Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
03-20-2019, 12:12 PM,
#10
RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
"सोच लो में कुछ भी पूछ सकती हुण......." अंजलि बेटे की आँखों में देखति जैसे उसे चैलेंज करती है.
"पुच लो माँ, अब जब हम दोस्त बन ही गए हैं तोह फिर दोस्तों के बिच कैसा परदा" विशाल मुस्कराता अंजलि को खुली छूट दे देता है.
"अच्छा तो सच सच बताओ के यह न्यूड डे होता क्या है और तुम इसे आखिर सेलिब्रेट कैसे करते हो........" अंजलि बेटे की आँखो में देखते कहती है. विशाल अपनी माँ की आँखों में जिग्यासा साफ़ साफ़ देख सकता था.
"मुहे उम्मीद थी तुम एहि पुछोगी......" विशाल अपनी माँ को खीँच कर और भी अपने सीने से भींच लेता है. वो अपने सीने पर अंजलि के भारी मम्मे के साथ उसके तीखे नुकिले निप्पलों की चुभन को भी बखूबी महसूस कर सकता था. "मा इसको सेलिब्रेट करने का ढंग हर किसी का अपना अपना होता है, यह ज्यादा डिपेंड करता है के आप किसके साथ सेलिब्रेट करते है. अब देखो में अपनी बात करूँ तोह हम दोस्त लोग सुबह से शाम तक्क मौज मस्ती करते थे, पार्टी करते थे. खाना पीना, डांस, लाउड मुसिक, शोर शराबा........बस समाज लो नंगे होकर हल्ला करते थे............." 

"ओहहहहहः.........." अंजलि एक पल के लिए सोच में पड जाती है. "तो और लोगों के बारे में बताओ.......और लोग कैसे सेलिब्रेट करते है......." अंजलि अभी भी बहुत उत्सुक थी. 

"उम्म जैसे मैंने केहा माँ डिपेंड करता है के आप किन लोगों के साथ सेलिब्रेट करते है....... ऐसे कुछ लोग सिर्फ और सिर्फ कपड़ों से दूर रहते है.....कुछ लोग बड़ी बड़ी न्यूड पार्टीज भी मनाते है.........कुछ लोग ग्रुप्स में होकर बिच पर जाते है..........और फैमिलीज़ में लोग......." 

"क्या फैमिलीज़ में......क्या लोग अपनी फॅमिली के साथ भी न्यूड डे मनाते है......" अंजलि एक दमसे हैरत से चिल्ला पड़ती है.

"हा माँ........क्यों नहि........मगर सभी नही.........ऐसे भी न्यूड डे हर कोई नहीं मनाता.........वहा लोगों के बिच एक खुलापन है.......उनके लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है......" 

"यकीन नहीं होता.......भला यह भी कोई बात हुयी......कैसे एक माँ अपने बेटे के सामने एक बेटी अपने बाप के सामने या फिर एक बहिन अपने भाई के सामने नंगी हो सकती है.......यह तोह बेशरमी की हद्द है.........." अंजलि को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था.

"देखो माँ में पहले ही तुम्हे कह चुका हु के हर कोई न्यूड डे नहीं मनाता.......और माँ उनके कल्चर में नगन्ता कोई बड़ी बात नहीं है......मान लो नगन्ता उनके कल्चर का हिस्सा है इस्लिये यह बात उनके लिए इतने ज्यादा मायने नहीं रखती ..." विशाल अपनी माँ को समजाता है.

"शी.....यह भी कोई कल्चर हुआ........कैसे बेहूदा तौर तरीके हैं उन लोगों के......." अंजलि किसी सोच में गुम कह उठती है.

"मा यह तोह अच्छी बात न हुयी........इस तरह उन लोगों के कल्चर को बेहूदा कहना. ........जब हम लोग जानवरों की भी पूजा करते है........पेड़ पोधों तक्क की और इस कारन जब्ब वो लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं तो हमें कैसा लगता है!...........मा हमारी नज़र में हम जो करते हैं वो ठीक है क्योंके हमारी मान्यता उसे जायज ठहरति है......ऐसे ही उनकी मान्यता है....उनके जीने का रंग ढंग हैं........बस बात एहि है के वो हमारी मान्यतायों के लिए हमारा मजाक उड़ाते हैं और हम उनका........." 

