Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:30 PM,
#99
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नीयम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..

उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी, क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी, और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था, क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
और वो कैसे करेगा, ये भी देखने वाली बात थी.

*************
अब आगे
*************

इधर निश्ी और पिंकी वो सब सोच-2 सोचकर पुलकित हुए जा रहे थे की लाला कैसे चुदाई करेगा पिंकी की, और उधर लाला का दिमाग़ भी इसी तरफ लगा हुआ था...

हालाँकि लाला ने पिंकी के नंगे शरीर को अच्छे से चूस्कर, उसकी छूट का रस भी पिया था,
शरीर तो उसका मस्त था ही, उसकी चूत के पानी में भी एक अलग ही तरह की खटास थी, जिसे दोबारा अपनी जीभ पर महसूस करने की कल्पना मात्र से ही लाला का लंड अकड़ कर दर्द करने लगा..

उसके मन में भी तरह-2 के प्लान बने जा रहे थे...
उसे पता तो था की उसका दोस्त रामलाल भी इस कुँवारी चूत को फाड़कर काफ़ी खुश होगा,
पर फिर भी उसकी शक्ति को दुगना करने के लिए उसने सोने से पहले अपने दोस्त की दी हुई उस जादुई पूडिया को भी दूध में डालकर पी लिया जिसके बाद कोई भी लंड पलंगतोड़ चुदाई करता है...
लाला का लंड तो पहले से ही सुपर था, उपर से इस आयुर्वेदिक दवाई ने तो पिंकी की चीखे निकलवा देनी थी..
लाला ने शायद ये पूडिया इसी ख़ास मौके के लिए रखी हुई थी.

इन सबके बीच लाला का दिमाग़ पिंकी को चोदने की जगह को लेकर भी चिंतित था...
क्योंकि वो इस हसीना का शिकार अपने उस अंधेरे और सीलन से भरे गोदाम में नही करना चाहता था...
उसके कमरे में रखा पलंग भी चरमराया हुआ सा था, जिसपर लिटाकर उसने अगर 4 धक्के भी तबीयत से मार दिए तो वो टूटकर गिर पड़ना था..

इसलिए वो किसी ऐसी जगह के बारे में सोचने लगा जहाँ वो पिंकी के शरीर को अच्छे से देखकर एंजाय भी कर पाए और माहौल भी ऐसा हो की एक के बाद दूसरी और तीसरी चुदाई के लिए भी वो खुद ही लाला से कहे...

और करीब 1 घंटे तक सोचते रहने के बाद लाला को अपने आम का बगीचा ही इस कार्यकर्म के लिए सही लगा....
एक तो वो गाँव से बाहर की तरफ था, वहां गाँव के किसी भी व्यक्ति के आने का प्रश्न ही नही था,
उपर से घने पेड़ो की छाव तले , दिन के समय इतना सुहाना मौसम रहता है की सिर्फ़ पत्तो के लहराने और पंछियो के चहचहाने की आवाज़ें ही आती है....
बाग में ही लाला का एक छोटा सा कमरा भी था,जहाँ अक्सर वो आम की फसल के दिनों में सो जाय करता था...
और उसके साथ ही एक बड़ा सा गद्दा खोदकर पानी भरकर एक तालाब भी बना रखा था लाला ने, जहाँ वो अक्सर नहा भी लिया करता था....
एक तरह से देखा जाए तो पिंकी की चुदाई के लिए वो सबसे उपयुक्त स्थान था.

ये सब योजना बनाते-2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला..

उधर निशि भी रात को जब घर पहुंची तो वो पिंकी की चुदाई के बारे में सोचकर इतनी उत्साहित थी की वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी...
आज की रात उसे अपने भाई नंदू की भी ज़रूरत महसूस नही हुई, शायद अगले दिन लाला और पिंकी की चुदाई के बाद वो अपना भी कुछ भला देख रही थी ...
वैसे भी अच्छा ही हुआ क्योंकि नंदू भी आज खेतो में अपनी माँ को पेलने के बाद घोड़े बेचकर सो रहा था...

