RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
अंजलि भी जल्दी से उठकर अपना गाउन पहनती हुयी दरवाजे की और बढ़ती है. दरवाजे के पास पहुंचकर अचानक वो ठिठक जाती है. विशाल देख सकता था के वो अपनी बाहे गाउन के अंदर दाल अपनी पीठ पर ब्रा के हुक के साथ कुछ कर रही थी मगर क्या कर रही थी वो गाउन का पर्दा होने के कारन देख नहीं सकता था. अंजलि अपने हाथ पीठ से हटाकर अपनी कमर पर रखती और फिर झुकने लगती है. जब वो एक एक कर अपना पांव उठाती है तब विशाल समज जाता है के वो ब्रा और कच्छी निकाल रही थी. अंजलि वापस बेते की तरफ घुमति है. उसने एक हाथ से अपने गाउन को कस्स कर पकड़ा था के कहीं खुल न जाये और दूसरे हाथ में अपनी कच्छी ब्रा थामे हुए थी. वो बेटे के हाथ में अपनी कच्छी और ब्रा थमा देती है.
"येह लो.....इसे रखो......अगर नींद न आये तोह इनका इस्तेमाल कर लेना" इसके बाद अंजलि घूम कर तेज़ी से कमरे से बाहर निकल जाती है. विशाल अपने हाथ में थामी कच्छी अपनी नाक से लगाकर सूंघता है.
अगली सुबह जब विशाल ऑंखे मलता हुआ उठता है तोह समय देखकर हैरान हो जाता है. सुबह के नौ बज चुके थे. वो इतनी देर तक कैसे सोता रहा, विशाल को हैरत हो रही थी. शायद पिछले दिनों की थकन के कारन ऐसा हो गया होगा. मगर आज उसकी माँ भी उसे जगाने नहीं आई थी.
विशाल बिस्तर से निकल सीधा निचे किचन की और जाता है जहा से उसे खाना पकाने की खुशबु आ रही थी. उसने कुछ भी नहीं पहना था मगर किचन में घुसते ही उसे ज़िन्दगी का सबसे बड़ा झटका लगा. सामने उसकी माँ भी पूरी नंगी थी. विशाल को अपनी माँ की गोरी पीठ उसकी गांड, उसके मतवाले नितम्ब नज़र आ रहे थे विशाल का लंड पलक झपकते ही पत्थर की तरह सख्त हो चुका था. वो सीधा माँ की तरफ बढ़ता है.
अंजलि कदमो की आहट सुन कर पीछे मुढ़कर देखति है और मुसकरा पड़ती है. विशाल अपनी माँ के नितम्बो में लुंड घुसाता उससे चिपक जाता है और अपने हाथ आगे लेजाकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लेता है.
"गुड मॉर्निंग बेटा.........कहो रात को नींद कैसी आई.......यह तुमने तोह मुंह तक नहीं धोया" अंजलि अपने मम्मो को मसलते बेटे के हाथों को सहलाती है.
"मा.....मैने सोचा भी नहीं था.....तुम मेरी खवाहिश पूरी कर दोगी" विशाल गांड में लंड दबाता ज़ोर ज़ोर से अपनी माँ के मम्मे मसलता है.
"उऊंणह्हह्ह्.....अब अपने लाडले बेटे की खवाहिश कैसे नहीं पूरी करति...........उउउउउफफ........धीरे कर....मार डालेगा क्या.........." अंजलि सिसक उठि थी. "जा पहले हाथ मुंह धोकर आ, नाश्ता तैयार है"
मगर विशाल अपनी माँ की कोई बात नहीं सुनता. वो हाथ आगे बढाकर गैस बंद कर देता है और फिर अपनी माँ की कमर पर हाथ रख उसे पीछे की और खींचता है. अंजलि इशारा समझ अपनी टाँगे पीछे की और कर अपनी गांड हवा में उठाकर काउंटर थामे घोड़ी बन जाती है. विशाल अपना लंड पीछे से झाँकती माँ की चुत पर फिट कर देता है. आखिर वो पल आ चुका था. ओ.अपना लंड अपनी माँ की चुत में घुसाने जा रहा था. वो अपनी माँ चोदने जा रहा था. कामोन्माद और कमोत्तेजना से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था.
"उऊंणग्ग्गहह घूसा दे......घुसा दे मेरे लाल......घुसा दे अपना लंड अपनी माँ की चुत में......." माँ के मुंह से वो लफ़ज़ सुन विशाल की कमोत्तेजना और भी बढ़ जाती है. वो अपना लंड चुत पर रगढ आगे की और सरकाता है के तभी उसके पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड जाती है. उसके लंड से एक तेज़ और ज़ोरदार पिचकारी निकल उसकी माँ की चुत को भिगो देती है.
"मा......." विशाल के मुंह से लम्बी सिसकि निकलती है और वो अपनी ऑंखे खोल देता है. कमरे में जहाँ अँधेरा था. विशाल को कुछ पल लगते हैं समझने में के वो अपने ही कमरे में लेता हुआ था के वो सपना देख रहा था. तभी उसे अपनी जांघो पर गिला चिपचिपा सा महसूस होता है. वो हाथ लगाकर देखता है. उसके लंड से अभी भी वीर्य की धाराएँ फूट रही थी जिससे उसका पूरा हाथ गिला-चिपचिपा हो जाता है
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