"बस बस्स.........उनकी ज्यादा तरफ़दारी करने की जरूरत नहीं है......मुझे क्या मालूम था तुझे मेरी छोटी सी बात का इतना गुस्सा लगेगा......." अंजलि झूठ मुठ की नाराज़गी जाहिर करती है जबके वो खुद जानती थी के विशाल गुस्सा नहीं है.
"यह माँ में गुस्सा नहीं हु......में तोह बस तुम्हे बताने की कोशिश कर रहा था.......उनके हिसाब से.......के यह कोई गलत बात नहीं है......" विशाल अपनी माँ के गाल को चूमता हुआ बोला.
"ठीक है ठीक है.......लकिन इसमें ऐसा क्या है जो तुम लोग भी इसे मनाते हो......उनकी बात छोड़हो.........तुम्हरी बातों से लगता है के तुम भी खूब एन्जॉय करते होगे........अखिर इसमें ऐसा कोनसा मज़ा है जो तुम्हे भी यह इतना पसंद है.........."
"मा बस एक फीलिंग है, एक अलग ही किसम का एहसास होता है जिस्म से कपडे जुदा करने का......कुदरत को खुद से इतना करीब महसूस करने का.......एक बहुत ही रोमांचक सा एहसास होता है माँ.......ऐसे लगता है जैसे आप सभी बन्धनों से आज़ाद हो गए हों...........इसे लफ़्ज़ों में बयां करना मुश्किल है.........इसे तोह बस महसूस किया जा सकता है......." विशाल की आँखों से मालूम चलता था के न्यूड डे उसे कितना पसंद था.
"बास बस्स......रहने दे......और व्याख्या की जरूरत नहि.......मेरी समज में अच्छे से आ गया है......." अंजलि हँसति हुयी कहती है तोह विशाल भी हंस पढता है.
"अच्छा एक बात तो बता........" अचानक से अंजलि बहुत ही शरारती सी मुस्कान के साथ विशाल की आँखों में देखति है. "तुम्हारे इस महान कार्यक्रम में लड़कियां भी हिस्सा लेती थी क्या........" विशाल अपनी माँ के सवाल पर बुरी तरह शर्मा उठता है. उससे जवाब देते नहीं बन पा रहा था. वो धीरे से अपना सर हा में हिला देता है और स्वीकार कर लेता है.
"वॉव............" अंजलि लम्बे सुर में कहती है. "अच्छा अगर लड़कियां भी हिस्सा लेती थी तोह फिर.......फिर तुम्हारे इस रँगा रंग नंगे कार्यक्रम का समापन कैसे होता था...........और देखो झूठ मत बोलना, तुमने वादा किया है........" अंजलि उसी शरारती मुस्कान के साथ बेटे को याद दिलाती है.
"मा.....तुम......प्लीज् यह मत पूछो...........झुठ तुमने बोलने से मना किया है.......और सच में बोल नहीं सकता........." विशाल नज़रें चुराता कहता है. 
"हुँऊँणह्ह्ह्हह्ह्.......में भी कैसी बुद्धू हु....... ...तोः यह असली वजह थी के तुम न्यूड डे को क्यों इतना पसंद करते हो....के मुझे मिलने के लिए भी नहीं आना चाहते थे......और में भी कितनी बुद्धू हु........केसा सवाल पूछ बैठि.........जब जवान लड़के लड़कियां नंगे होकर क्या करेंगे भला यह भी कोई पुछने की बात है........." अंजलि की हँसी रोके नहीं रुक रही थी. विशाल के गाल शर्मिंदगी से लाल हो गए थे.

आखिरकार अंजलि बेटे का गाल चूमती है और धीरे से मुस्कराते हुए उससे जुदा होती है. उस गर्माहट भरे अलिंगन से जुदा होने पर दोनों माँ बेटे को अच्चा महसूस नहीं होता.

"चल मुझे बहुत से काम करने है......सुबह का घर का सारा काम पडा है.......दोपहर का खाना भी बनाना है......बातों बातों में समय का पता ही नहीं चला.........तूझे आज कहीं जाना तोह नहीं है.........." अंजलि अपने कपडे ठीक करते हुए कहती है. विशाल अपनी नज़र तरुंत फेर लेता है. अंजलि के भरी मम्मे उसकी टी-शर्ट के अंदर हिचकोले खा रहे थे. 

"अपने दोस्तों से ही मिलने जाना है माँ. कल सभी से मिल नहीं पाया था" विशाल अपनी नज़र बलपूर्वक टीवी की तरफ मोड़ कर कहता है.

"ठीक है बेटा.........में थोड़ा बहुत काम निपटा दुं, उसके बाद लंच की तय्यारी करती हु. तुम लंच के बाद अपने दोस्तों से मिलने चले जाना मगर कल की तरह रात को देर नहीं करना. तुम्हारे पीता रात में गुस्सा कर रहे थे."

