Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:29 PM,
#97
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
उसने काँपते हाथो से अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके हाथ पर रखकर उसे सहलाया....और बोली : "देखने दे मुझे ज़रा....क्या हुआ है...''

नंदू दर्द से बिलबिलाता हुआ बोला : "नही .......माँआआआआआ....आप जाओ यहाँ से...मैं देख लूँगा....''

गोरी : "चुप कर .....तेरी माँ हूँ मैं ....हज़ारो बार तुझे नंगा देख चुकी हूँ ...बड़ा हो गया है तो क्या अब ऐसे शरमाएगा....और कोई ज़हरीला कीड़ा हुआ तो परेशानी बढ़ भी तो सकती है...चल हट...देखने दे मुझे...''

नंदू को थोड़ा बहुत नाटक तो करना ही था, सो वो कर चुका था...
इसलिए अपना हाथ हटा कर उसने अपने आप को माँ के हवाले कर दिया..

गोरी ने उसकी धोती का कपड़ा साइड में किया और अंदर पहने अंडरवीयर को थोड़ा नीचे खिसका दिया...
और अगले ही पल एक मोटा साँप अंदर से निकल कर उसकी आँखो के सामने लहराने लगा...
वो तो जोर से चिल्लाने ही वाली थी की तभी उसे एहसास हुआ की वो साँप नही उसके बेटे का लंड है...

पर उस मोटे लंड को देखकर, जो इस वक़्त मिट्टी से सना हुआ उसकी आँखो के सामने खड़ा था, उसकी आँखे फटने को हो रही थी...
सच में वो लंड लाला के मुक़ाबले का ही था....
या ये कह लो की उससे भी बढ़कर ही होगा,
उम्र का भी तो कोई तक़ाज़ा होता है....
20 साल के लोंडे का लंड और 55 साल के आदमी के लंड में कुछ तो फ़र्क होगा ही...

पर अपनी तंद्रा को तोड़ते हुए वो अपने हाथ को उसके लंड के इर्द गिर्द लगा का उसे टटोलने लगी की कोई कीड़ा तो नही चिपका हुआ उसके लंड पर, या हो सकता है कीचड वाली कोई जोंक हो..
और ऐसा करते हुए उसने अपने हाथ से उसके लंड को पूरा नाप डाला...

उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या कड़कपन था उसमें.....
एकदम मोटे गन्ने जैसा कड़क था....
हाथ नीचे करके उसकी बॉल्स को पकड़ा तो उसमें भरा हुआ वीर्य उसे अपने हाथों पर पिघलता हुआ सा महसूस हुआ....
वो सब कुछ भूलकर उसके लंड को सहलाने लगी.....
उपर से नीचे तक.....

और नंदू भी उस गीली मिट्टी में लेटा हुआ अपनी माँ के मोटे मुम्मो को देखकर अपने लंड को झटके मार रहा था....
आज बरसों बाद उसके मन की इच्छा पूरी हुई थी...
आज उसका लंड माँ के हाथों में था...

अचानक उसकी माँ को एहसास हुआ की वो क्या करने बैठी थी और क्या कर रही है...

उसने अपना चेहरा उपर करके नंदू को देखा जो अब बिना किसी दर्द और परेशानी के ज़मीन पर लेटा हुआ उस स्पर्श के मज़े ले रहा था...

गोरी समझ गयी की उसके बेटे ने उसे उल्लू बनाया है...

पर जो भी था, इस बहाने उन दोनो के बीच की वो शर्म की दीवार तो गिर ही चुकी थी...

और ये एहसास मिलते ही वो मंद-2 मुस्कुराने लगी और उस कड़क लंड को अपनी छाती से लगा कर उसे उस नर्मी का एहसास दिलाते हुए बोली : "अच्छा जी....तो अपनी माँ के साथ मज़ाक किया जा रहा था....यहाँ तो कुछ भी नही है....''

नंदू भी होले से मुस्कुरा दिया...
वो अगर अब भी अपनी बात पर अड़ा रहता तो शायद माँ को आगे बड़ने में थोड़ा और वक़्त लग जाना था...
इसलिए उसने अपनी ग़लती मानते हुए वो बात कबूल ली और बोला : "मैने सोचा की एक बार फिर से बचपन वाली शरारत कर लेनी चाहिए....''

