RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
गोरी हड़बड़ाते हुए बोली : "ये ...ये क्या बकवास है लाला....मैं...मैं भला क्यों ...अपनी मु....तुम्हे मतलब क्या है....मैं ऐसा कुछ नही कर रही थी....''
लाला : "देख गोरी...लाला ना तो कभी झूठ बोलता है और ना ही सुनता है....मुझे पता है की तू पानी में बैठकर अपनी छाती के निप्पल मसल रही थी और अपने दूसरे हाथ से अपनी मुनिया को भी रगड़ रही थी...''
इस बार गोरी कुछ ना बोल पाई...
क्योंकि वो ठीक वैसा ही कर रही थी जैसा लाला ने कहा था...
और इसलिए उसके मुँह से इस बार कुछ निकल ही नही पाया...
एक तो वो रंगे हाथो मुट्ठ मारते हुए पकड़ी गयी थी, उपर से वो नंगी और सबसे बड़ी बात लाला उस बात को इतनी बेशर्मी से उसके सामने बोलकर उसे शर्मिंदा भी कर रहा था...
पर लाला को ये सब पता कैसे चला...
क्या लाला अंतर्यामी है, कोई जादूगर है यार फिर उसे कोई शक्ति प्राप्त है जिससे दरवाजे के पीछे का सब दिख जाता है...
वो ये सोच रही थी और लाला ने उसकी चुप्पी को रज़ामंदी समझकर अपना हाथ उस पानी में उतार दिया और सीधा जाकर उसके दाँये मुम्मे को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया...
''आआआआआआअहह लाला......छोड़ो.....ये क्या कर रहे हो लाला.....''
अपनी ही सोच में डूबी गोरी को ये एहसास भी नही रहा की लाला से बात करते हुए कब उसके हाथ अपनी छाती से हटकर पीछे हो गये और पारदर्शी पानी में लाला को उसके उरोजों को इतनी पास से देखने का अवसर मिल गया जिसे उसने अपने हाथ से जाने नही दिया और अपना लंबा हाथ पानी में डालकर उन खरबूजों को दबोच लिया...
लाला ने उस कसमसाती हुई गोरी को मुम्मों से खींचकर पानी में खड़ा कर दिया...
और ऐसा करने के लिए उसने उसके निप्पलों का सहारा लिया,
लाला ने दोनो हाथ से उसके खड़े हुए निप्पलों को पकड़ कर उमेठा और उन्हे हुक की तरह उपर खींचना शुरू कर दिया...
''ओह लाला...... ये क्या कर रहे हो....अहह ...दर्द हो रहा है मुझे.....उफफफफफफफफफ्फ़''
पर लाला को उसके दर्द में भी मज़ा मिल रहा था....
और वहीं दूसरी तरफ गोरी भी अब उसे एंजाय कर रही थी,
भले ही वो उसे लाला की ज़बरदस्ती मानकर उसका विरोध कर रही थी, पर लाला की इच्छा अनुसार वो करती भी जा रही थी जो लाला चाह रहा था...
कुछ ही देर में पानी की बूंदे टपकाती गोरी उसके सामने नंगी खड़ी थी...
उसकी चूत को छोड़कर उसका पूरा शरीर लाला की भूखी आँखो के सामने था...
गोरी ने अपने मुम्मों को अपने हाथ से ढकना चाहा पर लाला ने उसका हाथ झटक दिया और उसके मुम्मे पर सज़ा के तौर पर एक करारा चांटा मारा....
उसने फिर से ढकना चाहा, लाला ने फिर से झटक दिया और फिर से उसके गोर मुम्मे पर चांटा मारा, गोरी को लाला के चांटे ऐसे लग रहे थे जैसे लाला उसके मुम्मो के साथ बॉक्सिंग खेल रहा है
उसने फिर हाथ उपर किए तो लाला गुर्राया : "साली...समझ नही आता क्या....सीधी खड़ी रह...हाथ नीचे करके...वरना....''
