Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:29 PM,
#98
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर

कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....
मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.

***********
अब आगे
***********

टबवेल वाले कमरे में पहुँचकर नंदू ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया...
गोरी इस वक़्त पूरी नंगी थी, उसके बदन पर कीचड़ लगा हुआ था जिसने उसके यौवन को ढक रखा था पर अब उसे सॉफ करने का वक़्त आ चुका था...
नंदू ने पानी की एक डब्बा भरकर अपनी माँ के सिर पर डाला और सारी मिट्टी पानी के साथ बहकर नीचे आने लगी और गोरी का गोरा बदन धीरे-2 करके सामने आने लगा.



और कुछ ही देर में गोरी एक बार फिर से अपने नंगे बदन का जलवा बिखेरती हुई अपने बेटे के सामने खड़ी थी...
फ़र्क बस इतना था की इस बार नंदू छुपकर नही बल्कि अपनी माँ के सामने खड़े होकर उन्हे देख रहा था..



एक दम गोरा चिट्टा बदन था उनका...
उन्हे छूने से पहले उसने भी अपने उपर 2-4 डिब्बे डाले और अपना बदन सॉफ कर लिया...
गोरी भी अपने बेटे के काले लंड को देखकर मंत्रमुग्ध सी हो गयी...
चमकने के बाद तो वो और भी ज़्यादा लुभावना लग रहा था...
हालाँकि वो अभी सुस्ता रहा था पर उस अवस्था में भी वो देखने लायक था.

दोनो एक दूसरे के करीब आयर और पागलों की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े...
जो चुम्मियाँ वो पहले कीचड़ की वजह से नही ले पाए थे, वो उन्होने ले डाली...
जो चूसना चुभलाना वो बाहर नही कर पाए थे वो अंदर करने लगे...

नंदू ने तो अपनी माँ के रसीले होंठो को चूसने के बाद सबसे पहले उनके मोटे कलश जैसे मुम्मो को पकड़ा और उन्हे अपने मुँह में लेकर निचोड़ डाला...

''आआआआआआआआआआआआहह........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... मररर्र्र्र्र्र्ररर गयी रे........ उम्म्म्ममममममममममममम..... आज बरसों बाद तेरे इन शरारती दांतो का एहसास फिर से मिला है....अहह...बचपन में भी तू इन्हे ऐसे ही काट-काटकर चूसा करता था...''

अपने बचपन की शरारतों का बखान सुनकर नंदू और भी ज़्यादा उत्तेजित होकर अपनी माँ की छातियों को चूसने लगा...

ऐसा लग रहा था जैसे उस सूखे रेगिस्तान से वो दूध की नहर निकालकर ही रहेगा आज...




दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूसने के बाद उसने अपने आप को लंड समेत अपनी माँ के हवाले कर दिया....
गोरी तो इसी पल की प्रतीक्षा में थी की कब नंदू उसे छोड़े और कब वो उसे पकड़े...
उसे क्या उसके लॅंड को पकड़े.

और जैसे ही नंदू पीछे हटा, वो उसकी चौड़ी छाती चूमती हुई नीचे बैठ गयी और उसके लंड को अपने हाथो से पकड़ कर ऐसे खुश हुई जैसे पहली बार वो नंदू के पैदा होने के बाद उसे पकड़कर खुश हुई थी...
उस वक़्त का नंदू तो उसके दोनो हाथो में नन्हा सा लग रहा था ..
पर आज नंदू का लंड भी उसके हाथ में इतना बड़ा लग रहा था.



कुछ देर तक तो वो उस सुंदर से लंड को निहारती रही और फिर धीरे से अपनी प्यासी जीभ उसपर रखकर उसने लंड से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया...

नंदू की सिसकारियाँ उस कमरे में गूंजने लगी जब उसकी माँ ने लंड के छेद में अपनी जीभ फँसा कर वहां से हो रही लीकेज रोकने की नाकाम कोशिश की....
नंदू से अब रहा नही जा रहा था , उसने अपनी माँ के बालों को किसी रंडी की तरह पकड़ा और अपने लंड को उनके मुँह में ठूसकर जोरों से चोदने लगा...

