Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
03-20-2019, 12:11 PM,
#6
RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
तोह कैसा महसूस हो रहा है इतने सालों बाद वापस घर लौटकर?" अंजलि अपने बालों को झटकती पूछती है। 

"हम्म्म्मम् बहुत अच्चा लग्ग रहा है माँ बहुत अच्चा लग्ग रहा है। वहाँ तोह खुदही सारे काम करने पढते हैं खुद ही खाना बनाओ खुद ही कपडे धोओ खुड इस्त्री करो सभी कुच" विशाल अपनी अमेरिका की जिन्दगी के संगर्ष को याद करता ठण्डी आह भर्ता है। "मगर यहाँ कितना मज़ा है.......कपडे धुले हुये.....गरमा गरम ताज़ा खाना तय्यार सभी कुच......" विशाल मुस्कराता है।

"यह तोह तुझे घर आने कि, हमसे मिलने की ख़ुशी नहीं है...बलके तुझे राहत महसूस हो रही है के तेरा काम करने के लिए घर पर नौकरानी है....हुँह?" अंजलि मुस्कराती बेते से सिकायत करती है।

"हूँ माँ तुम बिलकुल ठीक कह रही हो" विशाल हँसता हुआ कहता है तोह अंजलि उसकी जांघ पर ज़ोर से मुक्का मारती है। विशाल और भी ज़ोर से हंस पढता है।

"ख़ाने का तोह में मान लेती हुण वैसे मुझे समज में नहीं आता तू खाना बनाता कैसे था मगर कपड़ों का तोह तू झूठ बोलता लगता है.....जब कपडे पहनोगे नहीं तोह धोयोगे कहाँ से?" अंजलि मुस्कराती चोट करती है।

"माssss" विशाल नाराज़गी भरे लेहजे में अपनी माँ को टोकता है। अब हंसने की बरी अंजलि की थी। 

"क्या मा.....आप फिर से...." विशाल के गाल फिर से शर्म से लाल हो जाते है। उसकी नज़रें झुक जाती है। "वो अब अमेरिका में अकेला रहता था इसीलिए वहां यह आदत पढ़ गइ कल मुझे याद ही नहीं रहा के में घर पर हुण "

"अर्रे तोह इसमें शरमाने की कोनसी बात है" अंजलि विशाल की शर्मिंदगी का मज़ा लेते चटख़ारे से बोलती है। उसे बेटे को सताने में बेहद्द मज़ा आ रहा था। "मैने कोनसा तुझे पहली बार नंगा देखा है तूझे खुद अपने हाथों से नेहलाती रही हुन, धोती रही हुन, स्कूल के लिए तैयार करती रही हुण भूल गया क्या" 

"मा......अब में तुम्हारा वो छोटा सा बेटा नहीं रहा बड़ा हो गया हुण" इस बार विशाल अपनी नज़र उठकर अपनी माँ से केहता है।

"हनणण यह तोह मैंने देखा था सुबह तू सच में बड़ा हो गया है बलके बहुत, बहुत बड़ा हो गेय है और" अंजलि अपने नीचला होंठ काटती विशाल को आंख मारती है "मोटा भी बहुत हो गया है।" 

विशाल एक पल के लिए अवाक सा रह जाता है। वो विश्वास नहीं कर पा रहा था। जिस अंदाज़ से अंजलि ने उसे कहा था, और वो लफ़ज़ कहने के समय जो उसके चेहरे पर भाव था खास कर जब्ब उसने बेटे को अंख मारी थी, उससे विशाल को लगा था के उसकी माँ का इशारा उसके लंड की और था मगर यह कैसे हो सकता था वो भला ऐसे कैसे कह सकती थी वो तोह उसकी माँ थी।......


"वैसे मुझ लगता है ग़लती मेरी है। मुझे सच में कभी ख्याल ही नहीं आया के मेरा बीटा अब जवान हो गया है के मुझे अब दरवाजे पर दस्तक देनि चहिये" अंजलि बेटे को सोच में डुबता देख बोलती है। फिर अचानक से वो अपनी कुरसी से उठती है और विशाल के ऊपर झुकति है। विशाल आरामदेह कुरसी पर पीछे को अधलेटा सा बैटा था। इसलिए अंजलि ने उसके कन्धो पर हाथ रखे और फिर अपने होंठ उसके माथे पर रखकर एक ममतामयी प्यार भरा चुम्बन लिया। 

"सच में मालूम ही नहीं चला तू कब्ब जवान हो गया" फिर वो वापस अपनी कुरसी पर बैठ जाती है। विशाल अपने मन को भटकने से रोकना चाहता था मगर अपने सीने पर अपनी माँ के उभारों का दबाव अब भी उसे महसूस हो रहा था। सायद वो उस दबाव को कभी मेहुस नहीं करता अगर उसकी माँ ने कुछ समय पहले शरारत से वो अलफ़ाज़ न कहे होते।

"मा तुमहे दस्तक वासतक देणे की कोई जरूरत नहीं है। तुम जब्ब चाहो बेहिचक मेरे कमरे में आ सकती हो" विशल अपनी माँ के हाथ अपने हाथों में लेता बोल।

"हान में सीधी कमरे में घुश जायूँ और तू सामने नंगा खडा हो" अंजलि मुस्कराती है।

"वुफफुआ मा अब छोडो भी। तुम्हे कहा न वहा अकेला रहता था, इस्लिये कुछ ऐसी आदतें हो गायी अब ध्यान रखुंगा अपनी आदतें बदल लुँगा बस्स" अंजलि बेटे की बात पर मुसकरा पड़ती है। विशाल उसके हाथों को अपने हाथ में लिए बहुत ही कोमलता से सहला रहा था। अंजलि अपना एक हाथ उसके हाथोंसे छुडा कर उसके गाल को सहलती है। उसका चेहरा पुत्रमोह से चमक रहा था। 

विशाल को अब समज में आता है के वो क्यों इतना मुसकरा रही थी, क्यों वो कमरे में उसे नंगा देखने पर हंसने लगी थी। वो खुश थी। वो बहुत खुश थी। बेटे के आने से उसे इतनी ख़ुशी थी के उसे जब्ब भी छोटा सा मौका भी मिलता वो मुसकरा उठती थी, हंस पड़ती थी। शायद उसने बहुत समय से अपनी हँसी अपनी ख़ुशी बेटे के भविष्य के लीय दबाये रखी थी।

"मै समजती हुन बेटा मुझे दुःख होता है के तुम्हे इतनी सारी तकलीफे झेलनी पडी। तुम्हे दिन रात कितनी मेहनत करनी पड़ी मुझे एहसास है बेटा। तुम नहीं जानते जब्ब में तुम्हारे बारे में सोचती थी और मुझे एहसास होता था के तुम वहां अकेले हो इतने बड़े देश में, उन अंजान, पराए लोगों के बिच और तुम्हारा ख्याल रखने वाला कोई नहीं है तो मुझे कितना दुःख होता था।" अंजलि अचानक गम्भीर हो उठती है।
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