उसकी माँ ने शराबी आवाज़ में कहा : "पर अब तू बच्चा भी तो नही रहा....ये देखा है तूने....पूरे गाँव में शायद सबसे तगड़ा लंड होगा तेरा...''

नंदू ने भी मौके पर चौक्का मारते हुए कहा : "जो भी हूँ , जैसा भी हूँ माँ, बस आपके लिए हूँ ....''

उसका इतना कहना था की भावावेश में बहकर गोरी उसके उपर आकर लेट गयी और उसे बेतहाशा चूमने लगी...

''ओह मेरे लाल....मेरा बच्चा ....पुउउऊच.....उम्म्म्मम.....अपनी माँ का इतना ख़याल है तुझे.... पूचकक्चह....फिर इतने सालो तक मुझे अकेला क्यों रहने दिया....अहह....... कितने सालो की प्यास है मुझमें, पता भी है तुझे ........पहले बोलता तो ऐसे प्यासा तो ना रहना पड़ता मुझे.....पुचचह''

वो बोलती जा रही थी....
उसे बेतहाशा चूमती जा रही थी....
और उसके खड़े हुए लंड को अपनी साड़ी से ढकी चूत पर रगड़ती जा रही थी.....

उस खेत में , कीचड़ में , एक दंगल सा चल रहा था माँ बेटे के बीच.....

नंदू ने भी अपनी माँ के मोटे मुम्मो को पकड़ा और ज़ोर से दबा डाला....
मिट्टी वाले पानी के रूप में उन मुम्मो का रस नीचुड़कर नीचे गिरने लगा....
उपर चेहरा करके उसने भी अपनी माँ के रसीले होंठो का रस पीना शुरू कर दिया,
उन होंठो को निचोड़कर, उन्हे चूस्कर, वो भी अपने बचपन से लेकर अभी तक की सारी प्यास बुझा लेना चाहता था....
साथ ही साथ वो उन भरी हुई छातियों को भी जी भरकर दबा रहा था....

ये दंगल जिस जगह चल रहा था, वो उनके खेत का आख़िरी छोर था, उसके पीछे की तरफ सिर्फ़ घना जंगल था, और दूर -2 तक दूसरे खेतों में भी कोई आदमी काम नही कर रहा था, ज़्यादातर लोग दोपहर बाद ही खेतो में आते थे, इसलिए शायद उन दोनो माँ बेटियों की रासलीला देखने वाला कोई नही था...

नंदू ने उन मोटे मुम्मो को पकड़कर अपने हाथो में भरा और अगले ही पल आवेश में आकर अपनी माँ का ब्लाउज़ ही फाड़ फेंका...
मिट्टी में सने मोटे-2 मुम्मे उसकी आँखो के सामने झूल गये....
वो उन्हे चूस तो नही सकता था,
पर उन्हे अपने चेहरे और जिस्म पर रगड़कर उसने अपनी इच्छा ज़रूर पूरी कर ली.....
उन नर्म मुलायम मुम्मो की मसाज लेकर वो एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया.....

उसने हाथ नीचे करके अपनी माँ की साड़ी उपर उठाई और उसे उपर तक खिसका कर उनकी मोटी गांड पर अपने हाथ जमा दिए...

गोरी गहरी साँसे लेते हुए बोली : "आआआआआअहह......नंदू.......यहां नही....अंदर चल....टूबवेल वाले कमरे में ......यहाँ नही....''

पर नंदू पर तो कामदेव सवार थे....
उसने अपनी माँ की कच्छी को पकड़कर एक जोरदार झटका दिया और वो भी तार-2 होकर उनके जिस्म से अलग हो गयी.....
लंड ठीक नीचे था इस वक़्त, नंदू की उत्तेजना का आवेग इतना तेज था की उससे अंदर तक जाने का इंतजार नही हो रहा था, और उसने अपने लंड को ठीक जगह पर जमाकर एक जोरदार झटका देते हुए अपना आठ इंच का लोढ़ा एक ही झटके में अपनी माँ की चूत में उतार दिया.....