गोरी ने भी अपनी झूल रही छातियों पर लगे नन्हे निप्पलों को उमेठकर उस लंड का स्वाद लेना शुरू कर दिया,
ऐसा मज़ा तो उसे लाला के अलावा आज तक किसी और ने नही दिया था...
अब तो उसने मान ही लिया की उसका बेटा भी लाला की टक्कर का ही है और ये बात कन्फर्म करने के लिए उसने नंदू के लंड के नीचे लटक रही बॉल्स को भी मुँह में लेकर चूसा, उनका स्वाद भी एकदम झक्कास था...



ऐसे लंड से रोजाना चुदने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत का पानी नीचे की ज़मीन को और गीला करने लगा...

अब तो उससे सब्र नही हो रहा था,
वो जल्द से जल्द उस लंड को एक बार फिर से अपनी चूत में भर लेना चाहती थी...
जैसे बरसों की प्यास वो आज ही बुझा लेना चाहती हो.

उसने तुरंत कोने में पड़ी खाट को बिछाया और उसपर चादर डाल कर लेट गयी....
नंदू को इशारा करके उसने अपनी खुली हुई टाँगो के बीच आने का निमंत्रण दिया जिसके लिए वो पहले से ही तैयार था...

उसने एक बार फिर से अपनी माँ की उस गीली और रसीली चूत पर अपने लंड का ढक्कन फँसाया और उसपर लेटता चला गया....
एक साथ 2 बार चर्र की आवाज़ें आई,
एक खटिया के चरमराने की और एक उसकी माँ के मिमियाने की...

मिमियती भी क्यो नही, इस बार लंड उपर से जो अंदर की तरफ गया था,
एक एक इंच करता हुआ,
चूत की दीवारों की रगड़ाई करता हुआ,
उसे रोंद्ता हुआ वो गुफा के उस कोने तक गया जहाँ आज तक सिर्फ़ लाला के लंड का ही झंडा लहराया था...



''ओह...........मजाआाआआअ आआआआआआआआ गय्ाआआआआआआअ रे नंदू....................उम्म्म्मममममममममममम....... क्या कड़क लंड है रे तेरा.......कसम से........ आज मुझे खुद पर फक्र हो रहा है.... ऐसे दमदार लंड का मालिक मेरा बेटा है.....अहह...और वो बेटा आज मुझे चोद भी रहा है.... उम्म्म्मममममममममममम..... शाबाश मेरे लाल......आज अपनी माँ को दिखा दे.....उसके दूध की ताक़त.....कितना दम है तेरे अंदर.......और ....बु ....बुझा दे...मेरे अंदर की सारी प्यास....जो बरसों से अधूरी सी है.....''

अपनी माँ के इन शब्दों को सुनकर नंदू पर तो जैसे कोई भूत सवार हो गया....
उसने दोनो टाँगो को फेलाकर जितना हो सकता था अपने लंड को अंदर तक धकेला और फिर बाहर खींचा....
और ऐसा उसने हर बार किया....
हर झटके से गोरी की चूत से एक सुरसुराहट निकलकर उसके पूरे शरीर में फैल जाती और उसे अपने ऑर्गॅज़म के और करीब ले जाती...

और जल्द ही एक बार फिर से उन दोनो के झड़ने का मौका करीब आ गया....
और इस बार जब वो दोनो झड़े तो उनके मुँह से अजीब भाषाओं में ऐसे शब्द निकलने शुरू हुए जिनका मतलब समझने के लिए विदेशो से विद्वानों को बुलवाना पड़ता....



''उम्म्म्मममममम.....सस्स्स्स्स्सस्स.......उघहस...........शााआआअ.......तततुउउ....नि.........
लाआाआ.....डीईईईईईईईईईई.......मु......झीईईईईईई....''

शब्द चाहे जो भी थे पर उनका अर्थ एक ही था की इस वक़्त दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...