उसने बात बीच में ही छोड़ दी...
वो भी जानता था की चाहती तो वो भी यही है पर अंदर से डर रही है...
इसलिए उसे दूसरे तरीके से काबू में करना ही सही है...
एक बार खुल गयी तो वो गुर्राएगी और लाला चुपचाप उसकी हर बात मानेगा...
पर अभी के लिए तो उसे गोरी को पटरी पर लाना था.
गोरी अपने हाथ नीचे करके खड़ी हो गयी, आँखे भी उसकी नीचे ही थी, ऊपर से नंगी होकर खड़ी गोरी का भरंवा शरीर लाला के लंड को पूरा खड़ा कर चूका था.
लाला ने उसे उपर से नीचे तक देखा और अपने हाथ उसके मुम्मो पर रखकर उन्हे मसलने लगा...
उफफफफ्फ़ इतने मुलायम मुम्मे , और उनपर कड़क-2 निप्पल....
क्या कमाल का पीस थी ये गोरी...
साली इतने सालो तक छिपी रही, अब इसकी खैर नही है...
ये सोचते हुए लाला ने अपना मुँह आगे किया और उसके दाँये मुम्मे पर लगा कर उसका दूध पीने लगा...
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स अहह....... मत कर लाला.......''
गोरी को भी लाला की ये ज़बरदस्ती अच्छी लग रही थी...
अंदर ही अंदर वो उसे उत्तेजित भी कर रही थी.
लाला ने गुस्से से भरे चेहरा उठाकर उपर देखा तो वो एक बार फिर से सहमने का नाटक करके चुप हो गयी...
लाला ने अपना सिर फिर से नीचे किया और उसकी मदर डेरी पर मुँह लगाकर फिर से फुल क्रीम दूध पीने लगा.
गोरी की मुट्ठियां भींच गयी, उसके होंठ दांतो तले दब गये क्योंकि वो अपने आप पर काबू नही कर पा रही थी,
मन तो उसका कर रहा था की वो लाला के सिर को पकड़कर जितनी ज़ोर अपनी छाती में दबाये की साला उन्हें चूसता हुआ ही मर जाए पर अभी तक एक अच्छी औरत बने रहने का नाटक करने की वजह से वो ऐसा नही कर सकती थी...
पर लाला के अनुभवी होंठो ने उसकी कसमसाहट को सिसकारियों में बदलने पर ज़रूर मजबूर कर दिया...
वो बुदबुदाने लगी : ''अहह....मत कर लाला.....उफफफफफफफफफफफ्फ़......ना कर रे.....मैं मर जाउंगी ......किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहूंगी लाला.....छोड़ दे मुझे....अहह.......छोड़ दे ना लाला......''
वो ऐसा बोल भी रही थी और लाला के घुंघराले बालों पर उँगलियाँ फेरती हुई उन्हें सहला भी रही थी.
और अचानक लाला ने पलटी मारी और उसे छोड़कर पीछे हो गया...
और गोरी बेचारी भोचक्की सी होकर उसे फटी आँखो से देखने लगी.
लाला : "ले फिर....छोड़ दिया....अब खुश है ना....नही करता कुछ तेरे साथ.... तुझे अगर अपनी इज़्ज़त की और गाँव वालो की इतनी ही फिकर है तो जा कपड़े पहन ले..मैं कुछ नही करूँगा तेरे साथ....वैसे भी लाला किसी के साथ ज़बरदस्ती नही करता...''
लाला ने अपना पासा फेंक दिया और गोरी बेचारी उसकी ये सब बाते सुनकर अपने आप को कोसने लगी की उसे ही अपनी ज़ुबान बंद रखनी चाहिए थी,
इतना मज़ा मिल रहा था लाला से,
कुछ देर में वो उसे चोद भी देता, भला किसे पता चलता ये सब....
उसकी बड़बड़ ने सब गड़बड़ कर दिया.