''आआआआआआआआआआआआआहह...... मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.................. उम्म्म्ममममममममममममममम.....''

मिट्टी से सना लंड जब रसमलाई से भरी चूत में गया तो आनंद का ऐसा विस्फोट हुआ की उसकी चीख से आस पास के पेड़ो पर बैठे परिंदे भी उड़ गये....

जिस निर्दयता से नंदू ने अपना लंड गोरी की चूत में डाला था उसने गोरी की उत्तेजना को और भी ज़्यादा बड़ा दिया था....
हर औरत की यही इच्छा होती है की उसे प्यार करने वाला उसके जिस्म को ऐसे रोंदे की हर अंग चटक उठे और उस मस्ती में भरकर जब चुदाई होती है तो वो भी चरम सीमा पर पहुँचकर ही दम लेती है...

गोरी की चूत का भी यही हाल हो रहा था इस वक़्त....
दोनो कीचड़ में सने हुए , एक दूसरे के जिस्म को बुरी तरह से रगड़ रहे थे.....
गोरी ने नंदू के हाथों को पकड़ कर अपनी छाती पर रखा और ज़ोर से दबा दिया....
और ज़ोर-2 से चिल्लाते हुए अपनी चूत मरवाने लगी...

''आआआआअहह शाबाश मेरे शेर.....शाबाश.....चोद मुझे......ज़ोर से चोद अपनी माँ को.....अहह...इतना मोटा लंड है मेरे लाल का ....कसम से.....अब तो दिन रात लूँगी इसे.....''



बेचारा नंदू भी सोचने लगा की ये भी यही कह रही है और उसकी बहन निशि ने भी यही कहा है....
उन दोनो को कैसे शांत रख पाएगा वो एक ही बार में ...

पर वो तो बाद की बात थी,
अभी के लिए तो उसे अपनी माँ की चूत का बेंड बजाना था,
जिसकी धुन पर थिरकने का उसे बचपन से शॉंक था और आज वो अपना हर शॉंक पूरा कर लेना चाहता था...

उसने अपनी माँ के जिस्म का आखिरी कपडा यानी वो पुरानी साड़ी भी उतार फेंकी और अपने भी सारे कपडे निकाल कर नंगा हो गया , और फिर अलग-२ एंगल से वो उन्हें चोदने लगा, और उन मोटे मुम्मों को अपने हाथों में लेकर जबरदस्त तरीके से मसलने लगा

''ओह माँआआआआआआ.... सच में ....तेरी इन मोटी छातियों को देखकर कितने सालो से इन्हे दबाने का और चूसने का मन था....अब तो दिन रात चोदूँगा तुम्हे.....चूसूँगा ...और रगडूंगा .....''

अपने बेटे की इस प्यार भरी बात का इतना गहरा असर हुआ उसके जिस्म पर की वो बुरी तरह से थरथराते हुए झड़ने लगी....
ऐसा कंपन हुआ उसके शरीर से जैसे बूँद-2 करके चूत का रस नही बल्कि उसकी जान निकल रही है उसके बदन से...

और अंत में थक हारकर वो अपने बेटे की चौड़ी छाती पर गिरकर जोरों से हाफने लगी....

नंदू अभी झड़ा नही था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ अपनी माँ की मोटी गांड पर रखे और अपना ट्रक दौड़ा दिया उसकी चूत के हाईवे पर.....



और जल्द ही उस हाइवे का आख़िरी सिरा आ गया जहाँ उसे अपने ट्रक की अनलोडिंग करनी ही पड़ी....

लंड में भरा सारा वीर्य उसने आख़िरी बूँद तक अपनी माँ के गर्भ में उतार दिया...
उसी गर्भ में जहाँ से वो खुद निकल कर आया था....

और उस लावे को अपने अंदर महसूस करके गोरी को भी एक नये जीवन का एहसास हुआ,
जिसे पाकर वो अपनी बाकी की बची हुई उम्र गुजारने वाली थी...

अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर
कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....
मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....

दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....

असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:29 PM

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