नंदू ने गोरी की जाँघो को दबोच रखा था और उसे हुमच-2 कर चोद रहा था...
बेटे के लंड की हर टक्कर अपनी चूत पर पड़ने के बाद वो असीम आनंद से बिलबिला उठती और एक बार फिर से अपने एक नये ओर्गास्म की तरफ बढ़ चली वो...

औरतों का शरीर ऐसा बनाया है उपर वाले ने की उन्हे चाहे जीतने भी लंड खिला दो, हर बार उन्हे अलग ही तरह का मज़ा मिलता है....
और यही हो रहा था गोरी के साथ भी...
कुछ देर पहले ही चुदाई करवाकर आई थी वो लंड से और एक बार फिर से उसी लंड को अंदर लेकर ऐसे मचल रही थी जैसे आज की तारीख में पहली बार चुदाई हो रही थी उसकी..

जल्द ही उसकी चूत के दाने से रगड़ खाकर जाते लंड ने उसे झड़ने के और करीब ला दिया....
और वो फिर से एक बार अपने चिर परिचित अंदाज में, चिल्लाते हुए, मचलते हुए, झड़ने लगी..

''आआआआआआआआहह ......मज़ा आआआअ गय्ाआआआआआआअ रे........ उम्म्म्मममममममममममममम......... सच में ........लंड से मजेदार कोई चीज़ नही होती.....''

नंदू अपनी माँ के उपर झुका और उसे चूमते हुए बोला : ''और ख़ासकर तब, जब लंड अपने ही बेटे का हो.....''

गोरी भी मुस्कुराती हुई उसे चूमकर बोली : "सही कहा....''

और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबते चले गये....

गोरी तो झड़ चुकी थी पर नंदू अभी बाकी था...
इसलिए अपनी माँ को चूमते हुए वो धीरे-2 अपनी कमर भी मटका रहा था ताकि उसके लंड का कड़कपन बना रहे...

कुछ देर बार उसने किस्स तोड़ी और अपना लंड निकाल कर माँ को घोड़ी बनने को कहा...

गोरी भी मंद-2 मुस्कुराती हुई अपने घुटनो पर ओंधी लेटकर अपनी गांड को हवा में निकाल कर लेट गयी और धीरे से बोली : 'साले मर्द...इन्हे घोड़ी बनाने का सबसे ज़्यादा शॉंक होता है...''

और हो भी क्यो नही....
इस पोज़िशन में लंड भी उनका सीधा अंदर जाता है और मसलने के लिए नर्म कूल्हे भी मिलते है...



बस, नंदू ने अपना पाइप अपनी माँ की चूत में फिट किया और एक बार फिर से एक अनंत और कभी ना ख़त्म होने वाली डगर पर चल दिया...

और करीब 10 मिनट बाद, जब उसके लंड की घिसाई से उसकी माँ की चूत की झाग तक निकल आई, तब आकर वो झड़ा

''आआआआआआआआआआआआहह ओह माआआआआआआआआ... मैं आआआआआआय्ाआआआआअ''

और वो बेचारी तो ये भी नही बोल पाई की आजा मेरे लाल.....
क्योंकि उसकी हालत ही ऐसी हो चुकी थी
अपनी जांघ पर पड़ रहे धक्को को महसूस करके
जैसे कोई मशीन ने उसे अंदर तक चोद कर रख दिया हो.



उसके बाद नंदू निढाल सा होकर अपनी माँ के उपर गिर पड़ा...

दोनो का पसीने से तर-बतर शरीर उन्हे पानी में जाने का न्योता दे रहा था, जिसे उन्होने ठुकराया नही...
और कुछ ही देर में दोनो माँ बेटा उस पानी से भरी होदी में एक दूसरे के साथ अठखेलियां करते हुए अपने जिस्म को तरोताजा करने में लग गये..

अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नीयम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..

उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....
और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी, क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी
और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...

इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था,
क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
और वो कैसे करेगा,
ये भी देखने वाली बात थी.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:29 PM

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