Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:28 PM,
#88
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
लाला का हरामीपन तो पूरे गाँव में मशहूर था,
क्या बच्ची और क्या जवान, सभी उसकी दीवानी थी...
इसलिए लाला के मुँह से अपनी फूल जैसी बेटी की तारीफ सुनते ही गोरी समझ गयी की लाला की गिद्ध जैसी नज़र निशि पर पड़ चुकी है....

गोरी : "ये क्या कह रहे हो लाला.....वो...वो तो बच्ची है अभी...''

लाला तब तक संभल चुका था, वो बात घुमाते हुए बोला : "अर्रे, मैं तो बस इसलिए कह रहा था की तू भी शायद ऐसी ही रही होगी अपनी कच्ची उमरिया में ...जैसी अब निशि है....वो भी तेरी फोटो कॉपी ही लगती है....''

गोरी ने सिर झुका लिया....
वो भी जानती थी की जवान होती लड़की और मुट्ठी में दबी रेत को जितना भी रोको, वो उतनी ही फिसलती चली जाती है....
अपनी बेटी को ही उसे संभाल कर रखना होगा वरना ये लाला जैसे भेड़िए तो उसकी ताक लगाए ना जाने कब से बैठे है...

यहाँ वो खुद चुदने के बाद अपनी बेटी को लाला से बचाने की चिंता में डूबी थी और दूसरी तरफ उसके घर से जाने के बाद उसी बेटी को उसके लाडले बेटे ने जिस अंदाज से पेला था वो अगर उसे पता चल जाता तो शायद वो जीते जी मर ही जाती...
और शायद यही सोचती की इससे अच्छा तो लाला ही चोद लेता.

अपनी माँ को खेतो में अकेला भेजने के तुरंत बाद ही नंदू ने दरवाजा बंद किया और लगभग भागता हुआ सा उपर वाले कमरे के सामने पहुँच गया...
आज तो निशि भी दरवाजा खोल कर ही सोई थी, और दरवाजा तो दरवाजा, वो कपड़े उतार कर सो रही थी...

नंदू जब दरवाजे को धकेल कर अंदर गया तो बिस्तरे पर उसे नंगा सोते देखकर उसका बुरा हाल हो गया...
आज तक उसने अपनी लाइफ में ऐसा सीन नही देखा था...



निशि पूरी दुनिया से बेख़बर होकर, अपनी अल्हड़ जवानी को बिस्तर पर बिखेरे , गहरी नींद में सो रही थी...
उसके उठते गिरते सीने पर लगे नन्हे निप्पल भी सुबह की सैर का आनद लेते हुए उपर नीचे हो रहे थे...
नंदू के लंड ने तुरंत बग़ावत कर दी और उसके नाम का पप्रीकम उसने अपने कच्छे में उगल दिया...

नंदू ने भी अपने लंड को मसलते हुए अपना पायजामा और कच्छा निकाल फेंका, उपर सिर्फ़ एक बनियान थी जिसे उतारने में उसे ज़्यादा परेशानी नहीं हुई...
अब वो भी अपनी बहन की तरह नंगा था उस कमरे में ...
दो जवान जिस्मो के नंगेपन की वजह से कमरे का तापमान भी बढ़ने लगा और उस गर्मी को महसूस करके निशि भी कुन्मूनाते हुए घूम कर साइड वाले पोज़ में लेट गयी



और इस पोज़ ने तो नंदू की रही सही उत्तेजना को भी आसमान तक पहुँचा दिया क्योंकि अब उसके सामने अपनी बहन की कातिल गांड थी,
जिसने उसके साथ - 2 पूरे गाँव को भी अपना दीवाना बना रखा था...... 

वो सिसकारियां मारता हुआ अपने लंड को रगड़ते हुए उसके करीब आया और उसकी निकली हुई गांड से अपना लंड चिपका कर स्पून वाली पोज़िशन में उससे लिपट कर लेट गया...



वैसे एक बात कहना चाहूंगा दोस्तो...
जिसकी गांड भरी हुई होती है, उसके पीछे इस तरह से लेटकर उसे अपने लंड से दबाने में जो मज़ा मिलता है उसका कोई मुकाबला नही है...
और यही मज़ा इस वक़्त नंदू को मिल रहा था.

पर वो कहते है न की ये दिल माँगे मोर,
वही नंदू का दिल भी कह रहा था इस वक़्त...

उसकी कठोर गांड पर अपना लंड रगड़ने के बाद अब वो उसे अंदर की गहराइयों में भी उतार देना चाहता था...
इसलिए उसने लंड को पकड़ कर उसकी दरारों में धकेलना चाहा पर पीछे लेटे होने की वजह से पहले तो उसका लंड उसकी गांड के छेद से टकराया और वहां धक्का मुक्की करने के बाद वो उसे जब नीचे खिसकाने लगा तो एंगल सही नही बैठा और एंगल सही बैठा तो वो लंड उसकी चूत पर जाकर सिर्फ़ अटक सा गया..

