RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
यही मौका था अब, एक बार फिर से उस करिश्माई लंड को अपनी चूत में लेने का...
और यही सोचकर वो मछली की तरह फिसल कर सीधी हो गयी और लाला के लंड पर अपनी चूत को टिका दिया..., लाला के हाथ उसके नन्हे उरोजों पर थे, पिंकी की आँखो में इस वक़्त डर के बदले हवस थी, और उसके होंठो पर ढेर सारा शहद ...
लाला ने उसके कुल्हो को पकड़ा और नीचे से जोरदार झटका मारकर अपना रॉकेट उसकी चूत के सोरमंडल में दाखिल कर दिया...
पिंकी के होंठ खुले रह गये इस एहसास से....
और वो उन खुले होंठो के साथ लाला के मुँह पर जा गिरी,
लाला ने भी देर ना की और उसके होंठो के शहद को जीभ से चाट लिया...
बेचारी खुल कर मज़े से चीख भी ना पाई और ना ही ये बता पाई की लाला के लंड ने इस बार उसे कितना मज़ा दिया है...
पर जल्द ही लाला के झटको ने उसकी पकड़ को ढीला कर दिया और वो चिल्लाती हुई, लाला के घोड़े पर बैठकर ज़ोर से बोली
''आआआआआआआअहह लाला .................. अब आया है असली मज़ा चुदाई कााआआअ.... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या मजेदार एहसास है तेरे लंड का लाला ....... ओह.... इतना मोटा लंड ..... मेरी छोटी सी चूत में .....जाकर जो मज़े दे रहा है...... सच में लाला........ बता नही सकती........ जो फील हो रहा है....... ..... ज़ोर से चोद लाला...... अब ना रहम कर मुझपर...... बहुत तरसी हू रे तेरे इस निगोडे लंड को अंदर लेने के वास्ते...... उम्म्म्ममममममम..... अब चोद डाल मुझे...... अपनी रंडी बना ले लाला.... एक रंडी की तरह चोद मुझे...... पेल अपनी रंडी पिंकी को लाला..... जोर से पेल .....''
लाला तो उसके हर शब्द को उसका हुक्म मानकर उसकी दुर्गति बनाने में लगा हुआ था....
अब उसे उस जादुई पुड़िया की शक्ति का एहसास हो रहा था....
कोई और मौका होता तो वो हाँफने लगता या झड़ चुका होता ऐसे झटको को महसूस करके...
पर आज ये चुदाई लंबी चलने वाली थी, इतनी लंबी की पिंकी की चाहत ख़त्म हो जाती पर लाला के लंड की पिचकारी नही निकलने वाली थी जल्दी...
लाला ने उसके गुलाबी निप्पल्स को उमेठकर उसके अंदर की रंडी को और बाहर निकालने की कोशिश की,
और हुआ भी यही,
अपने आप को रंडी-2 कह रही पिंकी पर निप्पल खीचाई का इतना बुरा असर हुआ की उसका शरीर ऐसे काँपने लगा जैसे उसके अंदर की भूतनी शरीर त्याग कर बाहर आ रही है,
और ऐसा करते हुए वो बुरी तरह से झड़ने लगी.
लाला के लंड पर पिंकी की चूत के रस का अभिषेक हो गया,
लाला पूरा गीला हो गया, पर इसी गीलेपन ने उसके लंड को पिस्टन बनाकर और भी ज़्यादा ख़तरनाक कर दिया और अब लाला उसकी नन्ही सी गांड को पकड़ कर जोरों से धक्के मारकर उसकी बची खुशी जान निकालने में लगा हुआ था..
पिंकी तो बेहोशी की अवस्था में पहुँच चुकी थी,
लाला के शरीर पर उसका फूल सा बदन घिस्से खा रहा था,
उसके नुकीले निप्पल लाला की छाती पर शूल से चुभ भी रहे थे और उसके मुम्मो का मुलायमपन उसे गुदगुदा भी रहा था....
कुल मिलाकर आज लाला अपने जीवन की सबसे मस्त चुदाई का मज़ा खुल कर ले रहा था..
दूर बैठी नंगी निशि अपनी चूत को मसलते हुए अपने मुम्मे भी बारी-2 से दबा रही थी,
निशि की चूत भी लाला की चुदाई देखकर मस्त हुए जा रही थी...
2 दिन पहले ही नंदू के लंड ने उसका उद्घाटन किया था, इसलिए उसे भी पता था की चूत की खुजली कैसी होती है...
वो जानती थी की आज लाला उसे चुदाई का मज़ा नही दे पाएगा पर घर जाकर वो नंदू के लंड को अंदर लेकर अपनी इस प्यास को बुझा लेना चाहती थी...
