Kamukta kahani हरामी साहूकार
03-19-2019, 12:31 PM,
RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार
और फिर बिना अपनी माँ को देखे, निशि अपने कपड़े उठाकर , अपनी गांड मटकाते हुए उपर अपने कमरे की तरफ चल दी...

इस वक़्त उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे एक चतुर बिल्ली ने अपनी चालाकी से दूसरी बिल्ली के हिस्से की मलाई खा ली हो... उस मलाई के निशान अभी भी निशि के होंठों पर थे, जिनपर एक बार फिर से जीभ फेराकार वो उसे निगल गयी और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में घुस गयी...

और पीछे छोड़ गयी उत्तेजना से भरी, आधी चुदाई करवाकर, फुफकारती हुई अपनी माँ , जिसकी नज़र अभी भी अपने बेटे के सिकुड़े हुए लंड पर थी....एक बात तो पक्की थी की आज की रात नंदू की शामत आने वाली थी....बस देखना ये था की गोरी नंदू को कितनी जल्दी और कैसे अपनी चुदाई के लिए तैयार कर पाती है..

**********
अब आगे
**********

नंदू अपनी आँखे बंद किए गहरी साँसे ले रहा था की तभी उसे अपनी चेहरे पर किसी और की गर्म साँसों का एहसास हुआ...
आँखे खोली तो उत्तेजना से लाल, अपनी माँ की आँखे दिखाई दी उसे...



उन आँखो की आग बता रही थी की अंदर से वो कितनी गर्म है...

गोरी का हाल इस वक़्त ये था की अगर नंदू वहाँ ना होता तो वो ऐसे ही नंगी घर से बाहर निकल जाती और सामने जो भी पहला मर्द उसे दिखता वो उससे अपनी चूत मरवा लेती.

पर वो जानती थी की ऐसी नौबत नही आएगी,
क्योंकि उसका जवान बेटा उसकी खातिरदारी के लिए वहां मोजूद था..
बस देर थी उसे एक बार फिर से चुदाई के लिए तैयार करने की.

गोरी का चेहरा देखकर नंदू समझ गया की उसकी माँ क्या चाहती है...
पर उसकी हिम्मत नही हो रही थी एक बार फिर से चुदाई करे...
वैसे भी कसी हुई चूत मारने के बाद लंड में उतनी ताक़त बचती ही नही है जितनी फेले हुए भोंसडे को चोदने के बाद बचती है...
कड़क चूत तो लंड की आख़िरी बूँद तक निचोड़ लेती है अपने गन्ने की मशीन जैसी पकड़ से...

इसलिए उन्हे मना करने के लिए जैसे ही नंदू ने अपना मुँह खोला, उसकी माँ ने अपने लरजते हुए होंठ उसके होंठो पर रख कर उन्हे चूसना शुरू कर दिया...

गोरी के होंठ इस वक़्त कामग्नी में जलकर इतने मुलायम हो चुके थे की नंदू को ऐसा लग रहा था जैसे वो बिना छिलके के अंगूर चूस रहा है...
सिर्फ़ रस ही रस निकल रहा था उन होंठो से.



गोरी के गोरे-2 मुम्मे उसके कंधो पर रगड़ खा रहे थे...
वो उन्हे धीरे- उसके बदन पर घिस्स भी रही थी और अपने हाथों से उसके सीने के बालों को सहला भी रही थी...

शायद ये उसका तरीका था नंदू के लंड को खड़ा करने का...
और वो तरीका कामगार साबित हो भी रहा था...
नंदू के लंड ने होले -2 झटके मारने शुरू कर दिए.

गोरी को जैसे ही उसके लंड के फड़फड़ाने का एहसास हुआ, वो किसी नागिन की तरह मचलकर , अपने मुम्मे उसके पूरे शरीर पर रगड़ती हुई, नीचे की तरफ आ गयी , और ऐसा करते हुए उसने अपनी जांघे नंदू के चेहरे के बहुत करीब रख दी...
और फिर उसने एक ही झटके में अपने बेटे के अधखिले लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से चुभलाना शुरू कर दिया...
उसपर अभी तक उसकी बेटी के होंठो का गीलापन था, जिसे उसने अपनी गर्म लार से ढक सा दिया...


