mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
03-21-2019, 11:55 AM,
#2
RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
खुशियां ही खुशियां एक खिला सा परिवार हमारा.....
दोस्त की तरह मेरे पिता और मेरी हिटलर माँ सासन पसंद,
माँ के बाद मेरी दूसरी माँ मेरी बहन ( सिमरन )ओर प्यारी सी छोटी बहन ( दिया ) जिसकी चुलबुली शरारतें यूँ तो बहुत परेशान करती है पर हल्की सी मुस्कान छोड़ जाती ।



और अंत मे मैं ( राहुल ) एक नादान अल्हड़ सा जिसकी दुनियां काफी सीमित,बाहरवी की इम्तिहान खत्म हुए अभी 10दिन ही हुए थे और में बिल्कुल अपने घर मे आसन जमाया, न कही आना न कही जाना।



जिंदिगी में कोई ऐसा नही जिसके लिए खुद को तैयार कर , आईना देख दिल को सुकून ओर न हि कोई दिलमें ख्याल।
कुछ दोस्त ने होते तो शायद मुझे इस दुनिया के बारे में पता चलता । मेरी ज़िंदगी एक परफेक्ट ट्रैक पर चल रही... जिसमे केवल मेरा परिवार और मेरे दोस्त।




छुट्टियों के दिन चल रहे थे और मैं आलसी रोज की तरह सो रहा था..... अचानक ही दी ने मुझे नीचे हॉल से आवज दी....

बेटू..बेटू... । घर पर मुझे सब प्यार से बेटू ही बुलाते है...


में...(ऊपर से ही चिल्लाते हुए) क्या है दी सोने दो न प्लीज

दीदी.... नीचे आ कुछ बात करनी है फिर चले जाना सोने... वैसे भी तू इतना सौएग तो तेरा पेट बाहर आ जायेगा...

में ... अभी आया ये दी भी न आज लगता है सोने भी नही देंगी...

गर्मियो के दिन था में केवल शार्ट में लेता हुआ था , इस तरह अचानक बुलाये जाने पर में उसी अवस्था मे चला गया ।

मैं... क्या है दी ऐसी भी क्या जरूरत आ गई ।

दीदी... पागल जा पहले फ्रेश होकर कपड़े पहन कर आ 

मैं... उफ्फ में ना जाऊंगा ओर मुझे जितने कपड़े पहने होने चाहिए में पहने हु ओर कोन सा यहाँ पार्टी चल रही है।

दीदी..... बड़ा ज़िद्दी है किरण अपनी दी कि तो कुछ सुनता है नही।

मैं... बन्द केओ दी ये इमोशनल अत्याचार, ओर तुम बताओ किरण की अपने घर मे ऐसे रहने में कोई परेशानी है।




किरण, दीदी की उन खास दोस्तो में से है जिनका आना जाना हमारे घर लगा रहता है इसीलिए मैं भी जनता था ।

किरण.... राहुल awesome look है बस थोड़ा पानी मार लो फेस पर , बाल सवार ओर बहार चला जा लड़कियों की लाइन लग जायेगी।

में इन सब मामलो में थोड़ा कच्चा था अभी अभी जवानी की दहलीज पर खड़ा हुआ 18साल का बच्चा... थोड़ा शर्मा गया ओर नीचे सिर करके ,... 'क्या किरण मुझे तो कोई देखती ही नही'

किरण... पागल तू बद्दू है , जब कोई देखे गी जो पसंद आएगी तो तू समझ जाएगा कि कोई तुझे देखती हैं कि नही। इतनी मस्त पर्सनालिटी है तेरी साढ़े छह फीट की हाइट।एक काम कर तू मेरे साथ मेरा बॉयफ्रैंड बन कर कभी डिस्को में चल कर ... तेरे जैसे क्यूट पर पर्सनालिटी वाला बॉयफ्रेंड देख कर न जाने कितनी लड़कियां आह भर मर जाए।

दी... चुप कर किरण बिगड़ मत मेरे भाई को , तुझे कुछ काम था या ऐसे ही टाइम पास करने आई है ।

किरण.. हाँ राहुल सुन में अगले महीने पुलिस अकादेमी में फिजिकल टेस्ट के लिए जा रही हूं लेकिन मुझे लांग जम्प ओर 800 मी रनिंग में थोड़ी दिक्कत आ रही है तो क्या तुम मुझे हेल्प करोगे ?