इसलिए वो उनके कार्यकर्म के ख़त्म होने का इंतजार कर रही थी ताकि जल्दी से घर जाकर अपनी चूत मराई का प्रोग्राम शुरू कर सके..
पर लाला के करारे झटके देखकर उसे लग नही रहा था की आज ये बुड्ढा जल्दी झड़ने के मूढ़ में है....
वैसे भी आज उसे लाला किसी और ही रंग मे रंगा हुआ दिख रहा था...
इतनी देर तक तो नंदू भी नही टीका था उसके सामने, वो भी झड़ गया था..
पर वो ये नही जानती थी की आज लाला ने वो जादुई पूडिया खाई है, इसलिए वो पिंकी की चूत का बैंड बजाने में लगा है..
लाला अब नीचे से धक्के मारता हुआ थक चुका था,
उसने पिंकी के निढाल से शरीर को नीचे उतारा और उसे गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला दी
बुरी तरह चुदाई करवाने के बाद भी उसके रूप रंग में कोई कमी नही आई थी, अब भी वो हरामन एक नंबर का माल लग रही थी..
लाला ने उसकी रेशमी टंगड़ी कबाब को उपर उठाया और उसकी चाशनी से भरी इमरती जैसी चूत पर अपना क्रीम रोल लगाकर अंदर धकेल दिया...
चूत तो पहले से ही गीली थी, एक कसक के साथ पिंकी ने उसे अपने अंदर ले लिया
लाला के झटके एक बार फिर से शुरू हो गये,
उसका पूरा शरीर उपर से नीचे तक हिल रहा था,
झटकों से उसके नन्हे बूब्स उपर नीचे होकर गुल्लक की तरह खनक रहे थे...
पिंकी ने लाला के निप्पल्स को पकड़कर उन्हे सहलाना शुरू कर दिया...
वो जानती थी की अब उसे ही लाला को जल्द से जल्द झाड़वाने पर मजबूर करना होगा वरना वो उसकी चूत की रेलगाड़ी बना कर पता नही किस स्टेशन तक ले जाएगा...
और उसके सहलाने का असर जल्द ही होने लगा...
लाला का लंड अपनी अकड़ खोने लगा और जल्द ही उसके लंड ने ढेर सारा रस उस कच्ची कमसिन की चूत में उडेल दिया, जिसे महसूस करके ना चाहते हुए भी वो एक और बार झड़ने पर मजबूर हो गयी...
''आआआआआआअहह लाला...................... उम्म्म्मममममम.... आज तो तूने मार डाला मुझे......... पूरा शरीर हिला डाला तूने तो........ ''
लाला ने मुस्कुराते हुए कहा : "यही तो असली चुदाई होती है मेरी जान....अब रोज लंड लेना सीख ले, तभी इस जवानी का असली मज़ा ले पाएगी...''
उसने भी मुस्कुराते हुए सिर हिला कर रोज चुदने की सहमति दे डाली....
क्योंकि अंदर से वो भी जानती थी की अब इस चुदाई के बिना एक दिन भी रह पाना उसके लिए भी मुश्किल होगा..
उसके बाद लाला उस नंगे फूल से बदन को उठाकर पास बने पानी के तालाब में ले गया,
निशि भी वहां आ गयी और तीनो ने साथ मिलकर अच्छे से एक दूसरे के शरीर को मसला और रगड़ -2 कर सॉफ किया...
ठंडे पानी ने पिंकी के शरीर मे सुफूर्ती सी भर दी थी...
उसका मन तो कर रहा था की एक बार और ट्राई किया जाए पर अब काफ़ी समय हो चुका था....
पिंकी और निशि ने स्कूल बंक किया था, टाइम देखा तो करीब 2 बजने को थे....
चुदाई करते हुए समय का पता ही नही चला...
उन सबने अपने-2 कपड़े पहने और वापिस गाँव की तरफ चल दिए ताकि पिंकी और निशि अपने स्कूल टाइम के हिसाब से ही घर पहुँच जाए...
लाला ने उन्हे गाँव के बाहर उतारा जहाँ से उन दोनो ने रिक्शा कर लिया और अपने-2 घर पहुँच गयी...
पिंकी की तो हालत बुरी थी, वो बुखार का बहाना करके, बदन दर्द की गोली लेकर सो गयी ताकि लाला के दिए दर्द से उसे शाम तक आराम मिल सके..
और निशि घर जाकर अपने कमरे को सजाने संवारने का काम करने लगी...
आज की रात वो अपने भाई नंदू को कच्चा चबा लेना चाहती थी...
पर बेचारी ये नही जानती थी की आज उसकी लाइफ में कितना बड़ा धमाका होने वाला है..
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