RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
लाला को भी जब लगा की अब उससे भी ज़्यादा सब्र नही होगा तो उसने अपने पिटारे का साँप बाहर निकाल कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया....
लाला का रामलाल जैसे ही बाहर आया उसने नंगी गोरी के नशीले बदन को देखकर फुफ्कारना शुरू कर दिया...
''हे भगवान .......ये.....ये क्या है......''
बेचारी अपनी लाइफ का पहला एनाकोंडा देखकर भौचक्की रह गयी गोरी..
भला इतना मोटा लंड भी किसी का होता है क्या ।
लाला अभी भी मस्ती के मूड में था, वो बोला : "तुझे क्या मतलब...तुझे तो अपनी इज़्ज़त की चिंता है ना....तुझे लगता है की मैं बाहर जाकर किसी को बोल दूँगा जिससे तू बदनाम हो जाएगी....जब तुझे मुझपर विश्वास ही नही है तो इसे देखकर भला तुझे क्या मिलेगा...''
इतना कहकर उसने रामलाल को फिर से ढक दिया...
उसके ऐसा करते ही गोरी के साथ-2 रामलाल ने भी लाला को माँ बहन की 2-4 गालियां दे डाली, इतना सैक्सी बदन रामलाल को भी तो मज़ा आ रहा था, लाला ने सब ओझल कर दिया उनकी आँखो से...
पर रामलाल ये नही जानता था की लाला ये सब उसे दुगने मज़े देने के लिए ही कर रहा है...
लाला के ऐसा करते ही गोरी की आवाज़ में नर्मी आ गयी..
वो नंगी ही लाला के घुटनो के सामने अपने पंजो के बल बैठ गयी और अपने हाथ उसकी जाँघो पर रखते हुए बोली : "लाला...तू ग़लत समझ रहा है....मेरा वो मतलब नही था...मैं एक विधवा हूँ , और किसी को भी अगर इस संबंध के बारे में पता चल गया तो मेरा इस गाँव में रहना मुश्किल हो जाएगा...इसलिए मैं तुझे रोक रही थी...''
लाला का रामलाल उसके चेहरे से सिर्फ़ 5 इंच की दूरी पर था....
और इस वक़्त तो उसे सच में ऐसा लग रहा था जैसे लाला ने धोती ने नीचे नाग बिठा रखा है, जो उसके चेहरे के सामने हिल डुल कर उसकी प्यास को और भी ज़्यादा बड़ा रहा है..
लाला ने उसके नंगे कंधो को दोनो तरफ से पकड़ा और बोला : "अरी गोरी, तू लाला को पागल समझती है क्या, जो मैं ये सब किसी और को बोलूँगा, और यहाँ दूर -2 तक और कोई भी नही है...फिर भला किसी को इस बात का पता कैसे चलेगा....बोल....''
लाला के गर्म हाथो से उसके बदन का पानी भाप बनकर उड़ रहा था....
इतनी गर्मी बढ़ चुकी थी दोनो के अंदर...
गोरी की आँखो में वासना उतर आई, वो बड़े ही रसीले स्वर में बोली : "पक्का ना लाला, ये बात हम दोनो के बीच ही रहेगी ना...''
लाला : "अरी, एकदम पक्का मेरी छम्मकछल्लो , तुझे यकीन ना हो तो ये ले, मुझे मेरे रामलाल की कसम....''
इतना कहते हुए लाला ने फिर से धोती हटाई और रामलाल को पकड़ कर उसकी कसम खा डाली...
पहले थोड़ी दूर थी, पर इस बार तो ठीक उसके सामने बैठी थी गोरी...
एकदम कड़क लंड था लाला का, काले रंग का, मोटाई जैसे उसके खेतो में उगने वाला मोटा भुट्टा ..
और उसपर चमक रही नसों की अकड़ देखकर तो उसकी लार ही टपक गयी, जो सीधा लाला की जाँघ पर जा गिरी...