में...जी बिल्कुल कब से सुरु करना है।

किरण ... कल से ही करते है।

मैं... ठीक है कल सुबह 5 बजे मैदान में मिलना।

किरण ..ठीक है राहुल कल सुबह 5 बजे।




इसके बाद वो दोनों बात करते रहे मैं बहार घूमने चला गया ।अगली सुबह 4 बजे रोज की तरह उठ गया ओर में मेरे दोस्त ऋषभ, मेरा क्लास 1से अबतक का साथी दोनो यही रूटीन फॉलो करते थे ।

मैदान गया वहाँ मेरा दोस्त ऋषभ वही मौजूद था । हुम् दोनो ने रनिंग की और कुछ एक्सरसाइज करने लगे तबतक किरण भी वहाँ आ चुकी थी

दोनो ने गुड मॉर्निंग विश किया फिर मैं ऋषभ से विदा लेकर किरण को प्रैक्टिस करवाने लगा।

प्रैक्टिस खत्म करते करते 8 बज चुके थे तो मैं किरण से विदा लेलर घर जाने लगा कि किरण जिद्द करने पर उसके घर चाय नाश्ता करने और उसकी फैमिली से मिलने चला गया। जब मैं किरण के घर के गेट पर पहुंचा तभी दी का फ़ोन आया।





मैं ... हा दीदी।

सिमरन...हो गई प्रैक्टिस।

मैं.... जी दीदी।

सिमरन.... घर आजा देर क्यों कर रहा है।

फिर मैंने पूरी बात बता दी कि किरण के घर से नाश्ता करने के बाद ही आऊंगा। मैंने फ़ोन कट किया ही था और जैसे ही मुड़ा की मैं सन्न रहह गया।


सामने एक खूबसूरत लड़की कमसिन 5.6 की लंबी पर्सनालिटी, चेहरे में एक खिंचाव ,एक आकर्षण एक ललक मेरी नजर उस ओर से हट है नहीं रही थी। चेहरे का तेज ऐसा की मन मोह ले, चेहरे के ऊपर लटकते काले घुंगराले बाल, कान में बड़ी बड़ी बलिया। मैं ऐसा रूप - यौवन पहले कभी नही देखा था । मेरे लिए तो यह पल जैसे थम चुका था और मैं अपनी रूप की देवी को वैसे ही शांत खड़ा निहारता रहा । तभी मेरे कान मैं आवाज सुनाई दी ....



मैं उसे देखने में इतना खो गया था कि पता नहीं कितनी बार आवाज दी हो , जब ध्यन टूटा तो पता चला किरण मुझे आवाज दे रही है मैं कुछ पल के लिए हड़बड़ाया फिर सम्भलते हुए...क्या है किरण
किरण.... हस्ते हुए क्या हुआ कहाँ खो गए थे।

मैं.... मुझे थोडी असहजता के साथ, कुछ नहीं किरण मैं घर की आउटलुक देख रहा था।

किरण ... हंसते हुए आउटलुक हो गया हो तो अन्दर चले।




मैं चल दिया किरण के साथ, किरण आगे चल रही थी मैं पीछे पीछे चल रहा था पर मेरा ध्यान तो उसी खूबसूरत पर अटक गया था। किरण के घर अन्दर आया तो पूरी फैमिली डिंनिंग टेबल पर जमा थी । एक -एक करके किरण ने मुझे सबसे मिलवाया।


वँहा सबसे नमस्कार और hii hello हो रहा था तभी वो लड़की जिसे देख कर मेरे दिल मे तार बज चुका था।हवाओ में अजीब सी धुन बजने लगी थी और आंखों में बस उसी की सूरत वो भी पहुंच चुकी थी , किरण ने मुझे इंट्रोड्यूस करवाया....