उधर नंदू के नथुनों में भी जब उसकी माँ की चूत से निकल रही देसी दारू जैसी गंध टकराई तो वो बावला सा हो गया और उसने अपनी माँ की मोटी जाँघ पकड़कर अपने सिर के दूसरी तरफ खींच लिया...
अब गोरी अपने बेटे के मुँह के सिंहासन पर अपनी चूत का आसान जमाए, उसे अपनी देसी दारू पीला रही थी...
और साथ ही साथ उसके लंड की कच्ची ताड़ी भी पी रही थी.

दोनो के शरीर एकदम बुरी तरह से गुत्थम गुत्था होकर ज़मीन पर लोटने लगे,
जैसे साँप का जोड़ा आपस में प्यार कर रहा हो सावन के महीने में.



कुछ ही देर मे गोरी की मेहनत ने नंदू के लंड को पहले जैसा बना दिया..

और फिर वो अपनी अधूरी चुदाई को पूरा करने के लिए नंदू के शरीर पर लेटे -2 ही पलट कर सीधी हो गयी...
और एक बार फिर से दोनो के होंठ आपस में जा भिड़े...
इस बार उन दोनो को ही अपने अंगो का स्वाद दूसरे के होंठो से चखने को मिला..
पर कुछ ही देर में पहले जैसा स्वाद फिर से आने लगा..

गोरी ने नशीली आँखो से अपने बेटे को देखा और एक जोरदार सिसकारी मारते हुए उसके खड़े लंड पर बैठ गयी..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....अहह.......... साआआाअले....भेनचोद ..... मैं तो तुझे मादरचोद ही समझती थी...तू तो भेनचोद भी निकला..... अब तो तेरे दोनो हाथ खीर में है.... जब चाहे , जिसे चाहे चोद सकता है तू तो.....''

नंदू भी अपनी माँ के इस रूप को देखकर हैरान था...
कहाँ तो वो ये सोचकर ही घबराए जा रहा था की उसकी माँ को निशि और उसके बारे में पता चला तो क्या कयामत आएगी...
पर यहाँ तो इस कयामत ने उसकी किस्मत ही खोल कर रख दी...
अब तो उसकी माँ खुद ही उसे उकसाने के लिए उसकी बहन के नाम का इस्तेमाल कर रही थी...
उसे भेनचोद और माँ चोद जैसी गंदी गालियाँ देकर वो अपने अंदर की गंदगी बाहर निकाल रही थी ताकि नंदू भी उस गंदगी में नहाकर, सब कुछ भूल जाए और पूरे मज़े लेकर उसकी चुदाई करे.

और नंदू पर उन रसीली गालियों का असर कुछ इस तरह से हुआ की उसने अपनी माँ की गांड के दोनो पाटों को ट्रेक्टर के हेंडल की तरह पकड़ा और अपने लंड के एक्सीलेटर को ज़ोर से दबाकर चुदाई की स्पीड ऐसी बड़ाई की गोरी दोहरी होकर उसकी छाती पर लुढ़क गयी...

बेचारी के मुँह से सिर्फ़ उहह आह की आवाज़ें ही निकल पा रही थी....
वैसे भी इतने मस्त लंड को लेकर वो कुछ और बोलना भी नहीं चाहती थी...




गोरी की आँखे बंद थी ....
और मन में सुकून भी था....
आज बरसों बाद वो अपने घर में रहकर चुदवा रही थी...
इसी घर में अपने पति से चुदाई करवाकर उसने इतने सुशील बच्चे पैदा किए थे,
जो आज उसके काम आ रहे थे...

वो मस्ती में भरकर, नंदू के बालों में उंगलिया फेरने लगी और ज़ोर-2 से चिल्लाने लगी...

''आआआआआआआआअहह नंदू...... मेरे बच्चे ..... उम्म्म्ममममममममम....... चोद अपनी माँ को .......फाड़ दे मेरी चूत आज..... आहहहह ....... म्*म्म्मममममम....''

उपर अपने बिस्तर पर आँखे मूंदकर लेती हुई निशि भी मुस्कुरा दी अपनी माँ की चीखे सुनकर...
और मन ही मन बोली 'अरी माँ .....थोड़ा कम चिल्ला...पड़ोसी जाग जाएँगे...सबको खबर लग जाएगी की गोरी अपने बेटे का लंड ले रही है... हे हे..'