लाला : "पर अब भी तुझे मुझपर बिस्वास नहीं है तो रहने दे फिर ....''
इतना कहते हुए जैसे ही लाला ने उसे फिर से ढकना चाहा तो वो गुर्राई : "रहने दे लाला...''
लाला ने फिर से ढकना चाहा, उसने फिर से वो कपड़ा पीछे कर दिया...
लाला ने फिर से ढका तो इस बार उत्तेनना में बिफरते हुए वो चिल्ला ही पड़ी : "सुना नही क्या तूने लाला....मैं बोल रही हूँ न की रहने दे....मुझे ये लेना है...अपनी चूत में लेना है इस मोटे लंड को....''
इतना कहते हुए उसने लाला की धोती खींचकर एक कोने में उछाल डाली...
लाला भी अपनी इस जीत पर खुश था, ऐसी रंडियो को उनकी औकात दिखाना लाला को अच्छे से आता था.
और फिर उत्तेजना से फुफकारती हुई गोरी ने लाला के लंड को अपनी गर्म जीभ से चाट लिया...
नीचे से उपर तक उसने गर्म जीभ से नहला कर उसे अपनी लार से भिगो डाला...
''आआआआआआआआआआआआअहह.....ओह हरामजादी ....... चूस इसे कुतिया .......''
और लाला ने उसकी गुद्दी पकड़ कर अपने लंड पर दबा डाला...
और उस बेचारी के मुँह में वो रामलाल ऐसे घुसता चला गया जैसे कच्ची चूत में लंड घुसता है....
मुँह तो मुँह, लाला ने लंड का सिरा उसके गले के अंदर तक उतार दिया....
और उसके मुँह को बुरी तरह से चोदने लगा..
उसके मुँह से लार ही इतनी निकल रही थी की लाला के हर झटके से उसकी कुछ बूंदे छलक कर बाहर आ जाती..
लाला ने अपने उपर के कपड़े भी निकाल फेंके....
अब उस तपती दोपहरी में लाला उस खेत के अंदर बने छोटे से कमरे में उसी खेत की मालकिन यानी गोरी के चेहरे को चोदने में लगा था..
वो लाला का गन्ना चूस रही थी और लाला का हाथ उसके पीछे जाकर उसकी गुजिया जैसी चूत और रबड़ के छल्ले जैसे छेद को मसल रहा था, जिनमें से अंदर का रस बहकर नीचे की ज़मीन पर गिर रहा था..
गोरी ने कुछ देर तक वो लंड चूसा और फिर गिड़गिड़ाती हुई सी आवाज़ में बोली : "लाला....अब और ना तरसाओ..... जल्दी से डाल दे इसे....बरसो हो गये लंड अंदर लिए हुए.....डाल दे ना जल्दी से....''
वैसे तो लाला का मन था उसकी बालों वाली चूत को चूस ले, पर उसके लंड का भी बुरा हाल हो चुका था गोरी के गर्म मुँह में जाने के बाद...
अब तो उसे भी जल्द से जल्द छेद चाहिए था ताकि वो अपनी गर्मी उसके अंदर निकाल सके.
इसलिए लाला ने उसे खटिया पर लेटने के लिए कहा ताकि वो उसकी चूत को ड्रिल मशीन की तरह भेद सके....
वो भी जानती थी की उसकी बुरी तरह से रगदाई होने वाली है, इसलिए उसने कोने में पड़ा एक गद्दा उस खटिया पर डाल दिया ताकि लाला के झटको से उसकी कमर ना छिल जाए...
और लाला की आँखो में देखते हुए वो उस गद्दे पर अपनी टांगे फेला कर लेट गयी...
लाला ने उस सैक्स से भरी औरत के नंगे शरीर को जल बिन मछली की तरह तड़पते देखा और उसकी दोनो टांगे फेला कर अपना लंड उसकी कुलबुलाती चूत पर टीका दिया...
