RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
"चुदूँगी बेटा.......जरूर चुदूँगी......हाय कल....कल तेरे घोड़े की सवारी करेगी तेरी माँ.....कल पूरा दिन......." विशाल अंजलि की कमर थाम उसे अपने लंड पर दबाता है. विशाल का मोटा कठोर लंड कच्छी के कपडे को अंदर की और दबाता चुत के होंठो को फैला देता है.
"उऊउउउफफ्फ्फफ्फ्फ़ ..............हैय्यीइए मममममा" लंड और चुत के बिच विशाल के अंडरवियर और अंजलि की कच्छी का अवरोध था मगर फिर भी अंजलि चुत के होंठो में बेटे के लंड की हलकी सी रगढ से सिसक उठि. उसका पूरा वजूद कांप उठता है.
"मेरे लाआलललललल.........उउउनंनंग्घहहः" इस बार जैसे ही अंजलि के होंठ खुले विशाल ने अपनी जीव्हा माँ के होंठो में घूसा दि. अंजलि ने तुरंत बेटे की जीभा को मुंह में लेकर चुसना सुरु कर दिया. माँ बेटे के बिच यह पहला असल चुम्बन था. दोनों एक दूसरे के मुखरस को चुसते निचे चुत और लंड पर दवाब बढा रहे थे. विशाल जहां अपनी माँ को अपने लंड पर भींच रहा था वहीँ अंजलि अपना पूरा वजन बेटे के लंड पर दाल देती है. नतीजतन लंड का टोपा कच्छी के कपडे को बुरी तरह से खींचता चुत के होंठो के अंदर घुस जाता है. कच्ची का कपडा जितना खिंच सकता था खिंच चुका था अब अंजलि की कच्छी लंड को इसके आगे बढ्ने नहीं दे सकती थी. मगर माँ बेटा ज़ोर लगाते जा रहे थे अखिरकार सांस लेने के लिए दोनों के मुंह अलग होते है.
"ऊऊफफफफ्फ्फ्फफ्.,..बस कर.....बस कर बेटा......बस कर..........मेरी फट जाएगी" अंजलि उखड़ी साँसों के बिच कहती है. कमरे में साँसों का तूफ़ान सा आ गया था
"फट जाने देमाँ....आज इसको फट जाने दे.......ईसकी किस्मत में फ़टना ही लिखा है" विशाल अब भी ज़ोर लगाता जा रहा था. वो तोह किसी भी तरह अपना लंड माँ की चुत में घुसेड देना चाहता था.
"अभी नहि.....आज नहीं बेटा....."
"फिर कब माँ.....कब फड़वायेगी अपनी...कब...कब....मुझसे इंतज़ार नहीं होता..माँ .....नही होता" विशाल के लिए एक पल भी काटना गंवारा नहीं था. उसका बस चलता तोह अपनी माँ के जिसम से ब्रा-कच्छी नोंच कर उसे वहीँ चोद देता.
"कल....कल फड़वाऊंगी बेटा.......वादा.. ..... वादा रहा........ कल फाड़ देना मेरी......" माँ बेटे के होंठ फिर से जुड़ जाते है. फिर से दोनों की जीभे एक दूसरे के मुंह में समां जाती है. मगर इस बार अंजलि खुद को पहले की तरह आवेशित नहीं होने देती. उसे एहसास हो चुका था के विशाल की उत्तेजना किस हद तक बढ़ चुकी थी. अब अगर वो अपने बेटे को और उकसाती तोह वो उसकी न सुनते हुए उसे चोद देणे वाला था चाहे उसका पिता भी आ जाता वो रुकने वाला नहीं था. एक लम्बे चुम्बन के बाद जब दोनों के होंठ अलग होते हैं तोह अंजलि बेटे के नितम्बो से अपनी टाँगे खोल देती है. विशाल नचाहते हुए भी अपनी माँ को वापस ज़मीन पर खड़ा कर देता है.
"बस आज की रात है बेटा सिर्फ आज की रात" कहकर अंजलि पीछे को घुमति है और झुककर अपना गाउन उठाती है. उसके झुकते ही विशाल को अपनी माँ की गोल मटोल गांड नज़र आती है जो उसके झुक्ने के कारन हवा में लहरा रही थी और जैसे उसे बुला रही थी- आओ मेरे ऊपर चढ़ जायो और चोद डालो मुझे. विशाल आगे बढ़कर माँ की गांड से अपना लंड टच करने ही वाला था की किसी तरह खुद को रोक लेता है.
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