पर नीचे तो गोरी को इस बात से जैसे कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था...
वो तो अपनी ही मस्ती में नंदू के लंड की सवारी करके अपनी प्यास बुझाने में लगी हुई थी...

और जल्द ही उसकी घिसाई रंग लाई और उसकी रस भरी चूत ने ढेर सारा पानी अपने बेटे के लंड पर छोड़ दिया..



''आआआआआआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममम...... मजाआाआअ आआआआअ गया....... नंदुऊऊुुुुुुुुउउ''


नंदू भी अपनी बंदूक की नोक पर उस गर्म चिकनाई को महसूस करके हुंकार उठा....
उसने नोट किया था की जब भी उसकी माँ झड़ती थी तो उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध बाहर निकलती थी...
उसका मन तो कर रहा था की अभी अपनी माँ को बिस्तर पर पटके और उसकी चूत में मुँह घुसा कर उस सुगंधित रसमलाई को खा जाए...
पर वो ऐसा नहीं कर पाया...
क्योंकि उसके लंड ने भी झड़ने के संकेत देने शुरू कर दिए थे....
और जल्द ही उसने भी अपनी माँ के रस में अपनी मलाई मिलाकर एक नयी मिठाई का निर्माण कर दिया...



''आआआआआआआआआआआअहह ओह माआआआआआअ..... मजाआाआ आ ग्याआआआआआआअ कसम से...... क्या चूत है रे तेरी.....''

जवाब में गोरी ने मुस्कुराते हुए अपने बेटे के चेहरे पर अपने मुम्मे रगड़कर उसके पसीने को सॉफ किया.....
आख़िर इतनी मेहनत जो की थी उसने....

उसके बाद सॉफ सफाई करके गोरी अपने बेटे के साथ नंगी ही लिपटकर सो गयी.
अब तो उसे निशि का भी कोई डर नही था.

अगले दिन स्कूल मे जाते हुए निशि ने पिंकी को रात वाली सारी बातें बताई...
पिंकी को तो एक बार में विश्वास भी नही हुआ की निशि की माँ भी इस खेल में कूद चुकी है..
पर एक बात की खुशी उसे ज़रूर थी की अब हर तरफ एक जैसा माहौल है...
उसके घर में भी उसकी माँ अब कोई रोक टोक नही करती थी उसपर..
क्योंकि वो खुद भी तो लाला के लंड की दीवानी थी..
और अब निशि के घर में भी कोई टोकने वाला नही होगा, इसका मतलब ये था की उसकी लाइफ का पहला क्रश यानी नंदू अब उसकी चुदाई के लिए बिल्कुल मना नही करेगा...
निशि और उसमें तो पहले से ही इस बात का सौदा हो चुका था, और निशि के अपने भाई से चुदवाने के बाद अब पिंकी का नंबर था, नंदू के लंड की लंबाई नापने का, और इसके लिए निशि के पास एक जोरदार प्लान था..

अगले दिन नंदू का जन्मदिन था...
वैसे तो आज तक नंदू ने कभी अपना जन्मदिन नही मनाया था,
सिर्फ़ निशि को ही शॉंक था, पर इस बार वो अपने प्यारे भाई के बर्थडे को एक यादगार दिन बना देना चाहती थी...
ताकि नंदू भी उसके बर्थडे पर जी जान से उसे खुश करने में कोई कसर ना छोड़े...

लेकिन कल के धमाल से पहले उन्हे एक और धमाल करना था आज...

और वो था लाला पर जोरदार हमला..

ये प्लान पिंकी का था,
उसे पता था की उसके और निशि के अलावा नाज़िया भी लाला से चुदवा चुकी है...
और आज पिंकी का प्लान लाला का स्टेमीना चेक करने का था...

इसलिए स्कूल जाते ही उसने नाज़िया को एक कोने में लेजाकर अपना प्लान समझाया जिसे सुनकर उसकी आँखो में भी चमक आ गयी...
शायद स्कूल के बाद मिलने वाले मज़े को महसूस करके उसके दिल की घंटिया अभी से बजने लगी थी..



आज लाला के रामलाल की घंटी बजने वाली थी इन तीन तिकडियों के हाथों ...
अब देखना ये था की चूत - लंड के खेल में ये तीनो जीतेंगी या वो दोनो...
यानी लाला और उसका रामलाल.
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RE: Kamukta kahani हरामी साहूकार - by sexstories - 03-19-2019, 12:31 PM

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