अगला दिन सबके लिए बहुत ख़ास था...
लाला को नयी चूत मिलने वाली थी,
रामलाल भी ताज़ा खून चखने वाला था...
निशि भी अपनी दोस्त के लिए काफ़ी खुश थी की अब वो भी उसी की केटेगरी में आकर चुदाई करवाया करेगी....
और सबसे ज़्यादा पिंकी खुश थी...
क्योंकि आज वो कली से फूल बनने वाली थी, आज तक उसने सिर्फ़ इस कहावत के बारे में सुना ही था, पर आज जब खुद पर वो बीतने वाली थी तो उसे एहसास हो रहा था की ये पल कितना ख़ास है..

पिंकी सुबह जल्दी उठकर अपने आपको संवारने के काम में लग गयी....
सबसे पहले तो बाथरूम में जाकर उसने सारे अनचाहे बाल निकाले,
फिर साबुन से रगड़ -2 कर खूब नहाई...



चूत के अंदर उंगली डालकर अंदर से उसे भी खंगाला ताकि लाला को कोई शिकायत का मौका ना मिले.. 

और जब नहा धोकर वो नंगी ही बाहर निकली तो उसकी माँ उसे देखकर चिल्लाई

''अररी बेशरम, अब तू जवान हो गयी है, कुछ तो शरम किया कर, ऐसे नंग धड़ंग ही बाहर निकल आई है..''



पिंकी : "अर्रे माँ , ये जवानी होती ही दिखाने के लिए है, इसे छुपाकर रखूँगी तो मेरा उद्धार कैसे होगा...''

अपनी बेटी की बाते सुनकर वो मुस्कुरा दी...
वैसे भी जब से लाला ने उसे पिंकी के सामने चोदा था, तब से सीमा को अपनी बेटी की ऐसी बातों पर गुस्सा नहीं आता था, बल्कि सैक्स से जुड़ी ऐसी हर बात रोमांचित कर जाती थी...

जानती तो वो थी की अभी अक पिंकी कुँवारी है, पर उसके रंग ढंग देखकर उसे पक्का यकीन था की अब वो कुँवारापन ज़्यादा दिनों तक सुरक्षित रहेगा नही...

वैसे भी उसकी उम्र तक तो वो खुद 2 लोगो से चुदवा चुकी थी, पता नही पिंकी अभी तक कैसे कुँवारी घूम रही है...

खैर, वो उसकी बातो में ज़्यादा दखल नही देना चाहती थी इसलिए उसे तैयार होता छोड़कर वो अपने काम में लग गयी..

पिंकी ने अपनी मनपसंद ब्रा पेंटी का सेट पहना जिसमें वो बहुत सैक्सी लगती थी, पर बेचारी ये नही जानती थी की लाला के सामने पहुँचकर उसके कैसे सीथड़े उड़ने वाले है...
उपर से उसने एक लंबी सी फ्रॉक पहन ली और बाल बनाकर वो निशि के घर की तरफ चल दी...
निशि पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी, उसका भाई और माँ तो सुबह ही खेतो की तरफ जा चुके थे, इसलिए दोनो जल्दी से लाला की दुकान पर पहुँच गये...

पर वहां जाकर देखा की लाला की दुकान तो बंद है...
पिंकी का तो दिल ही बैठ गया ये देखकर, उसे अपनी चुदाई के कार्यकर्म पर पानी फिरता हुआ महसूस हुआ...
पर तभी लाला अपने घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया,
उसे शायद उनके आने का एहसास हो चुका था, लाला उनके करीब आया और धीरे से बोला :"तुम दोनो गाँव से बाहर जाने वाले रास्ते में मिलो मुझे, मैं भी कुछ देर में वहीँ पहुँचता हूँ ...''