किरण इस से मिलो यह मेरी कजिन रूही है अभी 12थ मैं आ गई है ।



मैं..... हेलो रूही।
रूही...... गुस्से भारी नजरों से घूरते हुए "hii"





उसके बाद सब नास्ता करने लगे पर रह - रह कर बार - बार नजर उसपर ही जा रही थी। इस बात का एहसास उसे भी हो गया था इसलिए वो बहुत गुस्से में जल्दी से खा रही थी और इस मुख्य दर्शक थी किरण जो हम दोनों को देख कर मुस्कुराते हुए खा रही थी।


खैर नास्ता कर मैं बारे मयुष मन से वहाँ से जाने लगा दिल मे बस यही ख्याल लिए.... "आह काश कोई मुझे यहां रोक ले तो मैं सारा दिन यही रुक सकता हूँ " बस इसी ख्याल के साथ अपने आह भरे अरमानो के साथ वहाँ से निकलकर घर पहुंचा घर पहुंच कर मेरा सामना मेरी दी सिमरन से हुआ ।
सिमरन दी मुझे टोकते हुए व्यंग भरे सब्दो मैं.......

"हूँ तो आज कल आप लोगो के घर आउटलुक देखा करते हैं"
मैं दीदी के व्यंग भरे सब्दों को समझ गया और बिना कोई जबाब दिए अपने कमरे मे चला गया ।

अभी सुबह के 9:30 am ही बजे थे और मेरा एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा था यह उम्र ही ऐसी होती है जब आपका दिल आपको नकारा बना देता है ।

यहाँ एक पल की मुलाकात के बाद मेरी बेचैनी की कोई सीमा ना थी कि कब उसके एक और झलक मिल जाये।

मैं इन्ही ख़यालों में खोया था तभी दरवाजे पर आहत हुई मुड़ कर देखा तो माँ थी।




माँ..... बेटू..... में ..... जी माँ ।

माँ...... कंहाँ खोया है बेटा।

मैं ....... कुछ नहीं माँ रिजल्ट के बारे मैं सोच रहा था ( झूठ )
माँ...... चल इतना सोचने की जरूरत नहीं है अच्छा ही होगा वैसे तू क्या कर रहा है ....

मैं ......कुछ नहीं माँ फ्री हुन।

माँ ..... मुझे और शिल्पा ( मेरी पड़ोसी माँ की दोस्त ) को मिस रॉय के यहां जाना है।

मैं ...कौन मिस रॉय मां।

माँ ....शिल्पा की फ्रेंड है मिस रॉय .... उसके घर किट्टी पार्टी है ।

वैसे तो मुझे किसी काम में मन नहीं लग रहा था सोचा माँ का ही काम कर दूं ओर मैंने उन्हें ड्राप करने के लिए ओके बोल दिया। मैं जल्दी से तैयार हो कर नीचे चला आया ।

नीचे मेरी लाडली दिया भी तैयार होकर बैठी थी । मैन उसे चिढ़ाने के लिए बोला..... " माँ यह किट्टी पार्टी तुम लेडीज के लिए है वँहा बच्ची का क्या काम "

दिया गुस्से में..... माँ इनसे कह दो अब मैं बच्ची नही और चुपचाप अपना काम करे।

उसकी बातें सुनकर उसे चिढ़ाने के इरादे से.... तू इतना बन सवर के किसकी शादी में जा रही हैं ।