नंदू बेचारा ये सोच ही रहा था की अब कैसे प्रोग्राम आगे बढ़ाया जाए की निशि की सैक्सी आवाज़ ने उसे चौंकने पर मजबूर कर दिया...

''उम्म्म्म....भैय्या .....आप भी एकदम बुद्धू हो....मुझे तो लगा था की जब मैं जागूगीं तो आपका ये लंड मेरे अंदर होगा...पर आप तो अभी तक ऐसे मुशक्कत कर रहे हो जैसे मेरी चूत पर अभी तक सील लगी है, और आपका ये अंदर घुस ही नही रहा ...''

नंदू खिसियानी हँसी हंसते हुए बोला : "हे हे....वो मैं ...मैं ..कोशिश तो कर ही रहा था...पर शायद तू पूरी तरह से गीली नही है...इसलिए शायद....''

निशि : "तो गीली कर दो ना भैय्या ...''

नंदू ने अपने हाथ पर थूक मलकर उसकी चूत पर लगाई और उसकी जांघ को खींचकर पीछे किया ताकि उसकी चूत में अपना लंड डाल सके,निशि ने लगाकर उसके लंड को अंदर धकेलना चाहा पर वो फिर से फिसल गया




उसने जब अपनी आँखे तरेर कर बड़े ही सैक्सी अंदाज से कहा : "भैय्या , लगता है मेरी मुनिया को अंदर से गीला करना पड़ेगा ''

इस बार वो उसका इशारा समझ गया की उसकी छोटी बहन क्या चाहती है ...
वो उसकी बात मानकर मुस्कुराता हुआ नीचे की तरफ खिसकने लगा....
निशि ने भी अपनी टांगे फेला कर अपने भाई को अपनी जाँघो के बीच दबोच लिया और उसकी गर्दन पर अपनी टाँगो को किसी अजगर की तरह लपेटने के बाद वो हीसहिसाते हुए बोली : "पूरा गीला करना भैय्या ...ताकि एक ही बार में मेरी चूत में ...आपका...लंड ...घुस जाए....''

वो सब बोलते हुए ही वो इतनी उत्तेजित हो रही थी की उसका पूरा शरीर काँप सा रहा था.

दोनो ने एक दूसरी की आँखो में देखा और नंदू की जीभ निकलकर उसकी चूत की गहराइयों में उतरने लगी...
एक गर्म सा एहसास उसे अंदर तक झुरजुरा सा गया...



चूत की तेज गंध उसे अपने नथुनों में घुसती हुई सी प्रतीत हो रही थी,
निशि की कमर तिरछी होकर हवा में तेर गयी, सिर्फ़ उसका सिर और भारी भरकम गांड ही बिस्तर पर लगी थी...
नंदू ने हाथ उपर करके उसके उबाल खा रहे शरीर को नीचे बिठाने का भरस्कर प्रयास किया पर वो कमीनी मानी ही नही, अपने शरीर की गर्मी को महसूस करती हुई वो सिसकारियां मारती हुई नंदू के सिर पर हाथ रखकर उसे अपनी चूत में धकेल रही थी...
और नंदू भी अब जीभ के साथ साथ उसके चूत के होंठो को भी बुरी तरह से चुभलाता हुआ उसकी चूत को बुरी तरह से स्मूच कर रहा था....
उसे चूस रहा था...
अंदर और बाहर से जितना हो सकता था उतना गीला कर रहा था..



''आआआआआआआआआआआआआआआआहह भाय्य्य्आआआआआआ...... उम्म्म्मममममममममम...... ये सबसे बाड़िया है...... ये तो रोज करना..... जब भी मैं उठु तो रोज मुझे ऐसे ही उठाना .उम्म्म्मममममममममममम..''

साली ने पहले ही लाला की दुकान का भट्टा बिठा रखा था, अपने भाई से ऐसी फरमाइश करके वो उसके खेतो की भी लुटिया डुबाने के चक्कर में थी...

पर ऐसे मौके पर मना भी नही किया जा सकता था...
वो हरामी नंदू भी उसकी हाँ में हाँ मिलाता हुआ सिसकारा : "हाआआआआआन्णन्न् मेरी जान .....रोज ऐसे ही उठाऊंगा तुझे.......और फिर अपने लंड से चोदकर तुझे स्कूल भेजूँगा मेरी रानी....''