ये सुनकर पिंकी को राहत की साँस आई, यानी उसका चुदाई का कार्यकर्म तो पक्का ही था, शायद जगह चेंज होने जा रही थी...

लाला अपनी बुलेट पर बैठकर वहां से निकल गया और उसके पीछे-2 वो दोनो भी रिक्शा पकड़कर गाँव के बाहर पहुँच गयी, जहाँ लाला पहले से ही उनका इंतजार कर रहा था...

दोनो लगभग चहकति हुई सी लाला के पास पहुँची,
लाला ने उन्हे बाइक पर बैठने के लिए कहा तो पिंकी उछलकर पहले बैठ गयी, और लाला को पीछे से दबोचकर अपनी चुचियां उसकी छाती में गाड़ दी...
लाला को उत्तेजना का संचार उसके शरीर से अपने अंदर होता हुआ महसूस हो रहा था...
निशि के बैठने के बाद लाला ने अपनी बुलेट तेज़ी से दौड़ा दी...
रास्ते में लाला ने पिंकी का हाथ पकड़ कर अपने रामलाल पर रख दिया जिसे वो पूरे रास्ते सहलाती हुई आई...
आख़िर वही तो था आज की फिल्म का मुख्य हीरो, जो उसकी हेरोइन यानी चूत से अंदर घुसकर रोमांस लड़ाने वाला था.

5 मिनट बाद वो लाला के बगीचे में पहुँच गये, जहाँ लाला ने पहले से ही उन दोनो के आने का इंतज़ाम करवा रखा था...
लाला तो इतना उत्साहित था की उसने सुबह ही एक चक्कर लगाकर वहां चुदाई की तैयारी कर ली थी...

एक घने से पेड़ के नीचे लाला ने एक गद्दे पर बड़ी सी चादर बिछा रखी थी,
चारो तरफ घनी झाड़िया थी, ठंडक का माहौल था,
4 तकिये भी रखे थे वहां और एक कोने में तेल की शीशी भी...
जिसे देखकर पिंकी की चूत में कुलबुली होने लगी...
उसे पता था की ये तेल उसी के लिए लाया है लाला,
क्योंकि उसकी मदद के बिना तो वो निगोडा रामलाल उसकी चूत में जाने से रहा...

लाला सीधा जाकर उस गद्दे पर बैठ गया और अपनी टांगे सामने की तरफ फेला दी,
जिनके बीच उसका लंड किसी बंबू की तरह खड़ा होकर फुफ्कार रहा था..

निशि भी एक कोने में जाकर बैठ गयी, क्योंकि अगले 1-2 घंटे तो उसे लाला और पिंकी की फिल्म एक दर्शक बनकर ही देखनी थी..

लाला ने पिंकी को इशारा करके अपने करीब आने को कहा, वो जब सामने आकर रुकी तो लाला ने उसे कपड़े उतारने का इशारा किया...
पहले तो वो घबराई पर फिर उसने सोचा की ये तो होना ही है, इसलिए लाज शर्म छोड़कर वो लाला की बातो पर एक दासी की तरह अमल करने लगी..
उसे भी पता था की लाला की बात मानकर उसे अच्छा मेवा मिलेगा...

उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से अपनी कमर मटकाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए,
फ्रॉक को पकड़कर उपर की तरफ खींचा और लाला की तरफ अपनी गांड करके धीरे-2 उसे उतारने लगी...
लाला भी ऐसा मस्ती से भरा नज़ारा देखकर अपने रामलाल को धोती से बाहर निकाल कर बुरी तरह से पीटने लगा...
रामलाल तो पहले से ही उतावला हुआ पड़ा था, चूत को बेपर्दा होते देखकर वो और भी ज़्यादा ख़ूँख़ार हो गया और अपने मुँह से प्रीकम की बूंदे बाहर फेंकने लगा..
लाला ने तुरंत अपने सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए ताकि उसके नंगे शरीर को देखकर वो पूरा मज़ा ले भी सके और दे भी सके..

