RE: mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )
अपडेट - 7
दिया ....... वर्मा सर के कोचिंग के निचे पान की दुकान पर4,5 लड़के हमेसा रहते है जो हमे तंग करते है ।
अब मैंने फोन निकाला और नंबर मिलाया अपने बचपन से साथ रहे सबसे करीबी दोस्त ऋषभ को ।
ऋषभ ... बोल राहुल ।
मैं .... कहाँ है तू ?
ऋषभ .... नूतन अपार्टमेंट में क्या हुआ ।
मैं .... कुछ नहीं जल्दी स्व सबको बोल वर्मा सर् की कोचिंग के बाहर मिलने को ।
ऋषभ .... क्या हुआ बात क्या हो गई ?
मैं .... बात बाद में अभी लात का समय है तू सबको लेकर पहुंच मैं निकल रहा हु घर से ।
फिर मैंने दोनो को कार में बैठाया और चल दिए उस जगह पर वहाँ पहुंच कर मैंने कार थोड़ी दूर रोकी और दोनों से पूछा .... कोई है क्या अभी यहाँ ।
दोनो चुप थी क्योंकि जानती थी मैं क्या करने वाला हु । पर डर यह न था कि झगड़ा होने वाला है डर यह था कि अभी बता दिया तो में अकेला जाऊंगा सबको पीटने ।
उन्हें इस तरह चुप देख कर मुझे गुस्सा आया और मैं गुस्से से मेरी दोनो आंखें लाल हो गई जो दोनो को दिखाई दी तभी दिया ने उनमे से एक कि ओर इशारा किया।
मैंने गाढ़ी लॉक की और दोनों को शांत बैठने को कहा और अपना फोन दे दिया उन्हें रखने के लिए । गाढ़ी की डिक्की से मैंने होंकी स्टिक निकली और चला उनकी ओर ।
धीमे कदमो से उनके पास पहुंचा, उस लड़के को देख फिर हो गया शुरू । इससे पहले उन्हें कुछ समझ आता मेरी हॉकी स्टिक पड़नी शुरू हो गई।
मेरा मुकाबला करना उन 3 साथियों के अन्दर तो नहीं था क्योंकि अभी कुछ ही पलों में उनकी हालत खराब हो गई थी। उन्हें पिटता देख उनके कुछ और साथी भी आ गए अब वो करीब दस थे और मैं अकेला ।
अब मैं कोई हीरो तो था नहीं कि सब पर भारी पडू इसीलिए मार खाने की बारी अब मेरी थी मुझे भी मार लग रही थी और मैं भी मारे जा रहा था । कि अब मेरे मित्रो की एंट्री हुई घन - घन करते हुए 20-30 बाइक रुकी सब उतरे और बिना किसी सवाल किए उन्हें रुई की तरह धोने लगे ।
इतने लोगों को देख कर सब भाग गए पर मुख्य लड़का जो इन सब का कारण था उसे पकड़े रखा और दिया और सोनल को बुलाया फिर चेतावनी दी ..... " भविष्य में तुम या तुम्हारा कोई दोस्त इन लोगों को परेशान किया तो मैं तुमको दुनिया से ग़ायब कर दूंगा "
और फिर सब अपने अपने रास्ते चले गए ।
जब मैं कार में बैठा तो दिया मुझसे लिपट कर रोने लगी ।
मैं ... क्या हुआ पगली ।
कुछ ना बोली बस रोये जा रही थी तभी सोनल ने मुझे देखा और मुझसे लिपट कर रोने लगी । अब मेरे समझ से परे था कि दोनों क्यों रो रही हैं । मैं दोनो को चुप करवाया माथे पर किस किया और पूछा क्या हुआ क्यों रोये जा रहे हो तुम दोनों ।
दिया सिसकिया लेते हुए .... आपके सर से खून निकल रहा है।
अब मामला समझ में आया कि यह लोग ब्लड देख कर घबरा गई हैं ।
मैंने हँसते हुए कहा ... पागल मर्द को दर्द नहीं होता ।
अब चुप हो जा चल डॉक्टर के पास नहीं तो खून सब बह जयेगा और में इस लोक से उस लोक का निवासी हो जाऊंगा ।
वहाँ से हम तीनों हॉस्पिटल पहुंचे मेरे सर में 5 टांके आये , डॉक्टर ने नार्मल सारे काम करने को कहा भाग दौड़ वाले काम छोड़ कर क्योंकि ऐसा करने से ब्लड तेजी से circulate होगा और bleeding के चांसेस रहेंगे ।
हॉस्पिटल के बाद सोनल को छोड़ते हुए हम घर पहुंचे । एक - एक करके सबको मेरे सर के चोट के बारे में पता चलता रहा और दिया सबको कारण बताती रही ।
अगले दिन जब मैं मैदान नहीं पहुंचा तो किरण का फोन सिमरन के पास आया जिस से उसे भी सब पता चल गया । अब करीब 10बजे होंगे कि किरण और रूही मुझसे मिलने आ पहुंची ।
आह ।। रूही को देखते ही सारे गम दूर हो गए ऐसा अहसास जिसे ना तो दिखाया जा सकता ना ही बयान किया जा सकता था ।
कुछ देर किरण मेरे पास बैठी रही फिर चली गई दी के पास अपनी चित -चैट के लिए और अब मैं और मेरी जान रूही वहाँ अकेले थे ।
मैं ..... रूही शुक्रिया ।
रूही ..... किसलिए शुक्रिया ।
मैं ..... मुझसे मिलने आई ना इसीलिए ।
रूही मेरी बातों पर चुटकी लेते हुए .... मिलने तो आपसे किरण भी आई है पर उसे तो आपने थैंक्स नहीं बोला ।
अब मैं क्या कहूँ ..... वो वो अब हम फ़्रेंड है ना ।
आह। चलो मैंने उसे फाइनली फ्रेंड बोल ही दिया ।
रूही हंसती हुई .....मैंने कब की फ़्रेंडशिप ?
अब मैं क्या कहूँ ये लगता है मुझसे दोस्ती नहीं करना चाहती । मैं कुछ बोल ना पाया उसकी इस बात पर तबतक उसने फिर पूछ लिया ..... बताओ कब हुए हम फ्रेंड्स ।
मैं कहूँ तो क्या कहूं अपनी ही चिंताओं में घिरा था कि तभी ...... एक बार फिर दिया कमरे मे आते हुए नया रंग बिखेर दिया ।
कहानी जारी रहेगी ......
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