अपने भाई के मुँह से 'मेरी जान' और 'रानी' शब्द सुनकर वो शरमा सी गयी....
हर लड़की चाहती है की उसे इन प्यार भरे शब्दो से बुलाने वाला कोई हो, जिसपर वो अपना सारा प्यार लूटा सके...
और निशि को अपने भाई के रूप में वो प्यार करने वाला मिल चुका था...
इसलिए वो अब दुगने जोश के साथ नंदू पर अपना प्यार लूटा देना चाहती थी....
अपना तन और मन उसने अपने भाई के नाम कर दिया था...
एक अजीब सी फीलिंग उसके मस्तिष्क में आई और उसी भाव में बहकर उसने नंदू को उपर खींचते हुए अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया और बिफरी हुई सी आवाज़ में चिल्ला ही पड़ी वो

''आआआआअहह भाय्या.....आई लव यू ....... बहुत प्यार करती हूँ मैं आपसे...... मेरा सब कुछ आपका है भैय्या .....आई लव यू .....आई लव योऊऊउउ भैय्या ...''



और नंदू ने भी उसकी चूत से निकला देसी घी उसके होंठो पर मसलना शुरू कर दिया....
एक चिपचिपी और कभी ना ख़त्म होने वाली स्मूच में दोनो काफ़ी देर तक डूबे रहे...
और अंत में साँस लेने के लिए उन्हे वो किस्स तोड़नी ही पड़ी वरना वही एक दूसरे की बाँहों में नंगे मरे पड़े होते दोनो....

अपनी सांसो पर काबू पाने के बाद नंदू ने उसकी नशीली आँखो में देखा और पूछा : "अब तो ठीक है ना मेरी जान....अब तो गीली हो गयी है ना चूत ....''

जवाब में निशि ने नंदू के लंड को अपनी चूत पर रखा और बोली : "हाँ भैय्या ....अब तो साली इतनी गीली हो गयी है की लंड के साथ-2 आप भी पूरे अंदर घुस सकते हो....''

नंदू : "उसके लिए तो तेरी चूत को इतना चौड़ा करना पड़ेगा की मैं अंदर आ सकूँ ....''

निशि : "रोज मेरी चूत मरोगे तो जल्दी ही इतनी चौड़ी हो ही जाएगी.....''

अपने भाई से इस तरह की गंदी बाते करते हुए उसके शरीर में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी....
और अपनी बात ख़त्म करते ही उसने नंदू को खींच कर अपने अंदर समेट लिया.... 

नंदू का लंड भी सरसराता हुआ सा उसकी चिकनी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर घुसता चला गया और एक जोरदार ठोकर के साथ वो अंदर की दीवार से जा टकराया....



आज उसकी चूत में कल के मुक़ाबले ज़्यादा अंदर तक घुस चुका था वो लंड और इस नयी कसमसाहट को महसूस करते हुए वो ज़ोर-2 से चिल्लाती हुई अपनी चूत मरवा रही थी

''आआआआआआआआहह भैय्याययययाआआआआआआअ..... चोदो मुझे..... ज़ोर से चोदो अपने इस मोटे लंड से..... अहह....उम्म्म्मममममममममम.... मररर्र्र्र्र्र्र्ररर गयी....... क्या मज़ा देता है ये लंड .....कसम से...... पहले पता होता तो कई सालो से चुदवा रही होती इस मजेदार लोड़े से......''

अपनी बहन की बाते सुनकर उसने भी उसकी टांगे फैलाई और उसपर बुरी तरह से टूट पड़ा...
उसके नन्हे निप्पल्स को मसलता हुआ, उन्हे चूसता हुआ, वो उसकी चूत में अपने लंड को ड्रिल मशीन की तरह भेदने में लगा हुआ था...



और कुछ ही देर में वो ज़ोर से चिल्लाता हुआ बोला : "आआआआआआआअहह निशि ..... मेरी ज़ाआाआआआनन्न..... मैं आया......''

वो कुछ नही बोली बस अपने भाई को अपनी बाहों में लेकर उसे अपने उपर पूरा लिटा लिया.....
नंदू के लंड की पिचकारियां उसे अंदर तक भिगो गयी और साथ ही उसका खुद का रस भी ऑर्गॅज़म के साथ निकलकर उसमें मिलता चला गया....कुछ ही देर में नंदू का लंड बाहर आ गया और पीछे -२ ढेर सारा रस भी



आज जैसी तृप्ति उन दोनो को आज तक किसी भी चीज़ में नही मिली थी ....
अब उन्हे सैक्स से मिलने वाले मज़े का असली ज्ञान हो रहा था जिसे वो बाकी के दिनों में पूरी तरह से एंजाय करना चाहते थे.

नंदू गहरी साँसे लेता हुआ निशि पर पड़ा हुआ था और अचानक निशि ने कुछ ऐसा कहा की नंदू चोंक गया

''भैय्या ....आप माँ के साथ भी ऐसा करना चाहते हो ना...उन्हे भी आप...आप चोदना चाहते हो ना...??''

उसकी बात सुनकर नंदू को समझ नही आया की वो क्या कहे...
बस उसके ऊपर से उतारकर वो साइड में हो गया....
जिस राज को उसने आज तक किसी को नही बताया था वो उसकी बहन को कैसे पता चल गया...
अब शायद उसके रिश्तो के मायने एक बार फिर से बदलने वाले थे.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:28 PM

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