RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
. अपडेट -2
मेरे मोबाइल पर कॉल आती है और मेरा ध्यान भंग होता है और कॉल देख कर मैं आश्चर्य में पड़ जाता हूँ ।
यह कॉल मेरी माँ का था मैं सोच में पढ़ जाता हूँ कि अभी तो इन्हें में किट्टी पार्टी में छोड़ कर आया हु इतनी जल्दी फोन कु कर रही है।
मैं कॉल उठा कर.... हेलो माँ।
माँ ... कहा है बेटू घर नहीं पहुंचा ।
मैं..... माँ अभी तो में नीचे ही बैठा हूँ निकला कहा घर के लिए
माँ.... आश्चर्य से बेटा आधा घंटा हो गया अभी तक घर नहीं गया दिया इन्तेजार कर रही होगी ।
मैं.... ठीक है माँ अभी जाता हूं । ( उदास मन से )
माँ..... रुक ऊपर आ पहले फिर जाना ।
मै धीमे कदमो से ऊपर की ओर बढ़ते हुए माँ के पास पहुंचा ।
ऊपर जब पहुंचा तो रॉय आंटी ने मुझसे कहा..... "राहुल तुम्हारी माँ बता रही थीं कि तुम मार्केट जा रहे हो अपनी बहन के साथ तो रूही को भी साथ लेकर जाओ वहाँ रूही को भी अपने लिए कुछ खरीदना है"
इतना सुनने के बाद तो मेरे दिल में जैसे खुशी की लहर दौड़ गई और फिर मुझे एक फ़िल्म का डायलॉग याद आ गया ।
" जब आप किसी को सिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती हैं"
मैं यही सोच रहा था कि रॉय आंटी ने रूही को बुलाया और तैयार होकर मेरे साथ मार्किट जाने को कहा । पर रूही को देख कर ऐसा लग रहा था कि वो मेरे साथ नहीं जाना चाहती ।
रूही रॉय आंटी की बात को टालते हुए ..... " मासी मैं किरण के साथ शाम को मार्केट चली जाउंगी " .
रॉय आंटी ... अभी कुछ देर पहले तो किरण से लड़ रही थीकी तुझे अर्जेंट मार्केट जाना है , अब शाम को बोल रही हैं कु क्या हुआ बोल ।
रूही ने जब इतना सुना तो वो झेप गई और नजरें नीचे करके बोली.... मासी मुझे किरण के साथ जाना है में अकेले कंफ्यूज हो जाती हूँ क्या लू क्या नहीं ( झूठ )
रॉय आंटी रुक अभी.. किरण - किरण
किरण...हा माँ।
रॉय आंटी .... जा दोनो बहन तैयार हो जा राहुल अभी अपनी बहन के साथ मार्केट जा रहा है तुम दोनों भी चले जाओ ।
किरण हा माँ बोलकर रूही को भी साथ ले जाती हैं मन तो उसका बिल्कुल भी नहीं था लेकिन अब उसके पास कोई रास्ता नहीं था ।
मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए नीचे कार मैं आ गया । कुछ देर बाद दोनो बहने तैयार होकर नीचे आयी। उनके आते है मेरा ध्यान रूही की ओर जाता है और मैं अपने आप को उसे देखने से नहीं रोक पाता हूं देखना क्या में लगातार रूही को घूरे जा रहा था।
इस समय वो सिम्पल ड्रेस में ऊपर से लेकर निचे घुटने तक फ्रॉक रेड कलर में अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था कि तभी किरण ने मुझे टोकते हुए कहा..... फिर से आउटलुक देखने लगे क्या ।
मैं हड़बड़ाते हुए ...... कक क्या ...
किरण.... मैंने पूछा फिर से घर की आउटलुक देख रहे थे?
मैं झेंपते हुए बोला..... " नहीं मैं तो अपने12थ के रिजल्ट के बारे मे सोच रहा था ( झूठ )
किरण आगे मेरे साथ ड्राइविंग सीट पर और पीछे रुही बैठी थी।
किरण बैठते हुए मुझसे पूछा .... तुम तो डिस्ट्रिक्ट टॉपर थे ना 10थ में तो तुम्हें कब से रिजल्ट की चिंता होने लगी ।
मैं क्या बोलता फिर भी मैंने कहा .... एक मार्क्स से 1st से 2nd पर आ सकता हूँ।
और फिर हम इसी तरह की बात करते दिया को लेने के लिए पहुंच गए ।
जब मैं कार से उतरा तो पहली बार रूही ने मेरी तरफ नॉर्मल नजरों से देखा हो सकता है मेरी टॉपर की बात को जानकर ।
हुम् घर पहुंचे तो सिमरन दी हॉल में ही बैठी हुई थी। उन से दिया कि बारे में पूछा तो पता चला कि वो अपनी सहेली सोनल के घर गई हैं ।
प्लान कुछ ऐसा था कि मैं माँ को ड्राप कर घर से दिया को पिक करूँगा फिर सोनल के घर जाना था और वहां से मार्केट लेकिन मैं लेट हो गया तो दिया सोनल को पिक करने चली गई ।
सिमरन ने जब किरण को देखा तो उससे बाते करने लगी और आने के बारे मे पूछने लगी , वो दोनों बात कर रही थी तभी मेरे कानों में पहली बार रूही की आवाज सुनाई पड़ी ..... वाशरूम कहाँ है...
मैं अति प्रसन्न पहली बार रूही की आवाज सुनी बड़ी सुरीली , मनमोहक आवज थी । मैं उसे वाशरूम तक ले गया वहां से आने के बाद मैंने पूछा .... कुछ टी या कॉफी ।
मेरे इस तरह पूछने से पहली बार रूही ने स्माइल के साथ जवाब दिया.... जी नहीं ...
फिर उसे देखने के बाद तो जैसे मेरा दिमाग ही काम ना करें फिर पूछा.... खाना लगाऊ क्या ?
मेरे इतना बोलते ही वो हँसने लगी सच कहूं तो उसे हँसते हुए देख कर ऐसा लगा जैसे मुझ पर फूलों की बारिश हो रही हो, बैकग्राउंड में म्यूजिक बज रहा हो, सारा माहौल थम चुका हो बस रूही और में ही हलचल नजर आ रही थी । मैं चुपचाप खड़ा देख रहा था ।
रूही मेरी चुप्पी तोड़ते हुए बोली ..... ( चुटकी बजाते हुए ) हेलो कहाँ खो गए राहुल सर्
मैं .... कहीं नहीं बस तुम्हें हँसते हुए देख रहा था। [/size]
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