RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 5
मैं पीछे - पीछे .... छोटी सुन तो ले , मेरी बात भी ना सुनेगी ।
तभी सोनल पीछे मेरे पास आई और बोली..... " भैया रेस्टोरेंट में जाओ हम सब वही मिलेंगे आपको "
मैं रेस्टोरेंट में इंतजार करता रहा और करीब एक घंटे बाद सब वहाँ पहुंची । मैं चिंता में बाकी चार हँसते हुए और दिया मुँह फुलाये ।
सभी ने खाने का ऑर्डर दिया हमलोग राउंड टेबल पर बैठे थे , मैं मेरे लेफ्ट में सिमरन उसके लेफ्ट में किरण फिर रूही फिर दिया और फिर सोनल बैठे हुए थे ।
मैंने चुपके से सोनल को वहाँ से उठने का इशारा किया वो उठी तो मैं दिया के बाजू में बैठ गया, मुझे अपने बाजू में देख कर दिया सोनल पर जोर से बोली ...... " तुझे मैंने यहाँ बैठने को बोला तू वहाँ क्या कर रही हैं "
सोनल को थोड़ा बुरा लगा तो मैंने इशारे से सॉरी कहा और बैठने को कहा , सोनल यू तो दिया कि बेस्ट फ्रेंड थी पर थी हमारी प्यारी गुड़िया । सोनल का इस संसार में उसकी माँ के अलावा बस हमारा परिवार ही उसकी दुनिया थी ।
मैंने छोटी - छोटी बोल कर उसके कंधे पर हाँथ रखा तो उसने मेरा हाथ झटक दिया और अचानक से रोने लगी , सब ये देख कर चोंक गये तो सिमरान दी ने सबको चुप रहने का इशारा किया ।
मैं बड़े ही प्रेम से उसके सर को अपने सीने से लगाते हुए , प्यार से पुचकारते हुए उसके आंसू पोंछे । वो अब भी रो रही थी मैंने गले लगा कर दिया को चुप करवाया ।
जब भी गुस्सा होती तो जबतक उसे प्यार से ना मनाओ नहीं मानती थी । मुझ से प्यार भी बहुत करती थीं इसलिए किसी की बात बुरी लगे की ना लगे लेकिन मैं अगर जोर से बोल दूँ तो बर्दास्त नहीं कर पाती थी । अब तक हमारा खाना भी आ चुका था सब खाने लगे केवल दिया को छोड़ कर ।
मैंने पूछा ....... छोटी ये क्या है , दिया कुछ ना बोली मैं समझ गया ।
मैंने कहा इधर आ और में खिलाने लगा अपने हाथ से और वो भी खाने लगी ।
आह दिल को सुकून मिला ।
की चलो मामला अब यही सुलझ गया कि तभी सोनल भी अपना रोया सा बनावटी मुह लेकर मुझे देखने लगी ।
मैं ..... हाँ पता है चल अपना मुंह खोल , फिर उसको भी मैंने अपने हाथों से खिलाया ।
खाने के बाद हम सब आपस मे बातें कर रहे थे कि तभी दिया ने वो बोला जो मैं कभी सोच भी नहीं सकता था । दिया तो दिया है रूठी रहे तो भी मेरा सत्यानास खुश रहे तो भी ।
"दिया कि बाते सुन्न कर मैं तो बिल्कुल शॉक्ड हो गया "
कहानी जारी रहेगी .........
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