दिया गुस्से से.... माँ देखो ना भैया को।

माँ .... क्यू तांग कर रहा है उसको ।

मैं .... मैं कहाँ तांग कर रहा हूँ मैं तो पूछ रहा हूं कहा जा रही हैं।

माँ .... मुझे छोड़ने के बाद तू इसको मार्केटिंग के लिए ले जाएगा ।

मैं...... नहीं ले जाऊंगा दीदी को बोलो वो चली जाए ।
दिया .... माँ अभी मुझे बताओ कि भैया चल रहे हो या मैं अकेले जाऊं ।

माँ ..... ले जा बेटू तेरी प्यारी बहन है , तेरा कितना ख्याल रखती हैं।

मैं ..... हा मैं जानता हूं लंच बॉक्स मैं खाने में केवल बॉक्स होता हैं लंच यह किचन में ही छोड़ देती हैं।

माँ ...... तू चुप कर और दिया से ..... ये तुझे ले जाएगा चिंता मत कर ।

इन्ही सब बातो के दौरान शिल्पा आंटी भी आ जाती हैं और हम कार मैं रॉय आंटी के घर जाने लगते हैं ।




लेकिन अब जैसे - जैसे शिल्पा ऑन्टी रास्ता बता रही थीं मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था क्योंकि ये पता और किरण के घर का रास्ता एक ही है ।


मैं मन ही मन भगवान से मांग रहा था," हे भगवान ये मिस रॉय वही रॉय फैमिली हो जिस से अभी मैं मिल काट कर आया हूँ " 

और लगता है भगवान ने मेरी सुन ली यह वही घर था जहां से कुछ घंटे पहले में जाना नहीं चाहता था और अब मैं वही खड़ा था। मैं कार से नीचे उतरा तो नीचे रेणुका आंटी ( किरण की माँ ) खड़ी थी मुझे देख तो आश्चर्य से..... "क्या हुआ राहुल कुछ भूल गए क्या " तबि उनकी नजर माँ और शिल्पा आंटी पर गई ।
माँ...... यह मेरा बेटा राहुल है मुझे छोड़ने आया है।

रेणुका आंटी .... देख शिल्पा हुम् एक दूसरे को जानते हैं और हमारे बच्चे एक दूसरे को जानते ह क्या इत्तेफाक है ।
फिर माँ मुझे घर जाने का बोल कर सबके साथ अन्दर चली गई ।

पर यह बईमान मन सोचा एक झलक रही कि देख लू फिर चला जाऊंगा । यही सोचते हुए अंदर जाने लगा कि मुझे गेट पर किरण नजर आई ।

किरण आश्चर्य से..... क्या हुआ राहुल कुछ काम था मुझसे
फिर मैंने सारी बात किरण को बता दी.... किरण..." चलो कोई बात नहीं चाय लोगे "

यू तो में कभी घर में चाय नहीं पीता पर रूही को देखने के चक्कर में मैंने हां कर दी और अंदर हाल में आकर बैठ गया ।
ऊपर सभी लेडीज की किट्टी पार्टी शुरू हो गई थी।

किरण किचन में जाकर चाय बना रही थी और मेरी बेचैन नजर रूही को ढूंढ रही थीं । शायद किरण ऊपर कुछ भूल आयी हो इसलिए भागते हुए ऊपर जाती है ।

अभी मैं कुछ सोच रहा था कि सामने से रूही चाय लेकर आती हुई दिखी । मैं आह भरते हुए सोचा.... काश आह!


वो मुझे चाय देकर चली गयी और मेरी नजर उसके पीछे-पीछे गई । मैं गौर से उसी ओर देखता रहा बिना पलक झपकते हुए । और मैं लगातार उसी ओर देख रहा था कितनी देर तक पता नहीं ।


तभी मेरे फ़ोन की घंटी बजी और मेरा ध्यान भंग हुआ । मैं कॉल देख कर आस्चर्य में पड़ गया....

कहानी जारी रहेगी...........
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RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - by sexstories - 03-21-2019, 11:55 AM

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