फ्रॉक निकालकर पिंकी ने उसे लाला की तरफ उछाल दिया,
अब वो उसके सामने अपनी फ़ेवरेट ब्रा पेंटी में खड़ी थी.
लाला तो उसके कसे हुए मुम्मो को ब्रा में देखकर ऐसा बावला हो गया की उसने पिंकी को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और जैसा की विधि के विधान में लिखा जा चुका था, लाला ने एक हाथ से उसकी ब्रा और दूसरी से उसकी कच्छी को खींचकर फाड़ते हुए उसके शरीर से अलग कर दिया... 
और उसे अपने उपर लिटा कर बुरी तरह से उसके नंगे शरीर से लिपट गया...



लाला ने उसके गुलाबी होंठो को अपने दाढ़ी और मूँछो से भरे मुँह में लेकर ज़ोर -2 से चूसना शुरू कर दिया...
लाला को ऐसा लग रहा था जैसे वो उसके होंठ नही बल्कि रूह-अफजा वाला शरबत पी रहा है...
शायद वो रोज़ फ्लेवर वाली लिपस्टिक लगा कर आई थी, इसलिए...

उसके होंठो को चूसने के बाद उसने अपने हाथ उसके नन्हे और कठोर मुम्मो पर भी रखे और उन्हे भी जी भरकर दबाया...



कुछ देर तक उसके नर्म मुलायम मुम्मो से खेलने के बाद लाला ने उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया...
और तब तक धकेला जब तक वो उसके फुफ्कार रहे लंड तक नही पहुँच गयी...

वहां पहुँचकर पिंकी को वही चिर-परिचित नशीली सी सुगंध आई जो लाला के लंड का इत्र था...
उसने एक गहरी साँस भरी और अपने होंठ खोलकर उस रामलाल नामक अजगर को धीरे-2 निगलना शुरू कर दिया...
और उसने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए वो पूरा 9 इंची लंड अपने मुँह में भर लिया...



उसका गला तक चॉक हो गया था ऐसा करते हुए पर लाला को जो मज़ा मिल रहा था वो महसूस करके उसे बहुत खुशी मिल रही थी..

इसलिए वो लाला के लंड को मुँह में लेकर उसे अपनी जीभ से सहलाती भी रही जिससे लाला को एक अलग ही मज़ा मिल रहा था...

ये सब देखकर निशि का भी बुरा हाल था...
उसके सामने लाला और पिंकी नंगे होकर वो कामुक लीला कर रहे थे, ऐसे में वो भला शांत कैसे रह सकती थी...
और इस वक़्त उसे अपने भाई नंदू की बहुत याद आ रही थी...
मन तो कर रहा था की भागकर खेतो में जाए और नंदू को लंड से पकड़कर यहाँ घसीट कर लाए और उसके लंड को भी वो ऐसे ही चूसे जैसे पिंकी लाला के लंड को चूस रही थी...

अब तो पिंकी घोड़ी बनकर लाला के सामने बैठी थी और उसके लंड को उपर से नीचे तक और नीचे से उपर तक ऐसे चूस रही थी जैसे आज वो आम के बगीचो में लाला के लंड के पानी का छिड़काव करके मानेगी..



और वो तो कर भी देती अगर आखरी पल पर लाला ने उसे खींचकर अपने लंड से अलग ना किया होता...
और लाला ने जब खींचकर उसे अलग किया तो वो उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगी जैसे उसका पसंदीदा खिलोना छीनकर लाला ने कोई गुनाह कर दिया हो...

पर लाला जानता था की उसके गुस्से को फिर से प्यार में कैसे बदलना है...
इसलिए उसने पिंकी को नर्म गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला डाली...

पिंकी भी समझ गयी की अब वो 'कली से फूल' बनने वाला समय आ चुका है.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:30 PM

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