"हु......ठीक है माँ, आज जल्दी आने की कोशिश करूँगा" 

दोनो माँ बेटा अपने अपने काम में बिजी हो जाते है. विशल ऊपर अपने कमरे में जाकर अपने लैपटॉप पर कुछ इ-मेल्स भेजने में मशरूफ़ हो जाता है जबकि अंजलि घरेलु कामो में. बेटे के पास उठने को उसका दिल नहीं कर रहा था मगर घर का सारा काम पडा था. उसकी मजबूरी थी इस्लिये उसे उठना पढ़ा नहीं तोह बेटे का साथ, उससे बातें करना, उसका वो गर्माहट भरा अलिंगन, माँ के प्यार मे डूबे उसके चुम्बन, सभ कुछ कितना प्यारा कितना आनन्दमयी था. लेकिन वो दिल ही दिल में इस बात से भी डरती थी के कहीं वो अपने बेटे को बोर न करदे.

विशाल भी अपने कमरे में जाकर लैपटॉप के सामने बैठा अपनी माँ के साथ बिताये अपने समय के बारे में ही सोच रहा था. कितना सुकुन, कितना आनंद था माँ के अलिंगन में. कैसे वो उसकी और प्यार भरी नज़रों से देखति बार बार मुसकरा पड़ती थी. सभी कुछ कितना रोमांचक महसूस हो रहा था. विशाल आज खुद को अपनी माँ के इतने इतने करीब महसूस कर रहा था जितना उसने आज तक कभी नहीं किया था. उनके बिच एक नया नाता जुड़ गया था और विशाल का दिल कर रहा था के वो अपना सारा समय अपनी अपनी माँ से यूँ ही लीपटे हुए उससे बातें करते हुए बिताए.लंच के बाद जल्द ही विशाल घर से निकल गया. अपने पुराने दोस्तों को मिलकर उनके साथ मस्ती करने में एक अलग ही आनंद था. मगर नाजाने क्यों उसे कुछ कमी महसूस हो रही थी. जैसे मज़ा उसे पिछले दिन अपने दोस्तों के साथ समय बिताने में आया था वैसा मज़ा आज नहीं था. आज उसका ध्यान बार बार घर की और जा रहा था. सही अर्थों में उसका ध्यान घर की और नहीं बल्कि अपनी माँ की और जा रहा था. शाम होते होते वो कुछ बेचैन सा हो उठा और अपने दोस्तों से विदा लेकर घर की और चल पढ़ा. उसके दोस्त उसके इस तरह इतनी जल्दी चले जाने से खुश नहीं थे और उससे कुछ देर रुक्ने के लिए रिक्वेस्ट कर रहे थे मगर विशाल के लिए रुकना मुश्किल था. जब्ब वो घर पहुंचा तो अभी उसके पिताजी काम से लौटे ही थे और अंजलि किचन में खाना पका रही थी.

विशाल जैसे ही किचन में गया उसकी माँ उसे इतनी जल्दी लौटा देख थोड़ी हैरान हो गयी मगर उसका चेहरा ख़ुशी से खील था. 

"क्या हुआ? आज इतनी जल्दी कैसे लौट आये? मुझे लगा था कल्ल की तरह लेट हो जाओगे" अंजलि मुस्कराती हुयी बेटे का अभिनंदन करती है. विशाल आगे बढ़कर अपनी माँ को अपने अलिंगन में भर लेता है. 

"क्या करूँ माँ तुमारे बिना दिल ही नहीं लग रहा था.........इसीलिये चला आया." विशाल मुस्कराता अपनी माँ से कहता है. अंजलि बेटे के चेहरे को प्यार भरी नज़रों से देखति है. वो अपने जिस्म को अपने बेटे की बाँहों में ढीला छोड़ देती है. विशल अपनी बहें अपनी माँ की कमर पर थोड़ी सी कस्स कर उसे अपनी तरफ खेंचता है तोह अंजलि के मम्मे उसके सीने पर दस्तक देणे लगते है. अंजलि कुछ कहने के लिए मुंह खोलती है के तभी ड्राइंग रूम में कदमो की आहट सुनायी देती है. विशाल घबरा कर तूरुंत अपनी माँ को अपने अलिंगन से आज़ाद कर देता है और किचन में एक कार्नर में रखी कुरसी पर बैठ जाता है. अंजलि उसके इस तरह घबरा उठने पर हंस पड़ती है. विशाल शर्मिंदा हो जाता है. तभी कमरे में विशाल के पिता का आगमन होता है. वो अंजलि से इस तेरह हंसने की वजह पूछता है तोह अंजलि कहती है के विशाल उसे एक बहुत ही मज़ेदार जोक सुना रहा था. विशाल और शर्मिंदा हो जाता है.
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई - by sexstories - 03-20-2019, 12:12 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,445,237 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,109 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,209,790 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 914,520 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,621,085 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,054,108 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,906,802 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,908,941 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,974,622 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,687 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)