वो मिमियाते हुए बोली : "डाल दे लाला....अब किस बात का इंतजार है....फाड़ दे मेरी चूत को....बुझा दे इसके अंदर लगी बरसों पुरानी आग.......चोद लाला...चोद दे मुझे...''
और उसके इतना कहने के बाद तो लाला का लंड शोले उगलने लगा और वो कड़क होकर पत्थर जैसा हो गया....
जिसे लाला ने धीरे-2 करके उसकी चूत में ऐसे उतारना शुरू कर दिया जैसे कुंवे में बाल्टी डालते है....
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....उम्म्म्मममममममममममम...... अहह लाला..... क्या मजेदार एहसास है ये.....अहह... मैं तो भूल ही चुकी थी की चुदाई करवाने में कितना मज़ा आता है......
उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ ज़ोर से चोद अब मुझे लाला....... ज़ोर से कर...मुझे तेज करवाने में ही मज़ा मिलता है...''
लाला भी गोरी के इस रूप को देखकर हैरान था...
साली आज से पहले तक तो भोली बनकर रहती थी,
लंड अंदर जाते ही उसके अंदर की घस्ती बाहर निकल आई है....
ऐसी ही रंडियो को चोदने में लाला को ज़्यादा मज़ा मिलता था.
बस , फिर तो उसने उसकी रेल बना डाली....
गोरी के दोनो पैर हवा में थे, उसकी गांद भी कभी नीचे लगती तो कभी उपर हवा में उछलती....
हर झटके से उसकी चूत के होंठ भी अंदर तक जाते और रगड़ खाते हुए बाहर तक वापिस आते....
गोरी के मुँह से तो शब्द निकलने ही बंद हो चुके थे....
वो तो बस आह उहह करती हुई उन झटको का मज़ा ले रही थी जो उसे उसके ऑर्गॅज़म के और करीब ले जा रहे थे..
और फिर वही हुआ, जिसका उसे डर था....
बरसो से अंदर छुपा कर रखा हुआ ऑर्गॅज़म किसी पहाड़ी बादल की तरह फटा उसकी चूत में,
धमाका भी हुआ और पानी भी बरसा,
आवाज़ भी हुई और कीचड़ भी मचा...
''आआआआआआआआआआआआआअहह लाला.................. उम्म्म्मममममम.....मैं आई लाला...... मैं तो गयी रे.....अहह''
गोरी तो किसी जंगली बिल्ली की तरह अपने पैर और हाथ फेला कर लाला के विशाल शरीर से लिपट गयी....
और जितना अंदर हो सकता था उसके लंड को ले लिया.....
अंदरूनी गर्मी और गोरी के गर्म जिस्म को महसूस करके लाला के लंड ने भी जवाब दे दिया और रामलाल के मुँह से भी ताबड़तोड़ सफेद रंग की गोलियां निकलकर उसके गर्भ में जाने लगी...उसी गर्भ में , जिसमें से उसकी लोंडिया निशि निकली थी.
और बाकी का रस लाला ने उसकी जांघो पर निकाल दिया
लाला ने माँ तो चोद ही डाली थी, और अब अगला नंबर उसकी बेटी निशि का है, जो पहले से ही उसके लंड को लेने के लिए तैयार बैठी है ...
लाला भी अपने हरामीपन पर हंस दिया और अचानक उसके मुँह से निकल भी गया...
''ओह्ह गोरी.....तूने तो सच में लाला को खुश कर दिया....तुम दोनो माँ बेटियां सही में कड़क माल हो....''
और अपनी ही मस्ती में खोए लाला को जब ये एहसास हुआ की उसके मुँह से क्या निकल गया है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी....
एक तरफ अपने ओर्गेस्म से जूझती गोरी गहरी साँसे ले रही थी और उपर से लाला की इस बात ने उसकी आँखो के सामने अंधेरा सा कर दिया था....
|