RE: Maa Chudai Kahani आखिर मा चुद ही गई
"अब घूरते ही रहोगे या कुछ करोगे भी" कुछ पल तक्क विशाल को घूरते रहने देणे के पश्चात अंजलि एकदम से बोल उठि.
"ओह मा.....कया कहा तुमने" विशाल तोह जैसे माँ की चुत में खो गया था.
"मैंने कहा अब मेरा काम करने की जल्दी नहीं है क्या" अंजलि अपने दोनों हाथो से मम्मो को पोंछती हुयी विशाल को कहती है. उसकी उंगलिया निप्पलों को खींचती है तोह विशाल का लंड एक करारा झटका मारता है.
"तेरा काम करने के लिए ही तोह इतनी दूर से आया हू. कहाँ से शुरु करू......" विशाल की नज़र आंजली के मम्मो से उसकी चुत तक्क ऊपर निचे हो रही थी.
"ऐसा करो पहले फर्नीचर सेट कर लेते हैं फिर मोप मारते है" अंजलि अपनी चुत के अंदर हो रही सनसनाहट को दबाने का प्रयत्न करते कहती है.
"हुँ चलो माँ, पहले फर्नीचर ही सेट करते है. फर्नीचर ठीक जगह होगा तो तुम्हारा काम भी ठीक तरीके से होगा........... इस कुरसी से शुरु करते हैं माँ........" विशाल एक कुरसी को उठाता है तो अंजलि उसे इशारा करती है के कुरसी कोने में रखणी है. विशाल कुरसी को कोने में रखकर उसके हाथो पर दोनों हाथ टीका थोड़ा झुकता है और फिर अपनी माँ की और देखता है "देखो माँ एकदम परफेक्ट है.......जरा कल्पना करके देखो........" विशाल अंजलि को आंख मारता है.
"कुर्सी बैठने के लिए होती है बरखुरदार तुम इस तरह इस्सपे झुककर क्या करोगे"
"सहि कहा माँ.....में झुक कर क्या करुँगा......लकिन तुम झुकोगी तोह में जरूर कुछ कर सकता हु.....है ना माँ"
"बिल्ली को ख्वाब में भी छितड़े नज़र आते है" अंजलि अपनी गांड मटकाती सोफ़े की और बढ़ती है.
छोटे सोफ़े को दोनों माँ बेटा उठाते हैं हालांकि विशाल अकेला सोफा उठाने में सक्षम था मगर फिर वो अपने सामने झुकने के कारन माँ के लटकते हुए मम्मो को कैसे देखता. उस नज़ारे के लिए तोह वो क्या ना करता. जब बडे सोफे को उठाने की बारी आई तोह अंजलि ने हाथ खड़े कर दिये. विशाल खीँचकर सोफ़े को उसकी जगह लेकर गया और फिर अंजलि को इशारा किया की वो उसे इधर उधर करने में मदद करे. विशाल ने अपना कोना सही जगह पर रखा मगर अंजलि से वो सोफा न हिला या फिर उसने जान बूझकर नहीं हिलाया. विशाल मौका देखकर तरुंत सोफ़े के दूसरे कोने पर गया और इससे पहले की अंजलि वहां से हट जाती उसे अपने और सोफ़े के बिच दबा कर सोफ़े को सही करने का नाटक करने लगा. वो सोफ़े को कम हिला रहा था अपनी कमर को ज्यादा हिला रहा था और इस प्रक्रिया में वो अपना लंड माँ के कोमल मुलायम नितम्बो के बिच घूसा कर रगढ रहा था. कुछ देर बाद अंजलि भी अपनी कमर हिलाने लगी.
"उऊंणहह माँ क्या कर रही हो......सोफा ठीक करने दो ना......" विशाल अपने कुल्हे हिलाता अपने लंड का दबाव अंजलि की गांड के छेद पर देता है.
"उनंनहह सोफा ऐसे ठीक करते हैं क्या....." अंजलि अपनी गांड गोल गोल घूमते हुए विशाल को और तड़पाती है. वो अपने कुल्हे भींच कर लंड को दबाती है तो विशाल सिसक उठता है. "अपना यह खूँटा क्यों मेरे अंदर घुसाते जा रहे हो" अंजलि हाथ पीछे लेजाकर पहली बार बेटे के लंड को अपने हाथ में जकड़ लेती है.
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