू के साथ जो कुछ भी चल रहा था उससे उसका मन फिर से जवानी की अंगड़ाइयां लेने लगा था, नंदू के बारे में सोचते हुए जब भी वो सोया करती थी तो लंड लेने के सारे विकल्प उसके सामने आ जाते थे, और उनमे नंदू के अलावा सबसे उपर होता था लाला के लंड का विकल्प, जिसे लेने की इच्छा उसके अंदर थी तो सही पर काफ़ी अंदर तक दबी हुई सी...
समाज के डर से और अपने बच्चों के सामने अपनी इज़्ज़त बनाए रखने की वजह से वो इच्छा कभी बाहर निकल ही नही पाई...
और फिर वो सोचती की अब शायद वो वक़्त निकल चुका है,
अपनी जवानी के दिनों में शायद लाला को वो भा भी जाती होगी पर अब इस उम्र में लाला को भी शायद उसमें रूचि नहीं होगी.
वो बेचारी ये नही जानती थी की मर्दों को इसी उम्र की औरतें सबसे ज़्यादा पसंद आती है,
हरामजादियां, अपनी जवानी में पूरी चुदने के बाद इस उम्र तक वो चुदाई के लायक पका हुआ माल बन चुकी होती है, हर अंग में रस भर चुका होता है, बदन का हर हिस्सा पूरी तरह से विकसित हो चुका होता है,
ऐसे में उन्हे भींचने में , चूसने में, रगड़ने में जितना मज़ा मिलता है, वो नन्ही कलियों के साथ कहां मिल पाता है भला.
पर लाला को अपने सामने देखकर उसके दिल की धुकधुकी तेज हो उठी,
लाला ने उसे उपर से नीचे तक अपनी भूखी नज़रों से देखा और फिर उसकी आँखो में देखता हुआ बोला : "अररी गोरी, आज अकेले ही खेतो में जा रही है...आज तेरा लोंडा नही है तेरे साथ...''
लाला की नज़रें उसके नीले ब्लाउज़ को भेदकर उसके निप्पल ढूँढने का प्रयत्न कर रही थी..
और गोरी की नज़रें सीधा उसके पेट के नीचे की तरफ गयी, जहाँ उसका मोटा सिपाही लाला की धोती में पूरा तनकर ऐसे खड़ा था जैसे लाला ने अंदर कोई खरगोश छुपा रखा हो.
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