लाला सामने पड़ी खटिया पर जाकर बैठ गया और बोला : "जा अब...पहन ले अपने कपड़े....बोल तो रहा हूँ की अब नही हाथ लगाऊंगा तुझे...''
बेचारी को इतनी बात भी समझ नही आ रही थी की लाला उसके साथ क्या गेम खेल रहा है....
लाला को उसे छोड़ना ही होता तो अब तक वहां से खुद भी चला गया होता...
पर वो तो ढीठ की तरह वहीं बैठा था..
और उसे पानी से बाहर आकर कपड़े पहनने के लिए कह रहा था.
खैर, उसकी बातो के दबाव में आकर गोरी ने अपनी गोरी-2 टांगे उपर उठाई और घोड़ी की तरह उछलकर होदी से बाहर आ गयी...
शायद यही सोचकर की लाला ने जब उसे नंगा देख ही लिया है तो इस बचे खुचे नंगेपन को छुपाकर उसे भला क्या मिलेगा...
पर यही सोच उसकी ग़लत थी...
क्योंकि लाला तो क्या, दुनिया का हर मर्द औरत की नंगी चूत और गांड देखकर बावला हो जाता है...
ख़ासकर भरी हुई गांड को देखकर
गोरी जब बाहर निकली तो उसके पूरे बदन से पानी टपक रहा था,
उपर से नीचे तक पानी की बूंदे उसके नशीले बदन को चूमते हुए ज़मीन की तरफ दौड़ती चली जा रही थी...
कुछ चूत की गुफा में जाकर विलीन हो रही थी तो कुछ उसकी गांड के पर्वतों में धंसकर गायब..
गोरी की चूत पर हल्के-2 बाल भी थे, जो हमेशा से लाला को पसंद थे...
किसी भी औरत की चूत चूसते हुए जब उन छोटे बालों को मुँह में भरकर खींचता था लाला तो सामने पड़ी औरत तड़प उठती थी..
लाला के यही तरीके उसे गाँव के मर्दों से अलग रखते थे...
वरना अपनी बीबी की बालो वाली चूत को चाटने के नाम से ही सबको उबकाई आ जाती थी...
लाला अपने लंड को मसलता हुआ उसकी चूत को निहार रहा था और सोच रहा था की इसे भी चूसने में काफ़ी मज़ा आने वाला है...
गोरी ने आख़िरी बार उम्मीद भरी नज़रों से लाला को देखा की शायद अब उसे पूरा नंगा देखकर उसका मन बदल जाए और वो एक बार फिर से उसके नशीले बदन को चूमना शुरू कर दे ..
पर ऐसा कुछ नही हुआ...
लाला अपने हाथ से अपने लंड के उपर रगड़ाई करता हुआ बड़े शांत तरीके से वहीं बैठा रहा...
एकदम मोटी चमड़ी का आदमी था लाला, ऐसी रसीली औरत के नंगे शरीर को देखकर भी वो डगमगा नही रहा था...
और डगमगाता भी कैसे...
वो एक मदारी था ना की कोई बंदर जो उसके इशारो पर नाचता,
वो तो नचाने वालो में से था
और अपनी चाल से इस वक़्त वो यही काम कर रहा था..
गोरी को जब लगा की लाला कुछ नही करेगा तो वो अनमने मन से आगे आई और लाला की बगल में पड़े अपने कपड़े उठा कर पहनने लगी...
वो जान बूझकर लाला के बहुत करीब आकर वहीं खड़ी रही और अपनी साड़ी का सिरा खोजती रही ....
वो इतना पास खड़ी थी की लाला की गर्म साँसे उसके बदन से टकरा रही थी, जिसे महसूस करके उसके निप्पल के चारों तरफ के हिस्से पर छोटे-2 दाने उभर आए, जो इस बात का इशारा था की वो अब पूरी तरह से उत्तेजित है...
अब उससे रहा नही जा रहा था...
उपर से लाला ने कुछ ऐसा करा की उसकी रही सही झिझक भी चली गयी...
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